शनिवार, 9 नवंबर 2019

पूतना शांति

         

  

              *।।।बाल ग्रह पूतना।।*
बहुत सालों के अनुभव के बाद एक बात मैं आपके सामने आज जनकल्याण हेतु खोलने जा रहा हूँ ये कोई साधारण बात नहीं है हम लोगों के जीवन में जरूर ये समस्या आती है वो है 0 से 12 साल के बच्चों का अक्सर बीमार हो जाना सधारण तयः चिकित्सा करवाने से ठीक हो जाता है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत ज्यादा इलाज होने पर भी बच्चा ठीक नहीं होता या दवा असर नहीं करती। ऐसे असंख्य बच्चों का इलाज मैंने किया है और उनकी परिणाम बहुत ही अधिक संतोषजनक आया जो अधिक दवा लेने पर और बहुत बड़े डॉक्टरों से भी ठीक नहीं हुए वह बच्चे भी इस उपाय से स्वस्थ हो गए।
मेरा उद्देश्य चिकित्सा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठाना नहीं है हमारे भी बच्चे जब बीमार होते हैं तो हम भी अपने बच्चों को डॉक्टरों के पास लेकर जाते हैं और उनका इलाज करवाते हैं लेकिन उसके बावजूद जब दवा ना लगे तो उपाय बिना देर किए करना चाहिए ताकि किसी बच्चे के प्राणों की रक्षा हो सके इसी लक्ष्य को सामने रखकर मैं आपके लिए यह कुछ उपाय लेकर आया हूं।
ये उपाय विद्वान ब्राह्मणो द्वारा तब से करवाये जा रहे हैं जब चिकित्सा पद्धति इतनी विस्तृत नही थी और आज भी अगर किसी द्वारा ये उपाय किये जाते हैं तो इनका प्रभाव उतना ही है।
           ।।कारण और लक्षण एवम् उपचार ।।
अब बात यह है इसका कारण बताओ आपको यह पूतना 12 वर्ष के कम बच्चों को धरती है ग्रसित करती है उसका कारण यह हैं बहुत मैले बिछोने पर अकेली जगह में छोटे बच्चे को सुला देने से पूतना नाम की राक्षसी उसमें प्रवेश होने पर बच्चा बीमार हो जाता है तब पूतना की बलि देने से अच्छा होता है।

○जब कभी बच्चा बैठे-बैठे गिर पड़े या यूं मालूम हो किसी ने बच्चे को गिराया है और मूर्छा आ गई है अथवा एका एक कोई रोग हो गया है तब जानू उसे महा पूतना ने ग्रसा है।

○यदि कोई लोभ आदि के वश में आकर वनदेवता या नाग देवता का तिरस्कार कर दे तो उसके बालक को मैं ऊध्र्व प्रवेश कर लेती है।

○यदि कोई मनुष्य अपनी ऋतु स्त्रावित स्त्री का गमन करें और उसके बाद में स्नान किए बिना बच्चे को छू ले या माता अथवा पिता दोनों में से कोई भी उसके साथ सो जाए तो बालक्रांता नाम की राक्षसी का दोष होता है।

○बच्चे को इत्र फुलेल और फूल माला पहना कर बाहर जाने से रेवती ग्रह दोष करता है।

○ सिर खुले जूठे वालों को संध्या के समय सोने से रेवती का आवेश होता है संध्या के समय जमीन पर सोने से अथवा खेलने से बालक को पुष्प रेवती का दोष होता है

○ कदाचित बालक खेलता खेलता गिर जाए अथवा उसे उल्टी हो या नहीं भूले हो उसे शुष्क रेवती का आवेश होता है।

○झूठा खाने और देवता के स्थान पर मल मूत्र करने से शकुनी ग्रही नामक राक्षसी बालक को पकड़ लेती है ।

○जो नित्य कर्म संध्या वंदना आदि कर्म नहीं करते जो लोग पक्षियों को पालते हैं जन्मांतर में उनके बालकों को शिशु मुनी का राक्षसी का दोष होता है।

○ फिर उसका पूजन और बलि धूप आदि दान करने से शांति होती है।

○ अब कुछ लक्षण मै आपको बताऊंगा जिस बालक के नाखून और दांतो में विकार हो,दांत पीसे,नींद ना आवे,डर लगता रहे,शरीर से दुर्गंध उठे,आंख मीचना, शरीर को ऐंठे, रुदन करे,अनेक प्रकार की चेष्टा करें अधिक हो जावे उसे ग्रहाविष्ट जाना चाहिए।

○ उबटन:- इस उबटन से बालक के ग्रह शांत होते है। अब इसका उबटन बताता हूं दुर्वा,कुटकी, नीम के पत्ते, तज, का उबटन बनाकर के शरीर में मलकर पीछे पीपल के पत्ते और लिसोड़े के पत्ते का काढ़ा बनाकर स्नान कराने तो यह दूर होता है।

○ सर्व बाल ग्रह शांति हेतु और देवालय में जाकर ज्योति दर्शन बालक को करवावे
○मन्त्र बताता हूं आपको 'ॐ हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वंनेनापूर्य या जगत । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव।।' इसका जाप करें दीप जला कर मंदिर में दही और उड़द के आटे से बने हुए वड़े की बलि दें मंदिर में पीतल की घंटी देवता के स्थान पर बांधे तो बच्चों को लाभ होता है।

○अब मैं आपको बताता हूं कि किस मास किस दिन और किस वर्ष में किस पूतना से बालक ग्रसित होता है।

○पहले दिन,मास,वर्ष को बालक योगिनी नामक पूतना से ग्रस्त होता है इसमें बालक को हीनज्वर गात्रशोथ अनाआहार वमन मूर्च्छा कांपना उदरपीड़ा सभी बीमारियों से पूतना के कारण ग्रस्त होता है।
○इस पूतना शांति में बली के लिए जिस मूर्ति की पूजा की जाती है वह नदी की मिट्टी निकाल कर तैयार की जाती है।
○ और बलि में सफेद चावल, सफेद फूल, सफेद चंदन का लेप, 5 पुड़े, 5 दीपक , 5 ध्वजा सफेद रंग, की प्रातः काल के समय घर से पूर्व दिशा में जाकर चौराहे पर या खाली उजाड़ जगह में लगातार तीन दिन बलि देवें।

○ जो धूप आपने बनानी है उसके लिए सरसों, बालछड़, आंक, बिल्वपत्र, काले तिल मनुष्य के केस नीम और घी इनको मिलाकर धूप तैयार करें और गाय के गोबर के कंड़े को  सुलगाकर के बालक के कमरे में इसकी धूनी देने प्रति दिन लगातार तीन दिन और इसको धूनी देने से बहुत ज्यादा लाभ होता है।

○मंत्र है ॐ नमो भक्त वत्सले मोचिनी स्वाहा।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान मन्त्र:- ॐ ब्रह्माविष्णुश्च रुद्रश्च सकन्दो वै श्रवण स्थता।राक्षन्तु त्वरितंबालं मुन्च मुन्च कुमार्कम्।

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○दूसरे दिन मास वर्ष में बालक को सुनंदना नामक पूतना ग्रस्त करती है इसके लक्षण मंद ज्वर,हाथ पाँव सँकोच करना दांतो को पीसना आंखों को मीचना आंखों में दर्द और बहुत ज्यादा लगातार रुदन करना ये लक्षण हों तो बालक को सुनंदना पूतना से ग्रसित जानना चाहिए।

○पुतला सवा सेर चावल के आटे का स्त्री के पुतले का निर्माण करना चाहिए। और पश्चिम दिशा में सायं काल को लगातार तीन दिन तक पूतना के निमित्त बलि दे।

○बलि में सवा सेर भात,आटे के पूड़े,भुनी हुई मछली ,
       बकरे का मांस 13 दीपक,सफेद रंग के13 झंडे  पूतना    
       के निमित्त बलि दे।

○इसकी धूनी के लिए सरसों, बालछड़, आंक, बिल्वपत्र, काले तिल मनुष्य के केस नीम और घी इनको मिलाकर धूप तैयार करें और गाय के गोबर के कंड़े को  सुलगाकर के बालक के कमरे में इसकी धूनी देने प्रति दिन लगातार तीन दिन और इसको धूनी देने से बहुत ज्यादा लाभ होता है।

