शनिवार, 18 जून 2022

अतिदुर्भाग्य नाश हेतु भैरव मन्त्र

जीवन में बहुत बार ऐसा देखा गया है कि कई लोग सारा जीवन संघर्ष करने में निकाल देते हैं लेकिन उनके जीवन का निष्कर्ष नहीं निकलता और उन्हें निराशा के इलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता 

ऐसी साधनाएं भी होती हैं जिसको करने से जीवन में से चमत्कारिक रूप से दुर्भाग्य अदृश्य हो जाता है।

प्रयोग करता का जीवन चमत्कारिक रूप से समृद्धि से भर जाता है हर एक वस्तु उसके हस्त गत हो जाती है तो आज मैं आपको ऐसा ही प्रयोग यहां बताने जा रहा हूं यह प्रयोग श्री भैरव नाथ जी का है।

भगवान भोलेनाथ के उपवास को को भी इसका लाभ बहुत शीघ्र ही प्राप्त होता है कितना भी कठिन कार्य क्यों ना हो अगर आपको लगता है कि आपका कैसा भी कठिन कार्य है क्या हो रहा है अथवा कोई व्यक्ति कितना भी दूर भाग्यशाली हो जिसका कभी कोई कार्य ना बनता हो और ना ही बनने की संभावना हो तो मैं आपको साधना बताने जा रहा हूं।
जिसको करने के उपरांत दुर्भाग्यशाली से भी दुर्भाग्यशाली व्यक्ति के तत्काल कार्य करने लग जाते हैं  और उसके किसी कार्य में बाधा नहीं आती।
थोड़ा बहुत खराब समय तो सबके जीवन में आता है यह एक कड़वी सच्चाई है प्रत्येक आदमी के जीवन का कुछ ना कुछ समय परीक्षा की घड़ी का होता है और यह समय निकल भी जाता है 

लेकिन यह समय निकालना कठिन होता है जब आपके लिए सफलता का प्रत्येक मार्ग बंद हो जाए और आप को अंधेरे के अलावा कुछ दिखाई ना दे पर लगेगी जीवन ऐसे ही निकल जाएगा कुछ खास नहीं आने वाला तो ऐसे में इस प्रयोग को अवश्य आजमाएं।

थक हार कर बैठे नहीं भगवान का स्मरण करें और ईश्वर पर सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखते हैं जीत आपके विश्वास की ही होगी

बाबा भैरव भगवान भोलेनाथ के पंचम रुद्रावतार हैं शनि राहु केतु इत्यादि क्रूर ग्रह का बुरा प्रभाव प्रयोग करता के जीवन से हट जाता है अर्थात यह प्रयोग करता के ऊपर से अपना बुरा प्रभाव समाप्त कर देते हैं।

मंत्रों में बहुत विस्फोटक शक्ति होती है यदि लगातार मंत्रोच्चारण किया जाए और ईश्वर पर आपका अटल श्रद्धा विश्वास हो तो प्रकृति भी मजबूर हो जाती है उस कार्य को करने के लिए इस कार्य को चित्त्त में रखकर आप मंत्रोच्चारण करते हैं।

शब्द आदि है शब्द गुरु है शब्द सनातन है आदिकाल से ही शब्द इस सत्ता का शासक रहा है और अंत तक रहेगा शब्द से आदि का सृजन होता है और शब्द में ही सृष्टि का लय हो जाता है

काल पुरुष की आत्मा शब्द है और भौतिक प्रकृति उसकी देह है शरल भाषा में :-शब्द को आप आत्मा समझ लीजिए और प्रकृति को उसकी देह आत्मा के बिना देह मृत होती है अनाहद शब्द  के बिना सृष्टि मृत है।

लकड़ी में अग्नि होती है आवश्यकता होती है घर्षण की उचित क्रिया एवं वातावरण में अग्नि प्रकट हो जाती है उसी तरह मंत्रों में बहुत ज्यादा शक्ति होती है सही तरीके से क्रिया और चिंतन की आवश्यकता होती है। कार्य सिद्ध होने में देर नही लगती।

अगर आपने ये लेख पढ़ा होगा तो आपको वो समझ आ गई होगी जो मैं आपको बताना चाहता हूं आपने इसे धैर्य पूर्वक पढा क्योंकि आप में विवेक है अगर आप में विवेक ना होता तो आप ये लेख न पढ़ रहे होते बुद्धि के आठ गुण होते हैं और विवेक इन सभी गुणों में प्रधान है।

चलिए अब आपको बताता हूं साधना के विषय में

 विधि :

इस मन्त्र की सिद्धि होली दीपावली या ग्रहण काल में करें श्री भैरव बाबा के विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए 11 माला जप व दशांश हवन तथा भोगादि देने से सिद्ध होगी ।

फिर प्रयोग के लिए किसी भी शनिवार की रात्रि को सवा मुट्ठी, चावल, हल्दी व मीठा डालकर बनाए। प्रातः रविवार को इन मीठे चावलों को एक सौ बार अभिमन्त्रित कर के छत पर या आंगन में रख दें ।

