बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।

            ।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।
○साधक भाई बहनों आपके लिए मैं जो रक्षा का विधान दे रहा हूं यह गुरु गोरखनाथ का सिद्ध मंत्र है इस मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं है।
○ केवल आपको किसी कागज के ऊपर लिख करके रखता लगाकर इसे याद करना होगा
○याद करने के बाद इसे 108 बार होम दे दे ।
○फिर होली दिवाली ग्रहण वाले दिन यदि समय मिले तो एक माला इस मंत्र का जाप कर लेना चाहिए उस मंत्र के जाप करने से आपका मंत्र सर्वदा के लिए जागृत रहेगा और आपको हमेशा काम देता रहेगा।
○और फिर जहां कहीं सुरक्षा की आपको आवश्यकता महसूस हो तो आप इस मंत्र का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से प्रयोग कर सकते हैं
○ जब कभी भूत प्रेत या शैतान से रक्षा करना हो तो 21 बार इस मंत्र को पढ़कर अपने शरीर पर फूंक मार सकते हैं ।
○ अगर दुश्मनों का बहुत आतंक हो तो  41 बार मंत्र पढ़कर हाथों पर फूंक मार कर तीन बार ताली बजा सकते हैं जहां तक ताली जाएगी वहां सुरक्षा होगा ।
○ अगर आप कोई साधना कर रहे हैं तो किसी नुकीली वस्तु पर आप फूंक मारकर घेरा बना सकते हैं वहां भी आपके लिए यह मंत्र सर्वदा रक्षा कारी रहेगा । ओशो खेले को पार करके कोई भी शैतानी आत्मा आप तक नहीं पहुंच सकेंगी और आपको किसी तरह परेशानी नहीं पहुंचा सकेगी ।
○ घेरा मारने का तरीका यह है कि पहले किसी नए नोकिले चाकू पर 51 बार यह मंत्र पढ़कर फूंक मार दे फिर चाकू को बिना जमीन से हटाए हुए एक खुला घेरा बनाएं और चाकू जहां पर घेरा खत्म हो वहीं पर गाड़ दें जब इस घेरे को खत्म करना हो और आपने बाहर जाना हो तो उस चाकू से जहां आप ने घेरा शुरू किया था वहीं पर क्रॉस मारकर उस घेरे से निकल सकते हैं
              ।। गुरु गोरखनाथ का रक्षा मंत्र।।
ॐ नमो आदेश गुरु को धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बाजै तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूंज का छड़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा ।

○इस मंत्र के विषय में साधक भाई बहनों में ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है आप को समझाने की फिर भी अगर आपके कोई बात समझ ना आई हो तो आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

सिद्धासन का मंत्र

          

    