○मन्त्र ॐ नमो भगवती स्वाहा।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।

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○ तीसरे दिन मांस वर्ष में पूतना नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है  इसके लक्षण बहुत अधिक तेज़ ज्वर आना, बच्चे का रुदन करना, बच्चों को भूख ना लगना, बच्चे का शरीर का कांपना,बार बार उल्टी आना, रोमांच यानी रोये खड़े हो जाना, बच्चे का नींद में चौक जाना उदर पीड़ा।
○इसकी बली के लिए जो पुतला बनाया जाता है उसको स्त्री के स्वरूप का सवा से चावल के आटे का पुतला बनाना है और 3 दिन तक पश्चिम दिशा में संध्याकाल को बलि देनी है।

○बलि के लिए सवा सेर लाल रंग डालकर चावल बनाए, 10 लाल ध्वजा, लाल चंदन का लेप,10 गेंहू के आटे के पूड़े,5 पूरन पौली, 10 दीपक,पश्चिम दिशा में शाम को लगातार तीन दिन किसी वृक्ष के नीचे रखना है।

○ मंत्र है:- ॐ नमो भगवती स्वाहा।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान मन्त्र ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।

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○चौथे दिन मांस और वर्ष को मुखमुंडिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है। इसके लक्षण ज्वर, आंख मीचना, सिर को गिरा लेना आगे या पीछे, सिर को झुकाना ,भोजन ना करना ,बच्चे को नींद ना आना, नींद से उठ जाना ,नींद में चिल्लाते हुए बच्चे का उठना, यह मुकहमुंडिका नामक पूतना से ग्रसित होने के लक्षण है।

○ इस पूतना को बलि देने के लिए सवा सेर तिल के चूर्ण की पीठी बनाकर उससे स्त्री की प्रतिमा बनाई जानी चाहिए।
○ जो बलि इसमें दी जाती है उसमें 5 सफेद फूल 5 सफेद ध्वजा,5 दीपक, सवा सेर भात,एक सेर आटे के पूड़े,आधा शेर पूरन पौली शाम को पश्चिम दिशा में वृक्ष के नीचे तीन दिन लगातार यह बलि दी जानी चाहिए।

○ इसमें दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली,नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में लगातार दिया जाना चाहिए।

○मन्त्र:- ॐ नमो पूतने मातवीर्रलि भक्ष सुशोभने बलकमुंच सुयोगेन बलिदाने महर्षयेत।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र ॐ नमसच्चामुंडायै विच्चे ह्रां ह्रां ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं स्थानाद्र आज्ञया स्वाहा।

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○पांचवें दिन मास या वर्ष में विडालिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है।उसके लक्षण ज्वार, देह पीड़ा,उदर पीड़ा, अरुचि,आंखों का मीचना, बालक का गर्दन को झुकाना अगर  यह लक्षण हों तो बालक को विडालिका नामक पूतना से ग्रस्त मानना चाहिए ।

○ सवा सेर चावल के आटे का पुतला बनाकर साईं काल में पश्चिम दिशा में जाकर वृक्ष के नीचे 3 दिन लगातार यह बलि देनी होती है।

○ बलि में सवा सेर भात,पांच पूरियां,सफेद चंदन का लेप,5 श्वेत पुष्प, 5 दीपक,5 श्वेत झंडे,5 गेहूं के आटे के पूड़े, पश्चिम दिशा में सायं काल में वृक्ष के नीचे लगातार तीन दिन मंत्र उच्चारण करते हुए रखने हैं।

○इसमें भी दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली,नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में लगातार दिया जाना चाहिए।

○मन्त्र:-ॐ  सुभगे सुभलेदेवि सर्व शत्रुनिवारिणी वुलरू शांति शिशो: स्वथ्यं जीव दानेन राक्षसि।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र  ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।

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○छठे दिन मास यह वर्ष में शकुनि या / षटकारिका नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है और इसके मुख्य लक्षण यह है ज्वर,अरुचि,उदर पीड़ा, शरीर का कांपना,बार-बार रुदन करना, रोते हुए बच्चे का उठ जाना, ऐसे महसूस होना जैसे बच्चे को किसी ने धक्का देकर गिरा दिया हो या खड़े हुए बच्चे का गिर जाना अचानक गिर जाना यह लक्षण होने पर बच्चे को शकुनि षटकारीका नामक पूतना से ग्रस्त जाना चाहिए।

○इस पूतना की शांति में पूजा करने के लिए जो पुतला बनाया जाता है वह स्त्री का पुतला नदी या नहर के दोनों किनारों की मिट्टी लेकर बनाया जाता है।

○ इसमें काले रंग के पांच ध्वजा, पांच दीपक, पांच काले फूल, मच्छी का मांस,बकरे का मांस,खीर, सवा सेर आटे के पूऐ, पश्चिम दिशा में दोपहर के समय 3 दिन तक लगातार बली देवें।

○ जो धूप इसमें दी जाती है उस धूनी को तैयार करने के लिए आपको कुठ, गूगल, राई,हाथी दांत,देसी घी,सरसो सफेद चंदन मिलाकर गाय के गोबर के कंडे पर आपको बालक के कमरे में यह धूनी देनी है।

○मन्त्र:-ॐ राक्षसि त्व महाभागे बालमुंच शुभानने क्षेमं कुरु जगत्थयासिमन शोभावान शिशूं कुरू।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र:- ॐ ब्रह्माविष्णुश्च रुद्रश्च सकन्दो वै श्रवण स्थता।राक्षन्तु त्वरितंबालं मुन्च मुन्च कुमार्कम्।
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○छठे दिन मास वर्ष में बालक को छठकारिका या शकुनि पूतना बालक को ग्रसित करती है  इसके लक्षण बालकों में ज्वार अरुचि शरीर का कांपना बार बार रोना अचानक खड़े-खड़े बच्चे का चिल्लाने लग जाना जैसा कि मानो उसको किसी ने थप्पड़ मार दिया हो सोए हुए बालक का डर कर बार-बार उठ जाना ऐसे लक्षणों को जानकर विद्वान को शकुनी या छठकारिका पूतना से ग्रसित हुआ बालक को जानना चाहिए।

○ ऐसे पुतला की शांति के लिए सवा सेर चावल का आटा भूत कर स्त्री की आकृति की मूर्ति बनाएं और पश्चिम दिशा में 3 दिन तक बलि देवें।

○पूजन द्रव्य सफेद चंदन का लेप,5 सफेद फूल,5 दीपक और 5 सफेद रंग के झंडे, सवा सेर उबले हुए चावल, पांच प्रकार की मिठाई,7 आटे के पूड़े 3 दिन तक चौरास्ते पर पूर्व दिशा में सायं काल को दें।

○ धूप देने के लिए गूगल, कुठ, सफेद चंदन,सरसों, हाथी दांत का चूर्ण, गाय का घी यह सब मिलाकर बालक के कमरे में 3 दिन तक धूनी दें।
○बलि और धूफ देने का मन्त्र:- ॐ राक्षीसि त्वं महाभागे बालं मुन्च शुभानने।क्षेम कुरु  जगतास्मिन शोभवान वरं कुरु।
○स्नान मन्त्र  ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।
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○सातवें दिन मांस या वर्ष में बच्चे को शुष्क रेवती नामक पूतना ग्रस्त करती है जिसके मुख्य लक्षण मैं आपको बता रहा हूं जो आंखें में चना रोना सिर पीड़ा होने बच्चे का खड़े-खड़े गिर जाना आरुषि और सूखा रोग यह लक्षण अगर बालक में हो तो उसको शुष्क रेवती से पीड़ित जाना चाहिए।

○इस पूतना की बलि देने के लिए सवा सेर चावलों के आटे का पुतला बनाये और इसके बलिद्रव्य में सफेद चंदन का लेप,5 सफेद फूल, 5 दिए सफेद ध्वजा,इससे इस पूतना की पूजा करनी चाहिए और बलि द्रव्य जो आपको मैं बता रहा हूं वह है सवा सेर भात, या उबले हुए, पांच मिठाई, सात पूरियां साईं काल को पश्चिम दिशा में किसी खाली जगह या चार रास्ते की एक साइड में मौन रहकर के यह बलि देनी चाहिए।