कुछ समय पश्चात् दो कौवे जब वह मीठा चावल खाने के समय आपस में लड़ेंगे तो उनमें से किसी का पंख गिरेगा। जब पंख गिरे तो उस समय आप उस पंख का उठाकर सुरक्षित रख लें।

फिर इंटरव्यू कारोबार डिलिंग मुकदमेबाज़ी यात्रादि व किसी भी कठिन कार्यों के लिए अपने साथ में ले जाए, तो कार्य सिद्ध होगा। 

यदि पहले रविवार को इस तरह करने से पंख प्राप्त न हो तो पुनः विश्वास पूर्वक किसी अन्य रविवार को प्रयोग कर पंख प्राप्त कर लें।

मन्त्र:-
ॐ ह्रीं महा-काल।
भैरवाय नमः ॥
ॐ ह्रीं महा
विक्राल भैरवाय नमः

सोमवार, 13 जून 2022

इससे आप बन जाओगे सफल साधक।

आप सब का स्वागत करता हूं तंत्र तन्त्र वृक्षा ब्लॉग्स्पॉट में
आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ एक ऐसी साधना जिसको जीवन में केवल एक बार सही तरीके से सम्पन्न कर लेने के बाद साधक वीर की कृपा प्राप्त कर लेता है और किसी भी भूत प्रेत ग्रसित मरीज़ का इलाज कर सकता है।


किसी शक्तिशाली से शक्तिशाली भूत प्रेत बाधा को हटाना काटना छांटना बांधना उतारना खींचना इत्यादि कार्य कर सकता है।

यही नहीं तंत्र क्षेत्र में आने वाले नये साधकों की जुबान वांचा लगने लग जाती है और धीरे धीरे उनकी बोली जाने वाली हर बात सच होने लग जाती है।

अगर किसी ज्ञात अज्ञात व्यक्ति को यदि कोई ऊपरी समस्या है तो साधक को पहली मुलाकात में या पीड़ित व्यक्ति का नाम लेते ही साधक को सभ कुछ समझ आने लग जाता है इस साधना से साधक की मानसिक शक्ति का इस प्रकार से विकास हो जाता है की कोई भी आलौकिक घटना साधक से छुपी नहीं रहती।

ये सभी ऐसे गुण है जो साधना के समय साधक के अंदर खुद ही सहज रूप से विकसित हो जाते हैं।

जो सात चक्र मनुष्य की सूक्ष्मणा के अन्दर है वो खुलकर सक्रिय हो जाये है ये सभी कुछ एक दिन में संभव नहीं है सभी क्रियाएं किसी के तीव्र और किसी किसी के भीतर मन्द गति से होती हैं सभी के एक समान नही होती।

साधना काल में प्रतिदिन अपने चक्रों को खोलने एवम सक्रिय करने का अभ्यास करें इसकी शुरुआत केवल और केवल मूलाधार चक्र से ही करें । और उसका निरंतर अभ्यास करें।

यदि आप मेरी बातों को ध्यान पूर्वक और ठंडे दिमाग से पड़ेंगे और इस पर अमल करेंगे तो आप की साधना बेकार नहीं जाएगी।

आपके गुर के माध्यम से आपको अलौकिक शक्ति का एक ऐसा चैंनल मिलता है जो आपको ईश्वरीय शक्ति के मूल स्रोत परब्रह्म परमात्मा से जोड़ता है जिस प्रकार आपके मोबाइल फोन का सिम आपको नेटवर्क से जोड़ता है इस लिए कोई भी साधना बिना गुरु के मार्गदर्शन के कदापि नहीं करनी चाहिए।

एक विशेष बात और है कि सच्चे गुरु का ये सपना होता है कि उसका शिष्य उससे अधिक काबिल और शक्तिशाली बने एक पिता आपने पुत्र के प्रति जो स्नेह अपने ह्रदय में रखता है ये वो पिता और परमपिता परमात्मा ही जानता है
इसलिए अपने गुरू देव के प्रति सच्ची श्रद्धा का भाव रखें याद रखो आपका भाव बदल जायेगा तो भगवान भी बदल जायेगा।
ये साधना जो आपको में बताने जा रहा हूँ हो सकता है कि इसे आपने देखा या पढा हो लेकिन इसके गुण अवगुण तत्वों को समझने के लिए इस साधना का अनुभव करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है । जिस दृष्टिकोण से मैं आपको ये साधना बताने जा रहा हूँ यो दृष्टिकोण अन्य लोगों से भिन्न है।

(नीति शास्त्र में  आया है 
यदि अंधे मनुष्य के सामने हज़ार दीपक भी प्रज्वलित कर दें उसे अंधेरा ही दिखेगा।)

अज्ञानी होने से ज्यादा खतरनाक अल्प ज्ञानी होना है क्योंकि अल्प ज्ञानी अपने आपको देवगुरु बृहस्पति से कम नहीं मानता।

