सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

सैय्यद बिरहना पीर सम्पूर्ण सिद्धि


।। बिरगहना पीर साधना की साधना ।।


एक ऐसी शक्ति जो साए की तरह आपके साथ रहेगी और जो आपके प्रत्येक काम में  आपका साथ देगी आपको हर मुश्किल का हल मिलेगा आपको बुरे से बुरे समय से निकाल देगी।जो साधक दृढ़ संकल्प वाले हैं जल्दी से हार नही मानते और जो इस साधना को पूरा कर लेंगे उनका हर इक काम ये शक्ति बनाएगी आपके पास कौन आ रहा है कहाँ से आ रहा है उसकी समस्या क्या है उस समस्या का हल क्या है। 

हमेशा,सच्चे साथी की तरह साथ रहने वाले बिरगहना पीर की साधना अत्यन्त सरल है। पन्द्रह दिन की यह साधना करके, साधक, बलिष्ठ देव के समान पीर से कुछ भी काम करा सकता है। 

जिन साथ में गांव के हृदय में सच्ची श्रद्धा और विश्वास है उन्हीं के जीवन में चमत्कार होते हैं और यह चमत्कार लगातार होते रहते हैं आज जितने भी सफल साधक हैं इन्हीं सभी साधनाओं के कारण ही सफल है यह बात अलग है कि जब तक आप अपनी साधना को गोपनीय रखते हैं इतनी देर आप कामयाब रहते हैं और जब आप अपनी गोपनीयता को भंग कर देते हैं उसके साथ ही साथ आप की सिद्धि भी क्षय हो जाती है 

कई साधक इस साधना को 1 दिवसीय साधना भी बताते है हालांकि अगर कोई नया साधक इस साधना के लिए बैठे और उसको सफलता ना मिले तो मन में बहुत निराश होती है इस लिए ये सच जरूर समझ लीजिए कि ये साधना पूरे पंद्रह दिनों की है। एक दिन की समझ कर इसको करने की भूल ना करें।

जिस दिन ये साधना शुरू करनी हो उस दिन होली, दीपावली  दसहरा सूर्य ग्रहण होना चाहिए फिर लगा तार इस साधना को करना चाहिए। कोई भी साधना करो किसी भी ईष्ट की छोटी सी छोटी साधना भी करो लेकिन उससे पहले अपनी सुरक्षा का प्रबंध अवश्य करें क्योंकि जिस स्थान पर आप साधना कर रहे है उस स्थान पर शक्तियों का वास होता है ये जरूरी नहीं कि वो शक्तियां सौम्य हों वे शक्तियां हिंसक भी हो सकती है इस लिए जब भी साधना करें अपने शरीर को मंत्रो द्वारा बांध लें टंकी कोई भी शक्ति आपको कष्ट न पहुंचा सके।

रक्षा मन्त्र:-आयतल कुर्सी कच्छ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान धड़ रखे खुद सिर रखे सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली की दुहाई।

उक्त मंत्र को 108 बार जपने के बाद अपनी छाती पर 3 बार फूंक मार लें। आपका शरीर बंध जाएगा और कोई भी अज्ञात शक्ति आपको कोई नुकसान नही पहुंच सकेगी।

फिर सिद्धि मंत्र बिरहना पीर का जाप करें

मंत्र:- पीर बिरगहना धुं धुं करे ।
सवा सेर सवा तोसा खाय । 
अस्सी कोस धावा करे।।
 सात सौ कुतल आगे चले ।
 सात सौ कूतल पीछे चले ।।
 छप्पन सौ छुरी चले ।
 बावन सौ वीर चले ।।
 जिसमें गढ़ गजनी का पीर चले ।
 औरों की धंजा उखाड़ता चले ।।
 अपनी धजा टेकता चले ।
 सोते को जगाता चले बैठे को उठाता चले ।।
 हाथों में हथकड़ी गेरे। 
 पैरों में बेड़ी गेरे ।।
 हलाल माही खाये। 
 दिठ करें माही पीठ करे।।
  पहलवान नवी कूं याद करे ॐ ठः ठः ठः स्वाहा ।

साधना विधि- किसी ग्रहणकाल या होली की रात से ही, 
यह साधना प्रारम्भ की जा सकती और इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। 

साधक एकान्त स्थान या एकान्त कमरे में ज़मीन पर स्वा हाथ चिकनी मिट्टी से गोल चौंका लगाये और स्वच्छ कपड़े पहन कर, किसी भी साफ सुथरे आसन पर साधना करें। 
अपने पास साफ पानी का पात्र,चमेली के सेंट, चमेली की अगरबत्ती, चमेली के फूल, हलवा व चमेली की फूलमाला भी रखें। लकड़ी के कोयले पर लोहबान का दखना जाप काल के दौरान चल ता रहेगा।
साधक का मुंह पक्षिम दिशा की और रहे पूरी साधना काल तक, मन्त्र जाप काल के दौरान तेल का दीपक जलाकर रखना अनिवार्य है। 

एक बार मंत्र बोल कर, अपने आसन के सामने, दीपक के पास, चमेली का एक फूल छोड़कर (रखकर) पूजन करें। दीपक की लौ-को हलवे का भोग लगाएं। 

पांच माला काले हकीक की माला से प्रतिदिन जाप करें 15 दिन। 

हर-माला जाप के बाद हलवे का भोग लगावे तथा चमेली का फूल चढ़ावे । बाद में माला को भी दीपक के सामने, अन्य फूलों के पास रख दें। 

इस प्रकार लगातार, बिना नागा के बिरगहना पीर की साधना करता रहे। 

साधना के अन्तिम दिन यानि, पंद्रहवें दिन पीर सशरीर प्रकट होकर साधक के सामने आये तो साधक को चाहिए कि वह बिना किसी भय के, पीर को चमेली की फूल माला पहना देवे तथा उसके हाथों में हलवा (कड़ाह-प्रसाद) भी दे दे। और वचनबंदी कर लें बुलाने का तरीका और कोई निशानी मांग ले  फिर उसी समय से बिरगहना पीर जीवन भर साधक का हम साया बन कर रहेगा।

साधना के नियमः- साधना में, ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्धता, गुप्तता, निरन्तरता अनिवार्य है। 

इस साधना को सिर्फ और सिर्फ होली की रात्रि या ग्रहण काल में ही प्रारम्भ किया जा सकता है। अपनी मन-मर्जी से कभी भी नहीं । 

बाकी आगे साधक की मर्ज़ी होती है की वो अपनी समझ बूझ से पीर से आगे क्या और कैसे काम लेता है। 

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग।।


।। मार्जारी तन्त्र ।। 

Specific Elimantel spell of cat's naval cord *

मार्जरी अर्थात बिल्ली सिंह परिवार का जीव है। केवल छोटा आकार का अन्तर इसे सिंह से पृथक करता है, अन्यथा यह सर्वांग में सिंह का लघु संस्करण है। प्रवृत्ति से हिसंक होकर भी यह जन्तु पालतू बन जाता है।

जबकि सिंह की स्वच्छन्दता और प्रचण्ड हिँसा भावना का दमन नहीं किया जा सकता। मार्जारी अर्थात बिल्ली की दो श्रेणियां होती है एक पालतू और दूसरी जंगली। जंगली बिल्ली को वन-बिलार कहा जाता हैं। यह आकार में पालतू बिल्ली से बड़ी होती है। 

जब कि घरों में घूमने वाली बिल्लियां छोटी होती है बन-बिलार को पालतू नहीं बनाया जा सकता, किन्तु घरों में घूमने वाली बिल्लियां पालतू हो जाती हैं। यह जीव काले रंग का होता है किन्तु सफेद, धारीदार, नारंगी, चितकबरी रंग की बिल्लियां भी देखी जाती हैं।

