बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

।। उग्र शामशानिक बैताल साधना

              ।। उग्र शामशानिक बैताल साधना।।
○इस साधना के संपन्न होने के बाद संसार का कोई ऐसा काम नहीं है मृत्यु के इलावा जो कि साधक बैताल से ना करवा सके बैताल साधक को किसी भी व्यक्ति के भूत भविष्य वर्तमान और मनोभावों को बता सकता है।होने वाली घटनाओं का साधक पहले से ज्ञान हो जाता है पूर्व में हुई पहले की घटना को भी साधक इस साधना द्वारा बेताल से जान सकता है ।
○किसी भी इच्छित पदार्थ को उठाकर साधक के पास ला सकता है। चाहे वह कितना भी भारी हो कोई भी फल बिना मौसम का कोई भी फूल यह बैताल साधक को लाकर दे सकता है। कोई भी खबर लाकर साधक को बेताल दे सकता है चाहे वह विदेश की ही क्यों ना हो।
○जो ज्योतिषी का काम करते हैं उनके लिए यह साधना बहुत उत्तम है क्योंकि इसमें किसी भी प्रश्नों के उत्तर और सटीक भविष्यवाणी साधक कर सकता है।
○साधक जनों के लिए इस दीपावली के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं  इस दीपावली के पर्व पर मैं एक साधना डालने जा रहा हूं।
○यह साधना बहुत ही उग्र बहुत ही डरावनी और  खतरनाक है ।इसको करने वाला साधक सबसे पहले ब्रह्माचर्य पालन करने वाला साहसी और निडर जो साधक हो वही इसे कर सकता है कमजोर दिल वाला इसे करने की कोशिश न कभी ना करें क्योंकि कमजोर दिल वाला आदमी जब बेताल उनके सामने आएगा तो वहां से उठकर भागने वाला नहीं होना चाहिए। वरना साधक के प्राण जाने का भय रहता है।या कम से कम पागल तो हो ही जाता है ।
○अक्सर कई साधकों को ही है शिकायत रहती है कि उनकी कोई साधना सफल नहीं हुई इसका एक गुप्त भेद मेंआपको बताता हूं जिस साधक के घर का देवता पितर सही नहीं होगा उसको कभी सिद्धि प्राप्त नहीं होगी यह गुप्त भेद है इसके लिए पहले अपने देवता पितृ को मना लिया जाना चाहिए।
○ इसमें देखने वाली एक विशेष बात यह होती है कि साधक जिनकी कुछ नजर खुली होती है तीसरी आंख जिसे बोला जाता सामान्य भाषा में उनको तो यह आत्मएं बहुत जल्दी दर्शन दे देती हैं लेकिन जिस की तीसरी आंख या बात नहीं आंख या रूहानी आंख ना खुली हो या किसी द्वारा बंधित कर दी गई हो उनको सिद्धि तो होती है लेकिन उनको खुद पता नहीं चलता कि उनका कुछ भला हुआ है या नहीं।
○ ग्राम देवता कोई मामूली देवता नहीं होता सारे इलाके का मालिक होता है इसलिए  ग्राम देवता  की पूजा पहले करनी चाहिए और उन्हें आप जो भी भोग भेंट चढ़ा सके जो भी आप चढ़ा सको भेंट चढ़ानी चाहिए। और ग्राम देवता की अनुमति प्राप्त करें।
○ कुल देवता/देवी जिस कुल और गोत्र में आप पैदा हुए हो उसके देवता को मनाये बिना सिद्धि प्राप्त कर लेना असंभव होता है इसलिए साधनाओं के विभिन्न विभिन्न आयामों के ऊपर देखना पड़ता है कि कहीं से भी आपके असफलता का अवसर ना रहे तो ही साधना सफल हो पाती है।
○ ऐसे में साधना करने से पहले किसी जानकारों विद्वान आदमी से चलाता लेनी चाहिए क्योंकि सादा कई बार एक ही गलती को अनजाने में कई बार करता रहता है और उस गलती को दोहराने के चक्कर में उसकी साधना असफल होती रहती है।
○गुरु की अनुमति जब आप गुरु का नहीं मना पाओगे तो भी आपको कोई सिद्धि प्राप्त नहीं होगी क्योंकि गुरु ऐसी चीज होती है कि आपकी साधना से अगर कोई नकारात्मक ऊर्जा निकलती है तो गुरु से संभालता है। गुरु का ऋण कोई भी नहीं दे सकता अपने जीवन में सालों के अनुभव को बिना किसी स्वार्थ के आपके जीवन की सभी कमियों को पूरा करने के लिए ज्ञान देते हैं और ऐसी युक्तियां बताते हैं जिससे आपकी सभी सांसारिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो तो इस बात पर विशेष ध्यान दें कि गुरु को गुरु दक्षिणा देकर के अवश्य संतुष्ट किया जाए।
