शनिवार, 4 जून 2022

गृह कलेश निवारण

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां आदमी को दो वक्त की रोटी जुटाने में बड़ी मुश्किल आती है और अगर किसी कारण से घर में नित्यप्रति  क्लेश शुरू हो जाए तो आदमी का जीना दूभर हो जाता है।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बिना कारण होने वाले क्लेश कई बार ऐसा भयानक रूप ले लेते हैं जिसके कारण घर के सदस्य आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं लेकिन कोई भी ना तो इसके कारणों को जानने की कोशिश करता है और ना ही जा नहीं पाता है कई बार अधिकतर तौर से तौर पर यह देखा गया है कि क्लेश के कारण होते हैं लेकिन उनका निवारण नहीं हो पाता और कई बार ऐसा भी होता है कि क्लेश बिना कारण होते हैं ऐसे में आपकी ज्ञानेंद्रियां या छठी इंद्री आपको कई बार ऐसा आभास भी करवा सकती हैं कि यह क्लेश किसी दैवीय कारण से हो रहा है।

क्लेश ज्ञात अज्ञात किसी भी कारण से होता हो लेकिन नुकसान ही करवाता है बड़े बड़े परिवार भी इसके कारण बिखर जाते है।

ऐसे में यदि आपके जीवन में कभी ऐसा समय आ जाए कि जब आपके घर में ऐसा क्लेश होता रहता हो तो आपको मैं एक साधना बताने जा रहा हूं जिसको करने में करने से आपके घर में शांति स्थापित हो जायेगी और घर का वातावरण पूरी तरह शांतमय हो जाता है।

इस मंत्र को बहुत बार आजमाया जा चुका है और बहुत सारे घर इस मंत्र के प्रताप से शांत में रूप से बस रहे हैं इसकी साधना व्यर्थ नहीं जाती हालांकि मंत्र जाप करने की विधि कष्ट की अधिकता के अनुरूप बढ़ जाती है । सामान्य रूप में इस मंत्र का प्रभाव एक हफ्ते के भीतर दिखाई देने लग जाता है और घर का माहौल शांत होने लग जाता है

प्रातः काल नित्य कर्म और स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर नित्यप्रति की पाठ पूजा संपन्न कर लें फिर पूर्वाभिमुख होकर आसन  पर बैठकर एक साफ सुथरे तांबे का लोटे में जल भर ले और उस जल में थोड़ा सा अक्षत, गंध, पुष्प,कुछ मीठा एक जोड़ा लौंग दो चुटकी हल्दी अथवा कुमकुम डालकर आपने सामने रख लें  और साधारण रुद्राक्ष की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें और ईश्वर को घर में स्थायी शांति स्थापित करने की प्रार्थना करें
फिर जाप संम्पूर्ण होने के बाद घर के आंगन प्रांगण में लगे हुए किसी भी वृक्ष की जड़ में ये जल समर्पित कर दें तथा वहां पर धूफ या अगरबत्ती लगा दें 

इसी प्रकार आपको प्रतिदिन सुबह करना है इसको आपने नित्यकर्म में शामिल कर लें आपको कुछ ही दिनों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने लग जाएंगे और घर में अकारण होने वाला क्लेश सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो जाएगा और घर में चारों तरफ़ से खुशियां ही खुशियां प्राप्त होंगी।

लेकिन इस प्रयोग को करते हुए आपको कोई टोके नही इसलिए प्रातः काल जल्दी ही इस को कर लें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें।

इसको करते समय इतना अंधेरा हो कि ना तो आपका मुंह कोई स्पष्ट देख सके और ना ही आप किसी का तो ये प्रयोग बहुत ही तीव्र प्रभाव दिखाता है।

मन्त्र :- ॐ नमो शान्ते प्रशान्ते सर्व कृद्रो प्रश्मनी स्वाहा।




गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

सात्विक साधना द्वारा शत्रुनाश

सन्तातन धर्म में जहाँ वैष्णव पद्धति को सरल एवं सौम्य माना जाता है वहीं पर जो लोग वैष्णव पद्धति की साधनाये करते हैं और जिन्हें इस पद्धति का पूर्ण ज्ञान है उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान है कि इस शैली से की गई पूजा से जहां घर मे चिर स्थिर लक्ष्मी जी वास होता है।

उसी के साथ एक बात ये भी समझ लीजिए कि वैष्णव शक्तियां जल्दी अप्रसन्न नही होती अगर ये अप्रसन्न हो जाएं और समय पर इनको मनाया न जाये तो इन शकितयों से ही उग्र एवम प्रचण्ड तामसिक शक्तियों का पदुर्भाव होता है ।
इस लिए सौम्य एवम सात्विक शक्तियों का सदैव सम्मान करना चाहिए।

आज आपको इस लेख में मैं एक ऐसा उपाय बताने जा रहा हु जिससे आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा।

यदि आपके घर में बहुत अधिक गरीबी या दरिद्रता आ गयी है बहुत अधिक ऋण आपके ऊपर है जिसको आप उतार नही पा रहे।
या को व्यक्ति विशेष एव उसका परिवार जिसके सदस्यों की संख्या आपके परिवार से अधिक है जो धन पद एवं बल में आपसे कितना भी बड़ा क्यों न हो ऐसा व्यक्ति यदि आपसे अकारण द्वेष रखता है जिसके कारण आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को जीवन का भय है को निम्नलिखित प्रयोग को करके उपेक्षित लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

