बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

भूत सिद्धि कच्चा कलवा

भूत की सिद्धि।
आत्मा को काबू में करने के लिए बहुत सारी साधनाएं हैं शूद्र योनि के प्राणियों की जो साधनाये की जाती हैं 

जिससे साधक अपने मनोवांछित कार्य संपन्न करवा सकता है और ऐसी चीजें जो देखने में असंभव से प्रतीत होती हैं उसे वास्तविक रूप से संपन्न करवा सकता है सालों का काम पलक झपकते ही हो जाता है 

धीरे-धीरे यह जो विद्या अथवा जानकारी दम तोड़ रही है तो इसलिए जानकारों का यह कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी साधनाएं जो कि समाप्त होती जा रही हैं उनको प्रकाश में लाया जाए।

भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी खबीस खबीस और ऐसे निम्न श्रेणी की आत्माएं जिनकी साधना करने में साधक को बहुत अधिक परहेज करने की आवश्यकता नहीं होती और इन साधनों के बहुत ज्यादा नियम भी नहीं हुआ करते इसलिए यह साधनाएं वर्तमान के समय में बहुत अधिक प्रचलित हो रही हैं 

देश काल के अनुसार साधक अपने परिश्रम और विश्वास के अनुरूप इन साधनों से लाभ प्राप्त कर सकता है लेकिन ऐसी साधनाएं जिनमें 100% सफलता साधक के गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करती हैं।

अगर यहां कोई साधना कम समय में बताई गई है और साधक को थोड़ा अधिक समय लग रहा है तो धैर्य बनाकर रखना चाहिए क्योंकि पर आएं ऐसा देखा गया है कि जिस साधना को 21 दिन की बताया जाता है साधक की मानसिक और शारीरिक आध्यात्मिक ऊर्जा के कम होने के कारण अधिक समय भी लग सकता है ऐसी साधना ही कई बार 2 या 3 महीने भी ले सकती है यदि उस समय साधक के पास गुरुद्वारा प्राप्त मार्गदर्शन नहीं होगा साधक अच्छी खासी समस्या में फंस सकता है और उसके जीवन का बहुत सारा समय बर्बाद हो सकता है उसे आर्थिक शारीरिक और मानसिक कष्ट प्राप्त हो सकता है इसीलिए गुरु के मार्गदर्शन में ही ऐसी साधनायें करें

आज एक ऐसी साधना यहां प्रकाश में लाने जा रहा हूं जोकि साधना ओं में पहले पायदान की साधना है यानी अगर कोई ऐसा साधक जिसको अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त है एवं वह साधक साहसी है और व्यवहारिक है तो यह साधना ऐसे साधक के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है।

ऐसे साधक जिनके अंदर धैर्य की कमी हो और बहुत जल्दबाजी वाले उनको यह साधना नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनको इसके कोई परिणाम प्राप्त नहीं होंगे सूखी लकड़ी में आग होती है दिखाई नहीं देती परस्पर दो लकड़ियों को लेकर यदि घर्षण किया जाए तो निश्चित एवं पर्याप्त समय के बाद उनमें आग उत्पन्न हो जाती है।

यह साधना हालांकि सिफ़ली है लेकिन परहेज कम होने के कारण इससे बहुत अच्छा लाभ उठाया जा सकता है हालांकि इसके करने में समय भी बहुत कम लगता है लेकिन कई बार साधक की गलती के हिसाब से इसको तो से तीसरी बार दोहराना पड़ सकता है तब भी बहुत अधिक समय नहीं लगता।

इस साधना का समय मात्र 7 दिन का है 

यह साधना कृष्ण पक्ष में बुधवार को की जाती है।

इस साधना में प्रतिदिन दिए जाने वाला भोग सवा पाव बर्फी खुशबूदार फूल सेंट अगरबत्ती और गुलाब जामुन दो पीस आपने घेरे के अंदर ही रखने हैं जाप संपन्न होने के उपरांत आपको वह पानी और यह भोग मदार की जड़ में ही रख देने हैं।

इसके लिए आपको ऐसा स्थान चुनना चाहिए जो कि वीराने में हो और पास ही कोई कब्रिस्तान हो वहां कोई पुराना मदार का पेड़ होना चाहिए

इस साधना को करते समय इसके विषय में किसी को ना बताएं वरना यह साधना पूरी तरह से बेकार हो जाएगी।

इस साधना की पहली और बड़ी जरूरी शर्त यह है की जब इस साधना को करें किसी उस्ताद या गुरु की इजाजत के बिना ना करें वरना आपको हर बार नाकामी हासिल होगी।

प्रातः काल सौंच जाने के बाद में जो पानी बच जाए उसे आपने संभाल कर रख लेना है। किसी काले कपड़े से उसको ढक कर रखना है ताकि उसपर सूर्य की रोशनी बिल्कुल ना पड़े।

इस साधना में नहाने धोने यहां बहुत साफ सुथरा रहने की आवश्यकता नहीं है हां लेकिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ेगा।

रात्रि में 10:00 बजे आपने निश्चित स्थान पर जाना है   पहले आपको अपना हिसार करना है और पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके मदार के पेड़ की जड़ के पास बैठ जाना है।

जो पानी आपने प्रातः काल बचाया था उस पानी को भी अपने साथ ले जाना है उसके बाद काले हकीक की माला से तीन माला निम्नलिखित जाप आपने करना है जाप के उपरांत वह पानी आपने मदार की जड़ में डाल देना है और चुपचाप बिना पीछे देखे घर वापस आ जाना है चाहे कोई कितनी भी आवाज पड़े कितनी भी भयंकर शक्ल आपको दिखाई दे आपने डरना नहीं है अगर आप डर जाओगे तो आपका मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