घरों में घूमने वाली मादा बिल्ली भी लक्ष्मी की कृपा कराने में सहायक होती है,विशेष रूप से काली बिल्ली की ज़ेर बहुत आधी यानी 100% कार्य करने में शक्षम होती है यह तन्त्र-प्रयोग दुर्लभ और कम ज्ञात होने के कारण सर्व साधारण के लिए बहुत ज्यादा लाभकर नहीं हो पाता। वैसे यदि कोई व्यक्ति इस माजरी-तन्त्र का प्रयोग करे तो निश्चित रूप से जातक के जीवन को लाभान्वित करता है।

गाय, भैंस, बकरी की तरह लगभग सभी चौपाए मादा पशुओं के पेट से, प्रसव के पश्चात झिल्ली जैसी एक वस्तु निकलती है। वस्तुतः इसी झिल्ली में गर्भस्थ बच्चा आवरित रहता है। बच्चे के जन्म के समय वह भी बच्चे के साथ बाहर आ जाती है। यह पॉलीथिन की थैली की तरह पारदर्शी, लिजलिजी, रक्त और पानी के मिश्रण से तर और देखने में घृणित होती है। सामान्यतः इसे आंवर या नाल और ज़ेर कहते हैं। 

इस नाल को तान्त्रिक साधना में बहुत महत्व प्राप्त है। सभी प्रकार की नाल का उपयोग बन्ध्यत्व ग्रस्त अथवा मृतवत्सा स्त्रियों के लिए परम हितकर माना गया है वो एक अलग तंत्र  प्रयोग है जिसकी बात फिर कभी की जाएगी वैसे, अन्य पशुओं की नाल के भी विविध उपयोग होते हैं। विषय विस्तार न हो, इसलिए यहां केवल मार्जारी (बिल्ली) की नाल का ही तान्त्रिक प्रयोग लिखा जा रहा है। जिन्हें सुलभ हो, इसका उपयोग कर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।

प्रयोग इस प्रकार है-पालतू बिल्ली पर निगाह रखें। जब उसका प्रसव काल निकट हो, उसके लिए रहने और खाने की ऐसी व्यवस्था करें कि वह आपके कमरे में ही बनी रहे। यह कुछ कठिन कार्य नहीं है, प्रेमपूर्वक पालतू बनाई गई बिल्लियां तो मालिक की कुर्सी, बिस्तर अथवा गोद में बैठी रहती हैं। उस पर बराबर निगाह रखें। जिस समय वह बच्चों को जन्म दे रही हो, सावधानी से उसकी रखवाली करें। बच्चों के जन्म के तुरन्त बाद ही उसके पेट से नाल (झिल्ली) निकलती है, प्रायः बिल्ली उसे खा जाती है। विरले ही उसे प्राप्त कर सकते हैं।

उपाय - जैसे ही बिल्ली के पेट से नाल बाहर आए, उस पर कोई बड़ा कपड़ा, कम्बल, टाट ,चादर अथवा धान की भूसी उसपर फेंक दें। आशय यह है कि उसे ढक दें। ढ़क जाने पर बिल्ली उस तुरन्त खा नही सकेगी। चूंकि प्रसव पीड़ा के कारण वह कुछ शिथिल भी रहती है, इसलिए तेजी से झपट भी नहीं सकती। जैसे भी हो, प्रसव के बाद उसकी नाल को उठा लेना चाहिए। 

फिर उसे धूप में सुखाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। धूप में सुखाते समय भी सावधानी रखें। नहीं तो चील-कौए उसको उठाकर ले जाएंगे। तेज धूप में दो-तीन दिनों तक रखने से वह चमड़े की तरह सूख जाएगी। 

सूख जाने पर उसके चौकोर टुकड़े कर लें और उन पर हल्दी लगाकर रख दें। हल्दी का चूर्ण अथवा लेप कुछ भी लगाया जा सकता है। यदि लेप लगाया है, तो उसे फिर से सुखा लेना चाहिए। इस प्रकार हल्दी लगाया हुआ बिल्ली की नाल का टुकड़ा लक्ष्मी तन्त्र का अचूक घटक होता है।

तन्त्र साधना के लिए किसी शुभ मूहूर्त में, स्नान-पूजा करके शुद्ध स्थान पर बैठ जाए और हल्दी लगा हुआ नाल का एक सूखा हुआ टुकड़ा बाएं हाथ में लेकर मुट्ठी बन्द कर लें और लक्ष्मी, रुपया, सोना, चांदी अथवा किसी आभूषण का ध्यान करते हुए अपने सामने किसी लकड़ी की पटरी पर लाल कपड़ा बिछा कर उसपर रखकर इसकी धूफ डीप फल फूल पान मिठाई अक्षत हल्दी कुमकुम सिन्दूर गंध चंदन से पूजा करें 

इस नाल को जाग्रत करने के लिए सभी के अपने अपने अलग तरीके हैं एक मन्त्र यहाँ दे रहा हूँ। उसके बाद चंदन की माला से 5 माला 

यह मन्त्र जपें:- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं परा परमेश्वरि धन लक्ष्मी ममवांछित धनं देहि देहि स्वाहा।' 

इसके पश्चात उसे माथे से लगाकर अपने सन्दूक, अलमारी,पूजन स्थान, तिजोरी अथवा बैग जहां भी रुपये-पैसे, जैवर रखते हों, इसे वहीं रख दें। 

कुछ ही समय बाद आश्चर्यजनक रूप से श्री सम्पत्ति की वृद्धि होने लगती है। इस नाल-तन्त्र का प्रभाव विशेष रूप से धातु-लाभ (सोना-चांदी की प्राप्ति) कराता है।

यदि किसी के पास ऐसी नाल हो, तो वह उसका एक टुकड़ा किसी अन्य व्यक्ति को देकर उसे भी समृद्धि का मार्ग बना सकता है। 

तान्त्रिक सिद्धियाँ और मार्जरी तन्त्र:-
 जो साधक तंत्र के क्षेत्र में अभी नए है और एक सफल तांत्रिक बनना चाहते हैं जो चाहते हैं कि उनकी कोई साधना फेल न जाये तो निम्नलिखित कार्य करें। 

बरसेगा अकस्मात धन आपके जीवन में:-
किसी भी त्यौहार या पर्व पर उत्तम मुहूर्त देखकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर घर के किसी एकांत स्थान पर आम की लकड़ी से बनी हुई पटरी पर लाल वस्त्र बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठे और उस पर माता मातंगी का चित्र अथवा यन्त्र स्थापित करें और  वहां पर एक टुकड़ा चौकोर बिल्ली की नाल का काट कर रखें उसपर हल्दी और अक्षत चढ़ाकर चांदी के ताबीज़ /यन्त्र में भर लें रखें फिर उस पर देवी का आवाहन तथा स्थापन करें और तदन्तर धूफ दीप प्रज्वलित कर सामान्य पूजन करें पूजन कार्य में लाल रंग के फूलों का और पूजन सामग्री का प्रयोग करें लाल वस्त्र पहने और लाल ही आसन का प्रयोग करें जाप माला लाल चंदन अथवा मूंगे लाल हक़ीक़ अथवा कुमकुम की 108 दाने वाली होनी चाहिए ।

फिर शांत चित्त होकर 110 माला निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

यकीन मानिए इसके उपरांत या यंत्र दैवीय ऊर्जा से संपन्न हो जाएगा इसके धारण करने के उपरांत साधक जो जो कार्य करेगा जिस जिस साधना के लिए बैठेगा वह सभी कार्य साधक बड़ी आसानी से सफलता पूर्वक सिद्ध कर लेगा। जिन साधनाओं को करने में साधकों को बहुत कठिनाई आती है उन साधनाओं को यन्त्र धारण करने के बाद आप आसानी से ही सम्पन्न कर लेंगे। आपको बड़े-बड़े स्तोत्र पाठ इत्यादि आसानी से कंठ हो जाएंगे आप कभी विद्या को भूलोगे नहीं और सभी कुछ कंठ होगा सभी स्त्री पुरूष आप की तरफ आकर्षित हो जाएंगे अज्ञात स्रोतों से धनलाभ आपको आकस्मिक रूप से होने लगेगा।