धन प्राप्ति प्रयोग:-नित्यप्रति रात्रि में जब आप सोने जाए तो उससे पहले घर पर बने मंदिर में पूर्वाभिमुख होकर इस स्तोत्र के 5 पाठ करें , तो शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी आजीविका एवं ज्ञात अज्ञात स्रोतों से आपको अवश्य धन लाभ होगा। ये प्रयोग शत प्रतिशत परीक्षित है कोई संदेह नही।

जैसा मैंने आपको पहले बताया कि यदि कोई प्रबल शत्रु आपके एव आपके परिवार के पीछे पड़ जाए और उस शत्रु तथा उसके परिवार कुटुंब से आपके पारिवारिक सदस्यों को जीवन हानि का भय हो तो इस प्रयोग को कर देना चाहिए।
कि सूर्यास्त के बाद चैराहे पर बैठकर इस स्तोत्र के पाँच पाठ लगातार तीन या पांच रविवार को करें और भगवान से अपने परिवार के रक्षा हेतु प्रार्थना करें तो कुछ काल में शत्रु विच्छिन होकर दरिद्रता एवं व्याधि से पीड़ित होकर नगर छोड़कर भाग जायेगें।

यदि आप द्वारा किया गया प्रयोग हरि इच्छा के विपरीत होगा तो आपका प्रयोग सफल नहीं होगा।


श्रीकृष्ण कीलक

ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्।
क्लम प्रसति केशालिं, भजेऽम्बुज-रूचि हरिम्।।
विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो !
ममाभीष्ट-वरं देहि, श्रीमत्-कमल-लोचन !।।
भवाम्बुधेः पाहि पाहि, प्राण-नाथ, कृपा-कर !
हर त्वं सर्व-पापानि, वांछा-कल्प-तरोर्मम।।
जले रक्ष स्थले रक्ष, रक्ष मां भव-सागरात्।
कूष्माण्डान् भूत-गणान्, चूर्णय त्वं महा-भयम्।।
शंख-स्वनेन शत्रूणां, हृदयानि विकम्पय।
देहि देहि महा-भूति, सर्व-सम्पत्-करं परम्।।
वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक ।
ज्वरं दाहं मनो दाहं, बन्ध बन्धनजं भयम्।।
निष्पीडय सद्यः सदा, गदा-धर गदाऽग्रजः ।
इति श्रीगोपिका-कान्तं, कीलकं परि-कीर्तितम्।।
यः पठेत् निशि वा पंच, मनोऽभिलषितं भवेत्।
सकृत् वा पंचवारं वा, यः पठेत् तु चतुष्पथे।।
शत्रवः तस्य विच्छिनाः, स्थान-भ्रष्टा पलायिनः।
दरिद्रा भिक्षुरूपेण, क्लिश्यन्ते नात्र संशयः।।






बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

भूत सिद्धि कच्चा कलवा

भूत की सिद्धि।
आत्मा को काबू में करने के लिए बहुत सारी साधनाएं हैं शूद्र योनि के प्राणियों की जो साधनाये की जाती हैं 

जिससे साधक अपने मनोवांछित कार्य संपन्न करवा सकता है और ऐसी चीजें जो देखने में असंभव से प्रतीत होती हैं उसे वास्तविक रूप से संपन्न करवा सकता है सालों का काम पलक झपकते ही हो जाता है 

धीरे-धीरे यह जो विद्या अथवा जानकारी दम तोड़ रही है तो इसलिए जानकारों का यह कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी साधनाएं जो कि समाप्त होती जा रही हैं उनको प्रकाश में लाया जाए।

भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी खबीस खबीस और ऐसे निम्न श्रेणी की आत्माएं जिनकी साधना करने में साधक को बहुत अधिक परहेज करने की आवश्यकता नहीं होती और इन साधनों के बहुत ज्यादा नियम भी नहीं हुआ करते इसलिए यह साधनाएं वर्तमान के समय में बहुत अधिक प्रचलित हो रही हैं 

देश काल के अनुसार साधक अपने परिश्रम और विश्वास के अनुरूप इन साधनों से लाभ प्राप्त कर सकता है लेकिन ऐसी साधनाएं जिनमें 100% सफलता साधक के गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करती हैं।

अगर यहां कोई साधना कम समय में बताई गई है और साधक को थोड़ा अधिक समय लग रहा है तो धैर्य बनाकर रखना चाहिए क्योंकि पर आएं ऐसा देखा गया है कि जिस साधना को 21 दिन की बताया जाता है साधक की मानसिक और शारीरिक आध्यात्मिक ऊर्जा के कम होने के कारण अधिक समय भी लग सकता है ऐसी साधना ही कई बार 2 या 3 महीने भी ले सकती है यदि उस समय साधक के पास गुरुद्वारा प्राप्त मार्गदर्शन नहीं होगा साधक अच्छी खासी समस्या में फंस सकता है और उसके जीवन का बहुत सारा समय बर्बाद हो सकता है उसे आर्थिक शारीरिक और मानसिक कष्ट प्राप्त हो सकता है इसीलिए गुरु के मार्गदर्शन में ही ऐसी साधनायें करें

