सोमवार, 19 सितंबर 2022

भूत भविष्य वर्तमान तीनों का आपको होगा ज्ञान।

माता मैदानन से पूछा लेना।

अक्सर लोग भूत भविष्य वर्तमान को जानने की साधनाये खोजते है। और भिन्न भिन्न प्रकार की साधनाये करते भी है ये बहुत आवश्यक है कि यदि कोई व्यक्ति समस्याग्रस्त आपके पास आता है तो आपको उसकी समस्या के बारे में सही सही पता होना चाहिए ।

यदि आप साधनाये करने के शौकीन हैं और आपके अंदर ज्ञान की पिपासा है तो ये साधना आपके लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।

अगर आप साधना के क्षेत्र में नए हैं या आप कोई ऐसी साधना करना चाहते हैं जिस से आपको आपने पास आने वाले मरीज़ अथवा याचक की समस्या और उसके मानो भावों के बारे में पता चल जाये जाए तो इलाज़ करना और भी आसान हो जाता है ।

माता मैदानन चौगनन ऐसी भोली देवी है जो अपने भगतों पर  अति शीघ्र प्रसन्न हो जाती है। शीघ्र प्रसन्न होने के कारण इनका आशीर्वाद साधक को बाकी शक्तियों के अपेक्षा कृत जल्दी प्राप्त हो जाता है।

       बहुत प्रकार की साधनायें टोटके और यंत्र मंत्र तंत्र है जिनकी साधना करने से साधक को उसके पास आये हुए व्यक्ति की समस्या के बारे सही सही पता चल जाता है।
और यह देवी उस समस्या का उपाय भी बताती हैं जिससे आपको पीड़ित का इलाज करने में बहुत मदद मिलती है।

आपके पास आये हुये व्यक्ति को क्या समस्या है क्यों है कब ठीक होगी अथवा होगी या नही होगी कितने समय में होगी ये सभी कुछ साधक को पता चल जाता है। जिसने देखने वालों में आपके प्रति आस्था और अधिक सुदृढ़ होती है।

विज्ञान के इस युग में जहां मानव समाज आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है वहीं पर अपनी मौलिकता को छोड़ता जा रहा है।
आज धर्म को आवश्यकता है नये सफल और परोपकारी साधुओं की संतो की हालांकि धार्मिकता के चरम को छू पाना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं 

सनातन धर्म में आज की नई पीढ़ी को रूचि रखते हुए ज्ञान अर्जित करना चाहिए और परहित को ध्यान में रखते हुए सनातन धर्म की सेवा करनी चाहिये।

इसी उद्देश्य के साथ आपको मैं ये आतिगुप्त गुरमुखि साधना प्रदान कर रहा हूँ ताकि आप इस साधना को तन्मयता से करें और जीवन में अपने माता पिता और गुरुजनों का नाम ऊंचा करें।

साधना 21 दिनों की है।

सभी गृहस्थी स्त्री और पुरष इस साधना को स्वच्छता का ध्यान रखते हुए करने के लिए स्वतंत्र है।

साधना के मंत्र जाप को आप घर में कर सकते हैं।

किसी भी पर्व अथवा किसी भी कृष्ण पक्ष के प्रथम मंगलवार से ये साधना शुरू की जा सकती है।

साधना शुरू करने के एक दिन पहले रात को किसी पात्र में पानी में डाल दें और फिर एक मुट्ठी गेंहू माता मैदानन चौगनन के नाम से उस बर्तन में डालें और दूसरे दिन सुबह 
जाते समय उस गेंहू को पात्र में से निकालकर उसमें थोड़ा सा तेल सरसों का डाल कर मिला लें और  7 गुड़ की डलियां उसमें डालें।

माता मैदानन चौगनन की साधना उनके मंदिर/ थान ,चौराहे, या खाली मैदानन मैं की जा सकती है 
यदि चौराहा अथवा माता जी का मंदिर अथवा थान आपके आस पास ना हो तो आप 2 अथवा 5 नई ईंटे लेकर उन्हें खाली मैदान में जहां पर किसी व्यक्ति को आपत्ति ना हो वहाँ पर माता जी का स्वरूप मान कर स्थापित कर सकते है (उन इंटो को जमीन पर स्थापित करें फिर कच्ची लस्सी जिसमें कुछ अक्षत और मीठा मिला हो से सींचे फिर उसपर हल्दी चंदन अथवा सिंदूर का टीका लगाएं,फिर वहां पर धूफ दीप प्रज्वलित करें तदन्तर वो एक मुट्ठी गेंहू जिसमें आपने थोड़ा सा सरदों का तेल और गुड़ की सात छोटी छोटी डलियां मिलाई हो ,2 बूंदी वाले लड्डु,2 लौंग सबूत,2 छोटी इलायची,2 टुकड़े मौली/कलावा के माता जी के थान पर अर्पित करें और हाथ जोड़ कर माता जी का आवाहन करें 

याद रहे इस प्रयोग में बढ़िया वाला इत्तर रूई की छोटी सी 2 गोली बनाकर एक माता को चढ़ावे एक अपने माथे से लगावें फिर जो रूई की इत्तर वाली गोली आपने माता जी के पास रखी है उसको अपने बाये कान के ऊपर एक स्थान होता है उसमें  टांग लें और दूसरी गोली माता जी पर चढ़ा दें। और घर वापिस आ जाएं।

रात्रि में आपको काली माला से पूर्वाभिमुख होकर रक्षा मंत्र की एक माला जाप करके अपने शरीर पर 3 बार फूंक मारनी है फिर निम्न मंत्र का 21 माला जाप करना है।

इसी प्रकार आपको 21 दिन यह साधना करनी है आपको सपने में तीसरे दिन अनुभव होने शुरू हो जाएंगे यदि माता सामने आए तो डरे नहीं दंडवत प्रणाम करें और मात्र उनका आशीर्वाद मांगे भटक कर लालच में ना पड़े या कोई अनुचित वर ना मांगे ताकि आपको भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।

आप अपने हिसाब से रक्षा मंत्र प्रयोग कर सकते है यदि कोई रक्षा मंत्र आपके पास न हो तो निम्नलिखित मंत्र का प्रयोग करें।

रक्षा मंत्र:-
आयतल कुर्सी कच्छ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान धड़ रखे खुदा सिर रखे सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली की दुहाई

मन्त्र:-

ॐ गुरु जी।
मैदान की मैदानन जाग
चौगान की चौगनन जाग
जाग जाग हे माई मसानी
अपनी कला संग जाग
तूं जाने खबर जहान की
चार कुंठ के भेद बता
तेनु कसम है 
तेरे गुरु उस्ताद की।


इस बात की विशेष तौर पर ध्यान रखें यह मंत्र जागृत हैं और शीघ्र ही कार्य करते हैं जब देवी जागृत होती हैं तो बहुत सारी ऊर्जा उठती है इसके लिए आपको एक सावधानी विशेष बरतनी है कि बिना गुरु के या प्रयोग ना करें।