○इसमें भी दी जाने वाली धूनी लहसुन, गाय का सींग, सांप की केंचुली,नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल और घी यह मिलाकर इसकी धूनी तैयार की जाती है। इसे बालक के कमरे में दिया जाना चाहिए।

○मन्त्र:-ॐ नमो पत्रक्षि विशालाक्षि बन शिव सग्रहा बलि मासांस्च बाले मुंन्च सुशोभने।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान मन्त्र  ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।
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○आठवें दिन मास अथवा वर्ष में बालक को विडालिका नामक पूतना ग्रस्त करती है। इससे बालक को उदर पीड़ा ,शिरोशूल, अफारा देह पीड़ा उल्टी दस्त इत्यादि लक्षण जब मिलते हैं तो बालक को विडालिका पूतना से ग्रस्त माना जाए

○सवा सेर चावल के आटे की स्त्री आकार में मूर्ति बनाकर दक्षिण दिशा में सायंकाल को 3 दिन लगातार बलि देवें।

○ रक्त चंदन का लेप, पांच रंग की मिठाई, पांच रंग की झंडी, 5 दीपक देसी घी के यह पूजन द्रव्य है गेहूं की रोटी,मसूर की दाल, हरा साग, बकरे का मांस शाम को
       3 दिन लगातार चौराहे पर देना है।

○ इस पूतना की शांति के लिए जो धोनी जी जाती है उसके लिए गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई और देशी घी की धूनी देनी चाहिए।

○मन्त्र :- ॐ नमो सर्व भूतेशी शोभने त्वम पिशाचिनी।बलिचैवा सुरी वर्कलत्यत्वरितं मुन्च बालकम।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान मन्त्र  ॐ भगवती ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रूं ह्रूं मुन्च रक्षां कुरु कुरु बलिं गृहाण अस्त्र ठ: ठ: चामुण्डे सर्वारि चण्डिके ठ:ठ: स्वाहा।
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○नवमें दिन मास वर्ष में मदना नामक पूतना बालक को ग्रस्त करती है और बालक को ज्वर,अरुचि, कंपन, बार बार रोना,मुट्ठी बंद करके जोर से रोना, और खड़े-खड़े गिर,जाना यह मदना नामक व्यक्ति से ग्रस्त हुआ जानो।

○ एक शेर गेहूं के आटे का स्त्री आकार में पुतला बनाएं और प्रातः काल भोर में उत्तर दिशा में यह है बलि देनी है

○ 25 रक्त पुष्प 25 लाल रंग की झंडी या 25 दिए और 25 आटे के पूरे से पूजन करने के उपरांत सवा शेर भात मछली का मांस पापड़ी और 25 गन्ने के टुकड़े  उत्तर दिशा में प्रातः काल 3 दिन यह बलि देनी है।

○ जो धूप आपने देनी है उस में गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई, सरसों , घी इनकी धूनी आपको प्रतिदिन बालक के कमरे में देनी है तो ग्रह और अरिष्ट शांत हो।

○मन्त्र:-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय हुँ फट्।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र:-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कृष्णाय मंडल बलिमादाय हन हन हूं फट् स्वाहा।

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○दसवें दिन मास वर्ष में रेवती नामक पूतना बालकों को ग्रस्त करती है और निम्नलिखित रोग उत्पन्न करती है जिनमें ज्वर, वमन,श्वास रोग,सिर पीड़ा,उदर पीड़ा,यदि यह लक्षण बालक में मिले तो रेवती पुतला से बच्चे को ग्रस्त माना जाए।

○सवा सेर गेहूं के आटे की स्त्री आकार की मूर्ति बनाकर प्रतिदिन सायं काल को चौरसते पर दक्षिण दिशा में यह बलि रेवती नामक पूतना के निमित्त दी जानी चाहिए।

○ इस पूतना के निमित्त 25 रक्त पुष्प, 25 लाल रंग की झंडियां, 25 दीपक और 25 पुड़े यह पूजन द्रव्य है और गुड़ घी में भुने हुए चावल,गौ घृत घर के दक्षिण दिशा में चौरास्ते पर सायंकाल को बलि के निमित रखने हैं।

○जो धूप आपने देनी है उस में गाय के सींग का बुरादा, लहसुन, सांप की केचुली, नीम के पत्ते, मनुष्य और बिल्ली के बाल, राई, सरसों , घी इनकी धूनी आपको प्रतिदिन बालक के कमरे में देनी है तो ग्रह और अरिष्ट शांत हो।

○मन्त्र:- ॐ नमो भगवते वैश्वदेवाय हन हुँ फट स्वाहा।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र ॐ नमो भगवते वैश्वदेवाय हन हुं फट् स्वाहा।

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○एकादश दिन मास वर्ष में सुदर्शना नामक पूतना बालकों को ग्रस्त करती है और लक्षण ज्वर,अरूचि मुख शोथ गात्र पीड़ा और रोधन  बालक कि जब यह लक्षण दिखे तो उसे सुदर्शना पूतना से ग्रस्त हुआ माना जाए।

○ सवा सेर काले उड़द के आटे से इस पूतना की स्त्री आकार में मूर्ति बनाई जाती है।

○उबले हुए चावल सवा सेर, सफेद चंदन का लेप, सफेद फूल 25, सफेद ध्वजा 25, 25 दीपक, 25 पुड़े इस बलि को संध्या काल के समय घर से दक्षिण दिशा में प्रतिदिन 3 दिन तक सुदर्शना नामक पूतना के निमित्त बलि देनी चाहिए।

○इस पूतना की शांति में इस्तेमाल की जाने वाली धूप का निर्माण गोमूत्र,लहसुन, नीम के पत्ते,सांप की केंचुली,बिल्ली और मनुष्य के बाल, राई और गौ घृत इन सब को मिलाकर धूप तैयार की जानी चाहिए और उसे बालक के कमरे में प्रतिदिन 3 से 4 दिन तक लेना चाहिए इससे पितरों की शांति होती है।

○मन्त्र:- ॐ नमो भगवते  रावनाय चंद्रहास वज्रहस्ताय ॐ हूँ फट स्वाहा।
○ पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मंत्र:-ॐ नमो भगवते रावणाय चन्द्रहास वज्रहस्ताय ज्वल ज्वल दुष्ट गृहादीन् ॐ ह्रीं फट् स्वाहा।
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○बारहवे दिन मास वर्ष में अदभुता नामक पूतने बालकों को ग्रसित करती है। और बहुत ज्यादा कष्ट देती है ज्वर, रुदन,पसीना,आंख दुखना,सन्ताप,रोमांच, शरीर पीड़ा के लक्ष्णों को देखकर विद्धवान लोग अदभुता नामक पूतना से बालक को ग्रसित जानो।

○एक शेर चावल के आटे की बेटी से इस पूतना की सुंदर मूर्ति तैयार करनी चाहिए आर दक्षिण दिशा में साईं काल को इस की बलि दी जानी चाहिए बली द्रव्य 13 दीपक,13 सफेद झंडी,13 आटे के पूड़े, मछली का मांस, बकरे का मांस और पापड़ी अदभुता नामक पूतने के निमित बलिदान करें।

○ॐ नमो नारायण प्रज्वल प्रज्वल ताल हर हर शोषय शोषय मर्दय मर्दय हन हन दुष्टआत्मान हुँ फट् स्वाहा।
○पुतना की शांति हेतु बलि धूफ और पूजन इसी मंत्र से किया जाना चाहिए।
○स्नान करने का मन्त्र:-ॐ नमो नारायणया जवलद्वसताय  हन हन शोषय शोषय मर्दय मर्दय तापय तापय हुँ हुँ हुँ हन हन दुष्टाना ह्म ह्रूं स्वाहा।