बहुत जल्द उत्तम वर प्राप्ति:-
बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग इतना जबरदस्त है लेकिन बहुत सारे भाई बहन इसके पूर्ण प्रयोग से वाकिफ नही हैं हालांकि इसके बहुत सारे लाभदायक प्रयोग है जोकि कभी असफल नही होते। उक्त प्रयोग की ही तरह ये प्रयोग तब किया जाता है जब किसी लड़के अथवा लड़की का रिश्ता न आता हो या शादी ना होती हो तो ये बहुत लाभकारक होता है और कभी भी फेल नही होता हालांकि अपनी पालतू बिल्ली की खुद हासिल की हुई ज़ेर के प्रयोग कभी असफल नही होते लेकिन बाजार में मिलने वाली बिल्ली की ज़ेर के असली होने में संदेह रहता है इसके परिणाम भी कोई प्रमाणित नही होते अब बात करते है इस प्रयोग की किसी शुभ मुहूर्त में स्नान इत्यादि से निवर्त होकर पूर्वाभिमुख बैठकर अपने सामने आम की लकड़ी के पटड़े पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर माता मातंगी का यन्त्र अथवा चित्र स्थापित करें उसके सामने काली बिल्ली की ज़ेर का एक चौकोर टुकड़ा काट लें और फिर धूफ दीप प्रज्वलित कर लाल रंग के पूजन द्रव्य द्वारा पूजा करे उसके उपरांत उसे चांदी के एक यंत्र में भर लें 
तथा निम्नलिखित मन्त्र का 11000 जाप करें 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

फिर जिस लड़की या लड़के की शादी ना होती हो उसे पहना दें बहुत जल्दी आपको इसका परिणाम देखने को मिल जाएगा।

नौकरी मिलने और कारोबार चलने के लिए:-
जिस किसी व्यक्ति को नौकरी ना मिलती हो या जिसका कारोबार ठप्प पड़ गया हो वो भी उक्त विधि द्वारा लाल पूजन पदार्थों से देवी माता मातंगी का पूजन करके एक टुकड़ा बिल्ली की ज़ेर का चांदी के यंत्र में डाल कर कंठ में धारण करे तो नौकरी की इच्छा रखने वाले को नौकरी और ठप्प व्यापार वाले व्यक्ति का अतिशीघ्र ही भाग्योदय हो कर उत्तम आजीविका की प्राप्ति होती है। 

पदौन्नति के लिए के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है इसके इलावा जिस पति पत्नी में आपस में किसी गलतफहमी के चलते मनमोटाव हो गया हो या आपस से कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ाई झगड़ा होता हो तो उक्त विधि के अनुसार मातंगी मंत्र का जाप करते हुए दो यन्त्रो का निर्माण करने के बाद दोनों को धारण करवाना चाहिए झगड़ा होना बंद हो जाएगा।

वशीकरण करे अचूक :- उक्त विधि के अनुसार ही पूजन करने के अनुसार एक चांदी की डिब्बी में हनुमान जी वाला सिन्दूर लेकर अपने सामने रखें और 11000 मंत्र का जाप करें तो ये सिन्दूर मन्त्र के प्रभाव से दैवीय शक्ति से संपन्न हो जाएगा ।

 साक्षात्कार के समय :- ललाट पर तिलक लगाकर व्यक्ति विशेष का ध्यान करते हुए उसके सामने जाएं अथवा सभा के मध्य जाएं सम्मोहन होगा और सभी साधक के वशीभूत हो जाएंगे।

परीक्षा में पास होने के लिए:-जो कोई विद्यार्थी परीक्षा में बार बार फेल हो जाता हो और तन्मयता से पढ़ाई करता हो लेकिन उसके उपरांत भी परीक्षा में असफल रह जाता हो तो उपरोक्त विधियों की ही तरह पूजन करें तथा बिल्ली की नाल के चौकोर टुकड़े पर ऐं बीज अनार की कलम द्वारा कुमकुम से लिखें फिर पूजन और जाप के उपरांत चांदी के यन्त्र में भरकर बच्चे के गले में डाल दें 100% निसंदेह परीक्षार्थी का परिश्रम खाली नही जाएगा।  
तकरीबन तकरीबन 20 से 30 प्रकार से ये बिल्ली की ज़ेर प्रयोग में लायी जाती है यहां तक कि कुछ एक सिद्धियों को प्राप्त करने में भी इसका प्रयोग होता है जैसे कि हाज़िरात में भी होता है कुछ दो चार उपाय आपको मैने ऊपर बताये हैं बाकी फिर कभी आपको बताऊंगा। आशा करता हूँ कि आपको ये जानकारी आपके जीवन में कहीं न कहीं मददगार साबित होगी 

ये बात विशेष रूप से याद रखें कि यदि इन प्रयोगों को करने के बाद आप प्रयास नही करते तो इन सभी वस्तुओं का कोई प्रभाव नही होता इस लिए जिस कार्य के निम्मित आप कोई भी तांत्रिक उपाय करो उसके साथ साथ आपको भौतिक प्रयास भी करने पड़ते हैं यदि कोई ये सोचे कि घर में बैठकर खाली तांत्रिक उपाय करें लेकिन खुद प्रयास न करे तो कोई लाभ नही मिलेगा

🙌 माता आदि शक्ति की कृपा आप पर रहे मेरी शुभ कामनाएं आपका कल्याण हो।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

जल मसानी


।।जल मसानी की साधना।।
(जल मसानी की ताकत से कट्टर भूत प्रेत को समाप्त करना।)
क्या आपको पता है जैसे जमीन पर मसानी होती है वैसे ही जल की भी मसानी होती है जिसको जल मसाणी बोला जाता है और यह बहुत शक्तिशाली और जबरदस्त मसानी होती है सभी जल प्रेत जल मसाण जल दैत्य इन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

लेकिन माता दरियाई काली की दूहाई देने से ये जल्दी ही साधक पर प्रसन्न हो जाती हैं। जब कोई स्याना ओझा तांत्रिक जो इस इल्म से वाकिफ होता है वो किसी भी कट्टर से कट्टर भूत प्रेत जिन्न खवीस को जब भी उतरेगा तो इन्हें भोग देकर इन्ही की पकड़ में देगा और फिर ये आगे उस शैतान को ख्वाजा खिजर के हवाले उनकी जेल में दे देगी जिसके कारण वो समान यही पकड़ी गई आत्मा दोबारा नही छूट पाएगी फिर न वो आत्मा छूटेगी और ना ही मरीज़ दोबारा परेशान होगा क्योंकि बहुत बार ऐसा देखा गया है बहुत सारे मरीज अपना इलाज अवश्य करवाते है कुछ देर के लिए तो वो ठीक हो जाते हैं किंतु कुछ समय के बाद वो शक्ति दोबारा वापिस आकर मरीज़ को परेशान करती है 

तो अगर कोई ऐसे मरीजों का इलाज करता हो तो उसके लिए ये साधना बहूत महत्वपूर्ण है उनके द्वारा किया गया कोई इलाज फेल नही होगा। और दूसरी बात ये है कि इसके फायदे मैं गिनवा नही सकता लेकिन कुछ एक फायदे यहां बताता हूँ।

साधना संपन्न होने के बाद साधक में ऐसी शक्ति आ जाती है जिससे वह किसी भी कट्टर से कट्टर भूत प्रेत और दुष्ट शक्ति को पकड़कर जल मसानी द्वारा ख्वाजा जी की जेल में भेज सकता है और किसी भी दुष्ट तांत्रिक की किसी भी शक्ति को पकड़कर ख्वाजा जी के हवाले कर सकता है वह शक्ति जीवन भर छूटेगी नहीं।

देवी लॉटरी सट्टे के नम्बर साधक को देती है।

साधक को आगम समझ आने लग जाता है ये देवी पीरों फकीरो और अपर देवी देवताओं के दर्शन करवाती हैं।

साधक के दुश्मनों के हालात गए गुजरे फकीरों वाले हो जाते है और अपने अंत को प्राप्त होते हैं।

कोई भी भूत प्रेत बाधा का रोगी साधक के जाते ही चीखने चिल्लाने लग जाता है और उसके ऊपर की अला बला बोलने लग जाती है। और साधक का हर कहा मानने पर बाध्य हो जाती है।