आज एक ऐसी साधना यहां प्रकाश में लाने जा रहा हूं जोकि साधना ओं में पहले पायदान की साधना है यानी अगर कोई ऐसा साधक जिसको अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त है एवं वह साधक साहसी है और व्यवहारिक है तो यह साधना ऐसे साधक के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है।

ऐसे साधक जिनके अंदर धैर्य की कमी हो और बहुत जल्दबाजी वाले उनको यह साधना नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनको इसके कोई परिणाम प्राप्त नहीं होंगे सूखी लकड़ी में आग होती है दिखाई नहीं देती परस्पर दो लकड़ियों को लेकर यदि घर्षण किया जाए तो निश्चित एवं पर्याप्त समय के बाद उनमें आग उत्पन्न हो जाती है।

यह साधना हालांकि सिफ़ली है लेकिन परहेज कम होने के कारण इससे बहुत अच्छा लाभ उठाया जा सकता है हालांकि इसके करने में समय भी बहुत कम लगता है लेकिन कई बार साधक की गलती के हिसाब से इसको तो से तीसरी बार दोहराना पड़ सकता है तब भी बहुत अधिक समय नहीं लगता।

इस साधना का समय मात्र 7 दिन का है 

यह साधना कृष्ण पक्ष में बुधवार को की जाती है।

इस साधना में प्रतिदिन दिए जाने वाला भोग सवा पाव बर्फी खुशबूदार फूल सेंट अगरबत्ती और गुलाब जामुन दो पीस आपने घेरे के अंदर ही रखने हैं जाप संपन्न होने के उपरांत आपको वह पानी और यह भोग मदार की जड़ में ही रख देने हैं।

इसके लिए आपको ऐसा स्थान चुनना चाहिए जो कि वीराने में हो और पास ही कोई कब्रिस्तान हो वहां कोई पुराना मदार का पेड़ होना चाहिए

इस साधना को करते समय इसके विषय में किसी को ना बताएं वरना यह साधना पूरी तरह से बेकार हो जाएगी।

इस साधना की पहली और बड़ी जरूरी शर्त यह है की जब इस साधना को करें किसी उस्ताद या गुरु की इजाजत के बिना ना करें वरना आपको हर बार नाकामी हासिल होगी।

प्रातः काल सौंच जाने के बाद में जो पानी बच जाए उसे आपने संभाल कर रख लेना है। किसी काले कपड़े से उसको ढक कर रखना है ताकि उसपर सूर्य की रोशनी बिल्कुल ना पड़े।

इस साधना में नहाने धोने यहां बहुत साफ सुथरा रहने की आवश्यकता नहीं है हां लेकिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ेगा।

रात्रि में 10:00 बजे आपने निश्चित स्थान पर जाना है   पहले आपको अपना हिसार करना है और पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके मदार के पेड़ की जड़ के पास बैठ जाना है।

जो पानी आपने प्रातः काल बचाया था उस पानी को भी अपने साथ ले जाना है उसके बाद काले हकीक की माला से तीन माला निम्नलिखित जाप आपने करना है जाप के उपरांत वह पानी आपने मदार की जड़ में डाल देना है और चुपचाप बिना पीछे देखे घर वापस आ जाना है चाहे कोई कितनी भी आवाज पड़े कितनी भी भयंकर शक्ल आपको दिखाई दे आपने डरना नहीं है अगर आप डर जाओगे तो आपका मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

इस साधना के दौरान आपको बहुत ही शांत रहना है और अपने धैर्य का परिचय देना है उपरोक्त बताए के अनुसार आपको 7 दिन तक यह साधना नित्य रात्रि को बिना नागा बिना स्थान का परिवर्तन किए हुए एक ही समय पर लगातार करनी है वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं आसन कोई भी प्रयोग किया जा सकता है। साधना के तीसरे दिन छोटे-छोटे शैतान बच्चों के लड़ने झगड़ने की खेलने चिल्लाने की आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं उसके उपरांत जैसे-जैसे आप साधना में आगे बढ़ जाते हैं यह चीजें और भी अधिक डरावना रूप धारण कर लेती हैं 

यदि साधक विचलित नहीं हुआ तो यह साधक को पांचवें दिन डराने की कोशिश करता है छठे दिन भी ऐसे ही होता है सातवें दिन कुछ समय दौरान कराने के उपरांत यह बालक जो कि वास्तविक रूप से भूत होता है एक काले 12 से 17 साल के लड़के के रूप में सामने आ जाता है और साधक को धमकाने की कोशिश करता है लेकिन यदि साधक निडर हो और धैर्यवान हो तो ही सही रहता है क्योंकि यह आते ही भोजन मांगता है 