यहां जिस प्रकार बाल कष्ट आवली चित्र दिया गया है हाल हर बलिदान के पीछे जल द्वारा छींटे दिए जाने का विधान है जब पूतना का बलिदान दिया जाता है तो बलिदान विधि 3 दिन तक निरंतर करें उसके बाद चौथे दिन पलाश पीपल विल्व गुलर मिल सके तो खैर के पत्ते इन के पत्तों को उबालकर बालक को स्नान मंत्र द्वारा स्नान कराते हुए बच्चे के ऊपर से उतारकर भिखारी और कुत्ते आदि जीवो को मीठा भोजन कराना चाहिए और शांति मंत्रों का जाप करके कुशा से बच्चे को जल के छींटे देना चाहिए।
निम्नलिखित मंत्र को पढ़ना चाहिए जो स्नान के मंत्र हैं उनसे स्नान करवाया जाए और फिर शुद्ध जल लेकर के जिसमें गंगाजल हो और कुछ ऐसे बच्चे को छीटे मारते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना है
मन्त्र:-ॐ रक्ष रक्ष महादेव नीलग्रीव जटाधर गृहासतु सहितो रक्ष मुन्च मुन्च कुमारकम  ॐ सर्व मातर इमं ग्रहं संहरंतु हुँ रोदय रोदय स्फ़ोटय स्फ़ोटय स्वहा।गर्ज गर्ज सः गृहाण गृहाण आमर्दय आमर्दय ह्रीं ह्रीं हन हन एवं सिद्धि रुद्रो ज्ञापय स्वाहा।इति रक्षा मन्त्र।

अपनी तरफ से मैंने कोई कमी नहीं छोड़ी इस विषय पर इस विषय में मैंने सैकड़ों बार लाभ उठाया है इस ज्ञान से तो मैं यह चाहता हूं कि ज्ञान आपको मिले और इसे आप लाभ उठाएं लेख लंबा है लेकिन रुचिकर है जिसको ज्ञान की प्यास होती है उसके लिए लेख की लंबाई का महीना नहीं होता अगर कुछ आपको समझ ना आए तो मेरे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेजकर मुझसे आप संपर्क कर सकते हैं।



शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

लक्ष्मी प्राप्ति के संकेत और उपाय

                      ।।धन प्राप्ति के संकेत।।
                  ।।और धन प्राप्ति के उपाय।।

○अगर आपके शरीर के दाहिने भाग में या सीधे हाथ में लगातार खुजली हो, तो समझ लेना चाहिए कि आपको धन लाभ होने वाला है।

○यदि कोई सपने में देखे कि उस पर केस मुकदमा चलाया जा रहा है, जिसमें वह निर्दोष छूट गया है, तो उसे अतुल धन संपदा की प्राप्ति होती है।

○लेन-देन के समय यदि पैसा अचानक आपके हाथ से छूट जाए, तो समझना चाहिए कि आपको कहीं से धन लाभ होने वाला है।

○जो व्यक्ति सपने में मोती, मूंगा, हार, मुकुट आदि देखता है, उसके घर में किसी ना किसी रूप में लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है।

○जिसे स्वप्न में कुम्हार घड़ा बनाता हुआ दिखाई देता है, उसे बहुत धन लाभ होता है।

○दीपावली के दिन यदि कोई किन्नर संज-संवर कर दिखाई दे, तो अवश्य ही धन लाभ होता है। ये धन लाभ अप्रत्याशित रूप से होता है।

○सोकर उठते ही सुबह-सुबह कोई भिखारी मांगने आ जाए, तो समझना चाहिए कि आपके द्वारा दिया गया पैसा (उधार) बिना मांगे ही मिलने वाला है। इसलिए भिखारी को अपने द्वार से कभी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए।

○यदि कोई सपने में स्वयं को कच्छा पहनकर कपड़े में बटन लगाता देखता है, तो उसे धन के साथ मान-सम्मान भी मिलता है।

○यदि कोई स्वप्न में किसी को चेक लिखकर देता है, तो उसे विरासत में धन मिलता है तथा उसके व्यवसाय में भी वृद्धि होती है।

○गुरुवार के दिन कुंवारी कन्या पीले वस्त्रों में दिख जाए, तो इसे भी शुभ संकेत मानना चाहिए। ये भी धन लाभ होने का गुप्त संकेत है।

○अगर आप धन संबंधित काम के लिए कहीं जाने के लिए कपड़े पहन रह हैं और उसी समय आपकी जेब से पैसे गिरें,यह धन प्राप्ति का गुप्त संकेत है।

○यदि कोई सपने में दिया सलाई जलाता है, तो उसे अनपेक्षित रूप से धन की प्राप्ति होती है।

○सपने में अगर किसी को धन उधार देते हैं, तो अत्यधिक धन की प्राप्ति होती है।

○कहीं जाते समय नेवले द्वारा रास्ता काटना या नेवले का दिखना शुभ संकेत होता है। नेवला दिखना धन लाभ का संकेत होता है। आप सोकर उठे हों और उसी समय नेवला आपको दिख जाए तो गुप्त धन मिलने की संभावना रहती है।

○सपने में यदि गर्दन में मोच आ जाए, तो भी धन लाभ होता है। यदि पका हुआ संतरा देंखे तो शीघ्र ही अतुल धन-संपत्ति प्राप्त होती है।

○शुक्रवार के दिन कपिला गाय (केसरिया रंग की) के दर्शन होना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा हो जाए तो समझना चाहिए कहीं से अचानक धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं।

○जो व्यक्ति सपने में फल-फूलों का भक्षण करता है, उसे धन लाभ होता है। जो स्वप्न में ध्रुमपान करता है, उसे भी धन प्राप्ति होती है।

○कुत्ता यदि अचानक धरती पर अपना सिर रगड़े और यह क्रिया बार-बार करे तो उस स्थान पर गढ़ा धन होने की संभावना होती है।

○यदि यात्रा करते समय किसी व्यक्ति को कुत्ता अपने मुख में रोटी, पूड़ी या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लाता दिखे, तो उस व्यक्ति को धन लाभ होता है।

○जो व्यक्ति सपने में मूत्र, वीर्य, विष्ठा व वमन का सेवन करता है, वह निश्चित ही महाधनी हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति सपने में अपनी प्रेमिका से संबंध विच्छेद कर लेता है, तो उसे विरासत में धन की प्राप्ति होती है।

○यदि कोई यात्री घर को लौट रहा हो और गधा उसके बाईं ओर रेंके तो उसे थोड़े समय बाद धन लाभ होता है। यदि किसी व्यक्ति को किसी गांव, नगर अथवा मकान में प्रवेश करते समय सुअर अपनी दाहिनी ओर दिख जाए तो उसे लाभ मिलता है।

○जिसे सपने में ऊंट दिखाई देता है, उसे अपार धन लाभ होता है।

○ स्वप्न में हरी-फुलवारी तथा अनार देखने वाले को भी धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

○सपने में यदि गड़ा हुआ धन दिखाई दे, तो उसके धन में अतुलनीय वृद्धि होती है।

○बैंक में पैसे जमा करने जाते समय अगर रास्ते में गाय आ जाए तो आपके धन संबंधित सभी काम पूरे होते हैं।

○ जो व्यक्ति सपने में स्वयं को केश विहीन (गंजा) देखता है, उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है।

○जो सपने में खेत में पके हुए गेहूं देखता है, वह शीघ्र ही धनवान बन जाता है।

○सपने में जिसके दाहिने हाथ में सफेद रंग का सांप काट ले, उसे बहुत से धन की प्राप्ति होती है।

○यदि कोई सपने में अपने सीने को खुजाता है, तो उसे विरासत में संपत्ति मिलती है।

○यदि कोई सपने में आंख खुजाता है, तो धन लाभ होता है।      

                    ।।लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके।।

लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके आपके लिए जो की व्यवहारिक और असरदार है यहां प्रस्तुत कर रहा हूं यह सभी टोटके आजमाए हुए हैं आपके लिए जो प्रयुक्त हो आप इन में से चुन सकते हैं और लाभ उठा सकते हैं।

○बुधवार को लाभ घड़ी में शुरू करे और मछलियों को उर्द और गेंहू का आटा मिलाकर 108 गोलियां बनाकर प्रतिदिन डाले।

○अगर आप का कामकाज ठप हो गया है  तो आप  अपने इष्ट देव का नाम वाइट सीट वाली कॉपी  के पन्ने पर  108 बार लिखें और इसकी कटिंग करके इसे आटे की गोलियों में भर लें और मछलियों को डालें यह क्रम लगातार चलना चाहिए बंद हुआ काम का आज  कारखाना दुकान फैक्ट्री  धंधा वापिस चल पड़ेगा ।

○व्यापार में सफलता के लिए नित्य प्रातः दातौन/ब्रश करने के बाद तुलसी के दो पत्ते खाएं ।

○हर बुधवार को गणेश जी का दर्शन करें ।और सबूत मूँग दान करें।

○करियर की बेहतरी के लिए मध्यमा अंगुली में घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें ।