हालांकि इसकी दरियाई काली और जल मसानी के विषय में जानने वाले बहुत कम लोग बचे हैं जो कि एक सुलेमानी काला इल्म है यह साधनायें इस प्रकार की होती है जो कि साबर मंत्रों की भांति बहुत जल्दी ही सिद्ध हो जाती है बल्कि ये कहा जाए कि ये साबर मंत्र का एक स्वरूप है तो गलत नही होगा।

लेकिन अगर किसी गुरु का हाथ साधक के सर पर ना हो तो इस साधना के द्वारा पैदा होने वाली गर्माईश से बहुत जल्दी इनका साधक पागल भी हो सकता है क्योंकि इससे जल्दी ही बहुत ज्यादा ऊर्जा उठती है इसलिए इसको बिना गुरु के झेल पाना मुश्किल होता है।

ये साधनायें ग्रहस्थ साधकों के लिए नही है लेकिन वो जो ग्रहस्थ होते हुये भी तटस्थ हैं और परहितकर कार्यों में लगे रहते हैं उनके लिए ये साधना प्रयुक्त है।

इस साधना की अविधि पूरे 41 दिनों की है।

साधना का समय मध्यरात्रि है ये साधना पूरे 12 बजे से शुरू की जाती है।

ये साधना किसी एकांत निर्जन जन शून्य स्थान पर नदी दरया कुवें अथवा निरंतर बहते जल स्रोत के किनारे काले रंग के वस्त्र धारण कर के ये साधना करें माला काले हक़ीक़ की होनी चाहिए।

पूर्वाभिमुख होकर कुशा आसन पर बैठकर अपना रक्षा घेरा लगाने के बाद की जाती है ।

अपने सामने कुछ जमीन की सफाई कर कर सवा हाथ का चौका गोल लगा लें फिर उसके ऊपर सरसों के तेल का 4 मुंह वाला दिया जलाएं और माता हेतु प्रतिदिन 11 पूड़े 11 गुलगुले एक मीठा पान नारियल पानी वाला एक चुनरी लपेटकर सृंगार एक शराब का पव्वा हलवा 7-7 लौंग इलायची औए सेंट और 2 देसी गुलाब के फूल हनुमान जी वाला सिन्दूर भोग धरें 

(हलवा पूड़े और गुलगुले सरसों के तेल गुड़ और गेहूं के आटे से खुद बनाएं।वहां पर गोबर के कंडे की आग पर गुग्गल की धूनी निरंतर जाप समाप्त होने तक चलती रहे। वहां बैठकर 11 माला जाप प्रतिदिन करें

इस साधना को बीच में कभी नही छोड़ना चाहिए वरना किसी बड़े नुकसान का अंदेशा रहता है

साधना के दूसरे तीसरे दिन ही अचानक हवा की हरकत होना साधक को समझ आने लग जाता है और धीरे-धीरे एक-एक दिन बीतने के बाद यह सभी घटनाएं बढ़ती जाती है फिर अलग-अलग प्रकार के डरावने चेहरे और आकृतियां साधक को दिखाई देने लग जाती हैं लेकिन उसकी तरफ नही देखना अपना काम करना है। कमजोर दिल के मरीज या बीमार इसको न करें।



बिस्मिल्लाह रहमान रहीम
जिंदा ख़्वाजा खिज़र सलाम।
अर्ज़ करां मैं तेरा गुलाम।।
जागो हनुमंत। जागो नरसिंह ।।
जागें बावन वीर । छप्पन कल्वे वीर  ।।
आन पड़े ख़्वाज़े ख़िज़्र की ।
झट्ट जागो जल की माता मसानी।।
मेरा कारज रास कराणी ।
भूत को, प्रेत को, जिन्न को, खवीस को,
डाकिनी को, चुड़ैल को, मढ़ी को, मसाण को,
कल्वे को, कचील को, लग्गी को, लगाई को, 
भेजी की, भिजाई को, बन्न बन्न हत्था हथकड़ी।
पैरीं बेडियां गल्ल विच फन्दा पा।।
जल भैरों थल भैरों खिच्च लिआ।
जागो जल की मात मसानी।।
जो मंगा सो ले ले आणि।
जो जो तेनु देवां बन्न के।
ख़िज़्र सलाम नु दे आनी।
संग चले माँ कालका।
चले खप्पर खेत चलाये।
आन शिव भोलेपार्वती दी।
नौ नाथ चौरासी सिद्धां दी।
आज ख़िज़्र ख़्वाज़े दी।
दुहाई गुरु उस्ताद दी।






बुधवार, 28 सितंबर 2022

माता फूलमती भवानी कृपा प्रप्ति।


माता फूलमती भवानी सिद्धि।

पूर्वांचल में सातों बहिन देवियों का नाम बहुत ही गर्व से लिया जाता है तथा शक्ति की पूजा सर्वाधिक की जाती है वहीं एक वस्तु बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है कि भगति में बहुत अधिक पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं होता ये तो पराकाष्ठा होती है स्नेह और समर्पण की और व्यहार परिपक्वता की समर्पण की भावना साधक को भक्ति के चरम पर ले जाती है और व्यवहार परिपक्व होने पर साधक बुरे से बुरे समय में भी मार नहीं खाता ये दो गुण ही भगति का आधार बनते हैं और साधक को पार लगा देते हैं।

मुख्यतः काली और शीतला की पूजा अधिक क जाती है
और जिनके घरों में माता चमरिया भवानी पूर्वी भवानी फूलमती भवानी कोढिन माता आकाश कामनी माता परमेश्वरी माता सायर के स्वरूप में पूजा बहुतायत में की जाती है उसमें से कोई ना कोई देवी किसी ना किसी घर की पूजयमान होती हैं।

प्रत्येक देवी में अपनी अपनी शक्ति और अपने अपने गुण होते हैं धनधान्य बढ़ाने वाली ऐसी देवियां मां आदिशक्ति दुर्गा का ही सभी स्वरूप हैं हां इनमें गुण का अंतर हो सकता है देवी का स्वरूप वही होता है भगत अपनी श्रद्धा के अनुसार इनको सात्विक तामसिक भोग लगाते हैं जैसा जिसके घर में जो देवी पूज्य मान है वैसा ही उनको भोग लगाया जाता है।

यह शक्तियां क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग स्वरूप में पूजी जाती हैं चित्र के हिसाब से ही इनके नाम और इनका भोग और पूजन विधान बदल जाता है साल की शक्ति और भक्ति के अनुसार उसकी श्रद्धा के अनुसार उसके कार्य भी यह देवियां करती हैं।

यदि साधक का अपने इष्ट के प्रति दृढ़ विश्वास और सच्ची श्रद्धा हो तो कार्य अपने आप होने लग जाते हैं हां इन चीजों को साधने में समय अवश्य लगता है यह शक्ति के स्वरूप हैं अपरशक्ति होने के कारण साधक को इसे साधने में ज्यादा समय लगना आम सी बात है।

यहाँ मैं आपको फूलमती माता का एक ऐसा मंत्र बता रहा हूँ जो कि परीक्षित है और काम करता है आपके थोड़े से परिश्र्म की आवश्यकता होगी ये मंत्र आपको अवश्य लाभ देगा।
इस मन्त्र की साधना पूर्ण विधिविधान पूर्वक सच्चे मन से नवरात्रि  में करे 
फूलमती माता की इस साधना में जो सामग्री लगती है वो नीचे बता दी गई है
इस में मुख्य बात ये होती है कि घर के किसी भी शांत स्थान पर ज़मीन पे सवा हाथ का गोल चौंक लगाकर उसपर देवी के लिए 21 छोटे छोटे दीपक धरें फिर वहां गाय के उपले की आग पर देसी घी और गुड़ की अगियारी प्रतिदिन करें 
निम्न मंत्र को एक एक माला बार शुबह शाम को जप करें 
सात प्रकार की मिठाई और अनार या अड़हुल के फूल,सृंगार ,अत्तर, नारियल लपसी(हलवा) पूरी ,नौ दिनों में अंतिम दिन चढ़ा देने चाहिए 