              ।।सिद्ध आसन का मन्त्र।।
साधक भाई बहनों को मेरा सादर नमस्कार आज आपके लिए लाया हूं एक आसन मंत्र जो साधना क्षेत्र में नए साधक आये हैं जिनका कोई अभी तक गुरु नहीं है ऐसे नए साधक यह चीज जान लें कि बिना आसन मंत्र के किसी भी साधना में सिद्धि प्राप्त नहीं होती इसलिए सबसे पहले साधक  को आसन मंत्र की सिद्धि करनी चाहिए ।
○ जब भी आप तंत्र क्षेत्र में प्रवेश करें तो तो सबसे पहले गुरु बनाएं और गुरु दीक्षा प्राप्त करें ।
○ कम से कम छ महीने गुरु मंत्र की आराधना करें ।
○ अपने इष्ट के प्रति उपवास रखें इससे आपके शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा दौड़ने लग जाएगी।
○आपको सिद्धियां प्राप्त करने में कोई विशेष कठिनता नहीं आएगी 
○यह आसन मन्त्र बहुत प्राचीन और स्वयं सिद्ध आसन मंत्र है इनका प्रयोग  प्राचीन काल से ही  होता आ रहा है।
○ जब आप इन मंत्रों का जाप करने के बाद अपने आसन पर बैठगे हुए तो शुद्र शक्तियां और भूत प्रेत यहां तक कि छोटे-मोटे देवता भी आपके किसी भी काम में बाधा नहीं डालें डालेंगे।
○ वैसे तो यह आसन का जाप मंत्र स्वयं सिद्ध है लेकिन फिर भी होली दीपावली और ग्रहण काल में इसकी एक माला कर ली जाए तो यह बहुत शक्तिशाली हो जाता है।
○ शास्त्रों में भी आसन के मंत्र का जिक्र आता है लेकिन यह गुरमुखी मंत्र है और इसका प्रभाव तत्काल से हो जाता है।
○ साधक को जब इस मंत्र का अनुष्ठान लगातार करने की आदत पड़ जाएगी यानी साधक जब भी बैठे तो इस मंत्र से आसन को नमस्कार कर के बैठे तो आसन पर बैठने के बाद उसकी आभा और छवि कुछ और ही हो जाएगी और साधन साधक की आत्मा और शरीर दैविक शक्तियों से भर जाएगा।
○ यह बात याद रखना यह कोई किताबी मंत्र नहीं है गुरु से प्राप्त मंत्र है और इसका प्रभाव तत्क्षण होता है।
○ विभिन्न विभिन्न साधना में अलग-अलग तरह के आसनों का प्रयोग किया जाता है कुछ साधनाएं  मृगछाला पर की जाती हैं  लेकिन काले कंबल का आसन सर्वदा उचित और अच्छा रहता है।
○साधना से उत्पन्न किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का आपके शरीर के ऊपर को प्रभाव नहीं होगा।
○मैं आपको एक आसान मंत्र बताने जा रहा हूं इसको समय मिलने पर याद कर ले और जब भी आप कोई साधना करने लगे उससे पहले आसन बिछाते हुए और आसन पर  बैठने से पहले 11 बार किस मंत्र का जाप करें।
                    ।। आसन का मन्त्र ।।१।।
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।
आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,
आसन बैठे गुरु गोविन्द ,
आसन बैठे जपिये जाप,
कोटि जन्म के उतरें पाप,
आसन बैठे सिंघासन बैठे,
बैठे गुर की छाया पांच तत्ले,
आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,
जो  जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे लागे पाप,
कहो संतों हम गुरु के दास,
इतना आसन जाप पूर्ण भया,
सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख जी कहा,
गुरूजी को आदेश आदेश।।