इस साधना को 21 दिन का बताया जाता है लेकिन अगर इस साधना को 43 दिनों तक लगातार नियमपूर्वक किया जाए तो किसी प्रभाव बहुत ज्यादा ज़बरदस्त होता है जब 1994 में इस साधना को मैने किया था तो 21 दिनों की ही साधना की थी लेकिन प्रभाव सीमित था 

लेकिन जब अपने उस्ताद से बात की तो फिर उनके कहने पर इस साधना को मै ने सवा महीना नियमित रूप से किया जिस का प्रभाव ये है आप खुद अंदाज लगा सकते हो ये ब्लॉग मैं जून 2022 में लिख रहा हूँ और आज भी इस देव की कृपादृष्टि मुझ पर है।

इस दौरान अनेकों लोगों का सफल इलाज भी किया इनकी कृपा से सभ कुछ मिला।इस शक्ति का प्रभाव इतना ज्यादा है कि बड़े से बड़े देवता को भी उतार सकता है।

तंत्र का शांति एवं रोग निवृत्ति के हेतु प्रयोग सर्वोत्तम है इसके इलावा दुसरो को कष्ट और हानि पहुँचाना अपने कर्म भ्रष्ट करने के सिवाय कुछ भी नही। जिसका फल देर सवेर करता को भुगतना पड़ेगा ही पड़ेगा।


अब बात करते है साधना के विषय में इस वीर का नाम है सोहा वीर निसंदेह इस वीर के साथ हनुमान जी की उग्र शक्ति ही कार्य करती है अतः ये स्पष्ट है कि यदि इस शक्ति का उपासक हनुमान हनुमानजी का भगत हो तो ये शक्ति और भी अधिक ताकत से जागृत होती है

इस साधना में यही दिक्कत है कि आपको इसे करने से एक महीने पहले से ही नित्य सुंदरकांड का पाठ और गोंद कतीरा का प्रतिदिन सेवन करना शुरू कर देना चाहिए वरना इस वीर की मोहिनी स्त्री रूप बनाकर साधक का लंगोट खराब कर देती है जिससे साधना खंडित हो जाने का भय रहता है।

अगर आप किसी ऐसे स्थान पर साधना कर रहे हो जहाँ पर किसी जच्चा की मृत्यु हुई हो तो आपको सभ से पहले उस जगह की शुद्धि करनी होगी।

पित्र के प्रेत की बाधा से अक्सर इस साधना के असफल हो जाने का भय रहता है इस लिए इस तरह की समस्याओं का पहले ही निवारण कर लें।

साधना में प्रयोग होने वाली सामग्रियां पहले से ही उचित मात्रा में खरीद लें।

यह साधना सभा महीने की है 
साधक को इस साधना के दौरान भूमि पर ही सोना है 
ब्रह्मचर्य का पूर्ण तरह पालन करना है
केश इत्यादि नही कटवाने
सफेद वस्त्र धारण करने है
भोजन शुद्ध सात्विक लेना है
साधना के दौरान की किसी भी मरीज का कोई इलाज नहीं करना ।
अपना भोजन खुद तैयार करना है।
किसी से अपनी सेवा नही करवानी।
विशेष रूप से नित्य प्रति ॐ मन्त्र सहित त्राटक और ध्यान करें।
ज्यादा शोर शराबे से दूर रहें।
माला रुद्राक्ष की या सफेद हकीक की 108 दाने वाली होनी चाहिये
वस्त्र सूती सफेद रंग के हों
मन्त्र जाप करते समय सिर ढककर रखें।

विधि

किसी भी मास की शुक्ल पक्ष के प्रथम ब्रहस्पतिवार से किसी इकांत स्थान पर पूर्वाभिमुख होकर अपने सामने एक चतुर कोन अग्नि कुंड का निर्माण करें 

उस कुंड के ईशान कोण में एक लोहे का चिमटा गाड़ दें कुंड के पूर्व में धूफ दीप प्रज्वलित करें कुछ मिठाई का भोग और एक जल का पात्र धरें और उस में गाय के उपले जलाकर अंगारे बना लें। 

फिर अपने आसन की चारों तरफ रक्षा मंत्र पढ़ते हुए गोलाकार घेरा लगाएं या निम्न रक्षा मंत्र को 108 बार पढ़ते हुए आपने शरीर पर फूंक मार लें।

धूफ की एक 108 चने बराबर गोलियां बना लें  108 जोड़ी सबूत लौंग यानी 216 लौंग ले लें

4 माला मन्त्र बिना आहुति के जाप करें और फिर पांचवीं माला के प्रत्येक मन्त्र पर एक गोली धूफ की और 2 लौंग अग्नि कुंड में दाल दें।

समय समय पर अग्नि कुंड में पिसा हुआ लोहबान एक दो चुटकी भर डालते रहें ताकि लगातार लोहबान का धुआं चलता रहे। यही क्रम आपको बिना नागा लगातार 43 दिनों तक करना है ।