○ साधना विषय के सभी नियमों को मानते हुए ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए इस प्रयोग को करना चाहिए ताकि सफलता प्राप्त हो।
○यह साधना पूर्णतया शमशानिक और तामसिक साधना है और यह पूरी तरह तामसिक क्रिया प्रधान साधना है। जी ने साधकों को कभी भी किसी साधना में सफलता नहीं मिली अगर वह इसे पूरी विधि से कर लेते हैं तो उन्हें भी सफलता मिलने के शत-प्रतिशत गैरेंटी है।
○ यह साधना कभी फेल नहीं जाती और इस साधना को करने के लिए कोई बहुत लंबी चौड़ी है जटिल प्रक्रिया नहीं है अपितु इसमें तीन से चार मंत्रों का जो प्रयोग होता है वह भी आपको इसी प्रयोग में मैं दूंगा।
○ रविवार या मंगलवार को पंचांग में शुभ मुहूर्त देखकर के गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद आपको श्मशान जाना है और जलती हुई चिता के पांव की तरफ खड़ा हो जाना है और नमस्कार करना है फिर 7 बार प्रदक्षिणा करनी है और बेताल को निमंत्रण के लिए पांच बूंदी वाले लड्डू ,सात लौंग ,सात छोटी इलायची, एक कलावे का जोड़ा, एक पव्वा शराब देशी का, एक जोड़ा सबूत सुपारी,कच्चे चावल जिनमें हल्दी लगी हो, यह बेताल के आवाहन के लिए चिता के पास सिरहाने की ओर रखना है।
○ फिर बेताल का आवाहन करना है और साधना के लिए आपको जलती हुई चिता में से एक अस्थि नमस्कार पूर्वक अपने साथ  लेकर  पहले उसे शराब से स्नान कराना है फिर  एक जोड़ा  भुनी हुई मछली  जिनका  आकार  छोटी उंगली जैसा हो एक डोने में रख देना है और और शराब का छींटा उस धोने पर और शव के ऊपर मार देना  बेताल के भोग के लिए वही छोड़ देना है ।
○ पहले दिन जब आप शव की अस्थि ले करके आओगे तो जो मछली और शराब का भोग है आपको जहां से आप अस्थि ग्रहण करोगे वहां देना होगा दूसरे दिन से वह भोग जाप के उपरांत आपको श्मशान में ही किसी पीपल या वट वृक्ष के नीचे देना है।
○फिर अस्थि एक साफ लाल कपड़े में लपेटकर ऊपर से कलावा बांधते हुए बंधन मंत्र से उस अस्थि को बांधना है फिर उस अस्थि को साथ लेकर आपको भगवान शिव के मंदिर में जाना है।
○आधी रात में भगवान शिव के मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान शिव को प्रणाम करके विधिवत उनकी पूजा करनी चाहिए फिर गणेश पूजन उसके बाद गुरु मंत्र की पांच माला आपको जाप करना चाहिए ।
○उसके उपरांत मंदिर में ही किसी एकांत कोने में आसन बिछाकर उस अस्थि को अपने आसन के नीचे रख लेना है और उस आसन पर बैठने से पहले आपको रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा लगाना है ।
○आसन पर बैठने से पहले सिद्ध आसन मंत्र से जो कि हमारी पहली वीडियो में दिया जा चुका है इक्कीस बार जाप करना है  फिर आसन को नमस्कार करके उस पर बैठना है।
○ दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर जो की माला गोमुखी में होनी चाहिए नंगी माला से जाप करना वर्जित है  और इन प्रयोगों में माला केवल संस्कारित होनी चाहिए ।
○वहां बैठकर एक ही बैठक में  आपको 51 माला वेताल के मंत्र का जाप करना है।
○ इस साधना में जो वस्त्र होंगे वह बिना सिले हुए वस्त्र होंगे और वह भी वस्त्र आपके काले रंग के होने चाहिए एक छोटे वस्त्र से सिर भी ढक कर रखना चाहिए।