इस साधना के दौरान आपको बहुत ही शांत रहना है और अपने धैर्य का परिचय देना है उपरोक्त बताए के अनुसार आपको 7 दिन तक यह साधना नित्य रात्रि को बिना नागा बिना स्थान का परिवर्तन किए हुए एक ही समय पर लगातार करनी है वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं आसन कोई भी प्रयोग किया जा सकता है। साधना के तीसरे दिन छोटे-छोटे शैतान बच्चों के लड़ने झगड़ने की खेलने चिल्लाने की आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं उसके उपरांत जैसे-जैसे आप साधना में आगे बढ़ जाते हैं यह चीजें और भी अधिक डरावना रूप धारण कर लेती हैं 

यदि साधक विचलित नहीं हुआ तो यह साधक को पांचवें दिन डराने की कोशिश करता है छठे दिन भी ऐसे ही होता है सातवें दिन कुछ समय दौरान कराने के उपरांत यह बालक जो कि वास्तविक रूप से भूत होता है एक काले 12 से 17 साल के लड़के के रूप में सामने आ जाता है और साधक को धमकाने की कोशिश करता है लेकिन यदि साधक निडर हो और धैर्यवान हो तो ही सही रहता है क्योंकि यह आते ही भोजन मांगता है 

आपको उस समय ना तो धीरे से बाहर निकलना है और ना ही जा पूरा होने तक इस से बातचीत करनी है चाहे कितना ही चिल्लाये उसके उपरांत यह मजबूर हो जाता है साधक को वचन देने के लिए और कायदे से आराम से बात करता है।
जब यह वचन देने के लिए तैयार हो जाए तब साधक को बड़ा सोच समझकर इसके साथ वचन बंदी कर लेनी चाहिए और इससे निशानी लेनी चाहिए इस को बुलाने का तरीका काम करवाने का तरीका काम करवाने के एवज में दिए जाने वाला भोग उसको देने का तरीका यह सब पहले दिन ही पूछ लेना चाहिए वचन लेने के उपरांत यह गायब हो जाएगा।

साधक को ही इसके होने की समझ रहेगी दूसरा इसको नहीं समझ पाएगा चाहे कोई कितना भी बड़ा तांत्रिक क्यों ना हो 

यह चीज हमेशा याद रखिए गा यदि आप इससे कोई अनुचित कार्य करवाते हैं तो वह करवाया गया अनुचित कार्य का दण्ड कभी ना कभी जीवन में आपको या आपके अपनों को भोगना ही पड़ेगा

देश विदेश की खबर मंगवाना
किसी भी कार्य को जो कि बड़े से बड़ा भी हो इस साधना के संपन्न होने के बाद आप कुछ ही समय में संपन्न कर सकते हैं
दो शत्रुओं में जबरदस्त झगड़ा करवाना और झगड़े को समाप्त करवाना।
इसके जरिए किसी का वशीकरण करना 
किसी के व्यापारिक स्थल या कार्य  को  खोलना या बांधना
अपने जीवन में धन की कमी को पूरा करना लाटरी सट्टा मटका के अंक प्राप्त करना
हालांकि इस साधना के संपन्न होने के बाद आप भूत प्रेत बाधा ग्रसित रोगी का इलाज कर सकते हैं लेकिन इसके साधक को ये नही करना चाहिए क्योंकि इसके बाद साधक को शारीरिक रूप से कष्ट प्राप्त होने लग जाते हैं। और कुछ समय बीतने के बाद साधक की सिद्धि नष्ट हो जाती है।

इस साधना में प्रयुक्त होने वाला मन्त्र निम्लिखित दिया गया है:-
कबरां चिट्मचिट्टिया           विच खेडन बाल।
मैं बालां नु आख्या       करो किरपा किर्पाल।।
मेरे वैरियां दे कोठे ढाह के आओ जिन्दरे मार।
जे भूत तुसां सच दे,           सच देवो दिखा ।।
चले मन्त्र फुरो बांचा। देखां पीर उस्ताद तेरे इल्म दा तमाशा।।

इस साधना में प्रयोग होने वाला कवच आपको व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के उपरांत मिलेगा।

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

धूद्दा शैतान का सिफ़ली अमल

विशेष :- कोई भी अपने जन्म से बुरा नही हो हालात आदमी को बुरा बनने पर विवश कर देते है और अच्छे व्यक्ति को बुरे हालातों को दूर करने के लिए बुरा भी बनना पड़ जाता है लेकिन आटे में नमक चल जाता है नमक में आटा नही चलता।

आपके द्वारा किये गए बुरे कर्म आपको ही नही अपितू आपकी सन्तान को भी प्रभावित करते है कभी भी किसी को सपने में भी कष्ट ना दें ।

अत्याचार करना यदि गलत है तो सहना उससे भी ज्यादा गलत है अगर आपके साथ भी किसी प्रकार अत्याचार या अन्याय हो रहा है तो इस अमल को करके आपभी अपने शत्रुओं को दंडित कर सकते हैं।

तसख़ीर धूद्दा सिफ़ली

बहुत सारे साधको को अपने काम करवाने के लिए अलग अलग साधनायें और बहुत सारे यन्त्र मन्त्र तन्त्रों की विधियों के अनुसार उनका का सहारा लेना पड़ता है जो कि एक कठिन कार्य होता है लेकिन यहां आपको एक ऐसा अमल दे रहा हूँ जिस से आपको स्तम्भन मारण उच्चाटन विद्वेषण के लिए जीवन में सिर्फ एक बार की गई साधना ही काफी है और किसी साधना की जरूरत नहीं पड़ती।

काले इल्म में धूद्दा सिफुली अरवाह में से एक ताकतवर शक्ति है और उल्टे सीधे काम खूब आसानी से करता है। 

अगर कोई ताकतवर दुश्मन आपको बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है और या आपने अपने किसी दुश्मन को तकलीफ़ देना है तो ये बहुत काम करेगा, अगर किसी दुश्मन को बीमार करना वो इसके बाएं हाथ का काम है।