आपको उस समय ना तो धीरे से बाहर निकलना है और ना ही जा पूरा होने तक इस से बातचीत करनी है चाहे कितना ही चिल्लाये उसके उपरांत यह मजबूर हो जाता है साधक को वचन देने के लिए और कायदे से आराम से बात करता है।
जब यह वचन देने के लिए तैयार हो जाए तब साधक को बड़ा सोच समझकर इसके साथ वचन बंदी कर लेनी चाहिए और इससे निशानी लेनी चाहिए इस को बुलाने का तरीका काम करवाने का तरीका काम करवाने के एवज में दिए जाने वाला भोग उसको देने का तरीका यह सब पहले दिन ही पूछ लेना चाहिए वचन लेने के उपरांत यह गायब हो जाएगा।

साधक को ही इसके होने की समझ रहेगी दूसरा इसको नहीं समझ पाएगा चाहे कोई कितना भी बड़ा तांत्रिक क्यों ना हो 

यह चीज हमेशा याद रखिए गा यदि आप इससे कोई अनुचित कार्य करवाते हैं तो वह करवाया गया अनुचित कार्य का दण्ड कभी ना कभी जीवन में आपको या आपके अपनों को भोगना ही पड़ेगा

देश विदेश की खबर मंगवाना
किसी भी कार्य को जो कि बड़े से बड़ा भी हो इस साधना के संपन्न होने के बाद आप कुछ ही समय में संपन्न कर सकते हैं
दो शत्रुओं में जबरदस्त झगड़ा करवाना और झगड़े को समाप्त करवाना।
इसके जरिए किसी का वशीकरण करना 
किसी के व्यापारिक स्थल या कार्य  को  खोलना या बांधना
अपने जीवन में धन की कमी को पूरा करना लाटरी सट्टा मटका के अंक प्राप्त करना
हालांकि इस साधना के संपन्न होने के बाद आप भूत प्रेत बाधा ग्रसित रोगी का इलाज कर सकते हैं लेकिन इसके साधक को ये नही करना चाहिए क्योंकि इसके बाद साधक को शारीरिक रूप से कष्ट प्राप्त होने लग जाते हैं। और कुछ समय बीतने के बाद साधक की सिद्धि नष्ट हो जाती है।

इस साधना में प्रयुक्त होने वाला मन्त्र निम्लिखित दिया गया है:-
कबरां चिट्मचिट्टिया           विच खेडन बाल।
मैं बालां नु आख्या       करो किरपा किर्पाल।।
मेरे वैरियां दे कोठे ढाह के आओ जिन्दरे मार।
जे भूत तुसां सच दे,           सच देवो दिखा ।।
चले मन्त्र फुरो बांचा। देखां पीर उस्ताद तेरे इल्म दा तमाशा।।

इस साधना में प्रयोग होने वाला कवच आपको व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के उपरांत मिलेगा।

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

धूद्दा शैतान का सिफ़ली अमल

विशेष :- कोई भी अपने जन्म से बुरा नही हो हालात आदमी को बुरा बनने पर विवश कर देते है और अच्छे व्यक्ति को बुरे हालातों को दूर करने के लिए बुरा भी बनना पड़ जाता है लेकिन आटे में नमक चल जाता है नमक में आटा नही चलता।

आपके द्वारा किये गए बुरे कर्म आपको ही नही अपितू आपकी सन्तान को भी प्रभावित करते है कभी भी किसी को सपने में भी कष्ट ना दें ।

अत्याचार करना यदि गलत है तो सहना उससे भी ज्यादा गलत है अगर आपके साथ भी किसी प्रकार अत्याचार या अन्याय हो रहा है तो इस अमल को करके आपभी अपने शत्रुओं को दंडित कर सकते हैं।

तसख़ीर धूद्दा सिफ़ली

बहुत सारे साधको को अपने काम करवाने के लिए अलग अलग साधनायें और बहुत सारे यन्त्र मन्त्र तन्त्रों की विधियों के अनुसार उनका का सहारा लेना पड़ता है जो कि एक कठिन कार्य होता है लेकिन यहां आपको एक ऐसा अमल दे रहा हूँ जिस से आपको स्तम्भन मारण उच्चाटन विद्वेषण के लिए जीवन में सिर्फ एक बार की गई साधना ही काफी है और किसी साधना की जरूरत नहीं पड़ती।

काले इल्म में धूद्दा सिफुली अरवाह में से एक ताकतवर शक्ति है और उल्टे सीधे काम खूब आसानी से करता है। 

अगर कोई ताकतवर दुश्मन आपको बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है और या आपने अपने किसी दुश्मन को तकलीफ़ देना है तो ये बहुत काम करेगा, अगर किसी दुश्मन को बीमार करना वो इसके बाएं हाथ का काम है।

किसी को परेशान करना हो तो उसको ये पल झपकते ही कर देगा।

किसी का बना बनाया काम बिगड़ना हो उसको ये कूछ ही समय में कर देगा।

किसी के घर में आग लगवाना इस से करवाया जा सकता है।

ईंट पत्थर और कंकर फैंकवाना जैसे आमाल को धूद्दा बहुत खुशी से करता है

साधक की मर्ज़ी के मुताबिक दुश्मन को तकलीफ़ देता है और परेशान करता है। 

तमाम बुरे कामों  में शैतान की तरह धूद्दा साधक का मददगार रहता है, मंतर ये है:

