शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

चौरहिया मसाण

चौरहिया मसाण।।
नमस्कार दोस्तों आप सब का स्वागत करता हूं अपने चैनल में और जितने हमारे नए सब्सक्राइबर हैं उनका मैं स्वागत करता हूं अपने चैनल में आज की वीडियो का विषय तंत्र क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है
इस वीडियो में मैं आपको चौरहिया मसाण के बिषय में बताने जा रहा हूँ जिस प्रकार शमशान ,कब्रिस्तान और जल के मसान को जागृत किया जाता है उसी प्रकार चौराहे के मसान को भी जागृत किया जाता है जिसे चौरहिया मसान बोला जाता है और जो कि बहुत शक्तिशाली मसान होता है।
ज्यादातर यह मुस्लिम का इल्म में प्रयोग किया जाता है और इसके काम लेने का तरीका भी मुस्लिम होता है वीडियो में मैं आपको बताऊंगा कि चौरहिया मसान को किस प्रकार सिद्ध किया जाता है।
○किसी भी महीने के जेठा मंगलवार या शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से यह साधना शुरू की जाती है यह साधना किसी सुनसान ऐसे चौराहे पर की जाती है जहां की लोगों का आना-जाना बिल्कुल ना हो या कम हो

○ऐसी सुनसान चौराहे को साधना रूप में प्रयोग करने के लिए आपको पहले से ही चिन्हित करके रखना होगा जिससे की साधना के दौरान आपको बिल्कुल भी कभी टोक-टाक का सामना ना करना पड़े चौरहिया मसान दूसरे मसानों की तरह ही बहुत खतरनाक मसान होता है जिसके साथ बहुत जबरदस्त शक्तियां चलती हैं इन शक्तियों का प्रारूप तामसिक होता है और उग्र शक्तियां बहुत तीक्ष्ण होती हैं इन्हें चलने में अधिक समय नहीं लगता 

○यह सत्यानाशी के काम ज्यादा करती है आपके दुश्मन एक हो या अनेक यह मसान में हाहाकार मचा कर रखता है और किसी को भी चैन से बैठने नहीं देता लेकिन कभी भी किसी उग्र शक्ति का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि समय के बाद वह आपको ही कष्ट देता है 

○कहीं पर लड़ाई झगड़ा करवाना हो या किसी का सत्यानाश करना हो किसी भी चीज़ को बंद करना हो या काले जादू द्वारा पफी हुई बंदिश खोलनी हो ये उस काम को फौरन कर देता है समय नही लगाता।

○चलिए चलते हैं बात करते हैं चौरहिया मसान को सिद्ध करने की विधि की
○सबसे पहले अपने गुरु या उस्ताद से आज्ञा प्राप्त करें ताकि आपकी ये साधना सफल हो एवम आपकी उस साधना के समय सुरक्षा भी हो जाए।

○यह साधना सिर्फ और सिर्फ एक हफ्ते की है जिसको की किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से शुरू किया जाता है कई बार विशेष परिस्तिथयों के अंतर्गत साधक को एक से अधिक बार ये साधना करनी पड़ सकती है और लगातार एक हफ्ता यह साधना की जाती है जिसमें आपको बहुत अधिक सामग्रियों की आवश्यकता नहीं होती 

○किसी सुनसान चौराहे पर पूर्वाभिमुख हो कर बैठ जाएं बैठने से पहले अपना घेरा या हिसार कर ले बिना हिसार या सुरक्षा के बैठना आपके प्राणों पर संकट खड़ा कर देगा।

○किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार की सायं को ये प्रयोग शुरू करें साधना के दौरान अपनी देखभाल करने के लिए किसी समर्पित व्यक्ति को अपने साथ रखना चाहिए और उसे साधना स्थल से कम से कम 100 फुट दूर साधना के समय बैठने को कहना चाहिए।
○इस साधना मैं वस्त्र काले रंग के और माला काले हकीक की 100 दाने वाली प्रयोग करें।
○साधना शुरू करने से पहले एक सफेद मुर्गा आपको चौराहिया मसान के नाम से बलि देना है उसके धड़ को किसी विराने में चौरहिया मसान के नाम से देना है और उस मुर्गे के सर को मिट्टी के किसी छोटे पात्र में बंद करके अपने पास साधना के समय रखना है।
○इसके साधना की मन्त्र संख्या इस प्रकार होगी पहले दिन एक माला दूसरे दिन दो माला तीसरे दिन तीन माला इसी प्रकार कर्म बढ़ाना चाहिए और आठवे दिन आठ माला का जाप एक बैठक में करें ।
○जब चौरहिया मसाण हाज़िर या प्रकट होकर आप से अपनी भेंट मांगे तो सभ से पहले उससे वचन लें उसको दोबारा बुलाने का तरीका पूछ लें और उसकी कोई निशानी लें तभी उसको वो भेंट दें वार्ना वो भेंट ले जायेगा और वचन नही देगा उस मुर्गे की गर्दन को मंत्रों द्वारा बांधकर आप साधना के अंत तक अपने पास रखें 
○इस साधना के दौरा न आप कच्चे कोयले की आग पर लोबान की धूनी मन्त्र जाप के समय जला कर रखें ताकि मन्द मन्द खुशबू निकलती रहे 
○साधना स्थली पर आते जाते बिल्कुल चुपचाप रहें किसी से साधना के समय बात करना मना है अपना बिस्तर जमीन पर ही लगाएं पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें मांस मिट्टी मछ्ली गोस्त कच्चा प्याज लहसुन पान सिगरेट का प्रयोग वर्जित है
○जब भी आपको चौरहिया मसाण से काम करवाना हो तो उसे एक मुर्गा भेंट करने पड़ेगा तक़भी वो आपका काम करेगा।
○मन्त्र:----.....नीला घोड़ा सब्ज़ पलान उत्ते चढ़े चौरहिया मसाण,जे साडा कम्म न करे अपनी माँ बहन दी सेज ते चढ़े।