किसी को परेशान करना हो तो उसको ये पल झपकते ही कर देगा।

किसी का बना बनाया काम बिगड़ना हो उसको ये कूछ ही समय में कर देगा।

किसी के घर में आग लगवाना इस से करवाया जा सकता है।

ईंट पत्थर और कंकर फैंकवाना जैसे आमाल को धूद्दा बहुत खुशी से करता है

साधक की मर्ज़ी के मुताबिक दुश्मन को तकलीफ़ देता है और परेशान करता है। 

तमाम बुरे कामों  में शैतान की तरह धूद्दा साधक का मददगार रहता है, मंतर ये है:

“धूद्दा धूदम धूद्दा। धोला हस्से धूद्दा नच्चे। जिथ्थे धूद्दा उत्थे भांभड़ मच्चे।” धूद्दा नच्चे

साधना करने का तरीका

इसको सिद्ध करने का तरीका ये है के किसी एकांत मकान या घर में जहाँ कोई दूसरा ना आए। 

जमीन में एक गढ़ा खोदें जिसकी गेहराई आपकी नाफ़ तक होनी चाहिए। 

गढ़ा तंदूर की तरह का और उतना ही चौड़ा होना चाहिए। 

अब इस के चारों ओर साढ़े तीन  हाथ का फासला छोड़ कर किसी लोहे के चाकू से से सात बारआयतलकुर्सी पढ़कर हिसार लगायें 

साधक खुद इस हिसार से कुछ दूरी पर बाहर गड्ढे की तरफ मुंह करके नीचे दिए गए मंत्र को आधी रात के समय सात सौ(700) बार पढ़ा करें।

इसको सात से ग्यारह रोज़ तक बिना नागा ऐसा ही करें। 

पांचवें रोज़ उस गढ़े से धूल उठना शुरू होगी और बड़ी गंदी बदबू आना शुरू होगी 

अजीबो गरीब किस्म की आवाज़ें भी आना शुरू होंगी। 

कभी गधे, खच्चर और दीगर गंदे जानवरों की आवाजें आयेगी। 

बदबू भी तरह तरह की आएगी। 

सातवें रोज़ से ही ऊपर से इंसानी सिर और गधे पैरों वाला धूदहा सिफूली नज़र आना शुरू होगा कभी कभी किसी साधक को अलग अलग रूप में भी जैसे सिर धड़ इंसानी और पावं खच्चर जैसे होते है।

वो साधक को अपनी शक्लो सूरत ख़ौफ़नाक डरावनी दिखाकर डराया  करेगा। 

गढ़े में बार बार खूब दूलत्ते मारेगा और खूब मिट्टी उड़ेगी। किसी किस्म का ख़ौफ़ ना करें। 

इस अमल में ये सातवे रोज हाज़िर हो जाता है लेकिन इस साधना को लगातार ग्यारह दिन करें और ग्यारहवें रोज़ वादा लेकर दोबारा हाज़िरी का तरीका पूछ लें।

जब आपको इसकी जरूरत होगी ये फौरन हाज़िर होकर आपके बताये गए कामों में मददगार रहेगा। 

ये किसी भी अच्छे और नेक काम से फौरन इंकार कर देगा और उसमें आपकी कोई मदद नही करेगा।

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सोमवार, 13 दिसंबर 2021

झली ख़बीसा की साधना

झली ख़बीसा की साधना


"झली ख़बीसा"मुस्लिम काले जादू में बहुत जबरदस्त ताकतों की मालिक एक ख़बीसा है और औरत के रूप में हाज़िर होती है जो हमज़ाद की तरह काम करती है। 

इससे बड़े से बड़े काम लिए जा सकते हैं क्योंकि ये हमजाद की तरह काम करती है इससे अच्छे और बुरे दोनो तरह के काम लिए जा सकते हैं 

किसी का भी  वशीकरण करना हो या किसी की मोहब्बत तुड़वानी हो किसी के ऊपर इसको लगा देना और अपना मन माना काम करवाना इन कामों को ये आसानी से कर देती है 

इसका अमल/साधना नीचे दिया जा रहा है अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कार्य इसकी साधना द्वारा किए जा सकते हैं। 

अपने साधक के हर काम को आसानी से कर देती है उसे देश विदेश की खबरें लाकर देती है। वह सभी कार्य जो एक हमजाद से लिए जाते हैं वह सभी कार्य करती है


इस अमल/साधना कुछ इस तरह है। 

इसकी साधना या अमल को एक एकांत स्थान पर जहां पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि इत्यादि ना आती हो एक कोठरी या कमरे में जो कि पहले से साफ सफाई करके साफ कर दिया गया हो और कमरे के समान को निकाल दिया गया हो।

उस कमरे में साधना के दौरान कोई दूसरा व्यक्ति दाखिल ना हो।

किसी भी महीने की इक्कीस (21) से  लेकर दूसरे महीने की दस ग्यारह (10,11) तक यानी इक्कीस (21) दिन पूरे करने हैं। 

इस अमल में खास बात यह है कि इस अमल में किसी भी प्रकार का सुरक्षा घेरा या हिसार नहीं किया जाता। 

इस अमल को बिलकुल निर्वस्त्र होकर करना है। 

रोज़ाना निश्चित समय पर पढ़ते समय दो दाने बूंदी मिठाई के बायें हाथ में रखें। 

मन्त्र को एक सौ इक्कीस(121) मर्तबा पढ़कर इन दानों पर दम कर दिया करें। एक दाना खुद खा लिया करें दूसरा वहीं साधना स्थल पर रख दिया करें। 

हफ्ते में आपको इसके असर दिखने चालू हो जाएंगे और इक्कीसवें दिन झली हाज़िर हो जाएगी। 

अपनी शर्तें तय करने के बाद जो कुछ कहेंगे, वो उस काम को फौरन पूरा कर देगी।

ईश्वर से जुड़े हुए लोग और सात्विक शक्तियों के साधक इस साधना को न करें क्योंकि इस साधना के दौरान ना तो आपने स्नान करना है ना अपना मुंह धो सकते हैं नाही ब्रश कर सकते हैं 