○ बिना तिलक के यह साधना कभी नहीं करनी चाहिए इसलिए घर से निकलते हुए पहले कुमकुम का तिलक लगाएं।
○ श्मशान में प्रतिदिन आपको दो भुनी हुई छोटी मछली जिस पर  नमक और हल्दी लगानी है और थोड़ी सी शराब किसी भी पात्र में रखकर शमशान में पीपल का पेड़ हो या वट का पेड़ हो उसके नीचे रख देनी है और बेताल के लिए दीपक जलाना है। यह दीपक तिल के तेल का होना चाहिए।
○ जाप करने के बाद वह अस्थि उठाकर जिस पेड़ के नीचे आप दीपक लगाते हैं नित्य प्रति श्मशान में उसके ऊपर ही कहीं सुरक्षित रख देनी है फिर बेताल को भोग देना है इस प्रकार यह क्रम चलेगा दूसरे दिन वही से अस्थि को उठाकर भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जाना है और आपको जाप करना है जाप के उपरांत वापस लौटते हुए जब आप शमशान जाओगे तो आपको उस स्त्री को रखें बेताल के निमित्त भोग दे देना है।
○ आमतौर पर दूसरे से तीसरे दिन बेताल आपसे संपर्क करने की कोशिश करने लग जाता है  भयानक रूप से से और हाहाकार मचा देता है उस अवस्था में साधक को डरना नहीं चाहिए जब तक वह मंत्रों से सुरक्षित है उसकी साधना से उत्पन्न हुई नकारात्मक ऊर्जा उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकती।
○पहले दिन साधक को सपने में बेताल आकर मिलेगा लेकिन वह अपने वास्तविक रूप में नहीं होगा वह उग्र रूप में बयानाक जानवरों भयानक आकृति या किसी ऐसे भी भयानक रूप में आपको सपने में दिखाई देगा और ऐसे ऐसे डरावने सपने दिखाएगा जिससे साधक पहले ही दिन सारी साधना छोड़ कर भाग जाए।
○ यही काम लगातार इक्कतालीस दिन तक चलेगा और इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के रूप बनाकर के पक्षी पक्षी पशु पक्षियों के रूप बनाकर और विचित्र रूप से बैताल साधक को डराने की कोशिश करेगा और यह पूरा प्रयास करेगा कि साधक की साधना भंग हो जाए।
○ इस क्रिया के अंत में जो अंतिम सप्ताह होगा अपनी तरफ से बेताल डराने की पूरी कोशिश करेगा अगर साधक नहीं डरेगा तो अंतिम दिन बैताल उग्र रूप को या भयानक रूप को त्याग कर साधक के सामने सौम्य रूप में प्रकट होगा।
○ और साधक से वचन मांगने को कहेगा यह एक ऐसा अवसर होता है कि आपकी सारी साधना का फल उन्हीं कुछ पलों के ऊपर निर्भर करता है अगर साधक भयभीत हो गया और वचन नहीं मांगे तो बेताल चला जाएगा और दोबारा नहीं आएगा।
○ इस साधना में सफल होने के लिए गुरु कृपा के अलावा मनुष्य को साहसी निडर कर्म शील होना चाहिए क्योंकि यह  रात्रि की साधना है और इसमें दूसरे व्यक्ति को साथ में लेकर नहीं जा सकते।
○ ये एक उग्र और तामसिक साधना है इसलिए इस साधना के साथ उस समय में कोई और साधना नहीं की जा सकती।
○ जिस दिन आप बैताल साधना के लिए अस्थि लेने के लिए जाएं उससे पहले आपको एक दिन पहले आपको कच्चे चावल हल्दी लगाकर ₹11 यह शमशान में निमंत्रण के लिए रख कर आने पड़ेंगे।
○साधना में सफलता प्राप्त करने के बाद किसी प्रकार का अहंकार मन में ना लाये और दूसरों पर हवा करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रदर्शन न करें वरना आपकी सिद्धि नष्ट हो जाएगी।
○ सिद्धि प्राप्त होने के बाद बैताल से कोई भी नाजायज काम ना करवाएं वरना आपको लेने के देने पड़ सकते हैं और आप किसी बड़े संकट में पड़ सकते हैं।
○ सिद्धि प्राप्त होने के बाद उस अस्थि को साधक सदा के लिए अपने पास सुरक्षित करके संभाल के रख ले।