○इस साधना में प्रयोग होने वाला रक्षा मंत्र :-              
         आयतालकुर्सी कक्ष कुरान
         अग्गे पिच्छे तू रहमान 
         धड़ रकह खुदा सिर रखे सुलेमान
         अली दी दुहाई अली दी दुहाई अली दी दुहाई।
         
○108 बार पढ़ने के बाद अपनी छाती पर 3 बार दम करें या नए चाकू पर 108 बार पढ़कर फूँके और उस चाकू द्वारा एक बड़ा सारा घेरा बनायें।
○ये साधना बहुत सक्रिय और खतरनाक है बिना गुरु के अगर कोई ये साधना अपने मन से कोई साधना करता है और अगर कोई इसकी विधि को तोड़ मरोड़ कर प्रयोग करने की कोशिश करता है और उस परिस्तिथति में कोई अप्रिय घटना होती है तो उसका हमारे और हमारे यूट्यूब चैनल/बलोगस्पॉट का कोई भी लेश मात्र भी उत्तर दायित्व नही होगा।

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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

श्री श्यामा काली मन्त्र साधना

श्री श्यामा काली साधना


श्यामा काली साधना से लाभ

अब आप किसी भी संभव या असम्भव कार्य का मन में संकल्प कर, शनिवार के दिन माता काली तस्वीर के समक्ष धूप-दीप जगाकर, एक माला तो वह कार्य चमत्कारिक ढंग से पूर्ण हो जायेगा।

भगवती महाकाली की कई स्वरूपों में साधना की जाती है विशेष तौर पर श्री आद्या शक्ति महाकाली के "श्यामा काली" स्वरूप की साधना करने वाले साधक के हाथ में किसी का भी जीवन व मृत्यु प्रदान करने की क्षमता हो जाती है तथा वह अनेक प्रकार के चमत्कारों को जन्म देने वाला हो जाता है। साधक इस साधना के माध्यम से किसी भी जातक अथवा याचक के भूत भविष्य वर्तमान के विषय में जान सकता है और उसकी कही हुई हर बात सत्य प्रमाणित होती है 


साधना विधि- यह साधना किसी भी अमावस्या की रात्रि में आरम्भ करें। रात्रिकाल ठीक बारह बजे घर के एकान्त कमरे में दक्षिण दिशा में आम लकड़ी से बने सिंहासन स्थापित करें। सिंहासन पर काला वस्त्र बिछा दें और स्वयं भी काला वस्त्र ही धारण करें। सिंहासन के ऊपर माता काली की तस्वीर स्थापित करें। तस्वीर के आगे तांबे के प्लेट में- भगवती श्यामा काली का यंत्र स्थापित करें। इसके पश्चात् सुगन्धित अगरबत्ती और सिंहासन के चारों कोणों में चौमुखी दीपक (तिल के तेल से) जगावें। इसके पश्चात् दाहिने हाथ की अंजुली में जल लेकर निम्नलिखित मंत्र पढ़कर

शरीर को पवित्र करें। मंत्र समाप्ति के बाद अंजुली का जल अपने शरीर पर छिड़क लें।

शरीर पवित्र करने का मंत्र:- ॐ अपवित्र / पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। यः स्मरेत पुण्डरी काक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचि ॥ॐ पुण्डरी काक्ष पुनातु ॥

नोट- अब नीचे लिखित मंत्र का 21 बार जप करें

"ॐ गं गणपतये श्री श्यामा काली सिद्धि देहु नमो नमः" । इसके पश्चात् "श्यामा काली यंत्र" पर जल, अक्षत, चन्दन, बिल्वपत्र व पुष्प चढ़ायें। तत्पश्चात् गुरूदेव को नमस्कार करें। 

अब दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग मंत्र परे । 

श्री श्यामा काली विनियोग मंत्र:-

ॐ अस्य श्री श्यामा कालिका मंत्रस्य भैरव ऋषिः, उष्णिक्छंदः, श्यामा कालिका देवता, हीं, बीजं, शक्ति, क्रीं कीलकं मम अभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ।

नोट- अब "ऋष्यादि न्यास" करन्यास "हृदयादि न्यास" विधि सम्पन्न करें। न्यास करने की विधि महाकाली साधना शीर्षक में वर्णित है।]

[

श्री श्यामा काली ऋष्यादि न्यास

ॐ भैरव ऋष्ये नम-सिर स्पर्श करें।
ॐ उष्णिक छंदसे नमः-मुख स्पर्श करें। 
ॐ श्यामा कालिका देवतायै नमः- हृदय स्पर्श करें।
ॐ ह्रीं बीजाय नमः- गुदा का स्पर्श करें। 
ॐ हुं शक्त्ये नमः- दोनों तलवे का स्पर्श करें। 
ॐ क्रीं कीलकाय नमः-नाभि स्पर्श करें।

ॐ बिनियोग नमः- सर्वांग शरीर का स्पर्श करें। । श्यामा काली "करन्यास"

“ॐ क्रां अंगुष्ठाय नमः"-मंत्र बोलकर तर्जनी को मोड़कर अंगूठे की जड़ से जहां मंगल का क्षेत्र है वहां स्पर्श करें