।।सरल सरस्वती साधना।।

                **।।सरस्वती साधना।।**
○जैसा कि आप सभी साधकों को पता है । की प्राचीन समय में जो ऋषि मुनि होते थे बड़े-बड़े ग्रंथ लिख डालते थे और उनकी स्मरण शक्ति इतनी कमाल की होती थी उनको बड़े-बड़े स्तोत्र स्थितियां और पूरे पूरे जैसे रावण के विषय में मशहूर है कि उनको चारों वेद कंठ थे।
○क्या आपने कभी यह सोचा है कि ऐसा क्यों होता था वह ऐसा क्या खाते थे ऐसी कौन सी क्रिया थी जो वह जानते थे लेकिन उसके पीछे एक राज है तो आज मैं वह राज आपको बताता हूं योग मंत्र साधना और सरस्वती साधना प्राचीन समय से ही सनातन में
○सरस्वती साधना का एक विशेष महत्व रहा है बुद्धि की देवी होने के साथ-साथ स्मरण शक्ति भी इनकी साधना से साधक में बहुत ज्यादा आ जाती है। बस यही एक समझने वाली बात है।
○आजकल बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा का जमाना है। हम बच्चों को हजारों लाखों रुपए लगाकर के अलग-अलग ट्यूशन लगा कर ये भरसक प्रयास करते हैं कि हमारे बच्चे अच्छे रोजगार की तरफ जाएं और कमाने का सही अवसर मिले ।लेकिन उसके लिए मौजूदा समय में बहुत ज्यादा दिक्कत पेश आती है कई बच्चों की स्मरण शक्ति बहुत कमजोर होती है।और बहुत याद करने पर भी उनको पढ़ा हुआ याद नहीं होता ।
○विदेश यात्रा के लिए लोग करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं क्योंकि कुछ देशों में लिखित परीक्षा के बाद ही अनुमति पत्र प्राप्त होता है लेकिन उसमें भी यह दिक्कत होती है कि जब कोई बच्चा परीक्षा दे और उसे परीक्षा के समय कुछ याद ना रहे और वह सही से परीक्षा ना कर पाए तो सारे पैसे पर पानी फिर जाता है।
○जो बच्चे  उच्च शिक्षा के  हेतु  प्रयास करते हैं  और अपना पाठ्यक्रम पढ़ते हैं  और वह बच्चे जो व्यवसायिक परीक्षाएं देते हैं और बार-बार परीक्षाएं देने पर फेल हो जाते हैं ।
○स्कूल से लेकर के कितनी भी बड़ी जटिल से जटिल पढ़ाई हो जो साधक शुद्ध भाव से और स्वच्छ आचरण से रहता हुआ एक बार इस साधना को कर लेगा उसको जीवन में कभी भी लिखित या मौखिक परीक्षा देने में कभी भी कठिनाई नहीं आएगी।
○भगवती आदिशक्ति सरस्वती वाक वाणी और बुद्धि की देवी है और इनकी साधना करने से साधक की समरण शक्ति गजब सी हो जाती है ।
○मंत्र शक्ति का पाठ और दैविक शक्तियों का पार आज तक कोई पा नहीं सका आप भी ज्ञान भी यह मान चुका है कि मंत्रों का प्रभाव होता है।
○इसलिए मैं आपको एक ऐसा मंत्र दे जान देने जा रहा हूं जो साधक इस मंत्र का अनुष्ठान कर लेगा उसको पढ़ाई में कभी कोई दिक्कत या परेशानी नहीं होगी
○ यह अनुष्ठान 40 दिन का है
○ इस अनुष्ठान में ब्रह्मचारी व्रत का पूर्णतया पालन करना चाहिए।
○ 11 माला इस मंत्र का जाप प्रतिदिन किया जाता है।
○ एक एकांत कमरे में जिसमें बहुत अधिक सामान न रखा हो उसमें यह जाप होता है।
○उत्तर दिशा की ओर मुंह करके जाप किया जाता है
○ इस साधना में कंबल के आसन का प्रयोग होता है और सफेद रंग के वस्त्र धारण करने होते हैं।
○ सफेद रंग की हकीक की माला का प्रयोग जाप में होता है या आप रुद्राक्ष की माला भी ले सकते हैं।