शुभ आशीर्वाद कल्याणमस्तु  🙏





शनिवार, 17 सितंबर 2022

पिङ्गल अघोरी सिद्धि मन्त्र

पिङ्गल अघोरी सिद्धि मन्त्र।


यह साधना कई बार की परीक्षित साधना है और जिन से यह मंत्र प्राप्त हुआ है मुझे वह इसी मंत्र द्वारा बहुत सारे कार्यों को करते हैं। और लोगों का इलाज करने का कार्य करते हैं।

अक्सर जब मूड होता है तो वह लॉटरी सट्टा का नंबर भी बताते है उनका वचन जल्दी खाली नहीं जाता लेकिन बहुत वृद्ध होने के कारण बहुत कम ही बोलते हैं ।

ऐसे महात्मा लोग अब कम ही बचे हैं अक्सर बड़बोले किस्म के महात्मा बहुत ज्यादा है ।

यदि कोई व्यक्ति यह चाहे कि एक ही मंत्र द्वारा उस पर किसी व्यक्ति विशेष की कृपा भी हो जाए और उसकी सभी मुसीबतों का हल भी निकल आए और उस साधना को करते हुए उसे किसी प्रकार की दिक्कत का सामना भी ना करना पड़े तो मैं आज आपके लिए पिंगल अघोरी की साधना लाया हूं ।

पिंगल अघोरी जिनका नाम ही काफी है बाबा मंसाराम अघोरी के बाद इन्हीं का नाम प्रमुख अघोरियों में आता है और इनकी बहुत प्रकार से पूजा की जाती है एक क्षेत्र विशेष में इनकी सिद्धि भी की जाती है धीरे-धीरे यह साधना युक्त हो जा रही हैं इसलिए आज मैं आपको इनका मंत्र और उसको सिद्ध करने की विधि यहां बताने जा रहा हूं सबसे पहली बात यह है कि इस साधना में ब्रह्मचर्य को छोड़कर कोई परहेज नहीं है दूसरी बात यह है कि साधक इसे अपनी मर्जी के अनुसार सात्विक किया तामसिक रूप से कर सकता है।

यह साधना 21 दिन की है।
ये साधना घर पर की जा सकती है घर के किसी एकांत स्थल पर इस साधना को आराम से किया जा सकता है और इस शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

इनकी पूजा जमीन पर ही की जाती है सवा हाथ जमीन पर गाय के गोबर का गोल चौका लगाकर उस पर एक सरसों के तेल का दिया जलाएं और वहां घी और गुड़ से गोबर के कंडे पर धूप भी दें एक जल का पात्र वहां रखें गांजे की चिलम या सिगरेट चढ़ाएं फल फूल पान मिठाई लौंग इलाइची गरी गोला चढ़ाएं तथा मंत्र जाप करते हुए गोबर के कंडे की आग पर थोड़ा थोड़ा देसी घी और गुड़ डालते जाएं।

साधना के दौरान काले आसन काले वस्त्रों का प्रयोग करें फिर बाबा पिंगल अघोरी का एकाग्र चित्त मन से ध्यान करते हुए कमल के आसन पर पूर्वा विमुख होकर पांच माला इस मंत्र की प्रतिदिन आप जपे ।

मंत्र जाप शुरू करने से पहले सुरक्षा मंत्र द्वारा अपने शरीर को रक्षित करें ताकि आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो

 यदि आप सात्विक साधना करना चाहते हैं तो फल फूल पान मिठाई और सिगरेट से काम चल जाएगा ।
 
और यदि आप तामसिक साधना करना चाहते हैं तो आप तो वहां बाबा पिंगल अघोरी के निमित्त एक देसी अंडा,एक पेग देसी शराब सात पीस बकरे की कलेजी के जिनके ऊपर सिंदूर द्वारा आपको एक एक टीका लगाना है और जाप के उपरांत उस कलेजी को बाबा पिंगल अघोरी के नाम से सुनसान स्थान पर रखकर आना है ।

वापस घर आकर भूमि पर चुपचाप सो जाना है इसी प्रकार आपको 21 दिन करना है।

फिर 2 दिन गुजर जाने के बाद तीसरे दिन आपको प्रतिदिन स्वप्न द्वारा अनुभव होने शुरू हो जाएंगे एक हफ्ते में आपको इस प्रकार लगेगा जैसे कि आपकी नजरों के सामने से कोई गुजरा है और यदि ध्यान से चिंतन करेंगे तो इनकी लंबाई कम से कम 12 फीट होगी । आजकल के भाग दौड़ वाले जीवन में जब कोई साधना करता है तो चलती फिरती साधना करता है तो ऐसे में किसी भी शक्ति के प्रत्यक्ष दर्शन होना कठिन होता है किंतु असंभव नहीं है।

अगर किसी की नजर चलती हो तो उसको सिद्धियों में बहुत सारी सहायता मिल जाती है यह देखने में किस देवता सिद्ध हुआ या नहीं हुआ क्योंकि अंधे के सामने चाहे हजार दिए जला दो लेकिन उसको अंधेरा ही दिखेगा इसलिए अपने अभ्यास द्वारा अपने मूलाधार सहित सभी चक्रों को एक्टिवेट करें।

जब आपकी साधना से प्रसन्न होकर पिंगल अघोरी बाबा आपके सामने आए तो आप डरे नहीं उनसे प्रणाम करके सिर्फ उनका आशीर्वाद मांग ले लेकिन याद रहे लालच में आकर कोई अन्य वस्तु ना मांगे।

इस प्रकार बाबा का आशीर्वाद आप के ऊपर सारी उम्र बना रहेगा आपके प्रत्येक काम में बाबा पिंगल अघोरी आपकी मदद करेंगे और आपके घर में से प्रत्येक बाधा दूर होकर खुशहाल जीवन की प्राप्ति होगी इस मंत्र द्वारा आप भूत प्रेत ग्रसित रोगियों का झाड़ा लगा सकते हैं उनके भूत प्रेत को उनके ऊपर हाजिर करके उनसे वचन ले सकते हैं उन्हें बांध सकते हैं और इसी मंत्र द्वारा आप तागा दे सकते हैं मरीज को यानी इस मंत्र द्वारा बहुत सारे काम किए जा सकते हैं जो कि साधक के ऊपर निर्भर करते हैं 

एक और विशेष बात है जवाब किसी मरीज का इलाज करें चाहे वह इनके मंत्र द्वारा करें यह किसी भी देवता के मंत्र द्वारा करें यदि आपने यह सिधि की होगी तो आप जिस जिस मरीज का इलाज करेंगे बाबा पिंगल अघोरी के आशीर्वाद से  वह इलाज फेल नही होगा जिसका इलाज आप एक बार कर दोगे दोबारा उसको तकलीफ नहीं होगी

अब मंत्र नीचे दिया जा रहा है साधना से पहले आप इस मंत्र को कंठ कर ले ताकि आपको साधना करने में कोई परेशानी ना हो मेरा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है आशा करता हूं इस साधना द्वारा आपके जीवन की परेशानियां समाप्त होंगी और आपका परिवार और आप खुश रहेंगे 