इस साधना को पूरी तरह से नापाकी में रहकर किया जाता है अगर किसी कारण से किसी भी तरह से कभी स्वप्नदोष इत्यादि होता है तो भी आप स्नान नहीं कर सकते इस साधना के दौरान उनके ब्रम्हचर्य का पालन करें और अपने धैर्य का प्रदर्शन करें ।

नापाकी,नापाकी और नापाकी ही इस साधना की पहली शर्त है

झली एक जबरदस्त नापाक खबीस रूह है एक इंतिहाई नापाक रूह है। 

इस वजह से नापाकी को पसंद करती है। और किससे सबसे ज्यादा वशीकरण में प्रयोग किया जाता है इसलिए जो परहेज नहीं कर सकते और नापाक साधना करना चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति इसको करें 

जब झली सिद्ध हो जाए तब उसको सवा सेर सरसों के तेल से बना हुआ हलवा चढ़ा दें। 

जब आप को ज़रूरत होगी तो याद करते ही फौरन हाज़िर होगी। 

हमज़ाद की तरह हर काम पलक झपकने से पहले करती है। किसी पर लगायी भी की जा सकती है। अपने साधक को हर तरह की  ख़बरें भी लाकर देती है।
मन्त्र निम्नलिखित है

"झली झली महा झली। दिनों नाचे। रातों बाल बिखरावंती ते तूँ नंगी। चित जा पट ला। मंगला मंगला मंगला ।”

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मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

"दौली" जिन्नों की शहज़ादी

🎭 दौली शहज़ादी

दोली शेहज़ादी जिन्नात की बेहद खूबसूरत और रुहानी शक्तियों की मालिक शहज़ादी है। 

इसके अधीन जिन्नातों के बहुत सारे कबीले हैं और तमाम कामों में साधक की मार्गदर्शक और मददगार होती है।

जादू टोना और भूत प्रेत इत्यादि नकारात्मक शक्तियों के द्वारा त्रस्त मरीजों के इलाज में भी आमिल की मदद करती है और मोहब्बत एवं व जुदाई सभी के कामों में भी मदद करती है। 
साधक जब चाहे कहीं भी दूर बैठे बैठे किसी की भी खबर मंगवा सकता है 
इसको प्रसन्न करने के बाद साधक के लिए कोई भी वस्तु को प्राप्त करना असंभव नहीं रहता।

दौली शेहज़ादी की तसख़ीर के इस साधना को करने का तरीका

◆इस साधना को नौ चंदी जुमेरात से रोज़ाना एक सौ एक (101) बार मंतर बाद

◆ नमाज़ इशा तकरीबन रात्रि 10 बजे लकड़ी के तख़्त पोश पर आसान बिछा कर पढ़ा करें। 
 
◆पढ़ने के मकान में दूसरा कोई शख़्स ना आए। 

◆तख़्त पोश पर ही सो जाया करें। 

◆अमल पढ़ने से पहले चारों कुल शरीफ और आयतलकुर्सी पढ़कर अपने इर्द गिर्द हिसार कर लिया करें। 

◆अगरबत्ती रोज़ाना जलाया करें और अपने लिबास को इत्र उद्द ,हिना लगाकर रखें। 

◆लहसन, प्याज़, प्याज़, मूली, गोश्त, अंडा, मछली से परहैज़ करें। 

◆ साधना के दौरान पूरी तरह से ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करें और हमेशा उसी तख़्तपोश पर ही सोएं।

◆साधना के समय ज़लज़ला, आँधी, बारिश, टिड्डी दल, चिमगादड़, भेंस, बिल्लियाँ, सांप और रीछ वगैरा अक्सर नज़र आते हैं। अलावा अज़ीं डरावनी शक्लें भी सामने आती हैं। 

◆कई बार दोली शेहज़ादी के ताबै जिन्नात तख़्त पोश को उठाकर ले जाते हैं। आग में फैंकने या समुंदर में गिराने जैसा है। 

◆ रियाज़त ख़्वाबों में भी ऐसे ही मनाज़िर नज़र आते हैं। आमिल के लिए ज़रूरी है। के बिलकुल ना डरे और रोज़ाना मुकर्रर कर्दा तादाद में अमल पढ़ता रहे। 

◆इक्कीस दिनों के बाद रात खूबसूरत औरतों की शक्ल में दोली शेहज़ादी की कनीज़ें आती हैं जो आमिल को अपनी तरफ रागिब करने की कोशिश करती हैं। मिल के लिए लाज़िम है के अपने शेहवानी ख्यालात पर कंट्रोल रखे। 

◆चालीसवीं या इक्तालीसवीं रात दोली शेहज़ादी शाहाना लिबास मेंअपने ख़िद्दाम जिन्नात और कनीज़ों के हमराह हाज़िर होकर एहदो पैमाँ करेगी। 

◆अगर आमिल/साधक चाहे तो ख़िद्दाम जिन्नात या चंद कनीज़ों को दोली शेहजादी से मांग ले, वो उनको आमिल का मती व फरमाँबरदार बना देगी। 

◆साधक अगर चाहे तो सिर्फ दोली शेहजादी से अपनी दोस्ती का तलबगार रहे। कौलो करार करेगी।

◆दोली शेहज़ादी का आमिल पल भर में मगुरूर हसीनों को राम कर सकता है। 
◆हाज़िरी के वक्त दोबारा हाज़िरी का तरीका भी पूछ लें और तसख़ीरे के बाद भी अमल को रोज़ाना इक्तालीस(41) मर्तबा पढ़ना होगा हमेशा के लिए। 

◆जब भी दोली शेहज़ादी या उसके अता कर्दा खिद्दाम, जिन्नात या कनीज़ों को हाज़िर करेंगे, फौरन हाज़िर होकर आपकी मुआविना होंगी। 

◆दोली शेहज़ादी का आमिल हवा में परवाज़ कर सकता है, पल भन् में जहाँ चाहे जा सकता है, 