○हर शनिवार को निर्धनों को सिक्कों का दान करें।

○आकस्मिक धन लाभ के लिए बृहस्पतिवार को बहते हुए पानी में हल्दी की दो गाँठ बहायें ।

○घर में लगे हरे फलदार/फूलदार पौधे कभी न काटें।

○सुखद और संपन्न जीवन के लिए हर शाम को तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं ।

○रविवार को कभी भी पीपल के नीचे दीपक न जलाएं। शास्त्रों के अनुसार प्रति रविवार रात्रि में पितरों के निम्मित घर की दक्षिणी दीवार में तिल के तेल का दीपक जलाएं।

○पैसा लगातार आता रहे इसके लिए घर में और बाहर ढेर सारे फूलों के पौधे लगायें। बच्चों को नियमित रूप से खिलौने और मिठाई दें ।

○फ़िज़ूल खर्ची को रोकने तथा घर में शांति के लिए।घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का वन्दवार लगायें।इस वन्दनवार को रविवार को लगायें और हर सप्ताह बदल दें ।

○घर में बचत और बरकत हो इसके लिए घर से कूड़े कबाड़ और अनुपयोगी वस्तुओं को हटाते रहें जिन जूतों का प्रयोग आप नहीं करते उनको घर में बिलकुल न रक्खें आपको आर्थिक लाभ होता रहे।

○धन का कभी अभाव न हो , इसके लिए घर में नियमित चन्दन की धूप जलाएं ।

○घर की महिलाओं का सम्मान करें ।

○कर्ज से मुक्ति चाहते हैं तो हर मंगलवार को रात को 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें । मंगलवार का व्रत भी अवश्य रक्खें।

○हर कार्य में सफलता के लिए घर में बनने वाले खाने का कुछ हिस्सा किसी निर्धन को या पशु को खिलाएं ।

○एक ही बर्तन में मांसाहार और शाकाहार न पकाएं।

○लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रोज रात को 1 चांदी की कटोरी में 1 कपूर की डली 1 लौंग के साथ जलाये।

○लक्ष्मी प्राप्ति के लिए रोज अपने घर के ईशान कौण में शुद्ध घी का दीपक 1 इलायची डाल कर जलाये।

○पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी।

○लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किसी निर्धन विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें।

○लक्ष्मी मंदिर में जाकर झाड़ू दान करें।

○प्रति बुधवार प्रातः काल में को कपोत पंछियों को बाजरा या सतनाजा डालें।और जल का प्रबंध करें।

○प्रति शनिवार को सुबह कौओं को रोटी के टुकड़े टुकड़े करके डालें।

○लक्ष्मी मंदिर में शुक्रवार को इत्र और खुशबु वाली अगरबत्ती अर्पित करे।

○बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाएं।हिजड़े को हरे रंग के वस्त्र और कांच की चूड़ियां दान करें।

○शुक्रवार के दिन भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर अभिषेक करें। इस अभिषेक से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती है।

○ॐ श्रीं श्री आयै नम: – इस मंत्र का 108 बार यानि कि एक माला का जाप कमलगट्टे की माला से हर रोज करें।

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

मैदानन सिद्धि

             (((।।मैदानण माता की सिद्धि।।)))


               ।।माता के बारे में कुछ विवरण।।

जिन 360 मसानिया का पूजन भिन्न-भिन्न रूपों से भिन्न-भिन्न नामों से अलग-अलग समुदायों में पूरे भारत में किया जाता उनमें से सबसे प्रमुख मसानी माता मदानण मैदान वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है।समानत: इनका पूजन पंजाब हरियाणा राजस्थान दिल्ली उत्तर प्रदेश में ज्यादा होता है और यह एक प्रचंड शक्ति है इसके पूजन से भक्तों को तंत्र के छठ कर्म में दक्षता हासिल होती है।
माता मदानण के जन्म कथा अगर देखी जाए तो इनके पिता का नाम हेमराज माता का नाम कपूरी था और पांच बावरियों  कि यह सगी बहन है  अपने भक्तों को मनोभिलाषित वर प्रदान करती हैं। देवी माता शीतला की संगिनी और प्रमुख गणदेवी हैं और चारों वर्णों द्वारा पूजित हैं। जिस पर यह खुश हो जाए कुछ ही काल में वह मनुष्य धन और शक्ति से संपन्न हो जाता है।
यह शक्ति अपने भक्तों पर बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाती है और उसके सभी  मनोभिलाषीत कार्यों की पूर्ति करती हैं।

(यह माता मदानन कि वाम-मर्गीय साधना है दक्षिण मार्गी है साधक इसे ना करें।)

○यह साधना 40 दिन की साधना है।

○इसे पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ किया जाता है।

○ प्रतिदिन प्रातः काल उठकर माता के थान पर जाकर सोलह सृंगार ,एक मुट्ठी उबले हुए अनाज, दो लड्डू , पांच बतासे,सात लौंग,सात छोटी इलाइची,सात देसी गुलाब के ताज़े फूल,इत्र, हल्दी,दूब,धूफ,दीप,एक जोड़ा खंमनी/कलावा,चढ़ाया जाता है।

○ देवी के निमित्त रात्रि काल में जाप समाप्त होने के बाद एक देसी शराब का पव्वा घर से बाहर जाकर धार के रूप में दिया जाना चाहिए।

○ कच्चे दूध में पानी मिलाकर कच्ची लस्सी बनाए उसमें दो बतासे मिलाकर बने जल से स्नान करवाया जाता है।

○ यह सामान प्रतिदिन माता को सुबह चढ़ाया जाता है फिर धूप दीप लगाकर वहां बैठ कर पांच माला जाप किया जाता है।

○ मंगलवार को माता मदानन के नाम का व्रत धारण किया जाता है।

○ घर के किसी भी कांत कोने में एक साथ कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके अपने सामने लकड़ी की एक पटिया पर लाल कपड़ा सवा मीटर बिछाकर चावलों की एक ढेरी लगा कर उस पर दीपक स्थापित करना है। पास ही में एक दूसरी चावल की ढेरी लगाकर उस पर सरसों के तेल का एक दिया जलाना है। पूरी साधना में यह दीपक अखंड जलेगा।

○अपने सामने ही दीपक के बिल्कुल पीछे दीवार के साथ माता मैदान की कोई भी प्रतिमा या चित्र स्थापित कर सकते हैं उस चित्र को फूलमाला अर्पित करें।

○ फिर रक्षा मंत्र से घेरा लगाकर पूजा की सामग्री उस घेरे में रख लेनी है।

○ आसन मंत्र को इक्कीस बार पढ़ना है फिर आसन को नमस्कार करके उस आसन पर बैठना है।

○ वह आसन लाल रंग का होना चाहिए और आपके वस्त्र भी लाल ही होने चाहिए

○गणेश जी का ध्यान करने के उपरांत  और गुरु पूजन करके आपको  माता जी के मंत्र का 16 माला जाप करना है ।

○ जाप के समय साधक के सामने गूगल की धूनी चलती रहे।

○ कुछ ही दिनों में साधक को देवी शक्ति के आसपास होने का आभास हो जाएगा।

○ बिना घेरा लगाए यह साधना ना करें क्योंकि इसमें जब देवी शक्ति आती है तो साधक को ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई दुर्बल स्त्री एक बहुत ही ज्यादा तेज दौड़ने वाले गधे के ऊपर बैठकर उसकी तरफ आ रही है तो उसमें ऐसा होता है कि साधक के डर के उठकर भागने की आशंका रहती है।

○ साधक को अपने माथे पर सिंदूर का टीका और कान में इत्र लगाकर रखना पड़ता है। कान में सरसराहट सिटी बंब या पटाखा घुटने जैसी आवाज आम सी बात है इन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

○ 15 दिन की साधना के बाद साधक को विचित्र से अनुभूतियां होने लगते हैं और अति भयंकर स्थितियां साधक के सामने आती हैं इसमें साधक को बुखार आने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है।

○ शारीरिक रूप से अक्षम होने पर भी साधक का लगातार साधना करना सिद्धि दिलवा देता है और भगवती भयंकर रूपों  को त्याग कर शांत रूप में  साधक के सामने आते हैं।