10 दिनों के उपरांत इस शक्ति का प्रभाव समझ आने लग जाता है साधना काल के दौरान साधक को अपने आसपास
आलौकिक ऊर्जा का अनुभव होने लग जाता है।

धीरे धीरे ये शक्ति आपके कुंडलिनी चक्रों को सक्रिय कर देती है। प्रयोग के अंतिम दिनों में वीर क्षणिक तौर पर किसी न किसी रूप में आपके सामने आएगा ही आएगा।

फिर जब ये शक्ति आपके आस पास आयेगी तो सिर्फ आपको ही इसका पता होगा आपके बिना बताये कोई भी बड़े से बड़ा तांत्रिक इस को नही खोज पायेगा ।

कुछ समय आपको कठिन मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन आपके पास आये हुए मरीज अपने कष्टों से छुटकारा पाएंगे तब आपको बहुत आनन्द प्राप्त होगा। 

इस साधना को करते हुए मुझे जो अनुभव प्राप्त हुए मैंने वह अनुभव आप लोगों से साझा कर दिए ताकि किसी नए साधक को प्रत्येक आयाम से इस साधना के विषय में जानकारी मिले यह एक शक्तिशाली साधना है इसको करने के बाद आपकी शक्ति इस प्रकार विकसित हो जाएगी आप जहां भी रहोगे वहां के लोग आपकी शक्ति द्वारा सुरक्षित रहेंगे।

मन्त्र 

ॐ सोहं चक्र की बाबड़ी गल मोतियन का हार । 
पदमनी पानी नीकरी लंका करे सिगार। 
लंका सी कोट समुद्र सी खाई ।
चलो चौकी राजा राम चन्द्र की आई। 
कौन कौन वीर चले हनुमान वीर चले 
शोका वीर सबा हाथ जमीन सोखत करें।
जल को सोखन्त करें 
पवन को सोखन्त करें। 
पानी को सोखन्त करें 
अग्नि को सोखन्त करें। 
पलीतनी की भूत-प्रेत को पलीद करें । 
बैरी को सोखन्त करें 
परमात्मा का चक्र चले 
वह नौ पवन सोखन्त करें। 
नहीं तो मां का चुसे दूध हराम करें। 
शब्द सांचा पिंड कांचा चलो मंत्र ईश्वरी वाचा ।


प्रयोग करने से पहले इस मंत्र को पूरी तरह से याद करने अक्षर त्रुटि नहीं होनी चाहिए उच्चारण शुद्ध होना चाहिए

अब आपको बताने जा रहा हूं रक्षा मंत्र जो इस साधना के दौरान इस्तेमाल किया जाता है

स्वयं सिद्ध मंत्र है जो आपको देने जा रहा हूं इस को याद करके 108 बार होम जाप करने से आपके अनुकूल हो जायेगा।

ॐ नमः वज्र का कोठा ।
जिसमें पिंड हमारा पेठा ।
ईश्वर कुञ्जी ।
ब्रह्म का ताला ।
मेरे आठों यामों का 
यती हनुमन्त रखवाला। 

यह मंत्र पूर्णतया प्रभावी हैं और सक्रिय हैं जरूरत होती है साधना करने की अपने गुरु के मार्गदर्शन में ईश्वर आपका कल्याण करें मेरे पास जो इस साधना के विषय में अनुभव था वह मैंने आप लोगों से साझा किया

शुभकामनाएं 🙌




















शनिवार, 4 जून 2022

गृह कलेश निवारण

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां आदमी को दो वक्त की रोटी जुटाने में बड़ी मुश्किल आती है और अगर किसी कारण से घर में नित्यप्रति  क्लेश शुरू हो जाए तो आदमी का जीना दूभर हो जाता है।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बिना कारण होने वाले क्लेश कई बार ऐसा भयानक रूप ले लेते हैं जिसके कारण घर के सदस्य आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं लेकिन कोई भी ना तो इसके कारणों को जानने की कोशिश करता है और ना ही जा नहीं पाता है कई बार अधिकतर तौर से तौर पर यह देखा गया है कि क्लेश के कारण होते हैं लेकिन उनका निवारण नहीं हो पाता और कई बार ऐसा भी होता है कि क्लेश बिना कारण होते हैं ऐसे में आपकी ज्ञानेंद्रियां या छठी इंद्री आपको कई बार ऐसा आभास भी करवा सकती हैं कि यह क्लेश किसी दैवीय कारण से हो रहा है।

क्लेश ज्ञात अज्ञात किसी भी कारण से होता हो लेकिन नुकसान ही करवाता है बड़े बड़े परिवार भी इसके कारण बिखर जाते है।

ऐसे में यदि आपके जीवन में कभी ऐसा समय आ जाए कि जब आपके घर में ऐसा क्लेश होता रहता हो तो आपको मैं एक साधना बताने जा रहा हूं जिसको करने में करने से आपके घर में शांति स्थापित हो जायेगी और घर का वातावरण पूरी तरह शांतमय हो जाता है।