◆साधक को वो देशों विदेशों की करवाती है, ये शानदार साधना अमल अपनी मिसाल आप है।

दौली शेहज़ादी का मंतर ये है:

“काला कलवा काली रात। कलवा भेजिया गोरी के पास। गोरी नहीं आई मेरे पास। पई तड़फे दिन ते रात। बैठियाँ बह ना होवे। खिलोतियाँ खिलौना होवे। मेरे बाहिज आराम ना आवे। गोरी नौं कौन कौन लियावे। | हनुमान जत्ती और बैर भाई। आई माई कालकाँ आई कटक चढ़ाई। गोरी नों सिरों फड़ के लियाई। गोरी कीकर सड़े अग में बले। दोहाई व डपेर की। दोहाई नक्श ख़ातिम सुलेमानी। मैं मेहबूब इलाही । इस्लाम बरहक। बदूह हाज़िर। ख़िज़र ख़्वाज ज़ले बहुजूर। सूरत मोहम्मद की सब हाज़िर हुजुर। | उठे शाह फरिश्ता अध्धी रात लिया। वसल व कालुवा। अग्गे हो चले। तू मेरा मुहिब में तेरा मेहबूब। पूछन अपने जमाल से नबी साहब। चले समयाँ रास में। जिन्नों का पीर कहाए के बदूह के सुहूह ज़मान का पूत दौड़ कर आवे। नक्की नक्की जन्नत को कैद कर के लिया। देखे संतरी मेरे इल्म का तमाशा। मंतर का जंतर चले। अग्गे बी बी फातिमा वाह हज़रत अली चढ़े हज़रत मोहम्मद मुसतफ़ा चढ़े इस घड़ी। ववले वाह वाखले वाव ते नू दिल कबूतर हो रहिया। घेरा पड़ा यासीन हैं पुर मुरादतों महीउद्दीन। तेल तेल महाँ का तेल। मथ्थे लगावाँ राजा पर जा पीरीं पानवाँ चंद मारा मुख में सूरज करे रसो। तेग़ मारी महा वली सफ़ाना बोले को।

ये साधना बहुत ही ज्यादा खतरनाक और कठिन है बिना गुरु के इस प्रयोग को करने से धोखा मिलना 100% प्रमाणित है।

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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

चौरहिया मसाण

चौरहिया मसाण।।
नमस्कार दोस्तों आप सब का स्वागत करता हूं अपने चैनल में और जितने हमारे नए सब्सक्राइबर हैं उनका मैं स्वागत करता हूं अपने चैनल में आज की वीडियो का विषय तंत्र क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है
इस वीडियो में मैं आपको चौरहिया मसाण के बिषय में बताने जा रहा हूँ जिस प्रकार शमशान ,कब्रिस्तान और जल के मसान को जागृत किया जाता है उसी प्रकार चौराहे के मसान को भी जागृत किया जाता है जिसे चौरहिया मसान बोला जाता है और जो कि बहुत शक्तिशाली मसान होता है।
ज्यादातर यह मुस्लिम का इल्म में प्रयोग किया जाता है और इसके काम लेने का तरीका भी मुस्लिम होता है वीडियो में मैं आपको बताऊंगा कि चौरहिया मसान को किस प्रकार सिद्ध किया जाता है।
○किसी भी महीने के जेठा मंगलवार या शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से यह साधना शुरू की जाती है यह साधना किसी सुनसान ऐसे चौराहे पर की जाती है जहां की लोगों का आना-जाना बिल्कुल ना हो या कम हो

○ऐसी सुनसान चौराहे को साधना रूप में प्रयोग करने के लिए आपको पहले से ही चिन्हित करके रखना होगा जिससे की साधना के दौरान आपको बिल्कुल भी कभी टोक-टाक का सामना ना करना पड़े चौरहिया मसान दूसरे मसानों की तरह ही बहुत खतरनाक मसान होता है जिसके साथ बहुत जबरदस्त शक्तियां चलती हैं इन शक्तियों का प्रारूप तामसिक होता है और उग्र शक्तियां बहुत तीक्ष्ण होती हैं इन्हें चलने में अधिक समय नहीं लगता 

○यह सत्यानाशी के काम ज्यादा करती है आपके दुश्मन एक हो या अनेक यह मसान में हाहाकार मचा कर रखता है और किसी को भी चैन से बैठने नहीं देता लेकिन कभी भी किसी उग्र शक्ति का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के बाद वह आपको ही कष्ट देता है 

○कहीं पर लड़ाई झगड़ा करवाना हो या किसी का सत्यानाश करना हो किसी भी चीज़ को बंद करना हो या काले जादू द्वारा पफी हुई बंदिश खोलनी हो ये उस काम को फौरन कर देता है समय नही लगाता।

○चलिए चलते हैं बात करते हैं चौरहिया मसान को सिद्ध करने की विधि की
○सबसे पहले अपने गुरु या उस्ताद से आज्ञा प्राप्त करें ताकि आपकी ये साधना सफल हो एवम आपकी उस साधना के समय सुरक्षा भी हो जाए।

○यह साधना सिर्फ और सिर्फ एक हफ्ते की है जिसको की किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू किया जाता है कई बार विशेष परिस्तिथयों के अंतर्गत साधक को एक से अधिक बार ये साधना करनी पड़ सकती है और लगातार एक हफ्ता यह साधना की जाती है जिसमें आपको बहुत अधिक सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती 

○किसी सुनसान चौराहे पर पूर्वाभिमुख हो कर बैठ जाएं बैठने से पहले अपना घेरा या हिसार कर ले बिना हिसार या सुरक्षा के बैठना आपके प्राणों पर संकट खड़ा कर देगा।

○किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार की सायं को ये प्रयोग शुरू करें साधना के दौरान अपनी देखभाल करने के लिए किसी समर्पित व्यक्ति को अपने साथ रखना चाहिए और उसे साधना स्थल से कम से कम 100 फुट दूर साधना के समय बैठने को कहना चाहिए।
○इस साधना मैं वस्त्र काले रंग के और माला काले हकीक की 100 दाने वाली प्रयोग करें।
○साधना शुरू करने से पहले एक सफेद मुर्गा आपको चौराहिया मसान के नाम से बलि देना है उसके धड़ को किसी विराने में चौरहिया मसान के नाम से देना है और उस मुर्गे के सर को मिट्टी के किसी छोटे पात्र में बंद करके अपने पास साधना के समय रखना है।
○इसके साधना की मन्त्र संख्या इस प्रकार होगी पहले दिन एक माला दूसरे दिन दो माला तीसरे दिन तीन माला इसी प्रकार कर्म बढ़ाना चाहिए और आठवे दिन आठ माला का जाप एक बैठक में करें ।
○जब चौरहिया मसाण हाज़िर या प्रकट होकर आप से अपनी भेंट मांगे तो सभ से पहले उससे वचन लें उसको दोबारा बुलाने का तरीका पूछ लें और उसकी कोई निशानी लें तभी उसको वो भेंट दें वार्ना वो भेंट ले जायेगा और वचन नही देगा उस मुर्गे की गर्दन को मंत्रों द्वारा बांधकर आप साधना के अंत तक अपने पास रखें 
○इस साधना के दौरा न आप कच्चे कोयले की आग पर लोबान की धूनी मन्त्र जाप के समय जला कर रखें ताकि मन्द मन्द खुशबू निकलती रहे 
○साधना स्थली पर आते जाते बिल्कुल चुपचाप रहें किसी से साधना के समय बात करना मना है अपना बिस्तर जमीन पर ही लगाएं पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें मांस मिट्टी मछ्ली गोस्त कच्चा प्याज लहसुन पान सिगरेट का प्रयोग वर्जित है
○जब भी आपको चौरहिया मसाण से काम करवाना हो तो उसे एक मुर्गा भेंट करने पड़ेगा तक़भी वो आपका काम करेगा।
○मन्त्र:----.....नीला घोड़ा सब्ज़ पलान उत्ते चढ़े चौरहिया मसाण,जे साडा कम्म न करे अपनी माँ बहन दी सेज ते चढ़े।

○इस साधना में प्रयोग होने वाला रक्षा मंत्र :-              
         आयतालकुर्सी कक्ष कुरान
         अग्गे पिच्छे तू रहमान 
         धड़ रकह खुदा सिर रखे सुलेमान
         अली दी दुहाई अली दी दुहाई अली दी दुहाई।
         
○108 बार पढ़ने के बाद अपनी छाती पर 3 बार दम करें या नए चाकू पर 108 बार पढ़कर फूँके और उस चाकू द्वारा एक बड़ा सारा घेरा बनायें।
○ये साधना बहुत सक्रिय और खतरनाक है बिना गुरु के अगर कोई ये साधना अपने मन से कोई साधना करता है और अगर कोई इसकी विधि को तोड़ मरोड़ कर प्रयोग करने की कोशिश करता है और उस परिस्तिथति में कोई अप्रिय घटना होती है तो उसका हमारे और हमारे यूट्यूब चैनल/बलोगस्पॉट का कोई भी लेश मात्र भी उत्तर दायित्व नही होगा।

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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

श्री श्यामा काली मन्त्र साधना

श्री श्यामा काली साधना


श्यामा काली साधना से लाभ

अब आप किसी भी संभव या असम्भव कार्य का मन में संकल्प कर, शनिवार के दिन माता काली तस्वीर के समक्ष धूप-दीप जगाकर, एक माला तो वह कार्य चमत्कारिक ढंग से पूर्ण हो जायेगा।

भगवती महाकाली की कई स्वरूपों में साधना की जाती है विशेष तौर पर श्री आद्या शक्ति महाकाली के "श्यामा काली" स्वरूप की साधना करने वाले साधक के हाथ में किसी का भी जीवन व मृत्यु प्रदान करने की क्षमता हो जाती है तथा वह अनेक प्रकार के चमत्कारों को जन्म देने वाला हो जाता है। साधक इस साधना के माध्यम से किसी भी जातक अथवा याचक के भूत भविष्य वर्तमान के विषय में जान सकता है और उसकी कही हुई हर बात सत्य प्रमाणित होती है 


साधना विधि- यह साधना किसी भी अमावस्या की रात्रि में आरम्भ करें। रात्रिकाल ठीक बारह बजे घर के एकान्त कमरे में दक्षिण दिशा में आम लकड़ी से बने सिंहासन स्थापित करें। सिंहासन पर काला वस्त्र बिछा दें और स्वयं भी काला वस्त्र ही धारण करें। सिंहासन के ऊपर माता काली की तस्वीर स्थापित करें। तस्वीर के आगे तांबे के प्लेट में- भगवती श्यामा काली का यंत्र स्थापित करें। इसके पश्चात् सुगन्धित अगरबत्ती और सिंहासन के चारों कोणों में चौमुखी दीपक (तिल के तेल से) जगावें। इसके पश्चात् दाहिने हाथ की अंजुली में जल लेकर निम्नलिखित मंत्र पढ़कर

शरीर को पवित्र करें। मंत्र समाप्ति के बाद अंजुली का जल अपने शरीर पर छिड़क लें।

शरीर पवित्र करने का मंत्र:- ॐ अपवित्र / पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। यः स्मरेत पुण्डरी काक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचि ॥ॐ पुण्डरी काक्ष पुनातु ॥

नोट- अब नीचे लिखित मंत्र का 21 बार जप करें

"ॐ गं गणपतये श्री श्यामा काली सिद्धि देहु नमो नमः" । इसके पश्चात् "श्यामा काली यंत्र" पर जल, अक्षत, चन्दन, बिल्वपत्र व पुष्प चढ़ायें। तत्पश्चात् गुरूदेव को नमस्कार करें। 