○ आसन मंत्र प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें।https://youtu.be/7767vPjXjDY
○ रक्षा मंत्र प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें।https://youtu.be/2Qb8thqI_7Y

    ।।शमशान की शक्तियों को जगाने का मंत्र।।

   जाग जाग मां काली मरघट की तू रखवाली ।
   उठ जाग काले भैरव जाग मुर्दे में लगी आग।
   ढाई घड़ी में धूनी धूखाये सब कोई जागे तेरे    
                         जगाए।। 
   दोहाई गुरू गोरखनाथ की बंगाल खंड की         
                         कामरु      
               कामाक्षा देवी की आन।

                   ।।बेताल का मंत्र।।
         हम हुम्म  सुनसान सोख्ता मसान   
               नाचे भूत जागे शैतान।
आपको इस साधना को करने के लिए अनुमति प्राप्त करनी होगी बिना आज्ञा इस प्रयोग को करने वाले व्यक्ति के लाभ हानि का उत्तरदायित्व हमारा नहीं होगा।
○अधिक जानकारी के लिए आपको हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा ही संदेश भेज कर संपर्क स्थापित करना होगा आप लोगों से कर बंद निवेदन है कृपया बार-बार कॉल ना करें बिना आज्ञा व्हाट्सएप वीडियो या वॉइस कॉल ना करें।