“धूद्दा धूदम धूद्दा। धोला हस्से धूद्दा नच्चे। जिथ्थे धूद्दा उत्थे भांभड़ मच्चे।” धूद्दा नच्चे

साधना करने का तरीका

इसको सिद्ध करने का तरीका ये है के किसी एकांत मकान या घर में जहाँ कोई दूसरा ना आए। 

जमीन में एक गढ़ा खोदें जिसकी गेहराई आपकी नाफ़ तक होनी चाहिए। 

गढ़ा तंदूर की तरह का और उतना ही चौड़ा होना चाहिए। 

अब इस के चारों ओर साढ़े तीन  हाथ का फासला छोड़ कर किसी लोहे के चाकू से से सात बारआयतलकुर्सी पढ़कर हिसार लगायें 

साधक खुद इस हिसार से कुछ दूरी पर बाहर गड्ढे की तरफ मुंह करके नीचे दिए गए मंत्र को आधी रात के समय सात सौ(700) बार पढ़ा करें।

इसको सात से ग्यारह रोज़ तक बिना नागा ऐसा ही करें। 

पांचवें रोज़ उस गढ़े से धूल उठना शुरू होगी और बड़ी गंदी बदबू आना शुरू होगी 

अजीबो गरीब किस्म की आवाज़ें भी आना शुरू होंगी। 

कभी गधे, खच्चर और दीगर गंदे जानवरों की आवाजें आयेगी। 

बदबू भी तरह तरह की आएगी। 

सातवें रोज़ से ही ऊपर से इंसानी सिर और गधे पैरों वाला धूदहा सिफूली नज़र आना शुरू होगा कभी कभी किसी साधक को अलग अलग रूप में भी जैसे सिर धड़ इंसानी और पावं खच्चर जैसे होते है।

वो साधक को अपनी शक्लो सूरत ख़ौफ़नाक डरावनी दिखाकर डराया  करेगा। 

गढ़े में बार बार खूब दूलत्ते मारेगा और खूब मिट्टी उड़ेगी। किसी किस्म का ख़ौफ़ ना करें। 

इस अमल में ये सातवे रोज हाज़िर हो जाता है लेकिन इस साधना को लगातार ग्यारह दिन करें और ग्यारहवें रोज़ वादा लेकर दोबारा हाज़िरी का तरीका पूछ लें।

जब आपको इसकी जरूरत होगी ये फौरन हाज़िर होकर आपके बताये गए कामों में मददगार रहेगा। 

ये किसी भी अच्छे और नेक काम से फौरन इंकार कर देगा और उसमें आपकी कोई मदद नही करेगा।

और अधिक साधनायें प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें https://youtube.com/channel/UCI7FMflhS9VNu6jCysIxTFw

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

झली ख़बीसा की साधना

झली ख़बीसा की साधना


"झली ख़बीसा"मुस्लिम काले जादू में बहुत जबरदस्त ताकतों की मालिक एक ख़बीसा है और औरत के रूप में हाज़िर होती है जो हमज़ाद की तरह काम करती है। 

इससे बड़े से बड़े काम लिए जा सकते हैं क्योंकि ये हमजाद की तरह काम करती है इससे अच्छे और बुरे दोनो तरह के काम लिए जा सकते हैं 

किसी का भी  वशीकरण करना हो या किसी की मोहब्बत तुड़वानी हो किसी के ऊपर इसको लगा देना और अपना मन माना काम करवाना इन कामों को ये आसानी से कर देती है 

इसका अमल/साधना नीचे दिया जा रहा है अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कार्य इसकी साधना द्वारा किए जा सकते हैं। 

अपने साधक के हर काम को आसानी से कर देती है उसे देश विदेश की खबरें लाकर देती है। वह सभी कार्य जो एक हमजाद से लिए जाते हैं वह सभी कार्य करती है


इस अमल/साधना कुछ इस तरह है। 

इसकी साधना या अमल को एक एकांत स्थान पर जहां पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि इत्यादि ना आती हो एक कोठरी या कमरे में जो कि पहले से साफ सफाई करके साफ कर दिया गया हो और कमरे के समान को निकाल दिया गया हो।

उस कमरे में साधना के दौरान कोई दूसरा व्यक्ति दाखिल ना हो।

किसी भी महीने की इक्कीस (21) से  लेकर दूसरे महीने की दस ग्यारह (10,11) तक यानी इक्कीस (21) दिन पूरे करने हैं। 

इस अमल में खास बात यह है कि इस अमल में किसी भी प्रकार का सुरक्षा घेरा या हिसार नहीं किया जाता। 

इस अमल को बिलकुल निर्वस्त्र होकर करना है। 

रोज़ाना निश्चित समय पर पढ़ते समय दो दाने बूंदी मिठाई के बायें हाथ में रखें। 

मन्त्र को एक सौ इक्कीस(121) मर्तबा पढ़कर इन दानों पर दम कर दिया करें। एक दाना खुद खा लिया करें दूसरा वहीं साधना स्थल पर रख दिया करें। 

हफ्ते में आपको इसके असर दिखने चालू हो जाएंगे और इक्कीसवें दिन झली हाज़िर हो जाएगी। 