नित्य सबूत पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर दो जायफल और एक हरा नीबू काटकर उसपर कुमकुम लगाकर उसे देवी के आगे रखें।

प्रतिदिन पहिले देवी का फल फूल पान मिठाई चन्दन चावल धूफ दीप नैवैद्य से माता की पूजा करे 

उसके बाद फुलमती माता का मंत्र का जप करे 

गाँव के पच्छिम पीपरा के गाछ।
तापर ठाड़े करो सिंगार।
बत्तीस हाथ फूलमती भवानी ।
बांध बांध पर गुण बांध।
बांध भैंसासुर भूत मसाण।
बांधो टोनही।
बांधो गुनिया।
बांध डाकिनी।
बांध स्यारी।
बांधो ब्रह्म पिशाच।
माया तेरी गुण अपार।
आन गुण छुड़ाओ।
आपन गुण लगाओ।
दुहाई ईश्वर भोलेनाथ की।
दुहाई माता सातों बहिन भवानी की।
दुहाई हनुमन्त वीर की। 
दुहाई नरसिंग वीर की।
दुहाई बाबा भैरों की।

आपका कल्याण हो 🙌

सोमवार, 19 सितंबर 2022

भूत भविष्य वर्तमान तीनों का आपको होगा ज्ञान।

माता मैदानन से पूछा लेना।

अक्सर लोग भूत भविष्य वर्तमान को जानने की साधनाये खोजते है। और भिन्न भिन्न प्रकार की साधनाये करते भी है ये बहुत आवश्यक है कि यदि कोई व्यक्ति समस्याग्रस्त आपके पास आता है तो आपको उसकी समस्या के बारे में सही सही पता होना चाहिए ।

यदि आप साधनाये करने के शौकीन हैं और आपके अंदर ज्ञान की पिपासा है तो ये साधना आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।

अगर आप साधना के क्षेत्र में नए हैं या आप कोई ऐसी साधना करना चाहते हैं जिस से आपको आपने पास आने वाले मरीज़ अथवा याचक की समस्या और उसके मानो भावों के बारे में पता चल जाये जाए तो इलाज़ करना और भी आसान हो जाता है ।

माता मैदानन चौगनन ऐसी भोली देवी है जो अपने भगतों पर  अति शीघ्र प्रसन्न हो जाती है। शीघ्र प्रसन्न होने के कारण इनका आशीर्वाद साधक को बाकी शक्तियों के अपेक्षा कृत जल्दी प्राप्त हो जाता है।

       बहुत प्रकार की साधनायें टोटके और यंत्र मंत्र तंत्र है जिनकी साधना करने से साधक को उसके पास आये हुए व्यक्ति की समस्या के बारे सही सही पता चल जाता है।
और यह देवी उस समस्या का उपाय भी बताती हैं जिससे आपको पीड़ित का इलाज करने में बहुत मदद मिलती है।

आपके पास आये हुये व्यक्ति को क्या समस्या है क्यों है कब ठीक होगी अथवा होगी या नही होगी कितने समय में होगी ये सभी कुछ साधक को पता चल जाता है। जिसने देखने वालों में आपके प्रति आस्था और अधिक सुदृढ़ होती है।

विज्ञान के इस युग में जहां मानव समाज आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है वहीं पर अपनी मौलिकता को छोड़ता जा रहा है।
आज धर्म को आवश्यकता है नये सफल और परोपकारी साधुओं की संतो की हालांकि धार्मिकता के चरम को छू पाना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं 

सनातन धर्म में आज की नई पीढ़ी को रूचि रखते हुए ज्ञान अर्जित करना चाहिए और परहित को ध्यान में रखते हुए सनातन धर्म की सेवा करनी चाहिये।

इसी उद्देश्य के साथ आपको मैं ये आतिगुप्त गुरमुखि साधना प्रदान कर रहा हूँ ताकि आप इस साधना को तन्मयता से करें और जीवन में अपने माता पिता और गुरुजनों का नाम ऊंचा करें।

साधना 21 दिनों की है।

सभी गृहस्थी स्त्री और पुरष इस साधना को स्वच्छता का ध्यान रखते हुए करने के लिए स्वतंत्र है।

साधना के मंत्र जाप को आप घर में कर सकते हैं।

किसी भी पर्व अथवा किसी भी कृष्ण पक्ष के प्रथम मंगलवार से ये साधना शुरू की जा सकती है।

साधना शुरू करने के एक दिन पहले रात को किसी पात्र में पानी में डाल दें और फिर एक मुट्ठी गेंहू माता मैदानन चौगनन के नाम से उस बर्तन में डालें और दूसरे दिन सुबह 
जाते समय उस गेंहू को पात्र में से निकालकर उसमें थोड़ा सा तेल सरसों का डाल कर मिला लें और  7 गुड़ की डलियां उसमें डालें।

माता मैदानन चौगनन की साधना उनके मंदिर/ थान ,चौराहे, या खाली मैदानन मैं की जा सकती है 
यदि चौराहा अथवा माता जी का मंदिर अथवा थान आपके आस पास ना हो तो आप 2 अथवा 5 नई ईंटे लेकर उन्हें खाली मैदान में जहां पर किसी व्यक्ति को आपत्ति ना हो वहाँ पर माता जी का स्वरूप मान कर स्थापित कर सकते है (उन इंटो को जमीन पर स्थापित करें फिर कच्ची लस्सी जिसमें कुछ अक्षत और मीठा मिला हो से सींचे फिर उसपर हल्दी चंदन अथवा सिंदूर का टीका लगाएं,फिर वहां पर धूफ दीप प्रज्वलित करें तदन्तर वो एक मुट्ठी गेंहू जिसमें आपने थोड़ा सा सरदों का तेल और गुड़ की सात छोटी छोटी डलियां मिलाई हो ,2 बूंदी वाले लड्डु,2 लौंग सबूत,2 छोटी इलायची,2 टुकड़े मौली/कलावा के माता जी के थान पर अर्पित करें और हाथ जोड़ कर माता जी का आवाहन करें 

याद रहे इस प्रयोग में बढ़िया वाला इत्तर रूई की छोटी सी 2 गोली बनाकर एक माता को चढ़ावे एक अपने माथे से लगावें फिर जो रूई की इत्तर वाली गोली आपने माता जी के पास रखी है उसको अपने बाये कान के ऊपर एक स्थान होता है उसमें  टांग लें और दूसरी गोली माता जी पर चढ़ा दें। और घर वापिस आ जाएं।

रात्रि में आपको काली माला से पूर्वाभिमुख होकर रक्षा मंत्र की एक माला जाप करके अपने शरीर पर 3 बार फूंक मारनी है फिर निम्न मंत्र का 21 माला जाप करना है।

इसी प्रकार आपको 21 दिन यह साधना करनी है आपको सपने में तीसरे दिन अनुभव होने शुरू हो जाएंगे यदि माता सामने आए तो डरे नहीं दंडवत प्रणाम करें और मात्र उनका आशीर्वाद मांगे भटक कर लालच में ना पड़े या कोई अनुचित वर ना मांगे ताकि आपको भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।

आप अपने हिसाब से रक्षा मंत्र प्रयोग कर सकते है यदि कोई रक्षा मंत्र आपके पास न हो तो निम्नलिखित मंत्र का प्रयोग करें।

रक्षा मंत्र:-
आयतल कुर्सी कच्छ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान धड़ रखे खुदा सिर रखे सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली की दुहाई

मन्त्र:-

ॐ गुरु जी।
मैदान की मैदानन जाग
चौगान की चौगनन जाग
जाग जाग हे माई मसानी
अपनी कला संग जाग
तूं जाने खबर जहान की
चार कुंठ के भेद बता
तेनु कसम है 
तेरे गुरु उस्ताद की।


इस बात की विशेष तौर पर ध्यान रखें यह मंत्र जागृत हैं और शीघ्र ही कार्य करते हैं जब देवी जागृत होती हैं तो बहुत सारी ऊर्जा उठती है इसके लिए आपको एक सावधानी विशेष बरतनी है कि बिना गुरु के या प्रयोग ना करें।