○ एक आम की लकड़ी  के पटरी पर सवा मीटर सफेद रंग का नया कपड़ा बिछाकर कल स्थापित करें।
○ सरस्वती मां के चित्र को या प्रतिमा को सफेद रंग के फूलों से सुसज्जित करके उस तख्ते पर रखें।
○ साधना काल में शुद्ध देसी घी के दीपक को लगाना परम आवश्यक है।
○ साधना काल में जब आप जाप करें वहां पर एक पात्र में शुद्ध जल अवश्य रखें।
○ पूजा में सफेद रंग की मिठाई और फूल भी सफेद रंग के होने चाहिए।
○ पहले दिन ही मां भगवती को अपनी प्रार्थना बोल कर  पाठ को आरंभ करना चाहिए।
○ साधना में किसी भी प्राप्त अनुभव को केवल अपने तक ही रखें या केवल अपने गुरु को बताएं उसके अलावा साधना के बारे में या उस साधना में आपको जो अनुभव हुए हैं वह किसी से ना कहें।
○ साधना काल में मांस मछली शराब अंडा गोश्त प्याज लहसुन सब चीजें वर्जित हैं।
○ साधना काल में कंघी करना नाखून तराशना सेव करना सुगंधित पदार्थ क्रीम पाउडर खुशबूदार साबुन या खुशबूदार तेल इत्यादि लगाना साधना काल में वर्जित होता है।
○ जो वस्त्र साधना काल में पहने जाएंगे जब आप पाठ करने के लिए बैठोगे सिर्फ उसी समय पहनने हैं उसके बाद आप उन कपड़ों को उतारकर के अलग कहीं सुरक्षित रख दें दूसरे दिन सिर्फ पाठ के समय पहने और पूरा समाज इतने दिन भी आप पाठ करोगे उस वस्त्र को धोना नहीं है वापस पूजा के समय ही उसको पहनना है।
○ इस पूजा के समय जो सामान चढ़ाना है एक जोड़ा मौली, सफेद रंग की मिठाई, जोड़ा सबूत सुपारी
      ,गयारह फूल सफेद रंग के, मिश्री सूखे मेवे जोड़ा मीठे
      पान,सात लौंग सात छोटी इलायची।
○यह जितना भी समान आप रखेंगे इस सम्मान को अगर आप पहले दिन रख रहे हो तो दूसरे दिन उसको उठाकर जल प्रवाहित कर देना है।
○ जो जल का पात्र आप वहां रखोगे उसे भी चौबीस घंटे बाद किसी वृक्ष या पेड़ पौधे की जड़ में डाल देना है।
○ जब आप आसन पर बैठे हो तो आश्रम मंत्र को 11 बार पढ़कर नमस्कार करके फिर आसन पर बैठना है।
            आसन का मंत्र इस प्रकार है:-
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,आसन बैठे गुरु गोविन्द ,आसन बैठे जपिये जाप,
कोटि जन्म के उतरें पाप,आसन बैठे सिंघासन बैठे,
बैठे गुर की छाया पांच तत्ले आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,जो जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे लागे पाप,
कहो संतो हम गुरु के दास,इतना आसन मन्त्र पूर्ण भया,
सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख जी कहा, गुरूजी को आदेश आदेश।।
○इसके बाद आपको नीचे दिए गए मन्त्र का गयारह माला  जाप करना है जितनी आपने क्षमता हो कम से कम गयारह माला अगर करेंगे तो साधना में असफल होने का कोई भी चांस नहीं रहेगा।
○सरस्वती माता का मंत्र इस प्रकार है:- बिस्मिल्लाह रहमान रहीम घट्ट में सुरसती जुबां पे तालीम सिर पर पंजा पीर उस्ताद का साबुत रख यकीन मोहम्मद रसूलल्लाह मरे जिन्दे फ़क़्क़रा नु ऐश करन ला या करीमा करम कर करम कर इलाही मोहम्मद कल की बात बता दे देखूं तेरी खुदाई।