○ ऐसी कोई मनोकामना नहीं जो इस साधना से पूरी ना हो भगवती के आशीष से हर एक मनोकामना और इच्छा की पूर्ति होती है।

○ इस साधना को कभी भी अधूरा नहीं छोड़ा जाता इसलिए साधना करने से पहले पूर्णतः निर्णय ले ले।

○ साधना काल में जिस घर में मृत्यु हुई हो या जिस घर में बच्चा पैदा हुआ हो उस घर में जाना वर्जित है।

○ कंघी करना खुशबूदार तेल साबुन लगाना नाखूनों को तराशना और सेव करना इस साधना में वर्जित है।

○ साधना काल में जमीन पर सोना चाहिए शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए मांस मदिरा शराब अंडा इत्यादि चीजों से परहेज करना चाहिए।

○रक्षा मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।

○माता मैदानन का मंत्र :-माता गधे सुलखनी मत्थे लाई रखदी मेहन्दड़, चारो कुंठा झुक रहियां झुक रिहा सारा देश, मट्ट जागे मसान जागे जागे थड़े दा पीर,मेरी जगाई जाग माता मेरे गुरुआं दी जगाई जाग, ऐसे काज समारो जैसे गुरु के काज सवारे, चले मंतर पुरो वाचा देखूं माई मदानन तेरे इल्म का तमाशा।

○।। आसन का मन्त्र ।।१।।
        सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।
        आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,
        आसन बैठे गुरु गोविन्द ,
        आसन बैठे जपिये जाप,
        कोटि जन्म के उतरें पाप,
        आसन बैठे सिंघासन बैठे,
        बैठे गुर की छाया पांच तत्ले,
        आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,
        जो  जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
        जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे                लागे पाप, कहो संतो हम गुरु के दास,इतना                  आसन  जाप पूर्ण भया,सत की गद्दी बैठ                       गुरुगोरख जी कहा गुरूजी को आदेश आदेश।।

○ इस साधना में मैंने जानकारी देने में कोई कमी नहीं छोड़ी और किसी भी तत्व को छिपाकर नहीं रखा अगर फिर भी आपकी समझ में ना आए तो आप प्रातः 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक मेरे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 पर संदेश भेजकर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
○ माता मदानन का चालीसा प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें
     
     
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माता मैदानन चालीसा।

               ।। माता मदानण का चालीसा ।।
                             ।। दोहा।।

चालीसा मैं शुरू करूं               करूँ    ज्ञान की बात ।
जल में थल में अगन गगन में          बस रही मेरी मात।।

                           ।।चौपाई।।

श्री गणेश को सिमर कर।। सरस्वती का ध्यान लगाऊं।
तीन लोक की जननी माता महामाया तेरे गुण को गाऊं।।१।।

आदिशक्ति जग की दाती हम सभ तेरा ध्यान लगावे।
नाम तेरा जपने से माता सब संकट पल में कट जावे।।२।।

नमो मैदानन तू महामाया जग जननि ये  खेल रचाया।
जोकोई ध्यावे सच्ची श्रद्धा से आया दूधपूत फल पाया।।३।।

पाप बढ़े जब जब धरती पर धर्म नाश हो जाए भवानी।
तब अवतार नया से लेकर धरती पर तू आए कल्यानी।।४।।

हैं अवतार अनेक जगत में मेरी बुद्धि समझ ना पाए।
तू ही लक्ष्मी  तू ही      दुर्गा  तू ही काली  वेश बनाए।।५।।

समय पड़ा जब पाप बढ़ा फिर ले अवतार तू आये।
भिन्न-भिन्न रूपों में मैया जग की नैया पार लगाए।।६।।

तू ही शीतला तू ही कल्याणी तू ही उमा रमा ब्रह्माणी।
कहीं जोतज्वाला की बनगई और तू कहीं बनी मसानी ।।७।।

धन्य मदानन माता मेरी तेरी महिमा किसी ना जानी ।
हे जगदाती कृपा करदो तेरी महिमा किसी न जानी।।८।।

कही बिराजे बने शीतलामसानी  कहीं मैदानन माता।
जरग कुराली गुड़गांव में कोई कल्लर कोट  मनाता।९।।

शेख फरीद शिष्या तू           तेरे नागे गुरु अवधूत।
धन्य धन्य मदानन माता तू तो भांझन को देती पूत।।१०।।

मात कपूरी की लाडली पिता हेमराज की प्यारी।
दो लडुअन पर खुश हो जाए तेरी महिमा न्यारी।।११।।

जय जग की दाती चार दिशा में तेरे नाम का परचा।
जै जैकार मेरी भोली माता बस तेरे नाम का चर्चा।।१२।।

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे वो पाप मुक्त हो जाये
संकट पड़े जब कोई भगत पर झटपट आप बचाये।।१३।।

कर्जा दुख और बीमारी तेरे भगत के पास ना आए।
हे जगजननी तू जगदंबा  हम सभी तेरा गुण गाए।।१४।।

जिनके वंश की तू कुलदेवी मां वंश को सदा बढ़ाएं।
भूल करे जो भक्त तुम्हारा तुमसे दंड कठिन वो पाए।।१५।।

पूत कपूत करत है गलती फिर फिर तुम्हें मनाएं।
धन्य धन्य मेरी मात मैदानन  तू तो मान ही जाये।।१६।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मैया लगता मेला भारी।
सभ कोई तुमको शीश झुकाते नर होवे या नारी।।१७।।

लड्डू बर्फी पान बताशा लोंग सुपारी भेंट तुम्हारी।
पुत्र हुए पर थान लगावे सन्त भगत को देय पुजारी।।१८।।

जो कोई व्रत करे तुम्हारा मंगलवार करे    अग्यारा।
नाम तेरे को जपे भवानी कभी ना पावे वह परेशानी।।१९।।

रूप अनेक धरे तू देवी      वेद भी तेरा पार ना पाए।
भिन्न-भिन्न रूपों से माते सब कोई तेरा ध्यान लगावे।।२०।।

भिन्न भिन्न है रूप तुम्हारे     भिन्न-भिन्न सब नाम।
धन्य धन्य मेरी माई मदानन   पल में बनते काम     ।।२१।।

नागे गुरु से विद्या पाई   जग का भला करो महामाई।
जो कोई ध्यान तुम्हरो लावे  इच्छित फल को वो पावे।।२२।।

शीतला माँ     के संग विराजे द्वार तेरे पर मृदंग बाजे।
सन्त      भगत  तेरे लाडले          तू है सब की माता ।२३।।

नित्यप्रति जो शीश झुकावे मीठाजल जो तुम्हे चढ़ावे।
उसके सभ संकट कट जाते रोग कष्ट ना उसे सताते।२४।

जिसपे  संकट भारी आवे दो लड्डुओं का भोग चढ़ावे ।
फौरन ही संकट कट जावे  भक्त तेरा सदा सुख पावे।।।२५।।

लाल ध्वजा मंदिर पर सोहे ताको देख भक्तन मन मोहे।
श्रद्धासे माँ खुश होजाती भगत की जै जैकार कराती।।२६।।

मात मेरी की महिमा न्यारी    पल में काटे संकट भारी ।
श्रद्धाभाव से जोकोई गाता अक्षय दूधपूत फल पाता।।२७।।

संत मुनी नर-नारी आवे ~~~~मंदिर तेरे जोत जलावे ।
विद्या बुद्धि बल और शक्ति    सब कोई तेरे दर से पावे।।२८।।

दे वरदान निर्धन को माता      तू धनपति कुबेर बनाती।
तेरे दर जो शीश झुकावे   उसकी बिगडी भी बनजाती।।२९।।

बुद्धिहीन विद्या को पावे             अंधा देखे गूंगा गावे।
रूपहीन की बात सुनाऊं क्या-क्या तेरी महिमा गांऊ।।३०।

निरबंसी का बंस  चलादे    पत्थर पर भी फूल उगादे।
धन्यधन्य मेरी मातमदानन तेराभगत महिमा को गावे ।।३१।।

पाठ तेरा जो पड़े सुनावे नित्य प्रति तेरी ज्योत लगावे।
उस पर कृपा करो भवानी तुम समान नहीं कोऊ दानी।।३२।।

तेरे नवरात्र चैत्र में आते श्रावण गुप्त फिर अश्वनी मासा।
माघ गुप्त फिर आए अम्बे सब जग तेरे गुण को गाता।।३३।