,“ॐ क्रीं तर्जनीभ्यां नमः"-मंत्र उच्चारण करते हुए अंगूठे की नोक से तर्जनी का छोर का स्पर्श करें।

"ॐ कुं मध्यमाभ्यां नमः" -मंत्र उच्चारण करते हुए अंगूठे से मध्यमा के अन्तिम भाग का स्पर्श करें।

“ॐ क्रैं अनामिकाभ्यां नमः"- मंत्रोच्चारण करते हुए अनामिका का स्पर्श करें। 

“ॐ क्रौं कनिष्ठकाभ्यां नमः"- मंत्रोच्चारण करते हुए कनिष्ठका उँगली के अन्तिम भाग के साथ अंगूठे की नोक का स्पर्श करें। 

“ॐ क्रः करतल पृष्टाभ्यां नमः"- यह मंत्र पढ़ते हुए दोनों हाथों की हथेलियों

को एक दूसरे के ऊपर नीचे दो बार घुमावें। नोट- अब हृदयादि न्यास क्रिया सम्पन्न करें। पद्मासन की मुद्रा में बांया हाथ

पर रखे हुए दाहिने हाथ की पांचों उँगलियों से निम्नलिखित अंगों का स्पर्श करें श्री श्यामा काली हृदयादि न्यास

घुटनों

ॐ क्रां हृदयाय नमः, 
ॐ क्रीं शिरसे स्वाहा 
ॐ क्रं शिखाये वषट् 
ॐ क्रैं कवचाय हुम, 
ॐ क्रौं नेत्रयोय वौषट,
 ॐ क्रः अस्त्राय फट् ।

श्री श्यामा काली कवच पाठ

शिरो में कालिका पातु क्रींकार काक्षरी परा। की क्रीं क्रीं मे ललांट च कालिका खड़ग धारिणी। हुं हुं पातु नेत्रयुग्मं ह्रीं ह्रीं पातु श्रुतिं मम । श्यामा कालिके पातु प्राण युग्मं महेश्वरि ॥ क्रीं क्रीं क्रीं रसना पातु हुं हुं पातु कपोलकम् । वदनं शकलं पातु हीं हीं स्वाहा स्वरूपिणी ।। द्वादश विंशत्यक्षरी स्कन्धी महाविद्या सुख प्रदा। खड़ग मुंडधरा काली सर्वांग मभितोऽवतु ।। क्रीं हुं हीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा हृदय मम । ऐं हुं ॐ ऐं स्तनद्वयं हीं फट् स्वाहा ककुत्स्थलं ॥ अष्टाक्षरी महाविद्या भुजौ पातु सकर्ऋका। क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं करौ पातु षडक्षरी मम॥ क्रीं नाभिमध्य देशं च दक्षिणे कालिके ऽवतु। क्रीं स्वाहा पातुपृष्ठंतु कालिका सा दशाक्षरी ॥ ह्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके हुं हीं पातु कटिद्वयं । काली दशाक्षरी विद्या स्वाहा पातूरूयुग्मकम् ॥ ॐ ह्रीं क्रीं में स्वाहा पातु कालिका जानुनी मम। काली हन्नामविद्येयं चतुषटी फलप्रदा ॥ क्रीं ह्रीं ह्रीं पातु गुल्फं श्यामा कालिका वतु। क्रीं हुं ह्रीं स्वाहा पदं पातु चतुर्दशाक्षरी मम ॥ खड़ग मुण्ड धरा काली वरदा भयहारिणी। विद्याभिः सकलाभिः सा सर्वान्ग मभितोऽवतु ॥ काली कपालिनी कुल्ला कुरूकुल्ला विरोधिनी। विप्र चिंता तथोग्रोग्र प्रभा दीप्ताधनस्विषा । नीला धना बालिका च माता मुद्रामित प्रभा। एता सर्वाः खड़गधरा मुंडमाला विभूषिता ॥ रक्षेतु मां दिक्षुदेवी ब्राह्मणी नारायणी तथा । माहेश्वरी य चामुण्डा कौमारी चौपराजिता । बाराही नारसिंही च स्वश्चामित भूषणा ।रक्षंतु स्वायुधै र्दिक्षु मां विदिक्षु यथा तथा ॥ 

विशेष- अब मातेश्वरी श्यामा काली का हाथ जोड़कर, निम्न करते हुए ध्यान वन्दना पाठ करें।

श्री श्यामा काली ध्यान वन्दना पाठ

गोराशी चतुर्भुजम् । कालिको श्यामा दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम् ॥ सान्नि शिर खड्गवा अभयं वरदं चैव दक्षिणोर्ध्व पाणिकाम् ॥ महामेष प्रभो श्यामां तथा चैव दिंगबराम्। कंटवक्त मुंडापताम्॥ कर्णावतं सतानीत शव भयानका। घोर दष्ट्रा करालास्यां पीनोन्नत पयोषराम् ॥ बालार्कमंडलाकारों लोवीन यान्वितम्। शवानां करसंघातेः कृतकांची हसमुखी ।। सुक्क दयगल दरक्त धारा विस्फरतानता। पोररूपा महारौद्री श्मशानालय वासिनिम्। दंतुरो दक्षिणा प्यापि मुक्तलंबक घोळयाम्। शिवामियर रूपाभिश्चतुर्दिश समन्निवताम् ॥ महाकालेन साध्य तुर्दिश समन्विताम्। महाकालेन सार्योध्यमुपविष्टर तातुराम सुख प्रसन्न वदना स्मेरानन सरोरुहाम्। एवं संचितये काली सर्वसिद्धि समुद्रिदाम् ॥