सिद्ध आसन का मंत्र

साधक भाई बहनों को मेरा सादर नमस्कार आज आपके लिए लाया हूं एक आसन मंत्र जो साधना क्षेत्र में नए साधक आये हैं जिनका कोई अभी तक गुरु नहीं है ऐसे नए साधक यह चीज जान लें कि बिना आसन मंत्र के किसी भी साधना में सिद्धि प्राप्त नहीं होती इसलिए सबसे पहले साधक  को आसन मंत्र की सिद्धि करनी चाहिए । जब भी आप तंत्र क्षेत्र में प्रवेश करें तो तो सबसे पहले गुरु बनाएं और गुरु दीक्षा प्राप्त करें  फिर कम से कम छ महीने गुरु मंत्र की आराधना करें और अपने इष्ट के प्रति उपवास रखें इससे आपके शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा दौड़ने लग जाएगी और आपको सिद्धियां प्राप्त करने में कोई विशेष कठिनता नहीं आएगी  यह आसन मन्त्र बहुत प्राचीन और स्वयं सिद्ध आसन मंत्र है इनका प्रयोग  प्राचीन काल से ही  होता आ रहा है जब आप इन मंत्रों का जाप करने के बाद अपने आसन पर बैठे हुए तो शुद्र शक्तियां और भूत प्रेत यहां तक कि छोटे-मोटे देवता भी आपके किसी भी काम में बाधा नहीं डालें डालेंगे। और किसी नकारात्मक ऊर्जा का आपके शरीर के ऊपर को प्रभाव नहीं होगा। यहां मैं आपको एक आसान मंत्र देने जा रहा हूं इसको समय मिलने पर याद कर ले और जब भी आप कोई साधना करने लगे उससे पहले आसन बिछाते हुए और आसन पर  बैठने से पहले 11 बार किस मंत्र का जाप करें।