ॐ गुरु जी
इंगल घोरी 
पिंगल घोरी ,
घोरी वीर बलवान 
हथ विच चिमटा 
मोढे बगली 
सदा रहे शमशान 
नौ सौ भूत अग्गे चले
नौ सौ भूत पिच्छे चले
भूतां प्रेतां नु बन्न
जिन्न ते खवीस बन्न
मैली कुचैली बन्न 
चौंकी चढ़ाई बन्न 
अस्सी मसाण बन्न
दुहाई माता भद्रकाली दी 
दुहाई बाबा काले भैरों दी।
दोहाई गुरू उस्ताद दी



ढेर सारा आशीर्वाद कल्याणमस्तु  🙌

रविवार, 14 अगस्त 2022

मुखबिर जिन्न

   मुखबिर जिन्न को हाजिर करना।     
 "अगर देख सकोगे तो ही कर सकोगे"

मित्रों तंत्र मंत्र के क्षेत्र में दूर दूर के देश विदेश की खैर खबर मंगवाने के अलग अलग शक्तियों से कार्य करवाया जाता है बहुत से देवी देवता हाज़िरी हाज़िरात और दूसरी शक्तियों को अनुकूल करके ये सभी कार्य करवाये जाते हैं। 

वहीं अगर जिन्नों की बात करें तो ये भी बहुत शक्तिशाली होते है लेकिन जो कहने सुनने में बातें आतीं है और सुनने वालों को जितनी चटपटी लगतीं है हकीकत बहुत विभिन्न होती है।

कोई शक्ति आप के काबू में आकर क्यों आपके लिए काम करेगी क्या वो आपसे रूहानियत या ताकत में कमज़ोर है या आप के द्वारा दिए जाने वाले भोग के बिना भूखा मरे जा था है बहुत बार ये देखा जाता है कि कोई भी साधना शुरू करने से पहले आपको उस साधना के विषय में जितनी जानकारी होनी चाहिये पहले से साधक जल्दबाजी में उतनी जानकारी एकत्र नही करते और दूसरी बात साधना की सफलता आपके हालात आपके सब्र और कोशिश पर आपकी सफलता निर्भर करती है।

अक्सर किसी साधना को जब को साधक पहली बार करता है तो उससे बहुत सारी प्रैक्टिकल गलतियां हो जाती है कोई भी आदमी जो कोई अनजान हो पहली बार किसी कार्य को करेगा यह बात तो तय है कि वह गलती कर बैठेगा और कई बार हालात अनुकूल नहीं होते 

जिस प्रकार एक छोटा से सुराख से बड़ी नाव डूब जाती है उसी तरह साधना के समय एक छोटी सी गलती साधक की पूरी साधना को बरबाद कर देती है 

किसी भी साधना के पहली बार सफल ना होने पर साधक साधना और साधना देने वाले को शक की निगाह से देखने लग जाता है लेकिन सफलता के लिए उसे क्रमशः तीन बार दुहराना चाहिए। 

अपने उस्ताद या गुरु से सबसे पहले उस साधना के विषय में पूरी तरह जानकारी ले ले फिर अपने गुरु उस्ताद के मार्गदर्शन में ही साधना शुरू करें। मानसिक और शारीरिक रूप से तन्मयता से प्रयास करें आपको आपकी साधना में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

अगर जिन्नों की बात की जाए तो ये बात अपने दिमाग में सही तरीके से बिठा लें कोई भी शक्ति या जिन्न आपसे किसी भी तरह से कम तर या कमज़ोर नही है 

एक विशेष बात यह है बहुत सारे लोग इन चीजों को देख नहीं पाते चाहे वह पुराने साधकों या नहीं साधकों दृष्टि कुछ ही लोगों के पास होती है ये ईश्वर का इंसान को दिया हुआ एक विशेष तोहफा है।

जब आप किसी साधना को शुरू करते हैं तो उस समय यह ऊर्जा सूक्ष्म रूप से प्रकट होती है धीरे धीरे आपकी आभामंडल तथा आप के आसपास के वातावरण के अनुसार आपकी साधना द्वारा बल प्राप्त करके पुष्ट होती है 

फिर एक समय आता है जब यह शक्ति आपके सामने खड़ी हो जाती है तथा साधक द्वारा कहे गए कार्यों को सिद्ध करती हैं 

यह कभी ना सोचिएगा कि जिसने साधना बताई उसने 1 या 2  दिन की साधना बताई और वो 2 दिन में ही हो जाएगी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है ऐसी साधना उनको पूर्ण रूप से करने के लिए कई बार छह छह महीने भी लग जाते हैं

यदि हो सक तो सात्विक देव को ही अपना इष्ट देव ग्रहण करें अगर किसी भी इष्ट चाहे वो जिन्न हो या भूत ही क्यों न हो अगर आप सच्ची श्रद्धा से उसकी साधना करेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी आपकी श्रद्धा एक अबोध बालक की भांति होनी चाहिए 

सावधान ये कोई हँसी या तमाशा करने की चीज़ नहीं है ये आपके उजड़े हुवे जीवन को आबाद कर सकते हैं और दृष्टता करने पर आपके हस्ते खेलते परिवार को बर्बाद भी कर सकते है

जिन्नों के बहुत सारे कबीले और सरदार होते हैं सभी की इंसानो की ही तरह अपनी अपनी खूबियां होती है और शक्तियां प्राप्त होती है और बहुत सारे जिन्न खतरनाक और क्रूर भी होते हैं 

ये जिन्न कई प्रकार के होते है 
जैसे कि 

पाक जिन्न :- ये जिन्न अपने नाम के अनुसार अपनी इबादत में लगे रहते है और अपने साधक के सिर्फ अच्छे कामों में ही मदद करते है 

नापाक जिन्न :- यह जिन्न भी अपने नाम के अनुसार सिर्फ बुराई के कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं अच्छे काम करना इबादत और नेक कामों से इन्हें परहेज होता है और यह साधक के हर बुरे से बुरे काम को कुछ ही समय में सर अंजाम दे देते हैं

सिफली जिन्न :- इस जिनका नाम सिफली जिन्न इसलिए पड़ा क्योंकि जिस इनके जरिए इस दिन को सिद्ध किया जाता है उसे इल्म को सिफली इल्म कहा जाता है यह  कबीले का जिन्न होता है 

शैतानी जिन्न:- शैतानी ईल्म के द्वारा बुरे कामों को अंजाम देने के लिए इस जिन्न को सिद्ध किया जाता है और यह भी सिर्फ उल्टे काम ही करता है साधक के किसी भी अच्छे काम को यह पूरा नहीं करता 

नूरी जिन्न:- पाक जिन्न और नूरी जिन्न में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता सिर्फ अल्फाज़ का फर्क पड़ता है और यह जिन्न भी अपनी इबादत में ही लगे रहते हैं तथा किसी भी बुरे कार्य को नहीं करते 

हाफिज जिन्न:- ये जिन्न साधक के बड़े से बड़े कार्य को चाहे वो अच्छा हो या बुरा कुछ ही समय में पूरा करदेते है पर अपने कौल करार अर्थात अपने वचन के बहुत पक्के होते है 

इफरीत जिन्न:- ये जिन्न लाटरी सट्टा नम्बर देता है और किसी भी भारी से भारी समान को उठा कर कहीं का कहीं पहुंचा देते है इसकी साधना 40 दिनों की और बहुत खतरनाक होती है जब साधना पूरी होने ही वाली होती है तो साधक बेहद ज्यादा बीमार हो जाता है। 