शुभ आशीर्वाद कल्याणमस्तु  🙏





शनिवार, 17 सितंबर 2022

पिङ्गल अघोरी सिद्धि मन्त्र

पिङ्गल अघोरी सिद्धि मन्त्र।


यह साधना कई बार की परीक्षित साधना है और जिन से यह मंत्र प्राप्त हुआ है मुझे वह इसी मंत्र द्वारा बहुत सारे कार्यों को करते हैं। और लोगों का इलाज करने का कार्य करते हैं।

अक्सर जब मूड होता है तो वह लॉटरी सट्टा का नंबर भी बताते है उनका वचन जल्दी खाली नहीं जाता लेकिन बहुत वृद्ध होने के कारण बहुत कम ही बोलते हैं ।

ऐसे महात्मा लोग अब कम ही बचे हैं अक्सर बड़बोले किस्म के महात्मा बहुत ज्यादा है ।

यदि कोई व्यक्ति यह चाहे कि एक ही मंत्र द्वारा उस पर किसी व्यक्ति विशेष की कृपा भी हो जाए और उसकी सभी मुसीबतों का हल भी निकल आए और उस साधना को करते हुए उसे किसी प्रकार की दिक्कत का सामना भी ना करना पड़े तो मैं आज आपके लिए पिंगल अघोरी की साधना लाया हूं ।

पिंगल अघोरी जिनका नाम ही काफी है बाबा मंसाराम अघोरी के बाद इन्हीं का नाम प्रमुख अघोरियों में आता है और इनकी बहुत प्रकार से पूजा की जाती है एक क्षेत्र विशेष में इनकी सिद्धि भी की जाती है धीरे-धीरे यह साधना युक्त हो जा रही हैं इसलिए आज मैं आपको इनका मंत्र और उसको सिद्ध करने की विधि यहां बताने जा रहा हूं सबसे पहली बात यह है कि इस साधना में ब्रह्मचर्य को छोड़कर कोई परहेज नहीं है दूसरी बात यह है कि साधक इसे अपनी मर्जी के अनुसार सात्विक किया तामसिक रूप से कर सकता है।

यह साधना 21 दिन की है।
ये साधना घर पर की जा सकती है घर के किसी एकांत स्थल पर इस साधना को आराम से किया जा सकता है और इस शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

इनकी पूजा जमीन पर ही की जाती है सवा हाथ जमीन पर गाय के गोबर का गोल चौका लगाकर उस पर एक सरसों के तेल का दिया जलाएं और वहां घी और गुड़ से गोबर के कंडे पर धूप भी दें एक जल का पात्र वहां रखें गांजे की चिलम या सिगरेट चढ़ाएं फल फूल पान मिठाई लौंग इलाइची गरी गोला चढ़ाएं तथा मंत्र जाप करते हुए गोबर के कंडे की आग पर थोड़ा थोड़ा देसी घी और गुड़ डालते जाएं।

साधना के दौरान काले आसन काले वस्त्रों का प्रयोग करें फिर बाबा पिंगल अघोरी का एकाग्र चित्त मन से ध्यान करते हुए कमल के आसन पर पूर्वा विमुख होकर पांच माला इस मंत्र की प्रतिदिन आप जपे ।

मंत्र जाप शुरू करने से पहले सुरक्षा मंत्र द्वारा अपने शरीर को रक्षित करें ताकि आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो

 यदि आप सात्विक साधना करना चाहते हैं तो फल फूल पान मिठाई और सिगरेट से काम चल जाएगा ।
 
और यदि आप तामसिक साधना करना चाहते हैं तो आप तो वहां बाबा पिंगल अघोरी के निमित्त एक देसी अंडा,एक पेग देसी शराब सात पीस बकरे की कलेजी के जिनके ऊपर सिंदूर द्वारा आपको एक एक टीका लगाना है और जाप के उपरांत उस कलेजी को बाबा पिंगल अघोरी के नाम से सुनसान स्थान पर रखकर आना है ।

वापस घर आकर भूमि पर चुपचाप सो जाना है इसी प्रकार आपको 21 दिन करना है।

फिर 2 दिन गुजर जाने के बाद तीसरे दिन आपको प्रतिदिन स्वप्न द्वारा अनुभव होने शुरू हो जाएंगे एक हफ्ते में आपको इस प्रकार लगेगा जैसे कि आपकी नजरों के सामने से कोई गुजरा है और यदि ध्यान से चिंतन करेंगे तो इनकी लंबाई कम से कम 12 फीट होगी । आजकल के भाग दौड़ वाले जीवन में जब कोई साधना करता है तो चलती फिरती साधना करता है तो ऐसे में किसी भी शक्ति के प्रत्यक्ष दर्शन होना कठिन होता है किंतु असंभव नहीं है।

अगर किसी की नजर चलती हो तो उसको सिद्धियों में बहुत सारी सहायता मिल जाती है यह देखने में किस देवता सिद्ध हुआ या नहीं हुआ क्योंकि अंधे के सामने चाहे हजार दिए जला दो लेकिन उसको अंधेरा ही दिखेगा इसलिए अपने अभ्यास द्वारा अपने मूलाधार सहित सभी चक्रों को एक्टिवेट करें।

जब आपकी साधना से प्रसन्न होकर पिंगल अघोरी बाबा आपके सामने आए तो आप डरे नहीं उनसे प्रणाम करके सिर्फ उनका आशीर्वाद मांग ले लेकिन याद रहे लालच में आकर कोई अन्य वस्तु ना मांगे।

इस प्रकार बाबा का आशीर्वाद आप के ऊपर सारी उम्र बना रहेगा आपके प्रत्येक काम में बाबा पिंगल अघोरी आपकी मदद करेंगे और आपके घर में से प्रत्येक बाधा दूर होकर खुशहाल जीवन की प्राप्ति होगी इस मंत्र द्वारा आप भूत प्रेत ग्रसित रोगियों का झाड़ा लगा सकते हैं उनके भूत प्रेत को उनके ऊपर हाजिर करके उनसे वचन ले सकते हैं उन्हें बांध सकते हैं और इसी मंत्र द्वारा आप तागा दे सकते हैं मरीज को यानी इस मंत्र द्वारा बहुत सारे काम किए जा सकते हैं जो कि साधक के ऊपर निर्भर करते हैं 

एक और विशेष बात है जवाब किसी मरीज का इलाज करें चाहे वह इनके मंत्र द्वारा करें यह किसी भी देवता के मंत्र द्वारा करें यदि आपने यह सिधि की होगी तो आप जिस जिस मरीज का इलाज करेंगे बाबा पिंगल अघोरी के आशीर्वाद से  वह इलाज फेल नही होगा जिसका इलाज आप एक बार कर दोगे दोबारा उसको तकलीफ नहीं होगी

अब मंत्र नीचे दिया जा रहा है साधना से पहले आप इस मंत्र को कंठ कर ले ताकि आपको साधना करने में कोई परेशानी ना हो मेरा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है आशा करता हूं इस साधना द्वारा आपके जीवन की परेशानियां समाप्त होंगी और आपका परिवार और आप खुश रहेंगे 

ॐ गुरु जी
इंगल घोरी 
पिंगल घोरी ,
घोरी वीर बलवान 
हथ विच चिमटा 
मोढे बगली 
सदा रहे शमशान 
नौ सौ भूत अग्गे चले
नौ सौ भूत पिच्छे चले
भूतां प्रेतां नु बन्न
जिन्न ते खवीस बन्न
मैली कुचैली बन्न 
चौंकी चढ़ाई बन्न 
अस्सी मसाण बन्न
दुहाई माता भद्रकाली दी 
दुहाई बाबा काले भैरों दी।
दोहाई गुरू उस्ताद दी



ढेर सारा आशीर्वाद कल्याणमस्तु  🙌

रविवार, 14 अगस्त 2022

मुखबिर जिन्न

   मुखबिर जिन्न को हाजिर करना।     
 "अगर देख सकोगे तो ही कर सकोगे"