इस मंत्र को बहुत बार आजमाया जा चुका है और बहुत सारे घर इस मंत्र के प्रताप से शांत में रूप से बस रहे हैं इसकी साधना व्यर्थ नहीं जाती हालांकि मंत्र जाप करने की विधि कष्ट की अधिकता के अनुरूप बढ़ जाती है । सामान्य रूप में इस मंत्र का प्रभाव एक हफ्ते के भीतर दिखाई देने लग जाता है और घर का माहौल शांत होने लग जाता है

प्रातः काल नित्य कर्म और स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर नित्यप्रति की पाठ पूजा संपन्न कर लें फिर पूर्वाभिमुख होकर आसन  पर बैठकर एक साफ सुथरे तांबे का लोटे में जल भर ले और उस जल में थोड़ा सा अक्षत, गंध, पुष्प,कुछ मीठा एक जोड़ा लौंग दो चुटकी हल्दी अथवा कुमकुम डालकर आपने सामने रख लें  और साधारण रुद्राक्ष की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें और ईश्वर को घर में स्थायी शांति स्थापित करने की प्रार्थना करें
फिर जाप संम्पूर्ण होने के बाद घर के आंगन प्रांगण में लगे हुए किसी भी वृक्ष की जड़ में ये जल समर्पित कर दें तथा वहां पर धूफ या अगरबत्ती लगा दें 

इसी प्रकार आपको प्रतिदिन सुबह करना है इसको आपने नित्यकर्म में शामिल कर लें आपको कुछ ही दिनों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने लग जाएंगे और घर में अकारण होने वाला क्लेश सदा सर्वदा के लिए समाप्त हो जाएगा और घर में चारों तरफ़ से खुशियां ही खुशियां प्राप्त होंगी।

लेकिन इस प्रयोग को करते हुए आपको कोई टोके नही इसलिए प्रातः काल जल्दी ही इस को कर लें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें।

इसको करते समय इतना अंधेरा हो कि ना तो आपका मुंह कोई स्पष्ट देख सके और ना ही आप किसी का तो ये प्रयोग बहुत ही तीव्र प्रभाव दिखाता है।

मन्त्र :- ॐ नमो शान्ते प्रशान्ते सर्व कृद्रो प्रश्मनी स्वाहा।




गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

सात्विक साधना द्वारा शत्रुनाश

सन्तातन धर्म में जहाँ वैष्णव पद्धति को सरल एवं सौम्य माना जाता है वहीं पर जो लोग वैष्णव पद्धति की साधनाये करते हैं और जिन्हें इस पद्धति का पूर्ण ज्ञान है उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान है कि इस शैली से की गई पूजा से जहां घर मे चिर स्थिर लक्ष्मी जी वास होता है।

उसी के साथ एक बात ये भी समझ लीजिए कि वैष्णव शक्तियां जल्दी अप्रसन्न नही होती अगर ये अप्रसन्न हो जाएं और समय पर इनको मनाया न जाये तो इन शकितयों से ही उग्र एवम प्रचण्ड तामसिक शक्तियों का पदुर्भाव होता है ।
इस लिए सौम्य एवम सात्विक शक्तियों का सदैव सम्मान करना चाहिए।

आज आपको इस लेख में मैं एक ऐसा उपाय बताने जा रहा हु जिससे आपको बहुत लाभ प्राप्त होगा।

यदि आपके घर में बहुत अधिक गरीबी या दरिद्रता आ गयी है बहुत अधिक ऋण आपके ऊपर है जिसको आप उतार नही पा रहे।
या को व्यक्ति विशेष एव उसका परिवार जिसके सदस्यों की संख्या आपके परिवार से अधिक है जो धन पद एवं बल में आपसे कितना भी बड़ा क्यों न हो ऐसा व्यक्ति यदि आपसे अकारण द्वेष रखता है जिसके कारण आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को जीवन का भय है को निम्नलिखित प्रयोग को करके उपेक्षित लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

धन प्राप्ति प्रयोग:-नित्यप्रति रात्रि में जब आप सोने जाए तो उससे पहले घर पर बने मंदिर में पूर्वाभिमुख होकर इस स्तोत्र के 5 पाठ करें , तो शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी आजीविका एवं ज्ञात अज्ञात स्रोतों से आपको अवश्य धन लाभ होगा। ये प्रयोग शत प्रतिशत परीक्षित है कोई संदेह नही।

जैसा मैंने आपको पहले बताया कि यदि कोई प्रबल शत्रु आपके एव आपके परिवार के पीछे पड़ जाए और उस शत्रु तथा उसके परिवार कुटुंब से आपके पारिवारिक सदस्यों को जीवन हानि का भय हो तो इस प्रयोग को कर देना चाहिए।
कि सूर्यास्त के बाद चैराहे पर बैठकर इस स्तोत्र के पाँच पाठ लगातार तीन या पांच रविवार को करें और भगवान से अपने परिवार के रक्षा हेतु प्रार्थना करें तो कुछ काल में शत्रु विच्छिन होकर दरिद्रता एवं व्याधि से पीड़ित होकर नगर छोड़कर भाग जायेगें।