मुरीद जिन्न :- जिन्न सिफली जिन्न की भांति कार्य करते है और अपने साधक की इच्छा अनुसार हर कार्य को करने में शक्षम होते है 

जादूगर जिन्न:- ये बहुत ज्यादा खतरनाक काला जादू करने के माहिर होते है और और आपमे साधक की इच्छा अनुसार हर भले बुरे कार्य को कर देते है

 तालकोश जिन्न :- ये जिन्न बहुत ज्यादा जिद्दी होते है अगर कोई चूक सकधक कर दे तो नुकसान होने में समय नही लगता

यकनातोश जिन्न:- ये अपने क़बीले का सरदार और बहुत मायावी होता है ये अक्सर गुप्त धन की रखवाली करते है और बड़े बड़े अर्थात सनकी आमिलो अर्थात साधको के ही काबू रहते है

इनकी और भी बहुत सारी अलग अलग श्रेणियां है और अपने स्वभाव शैली के अनुसार साधक के कार्य सिद्ध करते है ये तो बात हुई जिन्नों की कुछ मुख्य प्रजातियों की

ठीक उन्ही में से एक मुखबिर जिन्न भी होते है जोकि बहुत ही चमत्कारिक नेक और नरम दिल होते है अपने साधक को दूर दूर देश दुनिया की खबरें देना इनका काम होता है    
हर घटना हर वस्तु की इने जानकारी होती है अमल पूरा हो जाने के बाद इनसे कुछ भी पूछो ये तुरन्त जबाब दे देते है 
और अपने साधक को सही सही खबर बताते है

अगर कोई काम जानकारी इनकी ताकत से बाहर हो तो ये साफ मना कर देते है वरना बोलते ही नहीं वचन बंदी होने के बाद आप इनकी बातो पर आप ऑख बन्द करके विश्वास कर सकते है 

जरूरी नहीं कि नहीं कि ये मुखबिर जिन्न प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष हाज़िर हो ये अप्रत्यक्ष रूप से आपके पूरी मदद करते है बहुत बार ये शूक्ष्म तरिके से अपनी ऊर्जा को प्रकट करते है और मानसिक रूप से साधक को विषय वस्तु के बारे में बताते है अथवा यां फिर साधक को सपने के माध्यम से आगाह सकते है अधिकतर ये साधना सफल हो जाती है।

साधना विधि 

ये साधना किसी भी महीने की नौचन्दी जुमेरात को शुरू की जाती है ये साधना है तो एक दिन की परन्तु तीन बार दोहरानी पड़ सकती है।

तीन सफेद कंचे लेकर उनको घर की छत पर उस जगह रखना है जहाँ पर सारा दिन सूर्य का प्रकाश सीधा  उन पर पड़े सूरज डूबने के बाद ही उन्हें उठाकर सफेद मखमल के कपडें पर रखना है

फिर रात्रि में दस बजे से शुरू करके दो बजे तक ही सारी साधना संम्पन्न कर लें 

((साधना करते हुए साधक का मुख रिज़ाल उल गायब का ध्यान रखते हुए निर्धारित की जानी चाहिए जो कि चांद की तारीख से निर्धारित किया जाता है))

विधि ये है कि (2 मीटर )एक हरे रंग की एक चादर लेकर उस पर बैठे 

फिर अपने सामने एक और हरे रंग की और चादर बिछाये उस पर एक सवा तीन इंची चौडा सवा तीन इंची  हरे रंग का मखमल का कपडा बिछाये और उन पर वो तीनो कंचे रखने है।

सबसे पहले मन ही मन अपने गुरु उस्ताद को सलाम करें   फिर उसके बाद हजरत सुलेमान को सलाम करना है फिर दोनो से प्रार्थना करें कि मैं मुखबिर जिन्न साधना कर रहा हू आप उसे मेरे पास भेजने की कृपा करें और मेरी साधना सफल कीजिये

फिर पॉच बार "बिस्मिल्लारहमानरहीम" बोलना है 

उसके बाद 3 बार "अस्लामवालेकुम या मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर को ज़ोर ज़ोर से 7 बार "हाज़िर हो ऐ जिन्न बादशाह मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर उसका भोग नज़राना देकर वहाँ लोहबान सुलगाना है ऊद का इत्र चढ़ाना है रूई की गोली बनाकर कन्चे पर इत्र लगाना है 

पांच अगरबत्ती गुलाब वाली लगाकर देसी घी का दिया जलाना है 
5 देसी गुलाब के फूल चढ़ाने है। 
थोड़े मिश्री के दाने,कुछ सफेद मिठाई। 
थोड़ी दूध की बनी सिवाइयॉ।
2 गुजिया और पानी मुखबिर जिन्न को समर्पित करें।

अगर ये साधना तामसिक करनी हो तोआप कीमा कोरमा बिरयानी तीन चार तरह की मांस मीट से बने हुये व्यंजन भोग मे देने है एक जोड़ा सिगरेट भी चढ़ानी है रम या कोई अंग्रेजी शराब चढ़ा दें 

मनट जाप के पहले और बाद में पांच बार दरूद पढें उसके बाद मंत्र का जाप करें  

अगर तामसिक साधना करनी हो तो दरूद पढ़ने की जरूरत नहीं है।

अगर सात्विक साधना कर रहे हैं तसबी से जाप करें
अगर तामसिक करनी हो तो काली हकीक की माला सें मंत्र का जाप करें 

निर्धारित समय पर सात सौ सतेत्तर बार जाप करना है न एक कम न ही एक ज्यादा होना चाहिये।

मुखबिर जिन्न का मंत्र

या गनियू या रकीबू या मुखबिर जिन्न हाजिर शू।

अगर जाप में कुछ भयानक आवाजें सुनाई दें जो कि अक्सर सुनाई देती हैं तो आप बिलकुल न डरें 

फिर दो माला जप हो जाने पर कन्चे रगड़ने की सी आवाजे आयेगी। कई बार किसी के भयंकर हंसने  की आवाजें भी आ सकती है।

पांच माला होने पर कमरे मे एक भयानक चेहरा घूमता दिखाई दे सकता है आपको उससे बिलकुल नहीं डरना है बल्कि ये वही जिन्न है जिसके लिए आप ये साधना कर रहे है जाप पूरा हो जाने पर उस जिन्न से बातचीत करें जब वो बात करें तो होशियारी से उससे वचन मांग लें कि मे जब मैं आपको बुलाऊँ तब हाज़िर होकर मैं जो कुछ आप से पूछुं उसके बारे मे बता देना। जब वो आपको अपनी निशानी और बुलाने का तरीका आपको बता दे फिर जाप पूरा होने के बाद वहीं कमरे में ही सो जाएं।

सुबह वो तीनों कंचे मखमल के कपड़े सहित संभालकर किसी बर्तन में या पात्र में रख लें। 

जब कभी भी जिन्न को बुलाना हो तो उन तीनों कंचों को आपस रगड़ते हुए कुछ देर मंत्र पढ़े तो जिन्न हाजिर होगा और जो पूछोगे बता देगा।