मित्रों तंत्र मंत्र के क्षेत्र में दूर दूर के देश विदेश की खैर खबर मंगवाने के अलग अलग शक्तियों से कार्य करवाया जाता है बहुत से देवी देवता हाज़िरी हाज़िरात और दूसरी शक्तियों को अनुकूल करके ये सभी कार्य करवाये जाते हैं। 

वहीं अगर जिन्नों की बात करें तो ये भी बहुत शक्तिशाली होते है लेकिन जो कहने सुनने में बातें आतीं है और सुनने वालों को जितनी चटपटी लगतीं है हकीकत बहुत विभिन्न होती है।

कोई शक्ति आप के काबू में आकर क्यों आपके लिए काम करेगी क्या वो आपसे रूहानियत या ताकत में कमज़ोर है या आप के द्वारा दिए जाने वाले भोग के बिना भूखा मरे जा था है बहुत बार ये देखा जाता है कि कोई भी साधना शुरू करने से पहले आपको उस साधना के विषय में जितनी जानकारी होनी चाहिये पहले से साधक जल्दबाजी में उतनी जानकारी एकत्र नही करते और दूसरी बात साधना की सफलता आपके हालात आपके सब्र और कोशिश पर आपकी सफलता निर्भर करती है।

अक्सर किसी साधना को जब को साधक पहली बार करता है तो उससे बहुत सारी प्रैक्टिकल गलतियां हो जाती है कोई भी आदमी जो कोई अनजान हो पहली बार किसी कार्य को करेगा यह बात तो तय है कि वह गलती कर बैठेगा और कई बार हालात अनुकूल नहीं होते 

जिस प्रकार एक छोटा से सुराख से बड़ी नाव डूब जाती है उसी तरह साधना के समय एक छोटी सी गलती साधक की पूरी साधना को बरबाद कर देती है 

किसी भी साधना के पहली बार सफल ना होने पर साधक साधना और साधना देने वाले को शक की निगाह से देखने लग जाता है लेकिन सफलता के लिए उसे क्रमशः तीन बार दुहराना चाहिए। 

अपने उस्ताद या गुरु से सबसे पहले उस साधना के विषय में पूरी तरह जानकारी ले ले फिर अपने गुरु उस्ताद के मार्गदर्शन में ही साधना शुरू करें। मानसिक और शारीरिक रूप से तन्मयता से प्रयास करें आपको आपकी साधना में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

अगर जिन्नों की बात की जाए तो ये बात अपने दिमाग में सही तरीके से बिठा लें कोई भी शक्ति या जिन्न आपसे किसी भी तरह से कम तर या कमज़ोर नही है 

एक विशेष बात यह है बहुत सारे लोग इन चीजों को देख नहीं पाते चाहे वह पुराने साधकों या नहीं साधकों दृष्टि कुछ ही लोगों के पास होती है ये ईश्वर का इंसान को दिया हुआ एक विशेष तोहफा है।

जब आप किसी साधना को शुरू करते हैं तो उस समय यह ऊर्जा सूक्ष्म रूप से प्रकट होती है धीरे धीरे आपकी आभामंडल तथा आप के आसपास के वातावरण के अनुसार आपकी साधना द्वारा बल प्राप्त करके पुष्ट होती है 

फिर एक समय आता है जब यह शक्ति आपके सामने खड़ी हो जाती है तथा साधक द्वारा कहे गए कार्यों को सिद्ध करती हैं 

यह कभी ना सोचिएगा कि जिसने साधना बताई उसने 1 या 2  दिन की साधना बताई और वो 2 दिन में ही हो जाएगी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है ऐसी साधना उनको पूर्ण रूप से करने के लिए कई बार छह छह महीने भी लग जाते हैं

यदि हो सक तो सात्विक देव को ही अपना इष्ट देव ग्रहण करें अगर किसी भी इष्ट चाहे वो जिन्न हो या भूत ही क्यों न हो अगर आप सच्ची श्रद्धा से उसकी साधना करेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी आपकी श्रद्धा एक अबोध बालक की भांति होनी चाहिए 

सावधान ये कोई हँसी या तमाशा करने की चीज़ नहीं है ये आपके उजड़े हुवे जीवन को आबाद कर सकते हैं और दृष्टता करने पर आपके हस्ते खेलते परिवार को बर्बाद भी कर सकते है

जिन्नों के बहुत सारे कबीले और सरदार होते हैं सभी की इंसानो की ही तरह अपनी अपनी खूबियां होती है और शक्तियां प्राप्त होती है और बहुत सारे जिन्न खतरनाक और क्रूर भी होते हैं 

ये जिन्न कई प्रकार के होते है 
जैसे कि 

पाक जिन्न :- ये जिन्न अपने नाम के अनुसार अपनी इबादत में लगे रहते है और अपने साधक के सिर्फ अच्छे कामों में ही मदद करते है 

नापाक जिन्न :- यह जिन्न भी अपने नाम के अनुसार सिर्फ बुराई के कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं अच्छे काम करना इबादत और नेक कामों से इन्हें परहेज होता है और यह साधक के हर बुरे से बुरे काम को कुछ ही समय में सर अंजाम दे देते हैं

सिफली जिन्न :- इस जिनका नाम सिफली जिन्न इसलिए पड़ा क्योंकि जिस इनके जरिए इस दिन को सिद्ध किया जाता है उसे इल्म को सिफली इल्म कहा जाता है यह  कबीले का जिन्न होता है 

शैतानी जिन्न:- शैतानी ईल्म के द्वारा बुरे कामों को अंजाम देने के लिए इस जिन्न को सिद्ध किया जाता है और यह भी सिर्फ उल्टे काम ही करता है साधक के किसी भी अच्छे काम को यह पूरा नहीं करता 

नूरी जिन्न:- पाक जिन्न और नूरी जिन्न में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता सिर्फ अल्फाज़ का फर्क पड़ता है और यह जिन्न भी अपनी इबादत में ही लगे रहते हैं तथा किसी भी बुरे कार्य को नहीं करते 

हाफिज जिन्न:- ये जिन्न साधक के बड़े से बड़े कार्य को चाहे वो अच्छा हो या बुरा कुछ ही समय में पूरा करदेते है पर अपने कौल करार अर्थात अपने वचन के बहुत पक्के होते है 

इफरीत जिन्न:- ये जिन्न लाटरी सट्टा नम्बर देता है और किसी भी भारी से भारी समान को उठा कर कहीं का कहीं पहुंचा देते है इसकी साधना 40 दिनों की और बहुत खतरनाक होती है जब साधना पूरी होने ही वाली होती है तो साधक बेहद ज्यादा बीमार हो जाता है। 

मुरीद जिन्न :- जिन्न सिफली जिन्न की भांति कार्य करते है और अपने साधक की इच्छा अनुसार हर कार्य को करने में शक्षम होते है 

जादूगर जिन्न:- ये बहुत ज्यादा खतरनाक काला जादू करने के माहिर होते है और और आपमे साधक की इच्छा अनुसार हर भले बुरे कार्य को कर देते है

 तालकोश जिन्न :- ये जिन्न बहुत ज्यादा जिद्दी होते है अगर कोई चूक सकधक कर दे तो नुकसान होने में समय नही लगता

यकनातोश जिन्न:- ये अपने क़बीले का सरदार और बहुत मायावी होता है ये अक्सर गुप्त धन की रखवाली करते है और बड़े बड़े अर्थात सनकी आमिलो अर्थात साधको के ही काबू रहते है

इनकी और भी बहुत सारी अलग अलग श्रेणियां है और अपने स्वभाव शैली के अनुसार साधक के कार्य सिद्ध करते है ये तो बात हुई जिन्नों की कुछ मुख्य प्रजातियों की

ठीक उन्ही में से एक मुखबिर जिन्न भी होते है जोकि बहुत ही चमत्कारिक नेक और नरम दिल होते है अपने साधक को दूर दूर देश दुनिया की खबरें देना इनका काम होता है    
हर घटना हर वस्तु की इने जानकारी होती है अमल पूरा हो जाने के बाद इनसे कुछ भी पूछो ये तुरन्त जबाब दे देते है 
और अपने साधक को सही सही खबर बताते है