।। आसन का मन्त्र ।।१।।
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश आसन ब्रह्मा इन्द्र आसन,आसन बैठे गुरु गोविन्द आसन बैठे जपिये जाप कोटि जन्म के उतरें पाप,आसन बैठे सिंघासन बैठे, बैठे गुर की छाया पांच तत्ले आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया, जो ना जाने आसन जाप उसका मुख देखे लागे पाप जो जाने आसन का जाप उसका मुख देखे उतरे जन्म जन्म के पाप  इतना आसन जाप पूर्ण भया सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख कहा गुरूजी को आदेश आदेश।।

सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

तंत्र सूत्र भाग 01

                   ***।।तन्त्र सूत्र।।***
आप में से जो भी कोई साधक साधना करके कामयाब होना चाहता है तो उसके लिए यह सूत्र में दे रहा हूँ।
साधक के लिए इन नियमों को पालन करते रहना बहुत ज्यादा जरूरी होता है जो साधक इन नियमों का पालन नहीं करता उसकी साधना कभी भी सफल नहीं होती ।
यह साधना क्षेत्र के ऐसे नियम है कि जो नए और पुराने छोटे और बड़े कोई भी साधक हो उन्हें यह मानने ही पढ़ते हैं आशा करता हूं यह नियम आप पर आपके बहुत काम आएंगेयह  नियम आपकी शक्ति के चिरस्थाई आपके साथ रहने के लिए आपको बताए जा रहे हैं ।
क्योंकि कई बार हम सौभाग्य से किसी शक्ति को प्राप्त तो कर लेते हैं लेकिन वह शक्ति कुछ दिन तक ही हमारे साथ रहती है उसके बाद वह शक्ति हमारा साथ छोड़ देती है तो क्या कारण होते हैं अगर इन नियमों का कोई पालन नहीं करता तो उसकी कोई भी शक्ति बहुत अधिक समय तक नहीं टिक पाती ।
सौभाग्य बस जो एक बार आपको शक्ति प्राप्त हुई है कोई जरूरी नहीं कि वह शक्ति आपको दोबारा हासिल हो । मैंने ऐसे बहुत सारे साधकों को देखा है कि सौभाग्य से कोई सिद्धि उनको प्राप्त हो गई लेकिन दोबारा पूरे जीवन में वह लोग अपने माथे को घिसते रह गए लेकिन उनको वह दोबारा शक्ति प्राप्त नहीं हुई अतः कई भक्तों को तो इस चक्कर में मैंने मरता भी देखा है।
क्योंकि जरूरी नहीं कि कोई दूसरा आदमी आपको मारे साधना का क्षेत्र इतना विशाल है कि इसमें एक से एक बड़ा आदमी भरा पड़ा है जिनके पास आध्यात्मिक और तांत्रिक शक्तियां हैं लेकिन अक्सर जो लोग नियमों को तोड़ देते हैं वह चाहे कितने भी सिद्ध तांत्रिक क्यों ना हो उनकी शक्ति नष्ट हो जाती है ।
कुछ साधक मेरे साथ जुड़े हुए हैं और जिनकी शक्तियां कमजोर पड़ गई या बांध दी गई या अवरोधित कर दी गई है उनको इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि कोई साधना का नियम उनसे टूटा तो नहीं बस यही ध्यान देने वाली बात है ।