विशेष- अब मातेश्वरी श्यामा काली की सिद्धि हेतु रूद्राक्ष की माला में मंत्र जय आरम्भ करें। ग्यारह माला या 21 माला जप नित्य रात्रि तब तक करते रहे जब तक दो लाख मंत्र जप पूर्ण न हो जाये।

श्री श्यामा काली सिद्धि मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं पमेश्वरि श्यामा कालिके ह्रीं श्रीं क्रीं स्वाहा । 

नोट-मंत्र जप समाप्ति होने वाली रात्रि के दूसरे दिन की रात्रि में आम की लकड़ी पर आग जलाकर उपरोक्त मंत्र उच्चारण करते हुए, हवन सामग्री से दशांश हवन में आहुति डालें। 

तत्पश्चात् माता श्यामा काली की आरती उतारें। 

फिर 5 ब्राह्मण एवं 11 कुमारी कन्यावों को मीठा भोजन करावें। 

इतना करने से आपकी साधना सम्पन्न हो जाएगी।

आपके अपने कर्म आपके हाथों में है जानभूझ कभी भी किसी का बुरा ना करें।

बुधवार, 3 नवंबर 2021

वशीकरण

आज हर साधक वास्तविक और प्रमाणिक तंत्र मंत्र की साधनाओं की तलाश करता है हर आदमी को आगे बढ़ने के लिए किसी किसी शक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है जिसको कभी नाकारा नही जा सकता ऐसी विधि जो अचूक हो भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए आदि काल से ही तंत्र एक बहुत उत्तम माध्यम रहा है भौतिक संसार के हर कठिन से कठिन कार्य को तंत्र मंत्र की युक्ति से कुछ ही समय में आसानी से सिद्ध किया जा सकता है 

उचित कार्य में यदि तांत्रिक क्रियाओं का सहारा लिया जाए और बिना किसी प्राणी को कष्ट दिए अपने कार्य को सिद्ध कर लिया जाए तो कोई बुरी बात नही है कई बार वशीकरण एक दवा का काम कर जाता है जो आपसी पारिवारिक संघर्ष से सदस्यों को बचा देता है कम मात्रा में ज़हर भी दवा बन जाता है और अधिक मात्रा में जीवन रक्षक दवा भी प्राणघातक होती है

आपके कर्म आपने खुद के हाथों में ही होते हैं यानि आपका भविष्य आपके कर्मों पर पूरी तरह से निर्भर करता है

आज आपको एक ऐसे प्रयोग से अवगत करवाने जा रहा हूँ  जो कि सिर्फ एक दिन में ही सिद्ध हो जाता है और इसके परिणाम कई बार प्राप्त किये गए हैं

बेशक बहुत सी पुस्तकों में यह प्रयोग दिया गया है लेकिन इसके बारे में वही साधक आपको जिसने इस प्रयोग को किया होगा इस प्रयोग में काजल तैयार किया जाता है और कई बार इसके सफलता पूर्वक परिणाम भी प्राप्त किये है

किसी भी पर्व काल को सभसे पहले अपामार्ग को एक सुपारी पैसा कुछ अक्षत और हल्दी से निमंत्रण दे दें फिर उसी रात्रि में इस मन्त्र को जपते हुए  चुपचाप उस अपामार्ग' की टहनी तोड़ लाएं और घर के एकांत में सवा हाथ जमीन पर गाय के गोबर से गोल चौंका लगाए फिर उस टहनी पर रुई लपेट कर दीये में जलाएँ। उसके साथ एक जलपात्र रखें   
11 फूल अड़हुल या गुलाब के धरें धूफ सुलगाएँ सेंट बतासा लौंग इलायची 7 प्रकार की मिठाई एक जोड़ा जनेऊ धरें    तिल, सरसों के तेल में चमेली के तेल मिलाकर मिट्टी के दिये में जलाकर  इसका काजल तैयार कर लें। जब तक काजल बनता रहे, मंत्र का जाप करते साधक के वस्त्र और आसान लाल होगें जबकि माला रुद्राक्ष की होगी जब तक दिया जलता रहेगा जाप करते रहें।

प्रयोग
जब भी आवश्यकता हो सात बार इस मन्त्र का जाप करके
इस काजल को नेत्रों में आंजें। इस प्रयोग से पूरा का
गाँव या शहर ही साधक के अनुकूलित हो जाता है।


मन्त्र :-
नमः पद्मनी । 
अञ्जन मेरा नाम । 
इस नगरी में बैठके मोहूं सगरा गाम । 
मोहु पनघट को पनिहार । 
इस नगर को छत्तीस मोहूं पवन बयार । 
जो कोई मार मार करन्ता आवे । 
ताही नरसिंह वीर बायां पग के अंगूठा ।
तले गेर आवे । 
राज करन्ता राजा मोहूं । 
गद्दी बैठा बनिया मोहूं ।
मेरी भक्ति गुरू की शक्ति । 
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।

शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

दीपावली के सिद्ध टोटके

दीपावली के टोटके 

शास्त्रों में बताए दीवाली के टोने-टोटके के उपायों को करने से बहुत जल्दी मां महालक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है तथा घर में धन-संपदा का आगमन होता है।

भारत के सभी पर्वों में दीवाली का सर्वाधिक महत्व है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सही विधि-विधान से लक्ष्मी का पूजन करने पर अगली दीवाली तक के लिए लक्ष्मी कृपा से घर में धन और धान्य की कमी नहीं आती है। साथ ही शास्त्रों में बताए टोने-टोटके के उपायों से भी बहुत जल्दी ही लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। लक्ष्मी कृपा पाने के लिए  उपाय यहां दिए जा रहे हैं, इन्हें सभी राशियों के लोग कर सकते हैं। इनमें से कोई भी एक या अधिक उपाय करने से दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पत्ति का आगमन होता है।