अगर कोई काम जानकारी इनकी ताकत से बाहर हो तो ये साफ मना कर देते है वरना बोलते ही नहीं वचन बंदी होने के बाद आप इनकी बातो पर आप ऑख बन्द करके विश्वास कर सकते है 

जरूरी नहीं कि नहीं कि ये मुखबिर जिन्न प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष हाज़िर हो ये अप्रत्यक्ष रूप से आपके पूरी मदद करते है बहुत बार ये शूक्ष्म तरिके से अपनी ऊर्जा को प्रकट करते है और मानसिक रूप से साधक को विषय वस्तु के बारे में बताते है अथवा यां फिर साधक को सपने के माध्यम से आगाह सकते है अधिकतर ये साधना सफल हो जाती है।

साधना विधि 

ये साधना किसी भी महीने की नौचन्दी जुमेरात को शुरू की जाती है ये साधना है तो एक दिन की परन्तु तीन बार दोहरानी पड़ सकती है।

तीन सफेद कंचे लेकर उनको घर की छत पर उस जगह रखना है जहाँ पर सारा दिन सूर्य का प्रकाश सीधा  उन पर पड़े सूरज डूबने के बाद ही उन्हें उठाकर सफेद मखमल के कपडें पर रखना है

फिर रात्रि में दस बजे से शुरू करके दो बजे तक ही सारी साधना संम्पन्न कर लें 

((साधना करते हुए साधक का मुख रिज़ाल उल गायब का ध्यान रखते हुए निर्धारित की जानी चाहिए जो कि चांद की तारीख से निर्धारित किया जाता है))

विधि ये है कि (2 मीटर )एक हरे रंग की एक चादर लेकर उस पर बैठे 

फिर अपने सामने एक और हरे रंग की और चादर बिछाये उस पर एक सवा तीन इंची चौडा सवा तीन इंची  हरे रंग का मखमल का कपडा बिछाये और उन पर वो तीनो कंचे रखने है।

सबसे पहले मन ही मन अपने गुरु उस्ताद को सलाम करें   फिर उसके बाद हजरत सुलेमान को सलाम करना है फिर दोनो से प्रार्थना करें कि मैं मुखबिर जिन्न साधना कर रहा हू आप उसे मेरे पास भेजने की कृपा करें और मेरी साधना सफल कीजिये

फिर पॉच बार "बिस्मिल्लारहमानरहीम" बोलना है 

उसके बाद 3 बार "अस्लामवालेकुम या मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर को ज़ोर ज़ोर से 7 बार "हाज़िर हो ऐ जिन्न बादशाह मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर उसका भोग नज़राना देकर वहाँ लोहबान सुलगाना है ऊद का इत्र चढ़ाना है रूई की गोली बनाकर कन्चे पर इत्र लगाना है 

पांच अगरबत्ती गुलाब वाली लगाकर देसी घी का दिया जलाना है 
5 देसी गुलाब के फूल चढ़ाने है। 
थोड़े मिश्री के दाने,कुछ सफेद मिठाई। 
थोड़ी दूध की बनी सिवाइयॉ।
2 गुजिया और पानी मुखबिर जिन्न को समर्पित करें।

अगर ये साधना तामसिक करनी हो तोआप कीमा कोरमा बिरयानी तीन चार तरह की मांस मीट से बने हुये व्यंजन भोग मे देने है एक जोड़ा सिगरेट भी चढ़ानी है रम या कोई अंग्रेजी शराब चढ़ा दें 

मनट जाप के पहले और बाद में पांच बार दरूद पढें उसके बाद मंत्र का जाप करें  

अगर तामसिक साधना करनी हो तो दरूद पढ़ने की जरूरत नहीं है।

अगर सात्विक साधना कर रहे हैं तसबी से जाप करें
अगर तामसिक करनी हो तो काली हकीक की माला सें मंत्र का जाप करें 

निर्धारित समय पर सात सौ सतेत्तर बार जाप करना है न एक कम न ही एक ज्यादा होना चाहिये।

मुखबिर जिन्न का मंत्र

या गनियू या रकीबू या मुखबिर जिन्न हाजिर शू।

अगर जाप में कुछ भयानक आवाजें सुनाई दें जो कि अक्सर सुनाई देती हैं तो आप बिलकुल न डरें 

फिर दो माला जप हो जाने पर कन्चे रगड़ने की सी आवाजे आयेगी। कई बार किसी के भयंकर हंसने  की आवाजें भी आ सकती है।

पांच माला होने पर कमरे मे एक भयानक चेहरा घूमता दिखाई दे सकता है आपको उससे बिलकुल नहीं डरना है बल्कि ये वही जिन्न है जिसके लिए आप ये साधना कर रहे है जाप पूरा हो जाने पर उस जिन्न से बातचीत करें जब वो बात करें तो होशियारी से उससे वचन मांग लें कि मे जब मैं आपको बुलाऊँ तब हाज़िर होकर मैं जो कुछ आप से पूछुं उसके बारे मे बता देना। जब वो आपको अपनी निशानी और बुलाने का तरीका आपको बता दे फिर जाप पूरा होने के बाद वहीं कमरे में ही सो जाएं।

सुबह वो तीनों कंचे मखमल के कपड़े सहित संभालकर किसी बर्तन में या पात्र में रख लें। 

जब कभी भी जिन्न को बुलाना हो तो उन तीनों कंचों को आपस रगड़ते हुए कुछ देर मंत्र पढ़े तो जिन्न हाजिर होगा और जो पूछोगे बता देगा।

जब आपको कोई विशेष काम की जानकारी लेनी हो तभी इस जिन्न को बुलाना चाहिये जब कहीं बहुत जरूरत हो तब इसका प्रयोग करना चाहिये हर छोटी मोटी बात के लिये मुखबिर जिन्न को नही बुलाना चाहिये।

अगर किसी कारण से जिन्न प्रत्यक्ष नही होता तो उससे मानसिक बाते करनी चाहिये वो सभी जबाब मानसिक दे देगा।

और ये भी कि उन कंचों की डिब्बा को लेकर जो सवाल हो वो कागज पर लिखकर उनके साथ रखकर सिरहाने रखकर सो जाये सपने मे जिन्न सारी जानकारी दे जायेगा।

ये उस आमिल या साधक के ऊपर है कि उसके पास किस तरह से जिन्न आता है और बताता है 

ये साधना मात्र एक दिन की है लेकिन इसका कुछ दिन और जाप किया जायेगा तो परिणाम बहुत बेहतर आता है 

एक महत्वपूर्ण सावधानी ये है कि साधना को पूरी तरह से गुप्त रखें 

सारी सामग्री एक दिन पहले ही लेकर रख लेनी चाहिये 
कंचे एक दिन पहले ही लेकर रख देनी चाहिये और उन्हें सुबह प्रात होते ही धूप में रख देना चाहिये किसी ऐसी जगह पर जहाँ पर सारा दिन धूप रहें 

भोग सामग्री हमेशा ताजा और शुद्ध अर्पित करें तो बेहतर होगा अगर हो सके तो घर पर ही बनाये। 

रक्षा मंत्र :-आयतल कुर्सी कछ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान  धड़ खुदा रख सिर सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली दुहाई।

इस मंत्र द्वारा शरीर बांध जा सकता है और घेरा भी खींचा जा सकता है।

अगर शरीर बांधना हो तो 101 बार पढ़कर छाती या सीने पर तीन बार फूंक मार लें।

अगर घेरा लगाना हो तो 108 बार पढ़कर बिल्कुल नए नोकीले चाकू पर 3 बार फूक मार दें और उस चाकू द्वारा ज़मीन पर अपने चारों तरफ गोल घेरा खींच ले और उस चाकू को ज़मीन में गाड़ दें जब घेरे से बाहर आना हो तो उसी चाकू से घेरे को तीन जगह से "पोश पोश" बोलकर काट दें  और घेरे से बाहर आ जाएं।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...