यदि आप द्वारा किया गया प्रयोग हरि इच्छा के विपरीत होगा तो आपका प्रयोग सफल नहीं होगा।


श्रीकृष्ण कीलक

ॐ गोपिका-वृन्द-मध्यस्थं, रास-क्रीडा-स-मण्डलम्।
क्लम प्रसति केशालिं, भजेऽम्बुज-रूचि हरिम्।।
विद्रावय महा-शत्रून्, जल-स्थल-गतान् प्रभो !
ममाभीष्ट-वरं देहि, श्रीमत्-कमल-लोचन !।।
भवाम्बुधेः पाहि पाहि, प्राण-नाथ, कृपा-कर !
हर त्वं सर्व-पापानि, वांछा-कल्प-तरोर्मम।।
जले रक्ष स्थले रक्ष, रक्ष मां भव-सागरात्।
कूष्माण्डान् भूत-गणान्, चूर्णय त्वं महा-भयम्।।
शंख-स्वनेन शत्रूणां, हृदयानि विकम्पय।
देहि देहि महा-भूति, सर्व-सम्पत्-करं परम्।।
वंशी-मोहन-मायेश, गोपी-चित्त-प्रसादक ।
ज्वरं दाहं मनो दाहं, बन्ध बन्धनजं भयम्।।
निष्पीडय सद्यः सदा, गदा-धर गदाऽग्रजः ।
इति श्रीगोपिका-कान्तं, कीलकं परि-कीर्तितम्।।
यः पठेत् निशि वा पंच, मनोऽभिलषितं भवेत्।
सकृत् वा पंचवारं वा, यः पठेत् तु चतुष्पथे।।
शत्रवः तस्य विच्छिनाः, स्थान-भ्रष्टा पलायिनः।
दरिद्रा भिक्षुरूपेण, क्लिश्यन्ते नात्र संशयः।।






बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

भूत सिद्धि कच्चा कलवा

भूत की सिद्धि।
आत्मा को काबू में करने के लिए बहुत सारी साधनाएं हैं शूद्र योनि के प्राणियों की जो साधनाये की जाती हैं 

जिससे साधक अपने मनोवांछित कार्य संपन्न करवा सकता है और ऐसी चीजें जो देखने में असंभव से प्रतीत होती हैं उसे वास्तविक रूप से संपन्न करवा सकता है सालों का काम पलक झपकते ही हो जाता है 

धीरे-धीरे यह जो विद्या अथवा जानकारी दम तोड़ रही है तो इसलिए जानकारों का यह कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी साधनाएं जो कि समाप्त होती जा रही हैं उनको प्रकाश में लाया जाए।

भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी खबीस खबीस और ऐसे निम्न श्रेणी की आत्माएं जिनकी साधना करने में साधक को बहुत अधिक परहेज करने की आवश्यकता नहीं होती और इन साधनों के बहुत ज्यादा नियम भी नहीं हुआ करते इसलिए यह साधनाएं वर्तमान के समय में बहुत अधिक प्रचलित हो रही हैं 

देश काल के अनुसार साधक अपने परिश्रम और विश्वास के अनुरूप इन साधनों से लाभ प्राप्त कर सकता है लेकिन ऐसी साधनाएं जिनमें 100% सफलता साधक के गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करती हैं।

अगर यहां कोई साधना कम समय में बताई गई है और साधक को थोड़ा अधिक समय लग रहा है तो धैर्य बनाकर रखना चाहिए क्योंकि पर आएं ऐसा देखा गया है कि जिस साधना को 21 दिन की बताया जाता है साधक की मानसिक और शारीरिक आध्यात्मिक ऊर्जा के कम होने के कारण अधिक समय भी लग सकता है ऐसी साधना ही कई बार 2 या 3 महीने भी ले सकती है यदि उस समय साधक के पास गुरुद्वारा प्राप्त मार्गदर्शन नहीं होगा साधक अच्छी खासी समस्या में फंस सकता है और उसके जीवन का बहुत सारा समय बर्बाद हो सकता है उसे आर्थिक शारीरिक और मानसिक कष्ट प्राप्त हो सकता है इसीलिए गुरु के मार्गदर्शन में ही ऐसी साधनायें करें

आज एक ऐसी साधना यहां प्रकाश में लाने जा रहा हूं जोकि साधना ओं में पहले पायदान की साधना है यानी अगर कोई ऐसा साधक जिसको अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त है एवं वह साधक साहसी है और व्यवहारिक है तो यह साधना ऐसे साधक के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है।

ऐसे साधक जिनके अंदर धैर्य की कमी हो और बहुत जल्दबाजी वाले उनको यह साधना नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनको इसके कोई परिणाम प्राप्त नहीं होंगे सूखी लकड़ी में आग होती है दिखाई नहीं देती परस्पर दो लकड़ियों को लेकर यदि घर्षण किया जाए तो निश्चित एवं पर्याप्त समय के बाद उनमें आग उत्पन्न हो जाती है।