○ जैसा कि शास्त्रों में बोला गया है गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा , इसका तात्पर्य यह है आप जिस भी शास्त्र में दीक्षा लो बिना गुरु के आपका प्रकाश आपकी विद्या का प्रकाटय संभव नहीं है इसलिए तंत्र क्षेत्र में या किसी भी कर्मकांड में गुरु और गणेश यह पहले पूजा के अधिकारी होते हैं।
○ सबसे पहले जैसे पिता से पुत्र पैदा होता है वैसे ही गुरु के बिना शिष्य नहीं हो सकता पहला नियम यह है आप गुरु जरूर बनाएं उनसे ज्ञान प्राप्त करें उनसे शक्ति दीक्षा अवश्य प्राप्त करें। उनको गुरु दक्षिणा अवश्य प्रदान करें।
○ जिस ईष्ट की आप साधना करना चाहते हो उसके बारे में पूरी जानकारी आपको पहले ही ले लेनी चाहिए।
○ गुरु आपको जो भी मंत्र बताएं उसके अक्षरों को तोड़ मरोड़ कर कभी भी अपनी बुद्धि लगाने की कोशिश ना करें जैसा शब्द आपको मिला है आपको वैसे ही शब्द की साधना करनी है तभी आपकी साधना सफल होगी।
○ जिस घर में छोटे बच्चे हैं उस घर में कभी भी कोई तामसिक क्रिया नहीं करनी चाहिए और कोशिश करना चाहिए जितने भी तामसिक पर योग्य क्रियाएं हैं वह आपको श्मशान इत्यादि में ही करनी चाहिए और घर में प्रवेश करने से पहले जल को सप्रश कर लेना चाहिए।
○अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे रखते हुए साधक को विशेष साधना प्राप्त करने के लिए गुरु से कभी भी जिद नहीं करनी चाहिए अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखें और याद रखें कि जब आपके गुरुदेव कृपा करने पर आएंगे तो आप को सबसिद्धियां आसन पर बैठे ही प्राप्त हो जाएगी।
○ इस चीज का विशेष ध्यान आपको साधना काल में रखना होगा कि चमड़े की वस्तुएं चाहे वह परस हो या बेल्ट हो या जैकेट हो कुछ भी हो उसका प्रयोग वर्जित होता है साधना काल में उन सब का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को खटिया जो बाण से बुनी गई हो उसका प्रयोग वर्जित होता है आप तख्ते का प्रयोग कर सकते हो या फिर पूरे साधना काल के दौरान आपको भूमि पर शयन करना होगा।
○ जितना समय तक आपकी साधना चले उतना समय तक अपने आश्रम के अनुकूल संयम और सदाचार ब्रह्मचर्य का पालन करें।
○ मंत्र इष्ट देव और गुरुदेव तीनों पर पूरा भरोसा रखें और पूरे श्रद्धा से किसी भी अनुष्ठान को करें आप के भाव
       के ऊपर आपकी साधना की सफलता निर्भर करती है।
○ सप्ताह में या महीने में एक बार अपने इष्ट के प्रति निराहार व्रत का पालन अवश्य करें शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से आपके इष्ट का निवास व्रत काल में आपकी देह में होता है उससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ेगी और आप शक्तियों की कृपा के पात्र बन जाएंगे।
○ साधना काल में मांस मदिरा का सेवन वर्जित होता है आप कोई भी साधना करो सामान्य तौर पर मांस और मदिरा वर्जित ही होती है कुछ विशेष साधना ओं में ही मास और मदिरा भोग के रूप में देवता को दिया जाता है फिर भी उसका सेवन खुद नहीं किया जाता।
○ अपने गुरुदेव के इलावा किसी और व्यक्ति से साधना से संबंधित कोई भी बात करना वर्जित होती है अगर आप किसी व्यक्ति से अपनी साधना के विषय में कुछ बताते हैं कुछ अनुभव ऐसे होते हैं जो हम लोग भावना बस हो करके बता देते हैं तो वह साधना खंडित मानी जाती है।
○ आप कोई भी अनुष्ठान करें लेकिन बिना गुरु के कोई भी अनुष्ठान कभी नहीं करें यह आपकी सफलता का सूत्र बनेगा।
○ साधना के लिए एकांत स्थान की खोज करें घर में ऐसी जगह पर साधना करें जहां पर बहुत अधिक ध्वनि आपके कानों तक ना पहुंचे वह स्थान शुद्ध होना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को अपना भोजन खुद ही तैयार करना चाहिए और किसी के घर का पानी भी साधक यदि प्रयोग करता है तो उसको भोजन दोष लगने की संभावना होती है और उसकी साधना खंडित होने का भय होता है।
○ विशेष बात यह है कि साधना काल में नाखून या बाल कटवाना सेव करवाना क्रीम पाउडर इत्र साबुन सुगंधित तेल इनका प्रयोग वर्जित है।
○ आप कोई भी साधना किसी भी पद्धति से करो किसी भी देवता की करो एक जल का पात्र आपके पास होना परम आवश्यक है।
○ यह बात विशेष तौर पर ध्यान दें आप जितने समय के लिए साधना कर रहे हैं एक दीपक पूरी साधना काल में अखंड ज्योति के रूप में चलेगा और साधना संपन्न होने  तक उसे बुझने नहीं देना।
○ कोई भी साधना करनी हो अगर आपने 40 दिन की साधना करनी है या आपने 21 दिन की साधना करनी है तो पहले दिन जो समय रखा जाएगा उसी समय पर प्रतिदिन आपको 1 मिनट कम करते हुए उस समय पर ही बैठना होगा समय आगे पीछे नहीं होगा।