अब दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग मंत्र परे । 

श्री श्यामा काली विनियोग मंत्र:-

ॐ अस्य श्री श्यामा कालिका मंत्रस्य भैरव ऋषिः, उष्णिक्छंदः, श्यामा कालिका देवता, हीं, बीजं, शक्ति, क्रीं कीलकं मम अभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।

नोट- अब "ऋष्यादि न्यास" करन्यास "हृदयादि न्यास" विधि सम्पन्न करें। न्यास करने की विधि महाकाली साधना शीर्षक में वर्णित है।]

[

श्री श्यामा काली ऋष्यादि न्यास

ॐ भैरव ऋष्ये नम-सिर स्पर्श करें।
ॐ उष्णिक छंदसे नमः-मुख स्पर्श करें। 
ॐ श्यामा कालिका देवतायै नमः- हृदय स्पर्श करें।
ॐ ह्रीं बीजाय नमः- गुदा का स्पर्श करें। 
ॐ हुं शक्त्ये नमः- दोनों तलवे का स्पर्श करें। 
ॐ क्रीं कीलकाय नमः-नाभि स्पर्श करें।

ॐ बिनियोग नमः- सर्वांग शरीर का स्पर्श करें। । श्यामा काली "करन्यास"

“ॐ क्रां अंगुष्ठाय नमः"-मंत्र बोलकर तर्जनी को मोड़कर अंगूठे की जड़ से जहां मंगल का क्षेत्र है वहां स्पर्श करें

,“ॐ क्रीं तर्जनीभ्यां नमः"-मंत्र उच्चारण करते हुए अंगूठे की नोक से तर्जनी का छोर का स्पर्श करें।

"ॐ कुं मध्यमाभ्यां नमः" -मंत्र उच्चारण करते हुए अंगूठे से मध्यमा के अन्तिम भाग का स्पर्श करें।

“ॐ क्रैं अनामिकाभ्यां नमः"- मंत्रोच्चारण करते हुए अनामिका का स्पर्श करें। 

“ॐ क्रौं कनिष्ठकाभ्यां नमः"- मंत्रोच्चारण करते हुए कनिष्ठका उँगली के अन्तिम भाग के साथ अंगूठे की नोक का स्पर्श करें। 

“ॐ क्रः करतल पृष्टाभ्यां नमः"- यह मंत्र पढ़ते हुए दोनों हाथों की हथेलियों

को एक दूसरे के ऊपर नीचे दो बार घुमावें। नोट- अब हृदयादि न्यास क्रिया सम्पन्न करें। पद्मासन की मुद्रा में बांया हाथ

पर रखे हुए दाहिने हाथ की पांचों उँगलियों से निम्नलिखित अंगों का स्पर्श करें श्री श्यामा काली हृदयादि न्यास

घुटनों

ॐ क्रां हृदयाय नमः, 
ॐ क्रीं शिरसे स्वाहा 
ॐ क्रं शिखाये वषट् 
ॐ क्रैं कवचाय हुम, 
ॐ क्रौं नेत्रयोय वौषट,
 ॐ क्रः अस्त्राय फट् ।

श्री श्यामा काली कवच पाठ

शिरो में कालिका पातु क्रींकार काक्षरी परा। की क्रीं क्रीं मे ललांट च कालिका खड़ग धारिणी। हुं हुं पातु नेत्रयुग्मं ह्रीं ह्रीं पातु श्रुतिं मम । श्यामा कालिके पातु प्राण युग्मं महेश्वरि ॥ क्रीं क्रीं क्रीं रसना पातु हुं हुं पातु कपोलकम् । वदनं शकलं पातु हीं हीं स्वाहा स्वरूपिणी ।। द्वादश विंशत्यक्षरी स्कन्धी महाविद्या सुख प्रदा। खड़ग मुंडधरा काली सर्वांग मभितोऽवतु ।। क्रीं हुं हीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा हृदय मम । ऐं हुं ॐ ऐं स्तनद्वयं हीं फट् स्वाहा ककुत्स्थलं ॥ अष्टाक्षरी महाविद्या भुजौ पातु सकर्ऋका। क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं करौ पातु षडक्षरी मम॥ क्रीं नाभिमध्य देशं च दक्षिणे कालिके ऽवतु। क्रीं स्वाहा पातुपृष्ठंतु कालिका सा दशाक्षरी ॥ ह्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके हुं हीं पातु कटिद्वयं । काली दशाक्षरी विद्या स्वाहा पातूरूयुग्मकम् ॥ ॐ ह्रीं क्रीं में स्वाहा पातु कालिका जानुनी मम। काली हन्नामविद्येयं चतुषटी फलप्रदा ॥ क्रीं ह्रीं ह्रीं पातु गुल्फं श्यामा कालिका वतु। क्रीं हुं ह्रीं स्वाहा पदं पातु चतुर्दशाक्षरी मम ॥ खड़ग मुण्ड धरा काली वरदा भयहारिणी। विद्याभिः सकलाभिः सा सर्वान्ग मभितोऽवतु ॥ काली कपालिनी कुल्ला कुरूकुल्ला विरोधिनी। विप्र चिंता तथोग्रोग्र प्रभा दीप्ताधनस्विषा । नीला धना बालिका च माता मुद्रामित प्रभा। एता सर्वाः खड़गधरा मुंडमाला विभूषिता ॥ रक्षेतु मां दिक्षुदेवी ब्राह्मणी नारायणी तथा । माहेश्वरी य चामुण्डा कौमारी चौपराजिता । बाराही नारसिंही च स्वश्चामित भूषणा ।रक्षंतु स्वायुधै र्दिक्षु मां विदिक्षु यथा तथा ॥ 

विशेष- अब मातेश्वरी श्यामा काली का हाथ जोड़कर, निम्न करते हुए ध्यान वन्दना पाठ करें।