यह साधना हालांकि सिफ़ली है लेकिन परहेज कम होने के कारण इससे बहुत अच्छा लाभ उठाया जा सकता है हालांकि इसके करने में समय भी बहुत कम लगता है लेकिन कई बार साधक की गलती के हिसाब से इसको तो से तीसरी बार दोहराना पड़ सकता है तब भी बहुत अधिक समय नहीं लगता।

इस साधना का समय मात्र 7 दिन का है 

यह साधना कृष्ण पक्ष में बुधवार को की जाती है।

इस साधना में प्रतिदिन दिए जाने वाला भोग सवा पाव बर्फी खुशबूदार फूल सेंट अगरबत्ती और गुलाब जामुन दो पीस आपने घेरे के अंदर ही रखने हैं जाप संपन्न होने के उपरांत आपको वह पानी और यह भोग मदार की जड़ में ही रख देने हैं।

इसके लिए आपको ऐसा स्थान चुनना चाहिए जो कि वीराने में हो और पास ही कोई कब्रिस्तान हो वहां कोई पुराना मदार का पेड़ होना चाहिए

इस साधना को करते समय इसके विषय में किसी को ना बताएं वरना यह साधना पूरी तरह से बेकार हो जाएगी।

इस साधना की पहली और बड़ी जरूरी शर्त यह है की जब इस साधना को करें किसी उस्ताद या गुरु की इजाजत के बिना ना करें वरना आपको हर बार नाकामी हासिल होगी।

प्रातः काल सौंच जाने के बाद में जो पानी बच जाए उसे आपने संभाल कर रख लेना है। किसी काले कपड़े से उसको ढक कर रखना है ताकि उसपर सूर्य की रोशनी बिल्कुल ना पड़े।

इस साधना में नहाने धोने यहां बहुत साफ सुथरा रहने की आवश्यकता नहीं है हां लेकिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ेगा।

रात्रि में 10:00 बजे आपने निश्चित स्थान पर जाना है   पहले आपको अपना हिसार करना है और पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके मदार के पेड़ की जड़ के पास बैठ जाना है।

जो पानी आपने प्रातः काल बचाया था उस पानी को भी अपने साथ ले जाना है उसके बाद काले हकीक की माला से तीन माला निम्नलिखित जाप आपने करना है जाप के उपरांत वह पानी आपने मदार की जड़ में डाल देना है और चुपचाप बिना पीछे देखे घर वापस आ जाना है चाहे कोई कितनी भी आवाज पड़े कितनी भी भयंकर शक्ल आपको दिखाई दे आपने डरना नहीं है अगर आप डर जाओगे तो आपका मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

इस साधना के दौरान आपको बहुत ही शांत रहना है और अपने धैर्य का परिचय देना है उपरोक्त बताए के अनुसार आपको 7 दिन तक यह साधना नित्य रात्रि को बिना नागा बिना स्थान का परिवर्तन किए हुए एक ही समय पर लगातार करनी है वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं आसन कोई भी प्रयोग किया जा सकता है। साधना के तीसरे दिन छोटे-छोटे शैतान बच्चों के लड़ने झगड़ने की खेलने चिल्लाने की आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं उसके उपरांत जैसे-जैसे आप साधना में आगे बढ़ जाते हैं यह चीजें और भी अधिक डरावना रूप धारण कर लेती हैं 

यदि साधक विचलित नहीं हुआ तो यह साधक को पांचवें दिन डराने की कोशिश करता है छठे दिन भी ऐसे ही होता है सातवें दिन कुछ समय दौरान कराने के उपरांत यह बालक जो कि वास्तविक रूप से भूत होता है एक काले 12 से 17 साल के लड़के के रूप में सामने आ जाता है और साधक को धमकाने की कोशिश करता है लेकिन यदि साधक निडर हो और धैर्यवान हो तो ही सही रहता है क्योंकि यह आते ही भोजन मांगता है 

आपको उस समय ना तो धीरे से बाहर निकलना है और ना ही जा पूरा होने तक इस से बातचीत करनी है चाहे कितना ही चिल्लाये उसके उपरांत यह मजबूर हो जाता है साधक को वचन देने के लिए और कायदे से आराम से बात करता है।
जब यह वचन देने के लिए तैयार हो जाए तब साधक को बड़ा सोच समझकर इसके साथ वचन बंदी कर लेनी चाहिए और इससे निशानी लेनी चाहिए इस को बुलाने का तरीका काम करवाने का तरीका काम करवाने के एवज में दिए जाने वाला भोग उसको देने का तरीका यह सब पहले दिन ही पूछ लेना चाहिए वचन लेने के उपरांत यह गायब हो जाएगा।

साधक को ही इसके होने की समझ रहेगी दूसरा इसको नहीं समझ पाएगा चाहे कोई कितना भी बड़ा तांत्रिक क्यों ना हो 