हम तेरे बच्चे तू जग जननी माता सबका करो कल्याण।
तेरे दर पर सिर को रखा हे जग जननी रखना मेरा मान।।३४।

कितने दानव मार गिराए भक्त संत तेरी महिमा गाये।
अपरंपार तेरी ज्योति भवानी तेरी हो रही  जै जैकार।।३५।

धन्य धन्य मेरी मात मैदानन सब के बेड़े पर लगाती ।
गर्दभवाहन जब-जब बैठो    भगत को दर्श दिखाती।।३६

तू ही नव दुर्गा तुहि शीतला तू ही ज्वाला रूप दिखाती।
कहीं बने कोमल माँ लक्ष्मी   धन वैभव तुहि ले आती।।३७।।

तू रक्तेश्वरी तू ही बसन्ती        तुहि मसानी रूप बनाती ।
पाठ करें जो तेरा चालीसा उसको कष्ट से आन बचाती।।३८।।

धन्य-धन्य जी मेरी मात मैदानन  जो तेरी कृपा रहे स्वाई।
खेतरपाल मनाऊं मात।           मैं   हल्दी दूब चढाऊँ ।।३९।।

तू जल थल रही समाई जगजननि    तेरी प्रेरणा आई।
तेरा ही बल पाकर मात जी    तेरा चालीसा मैंने गाया।।४०।।

जो कोई ये चालीसा पढ़े              प्रेम भाव के साथ ।
उसकी सब पीड़ा हरे।           मेरी मात मैदानन आप।।४१।।

























नौगजा पीर की साधना।

 

           

 ।।   नौ ग़ज़ा पीर  साधना।।
दिल्ली हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश  चारों राज्यों में नौ गजा पीर बड़े जाने-माने फकीर है और एक ऊंचा दर्जा रखते हैं। इनके बहुत जगह पर स्थान है उनमें सहारनपुर और शाहबाद के दो स्थान प्रमुख हैं।इनका नाम सैय्यद इब्राहिम बताया जाता है।
इनका नाम नौ गजा होना इसलिए बताया जाता है कि उनका कद नौ गज का था।
इनके घर से जल्दी जल्दी कोई सवाली खाली नहीं जाता चाहे वह बंद कारोबार हो या औलाद का ना होना यहां पर सिर्फ दरगाह पर आप सच्ची नियत से चले जाएं तो भी आप का काम होना पक्का है ।
बात सिर्फ आपकी सच्ची नियत की होती है आपका कोई भी काम यह रुकने नहीं देते और इनकी हवा इतनी जबरदस्त होती है कि सामने भूत बेताल या शैतान किसी भी तरह की चीज इनको रोक नहीं पाती।
○जो साधना मैं आपके लिए लेकर आया हूं यह साधना पहले परीक्षित साधना है और इसमें बाबा जी के दर्शन होने आम सी बात है वस्तुतः यह एक सुलेमानी साधना है।
○इस साधना में साधक को बाबा नौ गजा पीर दर्शन जरूर देते हैं और दस से पंद्रह दिनों में अनुभव होते हैं ।
○लेकिन परहेज को पूरी कड़ाई से मानना पड़ेगा एकांत में आप को एक साफ सुथरे कमरे का इंतजाम करना है। उसकी लिपाई पुताई करनी है साधना काल में उस समय में उस कमरे में  आपके सिवा कोई दूसरा आदमी या स्त्री नहीं आनी चाहिए।
○वहां साफ सुथरे हरे वस्त्र पहनकर हरा आसन लगाकर वज्रा आसन में बैठकर काले हक़ीक़ की माला से 21 माला रोज करनी है अपने सिर को ढककर रखना है।
○फिर पश्चिम की और मुह करके एक लकड़ी की तख्ती पर हरा कपड़ा बिछाकर 2 चावलों की ढेरियां लगाकर उनपर दो चिराग एक देसी घी और एक सरषों के तेल का चलाना है ।
○हिना या ऊद के इत्तर का प्रयोग करना है और 15 दिनों तक खूब इत्तर लगाकर रखना पड़ेगा।
○लोबान की धूनी देनी है अगरबत्ती लगा के रखना है और एक जल का पात्र, 1 पान मीठा,2 सिगरेट,पांच बताशा, चूरमा के लड्डू सेंट ,पाँच बूंदी वाले लड्डु ,5 या 11 गुलाब के फूल लौंग इलायची ,खमनी(कलावा या मौली) का जोड़ा 5 सुपारी और मीठे चावलों का परशाद ,एक हरे रंग की पीर की चद्दर, यह सब कुछ रखना पड़ेगा।
○मैदानन को को बाहर एक जोड़ा बूंदी वाले लड्डू सात लौंग सात छोटी इलायची जोड़ा खमनी जोड़ा सबूत सुपारी के साथ चौकी पर देने है।
○उसके बाद ही यह साधना शुरू करनी है। फिर एक जोड़ा बूंदी वाले लड्डू भैरव जी को नमस्कार करके किसी भी आवारा कुत्ते को देकर साधना पूरी होने के लिए प्राथना करनी है।
○फिर पीर बाबा के मंत्र का जाप करना है 21 माला रोज़ाना।
○ इस साधना में अगर आप दरूदे इब्राहिम ई या दरूदे गौसिया दोनों में से कोई भी दरूद अगर 500 बार पढ़ लेते हैं तो आपकी शक्ति और बढ़ जाएगी।
○ वैसे तो इस साधना में रक्षा मंत्र की आवश्यकता नहीं है फिर भी जब रूहानी शक्ति उठती है तो सूत्र शक्तियां साधना को खंडित करने के लिए अलग तरह से विघ्न खड़े करने शुरु कर देती हैं इसलिए आप रक्षा मंत्रसे घेरा जरूर लगाएं।

○मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।


बिस्मिल्लारहमनरहीम ,घेरे पर घेरा तेइस सो पीर, संग में चले नौगजा पीर सैय्यद इब्राहिम, सैय्यद इब्राहिम नौगजा पीर कहाँ से आया मक़्क़ा मदीना से आया,सट्टे की घड़िया बांदता आये,दुश्मन की नाड़ियां बांधता आये,अपनी विद्या चलाता आये,भक्त के बुलाया चौकी चलाये,अस्सी कोसां दी खबर लिआये,बंद दरवाजेयां नु खोलदा आये,बन्नी नज़र नु खोलदा आये,भक्त दी बंदी खोलदा आये,अली-अली बोलदा आये,जे ना आये अपनी माँ दा दुध हराम करें, नौगजा पीर ना कहाये।पाकपट्टन के बाबा फरीद दी दुहाई,मौला अली दी दुहाई। तेरे  पीर दी दुहाई,पीराने पीर दी दुहाई,हाजर हो मेरे पीर बादशाह नौगजा पीर। सलाम सलाम सलाम।****

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

।धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं।

                     ।।धनदा लक्ष्मी स्तोत्र।।
○यह स्तोत्र व्यवहारिक रूप से आजमाया हुआ है और दरिद्र नाश करने के लिए इससे बड़ा कोई दिव्यास्त्र नहीं है अगर आपको लक्ष्मी की जरूरत है तो आपको लक्ष्मी की ही उपासना की हो करनी होगी।

○आज के समय में जहां मनुष्य अपनी अभिलाषा पूरी करने के लिए तंत्र-मंत्र और ना जाने कैसी कैसी से साधनाओं से उल्टे सीधे तरीके से लक्ष्मी को आकृष्ट करने की कोशिश करता है।

○फिर भी वह प्रयास सफल नहीं होते अब आपके लिए हम कुछ शास्त्रिक साधनायें ला रहे हैं ताकि आप उनसे कुछ लाभ प्राप्त कर सके और हकीकत में आपको उसका कुछ लाभ हो।

○ यह धनदा लक्ष्मी स्तोत्र रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है और ग्यारह हजार बार स्तोत्र पढ़ने से इसका पुरश्चरण हो जाता है उसका मूल पाठ में आपको दे रहा हूं।

○इसको प्रतिदिन 108 बार पढ़ना उचित है और इससे प्राप्त लक्ष्मी चिरस्थाई होती है ऐसा इस स्तोत्र का प्रभाव है।