○दीपावली पूजन के समय पर लक्ष्मी जी को 11 कोड़ियां, 21 कमलगट्टा, 25 ग्राम पीली सरसों  चढ़ाएं (एक प्लेट में रखकर अर्पण करें)। अगले दिन तीनों चीजें लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजौरी में या जहां पैसा रखते हों वहां , रख दें। घर में धन धान्य की अपूर्व वृद्धि होगी

○दीपावली के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से घर में धन-संपत्ति की अपूर्व वृद्धि होती है।

○दीपावली के दिन पानी का नया घड़ा लाकर पानी भरकर रसोई में कपड़े से ढंककर रखने से घर में बरक्कत और खुशहाली बनी रहती है।

○धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य दरवाजे पर ऊँ बनाने से घर में लक्ष्मीजी (धन) का आगमन बना ही रहता है।

○नरक चतुर्दशी छोटी दीपावली को प्रात:काल अगर हाथी मिल जाए तो उसे गन्ना या मीठा जरूर खिलाने से अनिष्ठों, जटिल मुसीबतों से मुक्ति मिलती है। सारा साल अनहोनी से रक्षा होती है।

○दीपावली के पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहता है ।

○दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह लक्ष्मी-नारायण विष्णु मंदिर जाएं और एक साथ लक्ष्मी-नारायणजी को वस्त्र अर्पण करने से कभी भी धन की कमी नहीं रहेगी। संतान दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करेगी।

○दीपावली के दिन इमली के पेड़ की छोटी टहनी लाकर अपनी तिजेरी या धन रखने के स्थान पर रखने से धन में दिनोंदिन वृद्धि होती है।

○ दीपावली के दिन काली हल्दी को सिंदूर और धूप दीप से पूजन करने के बाद 2 चाँदी के सिक्कों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर धन स्थान पर रखने से आर्थिक समस्याएं कभी नहीं रहतीं।

○ दीपावली के अगले दिन गाय के गोबर का दीपक बनाकर उसमें पुराने गुड़ की एक डेली और मीठा तेल डालकर दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बीचों बीच रख दें। इससे घर में सुख-समृद्धि दिनों दिन बढ़ती रहेगी।

○दीपावली के दिन रुद्र भूमि (श्मशानभूमि) में स्थित शिव मंदिर में जाकर दूध में शहद मिलाकर चढ़ाने से सट्टे और शेयर बाजार से अचानक धन मिलता है।

○ दीपावली के दिन नया झाड़ू खरीदकर लाएं। पूजा से पहले उससे पूजा स्थान की सफाई कर उसे छुपाकर एक तरफ रख दें। अगले दिन से उसका उपयोग करें, इससे दरिद्रता का नाश होगा और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहेगा।

○दीपावली के दिन एक चाँदी की बाँसुरी राधा-कृष्णजी के मंदिर में चढ़ाने के बाद 43 दिन लगातार भगवान श्रीकृष्णजी के (ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा )मंत्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करें।  गाय को चारा खिलाएं और संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। निश्चय ही भगवान श्रीकृष्णजी की कृपा से आपको संतान प्राप्ति अवश्य ही होगी।

○दीपावली पर गणेश-लक्ष्मीजी की मूर्ति खरीदते समय यह अवश्य ही देखें कि गणेशजी की सूड़ गणेशजी की दांयी भुजा की ओर जरूर मुड़ी हो। इनकी पूजा दीपावली में करने से घर में रिद्धि-सिद्धि धनसंपदा में बढ़ोत्तरी, संतान की प्रतिष्ठा दिनोंदिन बढ़ती है।

○भाईदूज के एक दिन एक मुट्ठी साबुत बासमती चावल बहते हुए पानी में महालक्ष्मी जी का स्मरण करते हुए छोड़ने से धन्य-धान्य में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती है।

○आंवले के फल में, गाय के गोबर में, शंख में, कमल में, सफेद वस्त्रों में लक्ष्मीजी का वास होता है इनका हमेशा ही प्रयोग करें। आंवला घर में या गल्ले में अवश्य ही रखें।

○दीपावली के दिन हनुमान मंदिर में लाल पताका चढ़ाने से घर-परिवार की उन्नति के साथ ख्याति धन संपदा बढ़ाती है।

○ नरक चतुर्दशी की संध्या के समय घर की पश्चिम दिशा में खुले स्थान में या घर के पश्चिम में 14 दीपक पूर्वजों के नाम से जलाएं, इससे पितृ दोषों का नाश होता है तथा पितरों के आशीर्वाद से धन-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।

○दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।

○दीपावली पर तेल का दीपक जलाएं और दीपक में एक लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें। किसी मंदिर हनुमान मंदिर जाकर ऐसा दीपक भी लगा सकते हैं।

○किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल शिवलिंग पर चढ़ाना नहीं चाहिए।

○दीपावली पर महालक्ष्मी के पूजन में पीली कौड़ियां भी रखनी चाहिए। ये कौडिय़ा पूजन में रखने से महालक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती हैं। आपकी धन संबंधी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी।

○लक्ष्मी पूजन के समय हल्दी की गांठ भी साथ रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।

○दीपावली के दिन झाड़ू अवश्य खरीदना चाहिए। पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से करें। जब झाड़ू का काम न हो तो उसे छिपाकर रखना चाहिए।

○दीवाली के दिन किसी मंदिर में झाड़ू का दान करें। यदि आपके घर के आसपास कहीं महालक्ष्मी का मंदिर हो तो वहां गुलाब की सुगंध वाली अगरबत्ती का दान करें।