अपनी शर्तें तय करने के बाद जो कुछ कहेंगे, वो उस काम को फौरन पूरा कर देगी।

ईश्वर से जुड़े हुए लोग और सात्विक शक्तियों के साधक इस साधना को न करें क्योंकि इस साधना के दौरान ना तो आपने स्नान करना है ना अपना मुंह धो सकते हैं नाही ब्रश कर सकते हैं 

इस साधना को पूरी तरह से नापाकी में रहकर किया जाता है अगर किसी कारण से किसी भी तरह से कभी स्वप्नदोष इत्यादि होता है तो भी आप स्नान नहीं कर सकते इस साधना के दौरान उनके ब्रम्हचर्य का पालन करें और अपने धैर्य का प्रदर्शन करें ।

नापाकी,नापाकी और नापाकी ही इस साधना की पहली शर्त है

झली एक जबरदस्त नापाक खबीस रूह है एक इंतिहाई नापाक रूह है। 

इस वजह से नापाकी को पसंद करती है। और किससे सबसे ज्यादा वशीकरण में प्रयोग किया जाता है इसलिए जो परहेज नहीं कर सकते और नापाक साधना करना चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति इसको करें 

जब झली सिद्ध हो जाए तब उसको सवा सेर सरसों के तेल से बना हुआ हलवा चढ़ा दें। 

जब आप को ज़रूरत होगी तो याद करते ही फौरन हाज़िर होगी। 

हमज़ाद की तरह हर काम पलक झपकने से पहले करती है। किसी पर लगायी भी की जा सकती है। अपने साधक को हर तरह की  ख़बरें भी लाकर देती है।
मन्त्र निम्नलिखित है

"झली झली महा झली। दिनों नाचे। रातों बाल बिखरावंती ते तूँ नंगी। चित जा पट ला। मंगला मंगला मंगला ।”

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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

"दौली" जिन्नों की शहज़ादी

🎭 दौली शहज़ादी

दोली शेहज़ादी जिन्नात की बेहद खूबसूरत और रुहानी शक्तियों की मालिक शहज़ादी है। 

इसके अधीन जिन्नातों के बहुत सारे कबीले हैं और तमाम कामों में साधक की मार्गदर्शक और मददगार होती है।

जादू टोना और भूत प्रेत इत्यादि नकारात्मक शक्तियों के द्वारा त्रस्त मरीजों के इलाज में भी आमिल की मदद करती है और मोहब्बत एवं व जुदाई सभी के कामों में भी मदद करती है। 
साधक जब चाहे कहीं भी दूर बैठे बैठे किसी की भी खबर मंगवा सकता है 
इसको प्रसन्न करने के बाद साधक के लिए कोई भी वस्तु को प्राप्त करना असंभव नहीं रहता।

दौली शेहज़ादी की तसख़ीर के इस साधना को करने का तरीका

◆इस साधना को नौ चंदी जुमेरात से रोज़ाना एक सौ एक (101) बार मंतर बाद

◆ नमाज़ इशा तकरीबन रात्रि 10 बजे लकड़ी के तख़्त पोश पर आसान बिछा कर पढ़ा करें। 
 
◆पढ़ने के मकान में दूसरा कोई शख़्स ना आए। 

◆तख़्त पोश पर ही सो जाया करें। 

◆अमल पढ़ने से पहले चारों कुल शरीफ और आयतलकुर्सी पढ़कर अपने इर्द गिर्द हिसार कर लिया करें। 

◆अगरबत्ती रोज़ाना जलाया करें और अपने लिबास को इत्र उद्द ,हिना लगाकर रखें। 

◆लहसन, प्याज़, प्याज़, मूली, गोश्त, अंडा, मछली से परहैज़ करें। 

◆ साधना के दौरान पूरी तरह से ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करें और हमेशा उसी तख़्तपोश पर ही सोएं।

◆साधना के समय ज़लज़ला, आँधी, बारिश, टिड्डी दल, चिमगादड़, भेंस, बिल्लियाँ, सांप और रीछ वगैरा अक्सर नज़र आते हैं। अलावा अज़ीं डरावनी शक्लें भी सामने आती हैं। 

◆कई बार दोली शेहज़ादी के ताबै जिन्नात तख़्त पोश को उठाकर ले जाते हैं। आग में फैंकने या समुंदर में गिराने जैसा है। 

◆ रियाज़त ख़्वाबों में भी ऐसे ही मनाज़िर नज़र आते हैं। आमिल के लिए ज़रूरी है। के बिलकुल ना डरे और रोज़ाना मुकर्रर कर्दा तादाद में अमल पढ़ता रहे। 

◆इक्कीस दिनों के बाद रात खूबसूरत औरतों की शक्ल में दोली शेहज़ादी की कनीज़ें आती हैं जो आमिल को अपनी तरफ रागिब करने की कोशिश करती हैं। मिल के लिए लाज़िम है के अपने शेहवानी ख्यालात पर कंट्रोल रखे। 

◆चालीसवीं या इक्तालीसवीं रात दोली शेहज़ादी शाहाना लिबास मेंअपने ख़िद्दाम जिन्नात और कनीज़ों के हमराह हाज़िर होकर एहदो पैमाँ करेगी। 