श्री श्यामा काली ध्यान वन्दना पाठ

गोराशी चतुर्भुजम् । कालिको श्यामा दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम् ॥ सान्नि शिर खड्गवा अभयं वरदं चैव दक्षिणोर्ध्व पाणिकाम् ॥ महामेष प्रभो श्यामां तथा चैव दिंगबराम्। कंटवक्त मुंडापताम्॥ कर्णावतं सतानीत शव भयानका। घोर दष्ट्रा करालास्यां पीनोन्नत पयोषराम् ॥ बालार्कमंडलाकारों लोवीन यान्वितम्। शवानां करसंघातेः कृतकांची हसमुखी ।। सुक्क दयगल दरक्त धारा विस्फरतानता। पोररूपा महारौद्री श्मशानालय वासिनिम्। दंतुरो दक्षिणा प्यापि मुक्तलंबक घोळयाम्। शिवामियर रूपाभिश्चतुर्दिश समन्निवताम् ॥ महाकालेन साध्य तुर्दिश समन्विताम्। महाकालेन सार्योध्यमुपविष्टर तातुराम सुख प्रसन्न वदना स्मेरानन सरोरुहाम्। एवं संचितये काली सर्वसिद्धि समुद्रिदाम् ॥

विशेष- अब मातेश्वरी श्यामा काली की सिद्धि हेतु रूद्राक्ष की माला में मंत्र जय आरम्भ करें। ग्यारह माला या 21 माला जप नित्य रात्रि तब तक करते रहे जब तक दो लाख मंत्र जप पूर्ण न हो जाये।

श्री श्यामा काली सिद्धि मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं पमेश्वरि श्यामा कालिके ह्रीं श्रीं क्रीं स्वाहा । 

नोट-मंत्र जप समाप्ति होने वाली रात्रि के दूसरे दिन की रात्रि में आम की लकड़ी पर आग जलाकर उपरोक्त मंत्र उच्चारण करते हुए, हवन सामग्री से दशांश हवन में आहुति डालें। 

तत्पश्चात् माता श्यामा काली की आरती उतारें। 

फिर 5 ब्राह्मण एवं 11 कुमारी कन्यावों को मीठा भोजन करावें। 

इतना करने से आपकी साधना सम्पन्न हो जाएगी।

आपके अपने कर्म आपके हाथों में है जानभूझ कभी भी किसी का बुरा ना करें।

बुधवार, 3 नवंबर 2021

वशीकरण

आज हर साधक वास्तविक और प्रमाणिक तंत्र मंत्र की साधनाओं की तलाश करता है हर आदमी को आगे बढ़ने के लिए किसी किसी शक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है जिसको कभी नाकारा नही जा सकता ऐसी विधि जो अचूक हो भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए आदि काल से ही तंत्र एक बहुत उत्तम माध्यम रहा है भौतिक संसार के हर कठिन से कठिन कार्य को तंत्र मंत्र की युक्ति से कुछ ही समय में आसानी से सिद्ध किया जा सकता है 

उचित कार्य में यदि तांत्रिक क्रियाओं का सहारा लिया जाए और बिना किसी प्राणी को कष्ट दिए अपने कार्य को सिद्ध कर लिया जाए तो कोई बुरी बात नही है कई बार वशीकरण एक दवा का काम कर जाता है जो आपसी पारिवारिक संघर्ष से सदस्यों को बचा देता है कम मात्रा में ज़हर भी दवा बन जाता है और अधिक मात्रा में जीवन रक्षक दवा भी प्राणघातक होती है

आपके कर्म आपने खुद के हाथों में ही होते हैं यानि आपका भविष्य आपके कर्मों पर पूरी तरह से निर्भर करता है

आज आपको एक ऐसे प्रयोग से अवगत करवाने जा रहा हूँ  जो कि सिर्फ एक दिन में ही सिद्ध हो जाता है और इसके परिणाम कई बार प्राप्त किये गए हैं

बेशक बहुत सी पुस्तकों में यह प्रयोग दिया गया है लेकिन इसके बारे में वही साधक आपको जिसने इस प्रयोग को किया होगा इस प्रयोग में काजल तैयार किया जाता है और कई बार इसके सफलता पूर्वक परिणाम भी प्राप्त किये है

किसी भी पर्व काल को सभसे पहले अपामार्ग को एक सुपारी पैसा कुछ अक्षत और हल्दी से निमंत्रण दे दें फिर उसी रात्रि में इस मन्त्र को जपते हुए  चुपचाप उस अपामार्ग' की टहनी तोड़ लाएं और घर के एकांत में सवा हाथ जमीन पर गाय के गोबर से गोल चौंका लगाए फिर उस टहनी पर रुई लपेट कर दीये में जलाएँ। उसके साथ एक जलपात्र रखें   
11 फूल अड़हुल या गुलाब के धरें धूफ सुलगाएँ सेंट बतासा लौंग इलायची 7 प्रकार की मिठाई एक जोड़ा जनेऊ धरें    तिल, सरसों के तेल में चमेली के तेल मिलाकर मिट्टी के दिये में जलाकर  इसका काजल तैयार कर लें। जब तक काजल बनता रहे, मंत्र का जाप करते साधक के वस्त्र और आसान लाल होगें जबकि माला रुद्राक्ष की होगी जब तक दिया जलता रहेगा जाप करते रहें।

प्रयोग
जब भी आवश्यकता हो सात बार इस मन्त्र का जाप करके
इस काजल को नेत्रों में आंजें। इस प्रयोग से पूरा का
गाँव या शहर ही साधक के अनुकूलित हो जाता है।


मन्त्र :-
नमः पद्मनी । 
अञ्जन मेरा नाम । 
इस नगरी में बैठके मोहूं सगरा गाम । 
मोहु पनघट को पनिहार । 
इस नगर को छत्तीस मोहूं पवन बयार । 
जो कोई मार मार करन्ता आवे । 
ताही नरसिंह वीर बायां पग के अंगूठा ।
तले गेर आवे । 
राज करन्ता राजा मोहूं । 
गद्दी बैठा बनिया मोहूं ।
मेरी भक्ति गुरू की शक्ति । 
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...