।।मुस्लिम कड़ा लगाना।।

                 ।।मुस्लिम कड़ा लगाना।।
○घेरा मंत्र क्योंकि घेरा इतना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है किसी भी साधना के लिए कि साधक के प्राणों को बचाने के लिए कवच का काम करता है।
○ कोई भी आप घेरा कड़ा या रक्षा मंत्र लगाते हो तो उसकी जकात पहले से निकाल लो।
○और किसी विद्वान गुरु या किसी उस्ताद के सानिध्य में ही इसका जकात दो ।
○इसकी ज़कात देने के बाद आपका हिसार काम करने शुरू कर देगा।
○हिंदू और मुस्लिम तंत्रों में दोनों तरह से हिसार और कड़े लगाए जाते हैं । सब घेरे और कड़े लगाने के कलाम अलग-अलग होते हैं उनकी जकात देने की जो विधि होती है वह भी अलग होती है और उनका प्रयोग करने का तरीका भी अलग होता है
○और इन कलामू की ताकत को बरकरार रखने के लिए  एक खास समय के ऊपर उसे दोबारा जपना पड़ता है ।
     ताकि साधना का असर बरकरार रहे प्रस्तुत कर रहा हूं  
      ताकि आप सब साधना के समय सुरक्षित रहें और   
      अपने अमलो को करते रहें।
○आपके लिए एक हिसार का मंत्र इससे आप अपने बदन पर दम या हाथ फेर कर रक्षा कर सकते हैं और अगर जरूरत पड़े तो चाकू के ऊपर आप 21 बार  पढ़कर के फूक मार दे 11 बार तो उस चाक़ू से यदि कड़ा बना दिया जाए तो वह पढ़ा भी बहुत मजबूत रहता है ये बहुत ज्यादा शक्तिशाली घेरा है
○और ये कड़ा कभी भी कभी ख़ता नही करता मैंने इस घेरे को सैकड़ो बार आज़माया है और हर बार बेमिशाल पाया ये घेरा लगाकर कोई भी साधना करो चाहे वो कितनी भी उर्ग साधना क्यों ना हो ।
○अगर अल्ल्लाह ने चाहा तो आपकी पूरी हिफाज़त होगी।
○ यह घेरा मुझे आज से 20-25 वर्ष पहले एक पुस्तक प्राप्त हुआ था और इसका प्रयोग मैंने लगातार अलग-अलग साधना में किया कभी कोई ऐसा समय नहीं आया कि जब यह घेरा मुझे धोखा दिया हो।
○ इस गहरे के जो अल्फाज हैं वह खुदा के नामों के हैं और खुदा अपने बंदो की हिफाजत करना अच्छी तरह जानता है।
○ इस हिसार धीरे आंकड़े के मंत्र को सबसे पहले याद कर लिया जाना चाहिए जब आपको भली भांति इसके शब्दों का उच्चारण सही आ जाए और सब कुछ याद हो जाए फिर इसकी जकात देनी चाहिए और उसके बाद ही इसको प्रयोग करना चाहिए।
○ इसमें एक असूल का कड़ाई से पालन होता है कि नापाकी में आप इसको नहीं लगा सकते दूसरी बात आप जब भी कभी पेशाब करने जाओ तो बैठकर पेशाब करो और पानी से इस्तंजा करने के बाद ही उसके बाद आपको वूजु बांधना होगा दोबारा से फिर ही  आप इस कलाम को पढ़ सकते हो।
                         ।।घेरे का मन्त्र।।
                     बिस्मिल्लारहमनरहीम
या हलीमु, या करीमु, या हाफिजु ,या नासिरु ,या नसीरु, या रकीबु ,या वकीलु या अल्लाहु या अल्लाहु ,बिहक़्क़ काफ हा या एन स्वाद ता मीम एन सीन काफ हिसार कर्दम बिहक़्क़ ला इल्लाह इल्ललहु घेरा कर्दम खुदरा बनाम महोम्मद रसूलल्लाह।
○इसको 21 बार पढ़ कर हाथों पर दम् कर लें फिर पूरे शरीर पर हाथ फेरें। अधिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप 8194951381 के ऊपर सन्देश भेजकऱ संपर्क किया जा सकता है।

।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।

            ।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।
○साधक भाई बहनों आपके लिए मैं जो रक्षा का विधान दे रहा हूं यह गुरु गोरखनाथ का सिद्ध मंत्र है इस मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है।
○ केवल आपको किसी कागज के ऊपर लिख करके रखता लगाकर इसे याद करना होगा
○याद करने के बाद इसे 108 बार होम दे दे ।
○फिर होली दिवाली ग्रहण वाले दिन यदि समय मिले तो एक माला इस मंत्र का जाप कर लेना चाहिए उस मंत्र के जाप करने से आपका मंत्र सर्वदा के लिए जागृत रहेगा और आपको हमेशा काम देता रहेगा।
○और फिर जहां कहीं सुरक्षा की आपको आवश्यकता महसूस हो तो आप इस मंत्र का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं
○ जब कभी भूत प्रेत या शैतान से रक्षा करना हो तो 21 बार इस मंत्र को पढ़कर अपने शरीर पर फूंक मार सकते हैं ।
○ अगर दुश्मनों का बहुत आतंक हो तो  41 बार मंत्र पढ़कर हाथों पर फूंक मार कर तीन बार ताली बजा सकते हैं जहां तक ताली जाएगी वहां सुरक्षा होगा ।
○ अगर आप कोई साधना कर रहे हैं तो किसी नुकीली वस्तु पर आप फूंक मारकर घेरा बना सकते हैं वहां भी आपके लिए यह मंत्र सर्वदा रक्षा कारी रहेगा । ओशो खेले को पार करके कोई भी शैतानी आत्मा आप तक नहीं पहुंच सकेंगी और आपको किसी तरह परेशानी नहीं पहुंचा सकेगी ।
○ घेरा मारने का तरीका यह है कि पहले किसी नए नोकिले चाकू पर 51 बार यह मंत्र पढ़कर फूंक मार दे फिर चाकू को बिना जमीन से हटाए हुए एक खुला घेरा बनाएं और चाकू जहां पर घेरा खत्म हो वहीं पर गाड़ दें जब इस घेरे को खत्म करना हो और आपने बाहर जाना हो तो उस चाकू से जहां आप ने घेरा शुरू किया था वहीं पर क्रॉस मारकर उस घेरे से निकल सकते हैं
              ।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।
ॐ नमो आदेश गुरु को धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बाजै तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूंज का छड़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा ।