जब आपको कोई विशेष काम की जानकारी लेनी हो तभी इस जिन्न को बुलाना चाहिये जब कहीं बहुत जरूरत हो तब इसका प्रयोग करना चाहिये हर छोटी मोटी बात के लिये मुखबिर जिन्न को नही बुलाना चाहिये।

अगर किसी कारण से जिन्न प्रत्यक्ष नही होता तो उससे मानसिक बाते करनी चाहिये वो सभी जबाब मानसिक दे देगा।

और ये भी कि उन कंचों की डिब्बा को लेकर जो सवाल हो वो कागज पर लिखकर उनके साथ रखकर सिरहाने रखकर सो जाये सपने मे जिन्न सारी जानकारी दे जायेगा।

ये उस आमिल या साधक के ऊपर है कि उसके पास किस तरह से जिन्न आता है और बताता है 

ये साधना मात्र एक दिन की है लेकिन इसका कुछ दिन और जाप किया जायेगा तो परिणाम बहुत बेहतर आता है 

एक महत्वपूर्ण सावधानी ये है कि साधना को पूरी तरह से गुप्त रखें 

सारी सामग्री एक दिन पहले ही लेकर रख लेनी चाहिये 
कंचे एक दिन पहले ही लेकर रख देनी चाहिये और उन्हें सुबह प्रात होते ही धूप में रख देना चाहिये किसी ऐसी जगह पर जहाँ पर सारा दिन धूप रहें 

भोग सामग्री हमेशा ताजा और शुद्ध अर्पित करें तो बेहतर होगा अगर हो सके तो घर पर ही बनाये। 

रक्षा मंत्र :-आयतल कुर्सी कछ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान  धड़ खुदा रख सिर सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली दुहाई।

इस मंत्र द्वारा शरीर बांध जा सकता है और घेरा भी खींचा जा सकता है।

अगर शरीर बांधना हो तो 101 बार पढ़कर छाती या सीने पर तीन बार फूंक मार लें।

अगर घेरा लगाना हो तो 108 बार पढ़कर बिल्कुल नए नोकीले चाकू पर 3 बार फूक मार दें और उस चाकू द्वारा ज़मीन पर अपने चारों तरफ गोल घेरा खींच ले और उस चाकू को ज़मीन में गाड़ दें जब घेरे से बाहर आना हो तो उसी चाकू से घेरे को तीन जगह से "पोश पोश" बोलकर काट दें  और घेरे से बाहर आ जाएं।

शनिवार, 18 जून 2022

अतिदुर्भाग्य नाश हेतु भैरव मन्त्र

जीवन में बहुत बार ऐसा देखा गया है कि कई लोग सारा जीवन संघर्ष करने में निकाल देते हैं लेकिन उनके जीवन का निष्कर्ष नहीं निकलता और उन्हें निराशा के इलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता 

ऐसी साधनाएं भी होती हैं जिसको करने से जीवन में से चमत्कारिक रूप से दुर्भाग्य अदृश्य हो जाता है।

प्रयोग करता का जीवन चमत्कारिक रूप से समृद्धि से भर जाता है हर एक वस्तु उसके हस्त गत हो जाती है तो आज मैं आपको ऐसा ही प्रयोग यहां बताने जा रहा हूं यह प्रयोग श्री भैरव नाथ जी का है।

भगवान भोलेनाथ के उपवास को को भी इसका लाभ बहुत शीघ्र ही प्राप्त होता है कितना भी कठिन कार्य क्यों ना हो अगर आपको लगता है कि आपका कैसा भी कठिन कार्य है क्या हो रहा है अथवा कोई व्यक्ति कितना भी दूर भाग्यशाली हो जिसका कभी कोई कार्य ना बनता हो और ना ही बनने की संभावना हो तो मैं आपको साधना बताने जा रहा हूं।
जिसको करने के उपरांत दुर्भाग्यशाली से भी दुर्भाग्यशाली व्यक्ति के तत्काल कार्य करने लग जाते हैं  और उसके किसी कार्य में बाधा नहीं आती।
थोड़ा बहुत खराब समय तो सबके जीवन में आता है यह एक कड़वी सच्चाई है प्रत्येक आदमी के जीवन का कुछ ना कुछ समय परीक्षा की घड़ी का होता है और यह समय निकल भी जाता है 

लेकिन यह समय निकालना कठिन होता है जब आपके लिए सफलता का प्रत्येक मार्ग बंद हो जाए और आप को अंधेरे के अलावा कुछ दिखाई ना दे पर लगेगी जीवन ऐसे ही निकल जाएगा कुछ खास नहीं आने वाला तो ऐसे में इस प्रयोग को अवश्य आजमाएं।

थक हार कर बैठे नहीं भगवान का स्मरण करें और ईश्वर पर सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखते हैं जीत आपके विश्वास की ही होगी

बाबा भैरव भगवान भोलेनाथ के पंचम रुद्रावतार हैं शनि राहु केतु इत्यादि क्रूर ग्रह का बुरा प्रभाव प्रयोग करता के जीवन से हट जाता है अर्थात यह प्रयोग करता के ऊपर से अपना बुरा प्रभाव समाप्त कर देते हैं।

मंत्रों में बहुत विस्फोटक शक्ति होती है यदि लगातार मंत्रोच्चारण किया जाए और ईश्वर पर आपका अटल श्रद्धा विश्वास हो तो प्रकृति भी मजबूर हो जाती है उस कार्य को करने के लिए इस कार्य को चित्त्त में रखकर आप मंत्रोच्चारण करते हैं।

शब्द आदि है शब्द गुरु है शब्द सनातन है आदिकाल से ही शब्द इस सत्ता का शासक रहा है और अंत तक रहेगा शब्द से आदि का सृजन होता है और शब्द में ही सृष्टि का लय हो जाता है

काल पुरुष की आत्मा शब्द है और भौतिक प्रकृति उसकी देह है शरल भाषा में :-शब्द को आप आत्मा समझ लीजिए और प्रकृति को उसकी देह आत्मा के बिना देह मृत होती है अनाहद शब्द  के बिना सृष्टि मृत है।

लकड़ी में अग्नि होती है आवश्यकता होती है घर्षण की उचित क्रिया एवं वातावरण में अग्नि प्रकट हो जाती है उसी तरह मंत्रों में बहुत ज्यादा शक्ति होती है सही तरीके से क्रिया और चिंतन की आवश्यकता होती है। कार्य सिद्ध होने में देर नही लगती।

अगर आपने ये लेख पढ़ा होगा तो आपको वो समझ आ गई होगी जो मैं आपको बताना चाहता हूं आपने इसे धैर्य पूर्वक पढा क्योंकि आप में विवेक है अगर आप में विवेक ना होता तो आप ये लेख न पढ़ रहे होते बुद्धि के आठ गुण होते हैं और विवेक इन सभी गुणों में प्रधान है।

चलिए अब आपको बताता हूं साधना के विषय में

 विधि :

इस मन्त्र की सिद्धि होली दीपावली या ग्रहण काल में करें श्री भैरव बाबा के विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए 11 माला जप व दशांश हवन तथा भोगादि देने से सिद्ध होगी ।