◆अगर आमिल/साधक चाहे तो ख़िद्दाम जिन्नात या चंद कनीज़ों को दोली शेहजादी से मांग ले, वो उनको आमिल का मती व फरमाँबरदार बना देगी। 

◆साधक अगर चाहे तो सिर्फ दोली शेहजादी से अपनी दोस्ती का तलबगार रहे। कौलो करार करेगी।

◆दोली शेहज़ादी का आमिल पल भर में मगुरूर हसीनों को राम कर सकता है। 
◆हाज़िरी के वक्त दोबारा हाज़िरी का तरीका भी पूछ लें और तसख़ीरे के बाद भी अमल को रोज़ाना इक्तालीस(41) मर्तबा पढ़ना होगा हमेशा के लिए। 

◆जब भी दोली शेहज़ादी या उसके अता कर्दा खिद्दाम, जिन्नात या कनीज़ों को हाज़िर करेंगे, फौरन हाज़िर होकर आपकी मुआविना होंगी। 

◆दोली शेहज़ादी का आमिल हवा में परवाज़ कर सकता है, पल भन् में जहाँ चाहे जा सकता है, 

◆साधक को वो देशों विदेशों की करवाती है, ये शानदार साधना अमल अपनी मिसाल आप है।

दौली शेहज़ादी का मंतर ये है:

“काला कलवा काली रात। कलवा भेजिया गोरी के पास। गोरी नहीं आई मेरे पास। पई तड़फे दिन ते रात। बैठियाँ बह ना होवे। खिलोतियाँ खिलौना होवे। मेरे बाहिज आराम ना आवे। गोरी नौं कौन कौन लियावे। | हनुमान जत्ती और बैर भाई। आई माई कालकाँ आई कटक चढ़ाई। गोरी नों सिरों फड़ के लियाई। गोरी कीकर सड़े अग में बले। दोहाई व डपेर की। दोहाई नक्श ख़ातिम सुलेमानी। मैं मेहबूब इलाही । इस्लाम बरहक। बदूह हाज़िर। ख़िज़र ख़्वाज ज़ले बहुजूर। सूरत मोहम्मद की सब हाज़िर हुजुर। | उठे शाह फरिश्ता अध्धी रात लिया। वसल व कालुवा। अग्गे हो चले। तू मेरा मुहिब में तेरा मेहबूब। पूछन अपने जमाल से नबी साहब। चले समयाँ रास में। जिन्नों का पीर कहाए के बदूह के सुहूह ज़मान का पूत दौड़ कर आवे। नक्की नक्की जन्नत को कैद कर के लिया। देखे संतरी मेरे इल्म का तमाशा। मंतर का जंतर चले। अग्गे बी बी फातिमा वाह हज़रत अली चढ़े हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा चढ़े इस घड़ी। ववले वाह वाखले वाव ते नू दिल कबूतर हो रहिया। घेरा पड़ा यासीन हैं पुर मुरादतों महीउद्दीन। तेल तेल महाँ का तेल। मथ्थे लगावाँ राजा पर जा पीरीं पानवाँ चंद मारा मुख में सूरज करे रसो। तेग़ मारी महा वली सफ़ाना बोले को।

ये साधना बहुत ही ज्यादा खतरनाक और कठिन है बिना गुरु के इस प्रयोग को करने से धोखा मिलना 100% प्रमाणित है।

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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

चौरहिया मसाण

चौरहिया मसाण।।
नमस्कार दोस्तों आप सब का स्वागत करता हूं अपने चैनल में और जितने हमारे नए सब्सक्राइबर हैं उनका मैं स्वागत करता हूं अपने चैनल में आज की वीडियो का विषय तंत्र क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है
इस वीडियो में मैं आपको चौरहिया मसाण के बिषय में बताने जा रहा हूँ जिस प्रकार शमशान ,कब्रिस्तान और जल के मसान को जागृत किया जाता है उसी प्रकार चौराहे के मसान को भी जागृत किया जाता है जिसे चौरहिया मसान बोला जाता है और जो कि बहुत शक्तिशाली मसान होता है।
ज्यादातर यह मुस्लिम का इल्म में प्रयोग किया जाता है और इसके काम लेने का तरीका भी मुस्लिम होता है वीडियो में मैं आपको बताऊंगा कि चौरहिया मसान को किस प्रकार सिद्ध किया जाता है।
○किसी भी महीने के जेठा मंगलवार या शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से यह साधना शुरू की जाती है यह साधना किसी सुनसान ऐसे चौराहे पर की जाती है जहां की लोगों का आना-जाना बिल्कुल ना हो या कम हो

○ऐसी सुनसान चौराहे को साधना रूप में प्रयोग करने के लिए आपको पहले से ही चिन्हित करके रखना होगा जिससे की साधना के दौरान आपको बिल्कुल भी कभी टोक-टाक का सामना ना करना पड़े चौरहिया मसान दूसरे मसानों की तरह ही बहुत खतरनाक मसान होता है जिसके साथ बहुत जबरदस्त शक्तियां चलती हैं इन शक्तियों का प्रारूप तामसिक होता है और उग्र शक्तियां बहुत तीक्ष्ण होती हैं इन्हें चलने में अधिक समय नहीं लगता 