○ साधना काल में दिशा सामान्यतः पूर्व रहती है बाकी सब उस कर्म के ऊपर निर्भर करता है कि आप कैसी साधना कर रहे हो स्थान समय और दिशा यह तीनों पूरी साधना काल में एक ही रहता है।
○ आप कोई भी साधना करो सबसे पहले आपको अपने घर के देवता और पितरों को मनाना होगा उसके बाद आपको नगर देवता की पूजा देनी होगी फिर आप विशेष देवता की पूजा कर सकते हैं तब जाकर ही आपका अनुष्ठान पूरा होगा।
○ साधक को साधना करने से पहले संकल्प लेना होता
       है किसी भी अनुष्ठान को अधूरा कभी मत छोड़ो या    
       शुरू ही मत करो।
○ अगर किसी साधना में साधक कभी नागा कर देता है तो साधना खंडित मानी जाएगी और दोबारा करनी पड़ेगी।
○ जिस अनुष्ठान को आपने करना है उसके मंत्र को सबसे पहले आपको कंठ करना चाहिए बिना कंठ किए किसी साधना पर बैठ जाना आपके लिए साधना के समय बहुत कष्टकारी हो सकता है।
○ अनुष्ठान के सभी जब जाप करोगे जो जल का पात्र आप वहां रखोगे उसे 24 घंटे में बदल देना है उस जल को किसी पेड़ की जड़ में आप डाल सकते हैं।
○ साधना काल में क्रोध हिंसा गाली गलौज लड़ाई चिंता इत्यादि से आपको बचना होगा क्योंकि जब समुद्र मंथन किया गया था तब केवल अमृत वहां से नहीं निकला था उसके साथ विश भी निकला था उसी प्रकार जब हम आत्ममंथन करके किसी मंत्र की साधना करते हैं तो जरूरी नहीं कि हमें दिव्य शक्ति की प्राप्ति हो वहां से कुछ नकारात्मक शक्तियां शुरुआत में जरूर आती हैं  और ऐसा देखा गया है कि जब आपकी साधना संपन्नता की तरफ जाती है तो बिना बात के गुस्सा आना आम सी बात हो जाती है ऐसे में इसका एक ही इलाज है वह है मौन रहना।
○ साधना में साधक को किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए।
○ जिस देवता की आप साधना करो उसका चित्र या विग्रह कोई मूर्ति या प्रतिमा एक आम की पटिया पर सा कपड़ा बिछाकर उसे फूलों से सुसज्जित करके अवश्य वहां रखना चाहिए।
○ साधना शुरू करने से पहले वास्तु शांति नवग्रह शांति कलश स्थापन और भूत शुद्धि इत्यादि या तो खुद कर ले या किसी विद्वान ब्राह्मण को बुला करके उनसे करवा ले इससे आपकी साधना में सफलता के अवसर बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
○ जितने दिन की साधना हो इतने दिन आपको अपने इष्ट के प्रति फल फूल पान मिठाई जल इत्यादि जो भी आपने सामान चढ़ाना है वह सामान ताजा होना चाहिए और 24 घंटे बाद नित्य प्रति उसको बदल देना है जो सामान वहां से चढ़ाया हुआ आप इकट्ठा करोगे उसे जल में प्रवाहित कर देना है।
○ साधना काल में अपने वस्त्र और जूठे बर्तन इत्यादि जितने काम होते हैं वह आपको खुद करने चाहिए।
○ साधना में जब आपको कुछ अनुभव हो तो कभी भी डरना नहीं चाहिए साधक को यही याद रखना चाहिए कि यह  मुझे द्वारा पैदा की गई उर्जा है और इसको मैं ही नियंत्रित कर सकता हूं जैसे भगवान नरसिंह को केवल प्रह्लाद भगत ही वश कर पाए। उन अनुभवों को जाने अनजाने कभी दूसरे आदमी को ना बताएं वरना आपकी साधना वही खंडित हो जाएगी।
○ अपनी किसी भी विशेष क्षमता के ऊपर कभी भी घमंड ना करें क्योंकि ईश्वर अहंकार का नाश खुद करते हैं।
○ हमेशा सज्जन और विद्वान लोगों की संगति करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं प्रतिदिन धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथों का अध्ययन करें अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं।
○ जैसा गुरु कहे शमशान की साधना श्मशान में होती है कब्रिस्तान की साधना कब्रिस्तान में होती है घर पर की जाने वाली साधना सौम्य होनी चाहिए उग्र साधना कभी घर पर नहीं करनी चाहिए वरना लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं।
○ अपने देवता के प्रति होम अज्ञार नित्य प्रति अवश्य करें। एक समय में केवल एक मंत्र या ईष्ट की ही साधना करें।
○ अपनी दिनचर्या का ज्यादा समय जिस ईष्ट कि आप साधना कर रहे होते हैं उसके मनन में गुजारे।
साधक भाई बहनों अपने अनुभव के आधार पर मैंने यह सब बातें और सूत्र आपको बताएं जो साधना की सफलता के लिए परम आवश्यक हैं इसलिए कृपया एक बार इनका विश्लेषण अवश्य करें ताकि आपकी कोई भी की गई साधना निष्फल ना जाए। जल्दी ही इस वीडियो का में दूसरा हिस्सा आपके लिए बनाऊंगा जिसमें प्रारंभिक मंत्र जो साधना में इस्तेमाल किए जाते हैं जो होम को जगाने के लिए देवता को जगाने के लिए ईष्ट को मनाने के लिए प्रयोग आते हैं वह भी आप सब से साझा करूंगा आशा करता हूं यह वीडियो आपके काम आएगी और आप इससे लाभ उठाएंगे जिसको ज्ञान नहीं है वह नए साधक इससे लाभ उठाएंगे अधिक जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क कर सकते हैं।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...