फिर प्रयोग के लिए किसी भी शनिवार की रात्रि को सवा मुट्ठी, चावल, हल्दी व मीठा डालकर बनाए। प्रातः रविवार को इन मीठे चावलों को एक सौ बार अभिमन्त्रित कर के छत पर या आंगन में रख दें ।

कुछ समय पश्चात् दो कौवे जब वह मीठा चावल खाने के समय आपस में लड़ेंगे तो उनमें से किसी का पंख गिरेगा। जब पंख गिरे तो उस समय आप उस पंख का उठाकर सुरक्षित रख लें।

फिर इंटरव्यू कारोबार डिलिंग मुकदमेबाज़ी यात्रादि व किसी भी कठिन कार्यों के लिए अपने साथ में ले जाए, तो कार्य सिद्ध होगा। 

यदि पहले रविवार को इस तरह करने से पंख प्राप्त न हो तो पुनः विश्वास पूर्वक किसी अन्य रविवार को प्रयोग कर पंख प्राप्त कर लें।

मन्त्र:-
ॐ ह्रीं महा-काल।
भैरवाय नमः ॥
ॐ ह्रीं महा
विक्राल भैरवाय नमः

सोमवार, 13 जून 2022

इससे आप बन जाओगे सफल साधक।

आप सब का स्वागत करता हूं तंत्र तन्त्र वृक्षा ब्लॉग्स्पॉट में
आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ एक ऐसी साधना जिसको जीवन में केवल एक बार सही तरीके से सम्पन्न कर लेने के बाद साधक वीर की कृपा प्राप्त कर लेता है और किसी भी भूत प्रेत ग्रसित मरीज़ का इलाज कर सकता है।


किसी शक्तिशाली से शक्तिशाली भूत प्रेत बाधा को हटाना काटना छांटना बांधना उतारना खींचना इत्यादि कार्य कर सकता है।

यही नहीं तंत्र क्षेत्र में आने वाले नये साधकों की जुबान वांचा लगने लग जाती है और धीरे धीरे उनकी बोली जाने वाली हर बात सच होने लग जाती है।

अगर किसी ज्ञात अज्ञात व्यक्ति को यदि कोई ऊपरी समस्या है तो साधक को पहली मुलाकात में या पीड़ित व्यक्ति का नाम लेते ही साधक को सभ कुछ समझ आने लग जाता है इस साधना से साधक की मानसिक शक्ति का इस प्रकार से विकास हो जाता है की कोई भी आलौकिक घटना साधक से छुपी नहीं रहती।

ये सभी ऐसे गुण है जो साधना के समय साधक के अंदर खुद ही सहज रूप से विकसित हो जाते हैं।

जो सात चक्र मनुष्य की सूक्ष्मणा के अन्दर है वो खुलकर सक्रिय हो जाये है ये सभी कुछ एक दिन में संभव नहीं है सभी क्रियाएं किसी के तीव्र और किसी किसी के भीतर मन्द गति से होती हैं सभी के एक समान नही होती।

साधना काल में प्रतिदिन अपने चक्रों को खोलने एवम सक्रिय करने का अभ्यास करें इसकी शुरुआत केवल और केवल मूलाधार चक्र से ही करें । और उसका निरंतर अभ्यास करें।

यदि आप मेरी बातों को ध्यान पूर्वक और ठंडे दिमाग से पड़ेंगे और इस पर अमल करेंगे तो आप की साधना बेकार नहीं जाएगी।

आपके गुर के माध्यम से आपको अलौकिक शक्ति का एक ऐसा चैंनल मिलता है जो आपको ईश्वरीय शक्ति के मूल स्रोत परब्रह्म परमात्मा से जोड़ता है जिस प्रकार आपके मोबाइल फोन का सिम आपको नेटवर्क से जोड़ता है इस लिए कोई भी साधना बिना गुरु के मार्गदर्शन के कदापि नहीं करनी चाहिए।

एक विशेष बात और है कि सच्चे गुरु का ये सपना होता है कि उसका शिष्य उससे अधिक काबिल और शक्तिशाली बने एक पिता आपने पुत्र के प्रति जो स्नेह अपने ह्रदय में रखता है ये वो पिता और परमपिता परमात्मा ही जानता है
इसलिए अपने गुरू देव के प्रति सच्ची श्रद्धा का भाव रखें याद रखो आपका भाव बदल जायेगा तो भगवान भी बदल जायेगा।
ये साधना जो आपको में बताने जा रहा हूँ हो सकता है कि इसे आपने देखा या पढा हो लेकिन इसके गुण अवगुण तत्वों को समझने के लिए इस साधना का अनुभव करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है । जिस दृष्टिकोण से मैं आपको ये साधना बताने जा रहा हूँ यो दृष्टिकोण अन्य लोगों से भिन्न है।

(नीति शास्त्र में  आया है 
यदि अंधे मनुष्य के सामने हज़ार दीपक भी प्रज्वलित कर दें उसे अंधेरा ही दिखेगा।)

अज्ञानी होने से ज्यादा खतरनाक अल्प ज्ञानी होना है क्योंकि अल्प ज्ञानी अपने आपको देवगुरु बृहस्पति से कम नहीं मानता।

इस साधना को 21 दिन का बताया जाता है लेकिन अगर इस साधना को 43 दिनों तक लगातार नियमपूर्वक किया जाए तो किसी प्रभाव बहुत ज्यादा ज़बरदस्त होता है जब 1994 में इस साधना को मैने किया था तो 21 दिनों की ही साधना की थी लेकिन प्रभाव सीमित था 

लेकिन जब अपने उस्ताद से बात की तो फिर उनके कहने पर इस साधना को मै ने सवा महीना नियमित रूप से किया जिस का प्रभाव ये है आप खुद अंदाज लगा सकते हो ये ब्लॉग मैं जून 2022 में लिख रहा हूँ और आज भी इस देव की कृपादृष्टि मुझ पर है।

इस दौरान अनेकों लोगों का सफल इलाज भी किया इनकी कृपा से सभ कुछ मिला।इस शक्ति का प्रभाव इतना ज्यादा है कि बड़े से बड़े देवता को भी उतार सकता है।

तंत्र का शांति एवं रोग निवृत्ति के हेतु प्रयोग सर्वोत्तम है इसके इलावा दुसरो को कष्ट और हानि पहुँचाना अपने कर्म भ्रष्ट करने के सिवाय कुछ भी नही। जिसका फल देर सवेर करता को भुगतना पड़ेगा ही पड़ेगा।


अब बात करते है साधना के विषय में इस वीर का नाम है सोहा वीर निसंदेह इस वीर के साथ हनुमान जी की उग्र शक्ति ही कार्य करती है अतः ये स्पष्ट है कि यदि इस शक्ति का उपासक हनुमान हनुमानजी का भगत हो तो ये शक्ति और भी अधिक ताकत से जागृत होती है

इस साधना में यही दिक्कत है कि आपको इसे करने से एक महीने पहले से ही नित्य सुंदरकांड का पाठ और गोंद कतीरा का प्रतिदिन सेवन करना शुरू कर देना चाहिए वरना इस वीर की मोहिनी स्त्री रूप बनाकर साधक का लंगोट खराब कर देती है जिससे साधना खंडित हो जाने का भय रहता है।