○यह सत्यानाशी के काम ज्यादा करती है आपके दुश्मन एक हो या अनेक यह मसान में हाहाकार मचा कर रखता है और किसी को भी चैन से बैठने नहीं देता लेकिन कभी भी किसी उग्र शक्ति का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के बाद वह आपको ही कष्ट देता है 

○कहीं पर लड़ाई झगड़ा करवाना हो या किसी का सत्यानाश करना हो किसी भी चीज़ को बंद करना हो या काले जादू द्वारा पफी हुई बंदिश खोलनी हो ये उस काम को फौरन कर देता है समय नही लगाता।

○चलिए चलते हैं बात करते हैं चौरहिया मसान को सिद्ध करने की विधि की
○सबसे पहले अपने गुरु या उस्ताद से आज्ञा प्राप्त करें ताकि आपकी ये साधना सफल हो एवम आपकी उस साधना के समय सुरक्षा भी हो जाए।

○यह साधना सिर्फ और सिर्फ एक हफ्ते की है जिसको की किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू किया जाता है कई बार विशेष परिस्तिथयों के अंतर्गत साधक को एक से अधिक बार ये साधना करनी पड़ सकती है और लगातार एक हफ्ता यह साधना की जाती है जिसमें आपको बहुत अधिक सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती 

○किसी सुनसान चौराहे पर पूर्वाभिमुख हो कर बैठ जाएं बैठने से पहले अपना घेरा या हिसार कर ले बिना हिसार या सुरक्षा के बैठना आपके प्राणों पर संकट खड़ा कर देगा।

○किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार की सायं को ये प्रयोग शुरू करें साधना के दौरान अपनी देखभाल करने के लिए किसी समर्पित व्यक्ति को अपने साथ रखना चाहिए और उसे साधना स्थल से कम से कम 100 फुट दूर साधना के समय बैठने को कहना चाहिए।
○इस साधना मैं वस्त्र काले रंग के और माला काले हकीक की 100 दाने वाली प्रयोग करें।
○साधना शुरू करने से पहले एक सफेद मुर्गा आपको चौराहिया मसान के नाम से बलि देना है उसके धड़ को किसी विराने में चौरहिया मसान के नाम से देना है और उस मुर्गे के सर को मिट्टी के किसी छोटे पात्र में बंद करके अपने पास साधना के समय रखना है।
○इसके साधना की मन्त्र संख्या इस प्रकार होगी पहले दिन एक माला दूसरे दिन दो माला तीसरे दिन तीन माला इसी प्रकार कर्म बढ़ाना चाहिए और आठवे दिन आठ माला का जाप एक बैठक में करें ।
○जब चौरहिया मसाण हाज़िर या प्रकट होकर आप से अपनी भेंट मांगे तो सभ से पहले उससे वचन लें उसको दोबारा बुलाने का तरीका पूछ लें और उसकी कोई निशानी लें तभी उसको वो भेंट दें वार्ना वो भेंट ले जायेगा और वचन नही देगा उस मुर्गे की गर्दन को मंत्रों द्वारा बांधकर आप साधना के अंत तक अपने पास रखें 
○इस साधना के दौरा न आप कच्चे कोयले की आग पर लोबान की धूनी मन्त्र जाप के समय जला कर रखें ताकि मन्द मन्द खुशबू निकलती रहे 
○साधना स्थली पर आते जाते बिल्कुल चुपचाप रहें किसी से साधना के समय बात करना मना है अपना बिस्तर जमीन पर ही लगाएं पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें मांस मिट्टी मछ्ली गोस्त कच्चा प्याज लहसुन पान सिगरेट का प्रयोग वर्जित है
○जब भी आपको चौरहिया मसाण से काम करवाना हो तो उसे एक मुर्गा भेंट करने पड़ेगा तक़भी वो आपका काम करेगा।
○मन्त्र:----.....नीला घोड़ा सब्ज़ पलान उत्ते चढ़े चौरहिया मसाण,जे साडा कम्म न करे अपनी माँ बहन दी सेज ते चढ़े।

○इस साधना में प्रयोग होने वाला रक्षा मंत्र :-              
         आयतालकुर्सी कक्ष कुरान
         अग्गे पिच्छे तू रहमान 
         धड़ रकह खुदा सिर रखे सुलेमान
         अली दी दुहाई अली दी दुहाई अली दी दुहाई।
         
○108 बार पढ़ने के बाद अपनी छाती पर 3 बार दम करें या नए चाकू पर 108 बार पढ़कर फूँके और उस चाकू द्वारा एक बड़ा सारा घेरा बनायें।
○ये साधना बहुत सक्रिय और खतरनाक है बिना गुरु के अगर कोई ये साधना अपने मन से कोई साधना करता है और अगर कोई इसकी विधि को तोड़ मरोड़ कर प्रयोग करने की कोशिश करता है और उस परिस्तिथति में कोई अप्रिय घटना होती है तो उसका हमारे और हमारे यूट्यूब चैनल/बलोगस्पॉट का कोई भी लेश मात्र भी उत्तर दायित्व नही होगा।

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श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...