○इस मंत्र के विषय में साधक भाई बहनों में ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है आप को समझाने की फिर भी अगर आपके कोई बात समझ ना आई हो तो आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

सिद्धासन का मंत्र

          

    

              ।।सिद्ध आसन का मन्त्र।।
साधक भाई बहनों को मेरा सादर नमस्कार आज आपके लिए लाया हूं एक आसन मंत्र जो साधना क्षेत्र में नए साधक आये हैं जिनका कोई अभी तक गुरु नहीं है ऐसे नए साधक यह चीज जान लें कि बिना आसन मंत्र के किसी भी साधना में सिद्धि प्राप्त नहीं होती इसलिए सबसे पहले साधक  को आसन मंत्र की सिद्धि करनी चाहिए ।
○ जब भी आप तंत्र क्षेत्र में प्रवेश करें तो तो सबसे पहले गुरु बनाएं और गुरु दीक्षा प्राप्त करें ।
○ कम से कम छ महीने गुरु मंत्र की आराधना करें ।
○ अपने इष्ट के प्रति उपवास रखें इससे आपके शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा दौड़ने लग जाएगी।
○आपको सिद्धियां प्राप्त करने में कोई विशेष कठिनता नहीं आएगी 
○यह आसन मन्त्र बहुत प्राचीन और स्वयं सिद्ध आसन मंत्र है इनका प्रयोग  प्राचीन काल से ही  होता आ रहा है।
○ जब आप इन मंत्रों का जाप करने के बाद अपने आसन पर बैठगे हुए तो शुद्र शक्तियां और भूत प्रेत यहां तक कि छोटे-मोटे देवता भी आपके किसी भी काम में बाधा नहीं डालें डालेंगे।
○ वैसे तो यह आसन का जाप मंत्र स्वयं सिद्ध है लेकिन फिर भी होली दीपावली और ग्रहण काल में इसकी एक माला कर ली जाए तो यह बहुत शक्तिशाली हो जाता है।
○ शास्त्रों में भी आसन के मंत्र का जिक्र आता है लेकिन यह गुरमुखी मंत्र है और इसका प्रभाव तत्काल से हो जाता है।
○ साधक को जब इस मंत्र का अनुष्ठान लगातार करने की आदत पड़ जाएगी यानी साधक जब भी बैठे तो इस मंत्र से आसन को नमस्कार कर के बैठे तो आसन पर बैठने के बाद उसकी आभा और छवि कुछ और ही हो जाएगी और साधन साधक की आत्मा और शरीर दैविक शक्तियों से भर जाएगा।
○ यह बात याद रखना यह कोई किताबी मंत्र नहीं है गुरु से प्राप्त मंत्र है और इसका प्रभाव तत्क्षण होता है।
○ विभिन्न विभिन्न साधना में अलग-अलग तरह के आसनों का प्रयोग किया जाता है कुछ साधनाएं  मृगछाला पर की जाती हैं  लेकिन काले कंबल का आसन सर्वदा उचित और अच्छा रहता है।
○साधना से उत्पन्न किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का आपके शरीर के ऊपर को प्रभाव नहीं होगा।
○मैं आपको एक आसान मंत्र बताने जा रहा हूं इसको समय मिलने पर याद कर ले और जब भी आप कोई साधना करने लगे उससे पहले आसन बिछाते हुए और आसन पर  बैठने से पहले 11 बार किस मंत्र का जाप करें।
                    ।। आसन का मन्त्र ।।१।।
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।
आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,
आसन बैठे गुरु गोविन्द ,
आसन बैठे जपिये जाप,
कोटि जन्म के उतरें पाप,
आसन बैठे सिंघासन बैठे,
बैठे गुर की छाया पांच तत्ले,
आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,
जो  जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे लागे पाप,
कहो संतों हम गुरु के दास,
इतना आसन जाप पूर्ण भया,
सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख जी कहा,
गुरूजी को आदेश आदेश।।