○इस दिन अमावस्या रहती है और इस तिथि पर पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने पर शनि के दोष और कालसर्प दोष समाप्त हो जाते हैं।

○दीपावली पर लक्ष्मी का पूजन करने के लिए स्थिर लग्न श्रेष्ठ माना जाता है। इस लग्न में पूजा करने पर महालक्ष्मी स्थाई रूप से घर में निवास करती हैं।-पूजा में लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और श्रीयंत्र रखना चाहिए। यदि स्फटिक का श्रीयंत्र हो तो सर्वश्रेष्ठ रहता है।

○अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। यह उपाय दीपावली की रात में किया जाना चाहिए। ध्यान रखें दीपक लगाकर चुपचाप अपने घर लौट आए, वापिस पलटकर न देखें।

○दीपावली की रात लक्ष्मी पूजा करते समय एक थोड़ा बड़ा घी का दीपक जलाएं, जिसमें नौ बत्तियां लगाई जा सके। सभी 9 बत्तियां जलाएं और लक्ष्मी पूजा करें।

○दीपावली की रात में लक्ष्मी पूजन के साथ ही अपनी दुकान, कम्प्यूटर आदि ऐसी चीजों की भी पूजा करें, जो आपकी कमाई का साधन हैं।

○लक्ष्मी पूजन के समय एक नारियल लें और उस पर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि अर्पित करें और उसे भी पूजा में रखें।

○दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।

○प्रथम पूज्य श्रीगणेश को दूर्वा अर्पित करें। दूर्वा की 21 गांठ गणेशजी को चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। दीपावली के शुभ दिन यह उपाय करने से गणेशजी के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।

○दीवाली की रात सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।

○ महालक्ष्मी के चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हैं। ऐसे चित्र का पूजन करने पर देवी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।

○दीपावाली पर श्रीसूक्त एवं कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रामरक्षा स्तोत्र या हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी किया जा सकता है।

○यदि संभव हो सके तो दीवाली वाले दिन किसी तालाब या नदी में मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। इस पुण्य कर्म से बड़े से बड़े संकट भी दूर हो जाते हैं।

○ एक बात का विशेष ध्यान रखें कि माह की हर अमावस्या पर पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जानी चाहिए। साफ-सफाई के बाद घर में धूप-दीप-ध्यान करें। इससे घर का वातावरण पवित्र और बरकत देने वाला बना रहेगा।

○लक्ष्मी पूजन में सुपारी रखें। सुपारी पर लाल धागा लपेटकर अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि पूजन सामग्री से पूजा करें और पूजन के बाद इस सुपारी को तिजोरी में रखें।
○घर में स्थित तुलसी के पौधे के पास दीपावली की रात में दीपक जलाएं। तुलसी को वस्त्र अर्पित करें।

○जो लोग धन का संचय बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें तिजोरी में लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। इसके प्रभाव से धन का संचय बढ़ता है। महालक्ष्मी का ऐसा फोटो रखें, जिसमें लक्ष्मी बैठी हुईं दिखाई दे रही हैं।

○दीपावली पर सुबह-सुबह शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। जल में यदि केसर भी डालेंगे तो श्रेष्ठ रहेगा।
○ महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार जप करें

सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

साधना चमत्कारी संदूनी की

संदूनी की साधना

हज़ार पल इंतज़ार के सब्र से काटो एक घडी मुलाकात की क़िस्मत पलट देगी।

संदूनी वास्तव में क्या है एक शक्तिशाली हसीन नौजवान  जिन्न कन्या जो पल भर में दुनिया भर की खुशियां आप के कदमो में डाल देने की ताकत रखती है। ये एक ऐसी साधना है जिसको करने से पैसे की हर ज़रूरत पूरी होती है।

आपके हर सपने को पूरा कर ने में सक्षम होती है एक ऐसी वफादार साथी जो कि आपपर आने वाली हर एक मुसीबत को समाप्त कर देती है अपने साधक को होने वाली हर बात के विषय में पहले ही बता देती हैं।

अगर साधक को धन की आवश्यकता हो तो उसे भी पूरा कर देती है यानी कितनी भी जरूरत हो पैसे का इंतजाम करने में समय नही लगती।

अपने साधक के दुश्मनों के तहस नहस कर देती है उसके दुश्मन धूल चाटते रहते है अगर वे साधक से दुश्मनी नही छोड़ते तो ये उनको मारने में समय नही लगती

वास्तव में इनका संबंध  जिन्नात की कौम है और जिनके खानदान का सीधा संबंध तवायफों और जादूगरों से है। इस लिए कई बार यह अपने जादू से साधक की साधना को भी खंडित कर देतीं है।

इसकी साधना के लिए आपको किसी शमशान कब्रिस्तान या चौराहे की बजाए एक साफ सुथरे लिपे पुते हुए अकेले कमरे का चुनाव करना होता है।
 
जब तक साधक अपनी साधना पूरी न कर ले तब तक उस कमरे में किसी भी अन्य व्यक्ति का प्रवेश बिल्कुल निषिद्ध है

उस कमरे में साधक की एक चारपाई और संदूनी के लिए रखी गयी एक कुर्सी के इलावा कुछ नहीं होना चाहिए।

इस साधना में असफल रहने पर किसी किस्म का जानी नुकसान नहीं होता इस कि साधना के समय आपके किसी भी स्त्री से विवाहित य्या अविवाहित संबद्ध छोड़ने पड़ते है।