अगर आप किसी ऐसे स्थान पर साधना कर रहे हो जहाँ पर किसी जच्चा की मृत्यु हुई हो तो आपको सभ से पहले उस जगह की शुद्धि करनी होगी।

पित्र के प्रेत की बाधा से अक्सर इस साधना के असफल हो जाने का भय रहता है इस लिए इस तरह की समस्याओं का पहले ही निवारण कर लें।

साधना में प्रयोग होने वाली सामग्रियां पहले से ही उचित मात्रा में खरीद लें।

यह साधना सभा महीने की है 
साधक को इस साधना के दौरान भूमि पर ही सोना है 
ब्रह्मचर्य का पूर्ण तरह पालन करना है
केश इत्यादि नही कटवाने
सफेद वस्त्र धारण करने है
भोजन शुद्ध सात्विक लेना है
साधना के दौरान की किसी भी मरीज का कोई इलाज नहीं करना ।
अपना भोजन खुद तैयार करना है।
किसी से अपनी सेवा नही करवानी।
विशेष रूप से नित्य प्रति ॐ मन्त्र सहित त्राटक और ध्यान करें।
ज्यादा शोर शराबे से दूर रहें।
माला रुद्राक्ष की या सफेद हकीक की 108 दाने वाली होनी चाहिये
वस्त्र सूती सफेद रंग के हों
मन्त्र जाप करते समय सिर ढककर रखें।

विधि

किसी भी मास की शुक्ल पक्ष के प्रथम ब्रहस्पतिवार से किसी इकांत स्थान पर पूर्वाभिमुख होकर अपने सामने एक चतुर कोन अग्नि कुंड का निर्माण करें 

उस कुंड के ईशान कोण में एक लोहे का चिमटा गाड़ दें कुंड के पूर्व में धूफ दीप प्रज्वलित करें कुछ मिठाई का भोग और एक जल का पात्र धरें और उस में गाय के उपले जलाकर अंगारे बना लें। 

फिर अपने आसन की चारों तरफ रक्षा मंत्र पढ़ते हुए गोलाकार घेरा लगाएं या निम्न रक्षा मंत्र को 108 बार पढ़ते हुए आपने शरीर पर फूंक मार लें।

धूफ की एक 108 चने बराबर गोलियां बना लें  108 जोड़ी सबूत लौंग यानी 216 लौंग ले लें

4 माला मन्त्र बिना आहुति के जाप करें और फिर पांचवीं माला के प्रत्येक मन्त्र पर एक गोली धूफ की और 2 लौंग अग्नि कुंड में दाल दें।

समय समय पर अग्नि कुंड में पिसा हुआ लोहबान एक दो चुटकी भर डालते रहें ताकि लगातार लोहबान का धुआं चलता रहे। यही क्रम आपको बिना नागा लगातार 43 दिनों तक करना है ।

10 दिनों के उपरांत इस शक्ति का प्रभाव समझ आने लग जाता है साधना काल के दौरान साधक को अपने आसपास
आलौकिक ऊर्जा का अनुभव होने लग जाता है।

धीरे धीरे ये शक्ति आपके कुंडलिनी चक्रों को सक्रिय कर देती है। प्रयोग के अंतिम दिनों में वीर क्षणिक तौर पर किसी न किसी रूप में आपके सामने आएगा ही आएगा।

फिर जब ये शक्ति आपके आस पास आयेगी तो सिर्फ आपको ही इसका पता होगा आपके बिना बताये कोई भी बड़े से बड़ा तांत्रिक इस को नही खोज पायेगा ।

कुछ समय आपको कठिन मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन आपके पास आये हुए मरीज अपने कष्टों से छुटकारा पाएंगे तब आपको बहुत आनन्द प्राप्त होगा। 

इस साधना को करते हुए मुझे जो अनुभव प्राप्त हुए मैंने वह अनुभव आप लोगों से साझा कर दिए ताकि किसी नए साधक को प्रत्येक आयाम से इस साधना के विषय में जानकारी मिले यह एक शक्तिशाली साधना है इसको करने के बाद आपकी शक्ति इस प्रकार विकसित हो जाएगी आप जहां भी रहोगे वहां के लोग आपकी शक्ति द्वारा सुरक्षित रहेंगे।

मन्त्र 

ॐ सोहं चक्र की बाबड़ी गल मोतियन का हार । 
पदमनी पानी नीकरी लंका करे सिगार। 
लंका सी कोट समुद्र सी खाई ।
चलो चौकी राजा राम चन्द्र की आई। 
कौन कौन वीर चले हनुमान वीर चले 
शोका वीर सबा हाथ जमीन सोखत करें।
जल को सोखन्त करें 
पवन को सोखन्त करें। 
पानी को सोखन्त करें 
अग्नि को सोखन्त करें। 
पलीतनी की भूत-प्रेत को पलीद करें । 
बैरी को सोखन्त करें 
परमात्मा का चक्र चले 
वह नौ पवन सोखन्त करें। 
नहीं तो मां का चुसे दूध हराम करें। 
शब्द सांचा पिंड कांचा चलो मंत्र ईश्वरी वाचा ।


प्रयोग करने से पहले इस मंत्र को पूरी तरह से याद करने अक्षर त्रुटि नहीं होनी चाहिए उच्चारण शुद्ध होना चाहिए

अब आपको बताने जा रहा हूं रक्षा मंत्र जो इस साधना के दौरान इस्तेमाल किया जाता है

स्वयं सिद्ध मंत्र है जो आपको देने जा रहा हूं इस को याद करके 108 बार होम जाप करने से आपके अनुकूल हो जायेगा।

ॐ नमः वज्र का कोठा ।
जिसमें पिंड हमारा पेठा ।
ईश्वर कुञ्जी ।
ब्रह्म का ताला ।
मेरे आठों यामों का 
यती हनुमन्त रखवाला। 

यह मंत्र पूर्णतया प्रभावी हैं और सक्रिय हैं जरूरत होती है साधना करने की अपने गुरु के मार्गदर्शन में ईश्वर आपका कल्याण करें मेरे पास जो इस साधना के विषय में अनुभव था वह मैंने आप लोगों से साझा किया

शुभकामनाएं 🙌




















शनिवार, 4 जून 2022

गृह कलेश निवारण

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां आदमी को दो वक्त की रोटी जुटाने में बड़ी मुश्किल आती है और अगर किसी कारण से घर में नित्यप्रति  क्लेश शुरू हो जाए तो आदमी का जीना दूभर हो जाता है।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बिना कारण होने वाले क्लेश कई बार ऐसा भयानक रूप ले लेते हैं जिसके कारण घर के सदस्य आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं लेकिन कोई भी ना तो इसके कारणों को जानने की कोशिश करता है और ना ही जा नहीं पाता है कई बार अधिकतर तौर से तौर पर यह देखा गया है कि क्लेश के कारण होते हैं लेकिन उनका निवारण नहीं हो पाता और कई बार ऐसा भी होता है कि क्लेश बिना कारण होते हैं ऐसे में आपकी ज्ञानेंद्रियां या छठी इंद्री आपको कई बार ऐसा आभास भी करवा सकती हैं कि यह क्लेश किसी दैवीय कारण से हो रहा है।