○ अगर किसी व्यवसाई को बहुत हद तक कोई घाटा पड़ जाए और इतना घाटा पड़ जाएगी उसे दो समय का खाना भी सरलता से उपलब्ध ना हो तो मां लक्ष्मी की उपासना करते हुए ।

○वह इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करें उसके सभी अभीष्ट कुछ दिनों के भीतर भीतर उसको प्राप्त होने लग जाएंगे।

○ यह साधना है उन लोगों के लिए है जो शिष्ट शालीन और सबवे हैं और उग्र साधना ही नहीं कर सकते जिनके घर में देवता वैष्णव है और वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए जो लोग हैं।

○ एक सकारात्मक शक्ति एक सात्विक शक्ति एक पाराशक्ति उसकी साधना कर कर आप अपने अभीष्ट को पूरा कर सकते हैं वह भी किसी को हानि पहुंचाई बिना बिना किसी तामसिक रिया के।

○ मूल्य स्तोत्र एक बार सही से याद कर लेना और उसे कंठ कर लेना कंठ करने के बाद फिर आपको इतना समय नहीं लगेगा क्योंकि अभ्यास करने में समय जरूर लगता है लेकिन जब वह अभ्यास आपके काम आता है तो उससे ज्यादा खुशी वाली कोई बात नहीं होती।

○ इस साधना में किसी भी तरह के मांस मछली शराब अंडा आया तामसिक भोजन का सर्वथा त्याग करना पड़ता है और फलस्वरूप उसे चिरस्थित लक्ष्मी की प्राप्त होती है।

○ हिंसा क्रोध अनर्गल बातें ब्लॉक गाली बकना यह सब बातों से बहुत अधिक परहेज रखना होता है सादर को अरमान लक्ष्मी की नित्य प्रति पूजा करनी होती है।

○महालक्ष्मी को अपना आराध्य मानकर आपको सप्ताह में एक बार बुधवार या शुक्रवार को उनके प्रति व्रत रखना होता है असाधारण ही रहता है और भोजन शुद्ध सात्विक यही इस स्तोत्र की आवश्यकता होती है।

○ प्रतिदिन प्रातः काल स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर के मां लक्ष्मी की साधारण रूप से पूजा करें पूजन में कमल के फूल की आवश्यकता होती है अगर कमल का फूल आपके पास उपलब्ध ना हो तो आप कोई भी अन्य फूल चढ़ा सकते हैं जैसे गुलाब या गेंदा इत्यादि।

○फिर जो भी आपके पास आसन उपलब्ध हो  या कंम्बल का आसन कुशा का आसन किसी रेशमी वस्त्र का आसन या सूती वस्त्र का आसन कोई भी हो पूर्वा विमुख होकर इस स्तोत्र का पाठ करना है।

○ फिर वही सामान्य आसन पर बैठकर पहले गणेश जी का ध्यान करे फिर गुरु और कुलदेवता का ध्यान करें फिर मां लक्ष्मी का आवाहन कर पूजन उपरांत सौ बार स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करें यह शत प्रतिशत प्रमाणित साधना है और शास्त्रिक साधना है यह कभी खाली नहीं जाती।

○ इस स्तोत्र का ग्यारह हजार जाप करने के बाद यह स्तोत्र आपके जीवन में सदा के लिए सिद्ध हो जाएगा फिर नित्य प्रति प्रातः स्नान के उपरांत इसको ग्यारह इक्कीस या इक्कीयावन बार ही पढ़ने से आपको चिर स्थिर लक्ष्मी की ज्ञात अज्ञात साधनों द्वारा अप्रत्याशित रूप से धन की प्राप्त होने लग जाएगी।

                       **धनदा लक्ष्मी स्तोत्र***
○धनदे धनपे देवि, दान शीले दयाकरे।
       त्वं प्रसीद महेशानि, प्रार्थयामह्यम।।1।।

○धरामर प्रिये पुण्ये,धन्ये धनद-पूजिते।
       सुधनं धार्मिकं देहि,यजमानाय स्त्वरम।।2।।

○रम्ये रुद्रप्रियआपर्णे,रमा रूपे रतिप्रिये।
       शिखासख्यमनोमूर्ते! प्रसीद प्रणतेमयी।।3।।

○आरक्त-चरनाम्मभोजे,सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
       दिव्याम्बरधरे दिव्ये,दिव्यमालानुशोभिते।।4।।

○समस्त गुणसंपन्ने सर्वलक्षण लक्षिते।।
       शरच्चचंद्रमुखेनीले नील नीरजलोचने।।5।।

○चंचरीक-चमू-चारु-श्रीहार-कुटिलालके।
       दिव्ये दिव्यवरे  श्रीदे,कलकण्ठरवामृये।।6।।

○हासावलोकनिर्दिव्यैभक्तिचिंतापहारिके।
       रूप-लावण्य-तारुण्य-कारूणयगुंबभाजने।।7।।

○ क्वणत-कंकण-मंजीरे,रसलीलाSSकराम्बुजे।
       रुद्र-व्यक्क्त   महातत्वे   धर्माधारे धरालये।।8।।

○प्रयच्छ ममगृहे देवि, धनं धर्मेंक-साधनम।
       मात्सत्वं वाSविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके।।9।।

○कृपाब्धे करूणागारे प्रार्थये चाशु सिद्वये।
       वसुधे  वसुधारूपे      वसु-वासव-वंदिते।।10।।

○प्रार्थिते च धनं देहि          वरदे वरदा भव।।
       ब्रह्मणा ब्रह्मनैः पूज्या,त्वया च शंकरो यथा।।11।।

○श्रीकरे    शंकरे श्रीदे प्रसीद मयि किंकरे।
       स्तोत्रं दारिद्रय-कष्टार्त, शमनं सुधन-प्रदम।।12।।

○पार्वतीश प्रसादेन शुरेश किंकरे स्थितम।
       मह्यं प्रयच्छ मात्सत्वं त्वामहं शरनं गतः।।13।।

                 ।इति श्री धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं।

○चिर स्थिर लक्ष्मी को अपने घर में प्रतिष्ठित करने के लिए इससे बेहतर और कोई स्तोत्र नहीं है।

○इसके पाठ से धन लाभ दरिद्रता नाश सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

○श्री भगवती धनदा लक्ष्मी कामधेनु स्वरूप हैं और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं।

○ लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा करना अत्यंत स्वाभाविक है किंतु पर्याय देखा जाता है कि उसके लिए उपासना मे श्रम नहीं किया जाता।

○जिस प्रकार उद्योग को करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है उसी प्रकार उपासना में भी पूरी तरह से श्रम होना चाहिए ।

○कलयुग में सिद्ध मंत्रों के जाप और सूत्रों के पाठ से सामान्य लाभ तो तत्काल प्राप्त हो जाता है इसलिए साधक को निराश ना हो करके निरंतर साधना करते रहना चाहिए।

○ इस स्तोत्र के प्रभाव से साधक के कुल में लक्ष्मी जी स्थिर रूप में स्थित हो जाती हैं। और कभी भी साधक के कुल को छोड़कर नहीं जाती।

○बहने जो घर में बरकत ना होने से परेशान हैं आर और घर में सारा दिन रहती हैं तुलसी पूजन एकादशी का व्रत और इस स्तोत्र के पाठ से चिर स्थित लक्ष्मी को अपने घर में स्थित कर सकती हैं।

○सद्यः धन की प्राप्ति के लिए यह स्तोत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है किसी शिव मंदिर में किसी केले के बगीचे में बिल्व वृक्ष के नीचे या देवी मंदिर में या वहां पर अगर जगह नहीं मिलती तो भी आप अपने घर के एकांत कोने में या प्रांगण में यह साधना कर सकते हैं।

○लेकिन इस साधना को करने के लिए विशेष बात यह है कि इसको सुबह प्रातः काल मे स्नान के उपरांत तुरंत ही कर लिया जाए।

○इस साधना के प्रभाव से सिर्फ 15 दिन में ज्ञात अज्ञात साधनों से आकस्मिक रूप से धन लाभ होने लगता है।

○अपनी तरफ से मैंने इस लेख/वीडियो में पूरी जानकारी डालने की कोशिश की है लेकिन फिर भी अगर कुछ समझ ना आए तो आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप संदेश भेज कर दोपहर 11:00 बजे से 1:00 बजे तक संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...