अगर शादीशुदा है तो तलाक लेना होगा अगर कोई प्रेम संम्बन्ध है तो उसे भी तोड़ना होगा। ये संदूनी चाहे आपकी पत्नी बनकर रहे या प्रेमिका किसी अन्य स्त्री के साथ आपके संबंधों को हरगिज़ बर्दास्त नही करती।

इसकी साधना रात्रि के समय तय समय पर ही की जाती है सभी आत्माएं शब्दों और वचनों के साथ बंधी हुई होती है लेकिन बदकिस्मती है सिर्फ आदमी ही अपना वचन तोड़ता है। हर कीमत पर अपने वचनों पर टिके रहें

जो भी जरूरत हो वो संदूनी से कहें और जो भी शर्तें हो वो पहले दिन ही तय कर लें वो सिर्फ वही काम करेगी जो बातें पहले दिन तय होंगी । ये भी स्पष्ट पूछ लें कि संदूनी आपके लिए काम करेंगी या दूसरों के लिए भी काम करेंगी।

उसको बुलाने का तरीका क्या होगा उसकी शर्ते क्या हैं अगर कोई शर्त मंजूर न हो तो कोई और शर्त रखने को कहें 

इसे प्रतिरात्रि में एक निर्धारित समय पर शुद्ध रूई की बत्ती बनाकर और चमेली के तेल को डालकर उससे एक दीया जलाना है  और इस को अपने सामने मत रखना। बल्कि संदूनी के नाम से कमरे में ही कहीं रख दें कमरे में अगरबत्ती और लोहबान का बाखूर यानि धूनी चलती रहेगी तस्बीह काले हकीक की होगी आसन किसी भी काले कंबल का होगा साधक का मुंह उत्तर दिशा की तरफ रहेगा लिबास काला और सिर भी ढका हुआ रहेगा। वज़ीफ़ा हिसार के अंदर बैठ कर पढ़ना है।

 संदूनी के लिए कमरे में एक कुर्सी रखें।  क्योंकि वह जमीन पर नहीं बैठेगी।
 
क्या क्या काम होगा ?  उनकी उपस्थिति समान रहेगी। जैसा कि शर्त निर्धारित करते समय निर्धारित किया जाएगा।  वह करेगी दूसरों का काम करेगी या सिर्फ साधक का ही काम करेगी,ये सभकुछ पहले से तय ही कर लें। रुपये पैसे दौलत की कोई इच्छा होगी, तो वह उसकी व्यवस्था भी करेगी।  

वह बहुत सुंदर होती है,एक अच्छा दोस्त और साथी भी, शर्त पर टिके रहे तो कोई नुकसान नही है साधक किसी भी काम को करने में सक्षम  होगा

जब साधना की  जाएगी और प्रभावी होगी तो पहले दिन स्त्री का स्वर सुनाई देने लग जाता है जैसे कुछ हो रहा हो। कई बार कई स्त्रियों की आवाज़ें भी आती हैं जैसे कि कई औरतें आपस में बात कर रहीं हों कभी कड़वी और कड़क आवाजें भी आतीं है कभी कभी किसी के गायन की ध्वनि भी सुनाई देती है।  उसके बाद कभी-कभी चलते हई पावों य्या जानवरों के पावों की आवाज़ें आती हैं  फिर एक दिन महिलाओं का एक समूह या एक अकेली महिला भी।

और ये भी की साधना जब पूरी होने वाली होती है तब इस की छोटी बहन नग्न अवस्था में जोकि बेहद खूबसूरत होती है पहले साधक के पास आकर उसकी परीक्षा लेती है और साधक को भ्रमित करने की चेष्टा करती है लेकिन अगर साधक ने अपना धैर्य नही खोया तो संदूनी साधक के पास आती है। 

रहीना सरीना सफ़रीना कज अखज फट्ट फट्ट स्वाहा बद्दूह या गौंस अल ताकालिन या क़ुतुब रब्बानी सैय्यद अबू सालेह जिलानी अहज़री ब जन्नल्लाह वा हज़री बिहक्क ला इलाहा इल्लल्लाह महोम्मद रुसूल अल्लाह सल्ली अल्ला अलैहि वालि वसल्लम।

इसको नौचंदी बुधवार की रात्रि से शुरू करके पहले 3 दिन तक शिद्दत से ये साधना करे अगर 3 दिनों में नही आती तो फिर 11 दिन करें  अगर ना आये तो निराश ना हों फिर 21 करें अगर फिर भी ना आये तो 41 दिनों में 100%  सफलता अवश्य ही मिल जाती है 

इस साधना में अधिक समय ना लगे इसके लिए लौहे-तसख़ीर तिलिस्म को धारण करें 

इसमें जो हिसार के लिए जो मन्त्र प्रयोग किया जाता है वो योग्य शिष्य को ही दिया जाएगा।अतः इच्छुक साधक संपर्क करें। क्योंकि ये बहुत ही ज्यादा ताकतवर जादूगर होती हैं इस लिए जब भी साधना करें अपने गुरु या उस्ताद  के निर्देशन में ही करें तब ही ये साधना सफल हो सकती है।

अलग मकान में नौ चंदी बुधवार से शुरू करें जुमेरात और जुम्मे तक तीन रात तक प्रतिरात्रि 1100 मर्तबा पढें तीसरी रात  संदूनी हाज़र होगी और अपने बुलाने का कारण पूछेगी तब पढ़ाई पूरी करने के उपरांत बेझिझक अपनी बात उस से कहें। फिर सभी शर्तें तय कर लें वो कौन सा काम करेगी कौन सा काम नही करेगी ये सभी कुछ और उसको बुलाने का तरीका भी पूछ लें।