।।सरल सरस्वती साधना।।

                **।।सरस्वती साधना।।**
○जैसा कि आप सभी साधकों को पता है । की प्राचीन समय में जो ऋषि मुनि होते थे बड़े-बड़े ग्रंथ लिख डालते थे और उनकी स्मरण शक्ति इतनी कमाल की होती थी उनको बड़े-बड़े स्तोत्र स्थितियां और पूरे पूरे जैसे रावण के विषय में मशहूर है कि उनको चारों वेद कंठ थे।
○क्या आपने कभी यह सोचा है कि ऐसा क्यों होता था वह ऐसा क्या खाते थे ऐसी कौन सी क्रिया थी जो वह जानते थे लेकिन उसके पीछे एक राज है तो आज मैं वह राज आपको बताता हूं योग मंत्र साधना और सरस्वती साधना प्राचीन समय से ही सनातन में
○सरस्वती साधना का एक विशेष महत्व रहा है बुद्धि की देवी होने के साथ-साथ स्मरण शक्ति भी इनकी साधना से साधक में बहुत ज्यादा आ जाती है। बस यही एक समझने वाली बात है।
○आजकल बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा का जमाना है। हम बच्चों को हजारों लाखों रुपए लगाकर के अलग-अलग ट्यूशन लगा कर ये भरसक प्रयास करते हैं कि हमारे बच्चे अच्छे रोजगार की तरफ जाएं और कमाने का सही अवसर मिले ।लेकिन उसके लिए मौजूदा समय में बहुत ज्यादा दिक्कत पेश आती है कई बच्चों की स्मरण शक्ति बहुत कमजोर होती है।और बहुत याद करने पर भी उनको पढ़ा हुआ याद नहीं होता ।
○विदेश यात्रा के लिए लोग करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं क्योंकि कुछ देशों में लिखित परीक्षा के बाद ही अनुमति पत्र प्राप्त होता है लेकिन उसमें भी यह दिक्कत होती है कि जब कोई बच्चा परीक्षा दे और उसे परीक्षा के समय कुछ याद ना रहे और वह सही से परीक्षा ना कर पाए तो सारे पैसे पर पानी फिर जाता है।
○जो बच्चे  उच्च शिक्षा के  हेतु  प्रयास करते हैं  और अपना पाठ्यक्रम पढ़ते हैं  और वह बच्चे जो व्यवसायिक परीक्षाएं देते हैं और बार-बार परीक्षाएं देने पर फेल हो जाते हैं ।
○स्कूल से लेकर के कितनी भी बड़ी जटिल से जटिल पढ़ाई हो जो साधक शुद्ध भाव से और स्वच्छ आचरण से रहता हुआ एक बार इस साधना को कर लेगा उसको जीवन में कभी भी लिखित या मौखिक परीक्षा देने में कभी भी कठिनाई नहीं आएगी।
○भगवती आदिशक्ति सरस्वती वाक वाणी और बुद्धि की देवी है और इनकी साधना करने से साधक की समरण शक्ति गजब सी हो जाती है ।
○मंत्र शक्ति का पाठ और दैविक शक्तियों का पार आज तक कोई पा नहीं सका आप भी ज्ञान भी यह मान चुका है कि मंत्रों का प्रभाव होता है।
○इसलिए मैं आपको एक ऐसा मंत्र दे जान देने जा रहा हूं जो साधक इस मंत्र का अनुष्ठान कर लेगा उसको पढ़ाई में कभी कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होगी
○ यह अनुष्ठान 40 दिन का है
○ इस अनुष्ठान में ब्रह्मचारी व्रत का पूर्णतया पालन करना चाहिए।
○ 11 माला इस मंत्र का जाप प्रतिदिन किया जाता है।
○ एक एकांत कमरे में जिसमें बहुत अधिक सामान न रखा हो उसमें यह जाप होता है।
○उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जाप किया जाता है
○ इस साधना में कंबल के आसन का प्रयोग होता है और सफेद रंग के वस्त्र धारण करने होते हैं।
○ सफेद रंग की हकीक की माला का प्रयोग जाप में होता है या आप रुद्राक्ष की माला भी ले सकते हैं।