क्लेश ज्ञात अज्ञात किसी भी कारण से होता हो लेकिन नुकसान ही करवाता है बड़े बड़े परिवार भी इसके कारण बिखर जाते है।

ऐसे में यदि आपके जीवन में कभी ऐसा समय आ जाए कि जब आपके घर में ऐसा क्लेश होता रहता हो तो आपको मैं एक साधना बताने जा रहा हूं जिसको करने में करने से आपके घर में शांति स्थापित हो जायेगी और घर का वातावरण पूरी तरह शांतमय हो जाता है।

इस मंत्र को बहुत बार आजमाया जा चुका है और बहुत सारे घर इस मंत्र के प्रताप से शांत में रूप से बस रहे हैं इसकी साधना व्यर्थ नहीं जाती हालांकि मंत्र जाप करने की विधि कष्ट की अधिकता के अनुरूप बढ़ जाती है । सामान्य रूप में इस मंत्र का प्रभाव एक हफ्ते के भीतर दिखाई देने लग जाता है और घर का माहौल शांत होने लग जाता है

प्रातः काल नित्य कर्म और स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर नित्यप्रति की पाठ पूजा संपन्न कर लें फिर पूर्वाभिमुख होकर आसन  पर बैठकर एक साफ सुथरे तांबे का लोटे में जल भर ले और उस जल में थोड़ा सा अक्षत, गंध, पुष्प,कुछ मीठा एक जोड़ा लौंग दो चुटकी हल्दी अथवा कुमकुम डालकर आपने सामने रख लें  और साधारण रुद्राक्ष की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें और ईश्वर को घर में स्थायी शांति स्थापित करने की प्रार्थना करें
फिर जाप संम्पूर्ण होने के बाद घर के आंगन प्रांगण में लगे हुए किसी भी वृक्ष की जड़ में ये जल समर्पित कर दें तथा वहां पर धूफ या अगरबत्ती लगा दें 

इसी प्रकार आपको प्रतिदिन सुबह करना है इसको आपने नित्यकर्म में शामिल कर लें आपको कुछ ही दिनों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने लग जाएंगे और घर में अकारण होने वाला क्लेश सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो जाएगा और घर में चारों तरफ़ से खुशियां ही खुशियां प्राप्त होंगी।

लेकिन इस प्रयोग को करते हुए आपको कोई टोके नही इसलिए प्रातः काल जल्दी ही इस को कर लें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें।

इसको करते समय इतना अंधेरा हो कि ना तो आपका मुंह कोई स्पष्ट देख सके और ना ही आप किसी का तो ये प्रयोग बहुत ही तीव्र प्रभाव दिखाता है।

मन्त्र :- ॐ नमो शान्ते प्रशान्ते सर्व कृद्रो प्रश्मनी स्वाहा।




गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

सात्विक साधना द्वारा शत्रुनाश

सन्तातन धर्म में जहाँ वैष्णव पद्धति को सरल एवं सौम्य माना जाता है वहीं पर जो लोग वैष्णव पद्धति की साधनाये करते हैं और जिन्हें इस पद्धति का पूर्ण ज्ञान है उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान है कि इस शैली से की गई पूजा से जहां घर मे चिर स्थिर लक्ष्मी जी वास होता है।

उसी के साथ एक बात ये भी समझ लीजिए कि वैष्णव शक्तियां जल्दी अप्रसन्न नही होती अगर ये अप्रसन्न हो जाएं और समय पर इनको मनाया न जाये तो इन शकितयों से ही उग्र एवम प्रचण्ड तामसिक शक्तियों का पदुर्भाव होता है ।
इस लिए सौम्य एवम सात्विक शक्तियों का सदैव सम्मान करना चाहिए।

आज आपको इस लेख में मैं एक ऐसा उपाय बताने जा रहा हु जिससे आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा।

यदि आपके घर में बहुत अधिक गरीबी या दरिद्रता आ गयी है बहुत अधिक ऋण आपके ऊपर है जिसको आप उतार नही पा रहे।
या को व्यक्ति विशेष एव उसका परिवार जिसके सदस्यों की संख्या आपके परिवार से अधिक है जो धन पद एवं बल में आपसे कितना भी बड़ा क्यों न हो ऐसा व्यक्ति यदि आपसे अकारण द्वेष रखता है जिसके कारण आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को जीवन का भय है को निम्नलिखित प्रयोग को करके उपेक्षित लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

धन प्राप्ति प्रयोग:-नित्यप्रति रात्रि में जब आप सोने जाए तो उससे पहले घर पर बने मंदिर में पूर्वाभिमुख होकर इस स्तोत्र के 5 पाठ करें , तो शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी आजीविका एवं ज्ञात अज्ञात स्रोतों से आपको अवश्य धन लाभ होगा। ये प्रयोग शत प्रतिशत परीक्षित है कोई संदेह नही।

जैसा मैंने आपको पहले बताया कि यदि कोई प्रबल शत्रु आपके एव आपके परिवार के पीछे पड़ जाए और उस शत्रु तथा उसके परिवार कुटुंब से आपके पारिवारिक सदस्यों को जीवन हानि का भय हो तो इस प्रयोग को कर देना चाहिए।
कि सूर्यास्त के बाद चैराहे पर बैठकर इस स्तोत्र के पाँच पाठ लगातार तीन या पांच रविवार को करें और भगवान से अपने परिवार के रक्षा हेतु प्रार्थना करें तो कुछ काल में शत्रु विच्छिन होकर दरिद्रता एवं व्याधि से पीड़ित होकर नगर छोड़कर भाग जायेगें।

यदि आप द्वारा किया गया प्रयोग हरि इच्छा के विपरीत होगा तो आपका प्रयोग सफल नहीं होगा।


श्रीकृष्ण कीलक

ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्।
क्लम प्रसति केशालिं, भजेऽम्बुज-रूचि हरिम्।।
विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो !
ममाभीष्ट-वरं देहि, श्रीमत्-कमल-लोचन !।।
भवाम्बुधेः पाहि पाहि, प्राण-नाथ, कृपा-कर !
हर त्वं सर्व-पापानि, वांछा-कल्प-तरोर्मम।।
जले रक्ष स्थले रक्ष, रक्ष मां भव-सागरात्।
कूष्माण्डान् भूत-गणान्, चूर्णय त्वं महा-भयम्।।
शंख-स्वनेन शत्रूणां, हृदयानि विकम्पय।
देहि देहि महा-भूति, सर्व-सम्पत्-करं परम्।।
वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक ।
ज्वरं दाहं मनो दाहं, बन्ध बन्धनजं भयम्।।
निष्पीडय सद्यः सदा, गदा-धर गदाऽग्रजः ।
इति श्रीगोपिका-कान्तं, कीलकं परि-कीर्तितम्।।
यः पठेत् निशि वा पंच, मनोऽभिलषितं भवेत्।
सकृत् वा पंचवारं वा, यः पठेत् तु चतुष्पथे।।
शत्रवः तस्य विच्छिनाः, स्थान-भ्रष्टा पलायिनः।
दरिद्रा भिक्षुरूपेण, क्लिश्यन्ते नात्र संशयः।।






श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...