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बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

सिद्ध काली रक्षा मन्त्र

निम्न रक्षा मन्त्र को किसी भी पर्व काल में याद करने के उपरांत गुरु गोरखनाथ जी को गुरु मानकर पगड़ी चोला चिमटा खड़ाऊ और फल फूल चढ़ाकर मन्त्र सिद्धि हेतु प्रार्थना करें और वही बैठकर 108 बार जाप करें 
फिर जब प्रयोग करना हो तो 7,11,21 बार मन्त्र पढ़कर अपनी छाती पर 3 बार फूंक मार लें तो आपका शरीर बंध जाएगा किसी भी भूत प्रेत जिन्न शैतान या किसी भी का मूठ इत्यादि का आप पर प्रभाव नहीं होगा और ना ही कोई तांत्रिक उस समय आप को कष्ट पहुंचा पाएगा

या अगर आपको किसी साधना के समय सुरक्षा घेरा लगाना हो तो नए नोकीले और धारदार चाकू पर 21 बार मन्त्र पढ़ने के बाद 3 बार फूंक मारें 
तथा फिर उस चाक़ू से ज़मीन पर इस प्रकार से अपने चारों ओर एक बड़ा सा गोला खींचो की चाकू जमीन से न उठे उसके बाद उस चाकू को अपने आसन के नीचे रख लें और साधना के उपरांत जब भी बाहर निकलना हो तो घेरे की रेखा पर तीन बार ××× चाकू से गणित के गुणा का निशान बनाकर घेरे को तीन जगह से काट दें।

रक्षा मन्त्र।
ॐ गुरु जी
काली काली महाकाली 
तेरा वचन ना जाये खाली
मेरे पिंड प्राण की कर रखवाली
हाथ में तेरे खड़ग विराजे 
जो तूँ रक्षा मेरी ना करे तो 
सिद्ध यति शिव गोरख लाजे
दुहाई माता लोन चमारी की
आन मेरे गुरु की 
आदेश आदेश आदेश

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सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

रक्षा मन्त्र

साधना में प्रयोग होने वाला सर्व सिद्ध रक्षा मंत्र

ओम गुरु जी 
भय कीलूँ 
भंडासुर कीलूँ 
कीलूँ अपनी गात
जलता मसाण कीलूँ
कीलूँ भूत की जात 
चार कुंठ की विद्या कीलूँ 
गुरु गोरख मेरे साथ 
आसन बैठूं करूँ तेरा ध्यान
जो कोई हम पर करे करावे 
उसकी विद्या खुद बन्ध जावे 
शब्द मेरा न खाली जावै
दोहाई चौसठ जोगियों की दुहाई 
दहाई बावन वीरों की
नौ नाथ चौरासी सिद्धों की 
दुहाई मरघटी काली की
दुहाई मेरे गुरु उस्ताद की 
चले मंत्र फुरो वाचा 
देखा गुरु उस्ताद 
तेरी कील का तमाशा।

यह मंत्र अस्सी कोस की मैली विद्या को बांध देता है जिनके घरों में गद्दी चलती हैं और वह दूसरों को देखने का काम करते हैं या जो जानकार लोग हैं और समाज कल्याण हेतु दूसरों को देखने का काम करते हैं 
उनके लिए यह एक बहुत कल्याणकारी मंत्र है जब आप  जाप पाठ पूजा कुछ भी करते हैं तो बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो आपके ऊपर आंखें गड़ाए रहते हैं और मौका पाते ही अपनी बुरी शक्तियों द्वारा आपकी विद्या को बांधने की  कोशिश करते हैं
या फिर आप के ऊपर कोई तंत्र शक्ति द्वारा प्रहार करने की कोशिश करते हैं 
ऐसे में यह मंत्र बहुत कारगर साबित होता है  
इस मंत्र का किसी होली दिपावली दशहरे के समय एक हजार आठ बार जाप करके सिद्ध करें 

इस मंत्र को सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है कि शुभ समय पर अच्छे मुहूर्त में घर के किसी एकांत कोने में या कमरे में सवा हाथ जमीन पर आपको गाय के गोबर से लीपकर एक गोल चौंका लगाना है उसके ऊपर एक जल का पात्र धरें कुछ फूल पान मिठाई एक नारियल एक ध्वजा गुरु गोरखनाथ जी के लिए एक सवा 7 मीटर की पगड़ी उसमें 101 रुपये धरें 
फिर सरसों के तेल का एक दीपक जला दे धूफ दें वहीं पर बैठकर मन्त्र  का 1008 बार जाप करें और वहीं बैठकर 108 बार जौ तिल हवन सामग्री देसी घी मिलाकर हवन करें।
इतना होने के बाद उक्त पगड़ी और दक्षिणा गुरु गोरखनाथ जी के नाम से उनके स्थान पर दें इस तरह ये मन्त्र सिद्ध हो जाता है
उसके उपरांत आपको जब गद्दी पर बैठना हो तो सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करके फिर गुरु गोरक्षनाथ का ध्यान करके इस मंत्र का 108 बार जाप कर के चारों दिशाओं में फूक मार दे तो किसी का भी वार आपके ऊपर और आपकी गद्दी पर नही चलेगा जो आपकी गद्दी बांधने या आप पर वार करने की कोशिश करेगा उसकी सारी विद्या खुद ही बंद हो जाएगी 
चाहे वह किसी भी शक्ति के माध्यम से आपके ऊपर वार करेगा वह वार उसी पर पलट जाएगा
धीरे धीरे उसका किया कराया उसी के ऊपर चढ़ जाएगा।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...