○ एक आम की लकड़ी  के पटरी पर सवा मीटर सफेद रंग का नया कपड़ा बिछाकर कल स्थापित करें।
○ सरस्वती मां के चित्र को या प्रतिमा को सफेद रंग के फूलों से सुसज्जित करके उस तख्ते पर रखें।
○ साधना काल में शुद्ध देसी घी के दीपक को लगाना परम आवश्यक है।
○ साधना काल में जब आप जाप करें वहां पर एक पात्र में शुद्ध जल अवश्य रखें।
○ पूजा में सफेद रंग की मिठाई और फूल भी सफेद रंग के होने चाहिए।
○ पहले दिन ही मां भगवती को अपनी प्रार्थना बोल कर  पाठ को आरंभ करना चाहिए।
○ साधना में किसी भी प्राप्त अनुभव को केवल अपने तक ही रखें या केवल अपने गुरु को बताएं उसके अलावा साधना के बारे में या उस साधना में आपको जो अनुभव हुए हैं वह किसी से ना कहें।
○ साधना काल में मांस मछली शराब अंडा गोश्त प्याज लहसुन सब चीजें वर्जित हैं।
○ साधना काल में कंघी करना नाखून तराशना सेव करना सुगंधित पदार्थ क्रीम पाउडर खुशबूदार साबुन या खुशबूदार तेल इत्यादि लगाना साधना काल में वर्जित होता है।
○ जो वस्त्र साधना काल में पहने जाएंगे जब आप पाठ करने के लिए बैठोगे सिर्फ उसी समय पहनने हैं उसके बाद आप उन कपड़ों को उतारकर के अलग कहीं सुरक्षित रख दें दूसरे दिन सिर्फ पाठ के समय पहने और पूरा समाज इतने दिन भी आप पाठ करोगे उस वस्त्र को धोना नहीं है वापस पूजा के समय ही उसको पहनना है।
○ इस पूजा के समय जो सामान चढ़ाना है एक जोड़ा मौली, सफेद रंग की मिठाई, जोड़ा सबूत सुपारी
      ,गयारह फूल सफेद रंग के, मिश्री सूखे मेवे जोड़ा मीठे
      पान,सात लौंग सात छोटी इलायची।
○यह जितना भी समान आप रखेंगे इस सम्मान को अगर आप पहले दिन रख रहे हो तो दूसरे दिन उसको उठाकर जल प्रवाहित कर देना है।
○ जो जल का पात्र आप वहां रखोगे उसे भी चौबीस घंटे बाद किसी वृक्ष या पेड़ पौधे की जड़ में डाल देना है।
○ जब आप आसन पर बैठे हो तो आश्रम मंत्र को 11 बार पढ़कर नमस्कार करके फिर आसन पर बैठना है।
            आसन का मंत्र इस प्रकार है:-
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,आसन बैठे गुरु गोविन्द ,आसन बैठे जपिये जाप,
कोटि जन्म के उतरें पाप,आसन बैठे सिंघासन बैठे,
बैठे गुर की छाया पांच तत्ले आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,जो जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे लागे पाप,
कहो संतो हम गुरु के दास,इतना आसन मन्त्र पूर्ण भया,
सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख जी कहा, गुरूजी को आदेश आदेश।।
○इसके बाद आपको नीचे दिए गए मन्त्र का गयारह माला  जाप करना है जितनी आपने क्षमता हो कम से कम गयारह माला अगर करेंगे तो साधना में असफल होने का कोई भी चांस नहीं रहेगा।
○सरस्वती माता का मंत्र इस प्रकार है:- बिस्मिल्लाह रहमान रहीम घट्ट में सुरसती जुबां पे तालीम सिर पर पंजा पीर उस्ताद का साबुत रख यकीन मोहम्मद रसूलल्लाह मरे जिन्दे फ़क़्क़रा नु ऐश करन ला या करीमा करम कर करम कर इलाही मोहम्मद कल की बात बता दे देखूं तेरी खुदाई।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...