यह चीज हमेशा याद रखिए गा यदि आप इससे कोई अनुचित कार्य करवाते हैं तो वह करवाया गया अनुचित कार्य का दण्ड कभी ना कभी जीवन में आपको या आपके अपनों को भोगना ही पड़ेगा

देश विदेश की खबर मंगवाना
किसी भी कार्य को जो कि बड़े से बड़ा भी हो इस साधना के संपन्न होने के बाद आप कुछ ही समय में संपन्न कर सकते हैं
दो शत्रुओं में जबरदस्त झगड़ा करवाना और झगड़े को समाप्त करवाना।
इसके जरिए किसी का वशीकरण करना 
किसी के व्यापारिक स्थल या कार्य  को  खोलना या बांधना
अपने जीवन में धन की कमी को पूरा करना लाटरी सट्टा मटका के अंक प्राप्त करना
हालांकि इस साधना के संपन्न होने के बाद आप भूत प्रेत बाधा ग्रसित रोगी का इलाज कर सकते हैं लेकिन इसके साधक को ये नही करना चाहिए क्योंकि इसके बाद साधक को शारीरिक रूप से कष्ट प्राप्त होने लग जाते हैं। और कुछ समय बीतने के बाद साधक की सिद्धि नष्ट हो जाती है।

इस साधना में प्रयुक्त होने वाला मन्त्र निम्लिखित दिया गया है:-
कबरां चिट्मचिट्टिया           विच खेडन बाल।
मैं बालां नु आख्या       करो किरपा किर्पाल।।
मेरे वैरियां दे कोठे ढाह के आओ जिन्दरे मार।
जे भूत तुसां सच दे,           सच देवो दिखा ।।
चले मन्त्र फुरो बांचा। देखां पीर उस्ताद तेरे इल्म दा तमाशा।।

इस साधना में प्रयोग होने वाला कवच आपको व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के उपरांत मिलेगा।

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

धूद्दा शैतान का सिफ़ली अमल

विशेष :- कोई भी अपने जन्म से बुरा नही हो हालात आदमी को बुरा बनने पर विवश कर देते है और अच्छे व्यक्ति को बुरे हालातों को दूर करने के लिए बुरा भी बनना पड़ जाता है लेकिन आटे में नमक चल जाता है नमक में आटा नही चलता।

आपके द्वारा किये गए बुरे कर्म आपको ही नही अपितू आपकी सन्तान को भी प्रभावित करते है कभी भी किसी को सपने में भी कष्ट ना दें ।

अत्याचार करना यदि गलत है तो सहना उससे भी ज्यादा गलत है अगर आपके साथ भी किसी प्रकार अत्याचार या अन्याय हो रहा है तो इस अमल को करके आपभी अपने शत्रुओं को दंडित कर सकते हैं।

तसख़ीर धूद्दा सिफ़ली

बहुत सारे साधको को अपने काम करवाने के लिए अलग अलग साधनायें और बहुत सारे यन्त्र मन्त्र तन्त्रों की विधियों के अनुसार उनका का सहारा लेना पड़ता है जो कि एक कठिन कार्य होता है लेकिन यहां आपको एक ऐसा अमल दे रहा हूँ जिस से आपको स्तम्भन मारण उच्चाटन विद्वेषण के लिए जीवन में सिर्फ एक बार की गई साधना ही काफी है और किसी साधना की जरूरत नहीं पड़ती।

काले इल्म में धूद्दा सिफुली अरवाह में से एक ताकतवर शक्ति है और उल्टे सीधे काम खूब आसानी से करता है। 

अगर कोई ताकतवर दुश्मन आपको बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है और या आपने अपने किसी दुश्मन को तकलीफ़ देना है तो ये बहुत काम करेगा, अगर किसी दुश्मन को बीमार करना वो इसके बाएं हाथ का काम है।

किसी को परेशान करना हो तो उसको ये पल झपकते ही कर देगा।

किसी का बना बनाया काम बिगड़ना हो उसको ये कूछ ही समय में कर देगा।

किसी के घर में आग लगवाना इस से करवाया जा सकता है।

ईंट पत्थर और कंकर फैंकवाना जैसे आमाल को धूद्दा बहुत खुशी से करता है

साधक की मर्ज़ी के मुताबिक दुश्मन को तकलीफ़ देता है और परेशान करता है। 

तमाम बुरे कामों  में शैतान की तरह धूद्दा साधक का मददगार रहता है, मंतर ये है:

“धूद्दा धूदम धूद्दा। धोला हस्से धूद्दा नच्चे। जिथ्थे धूद्दा उत्थे भांभड़ मच्चे।” धूद्दा नच्चे

साधना करने का तरीका

इसको सिद्ध करने का तरीका ये है के किसी एकांत मकान या घर में जहाँ कोई दूसरा ना आए। 

जमीन में एक गढ़ा खोदें जिसकी गेहराई आपकी नाफ़ तक होनी चाहिए। 

गढ़ा तंदूर की तरह का और उतना ही चौड़ा होना चाहिए। 

अब इस के चारों ओर साढ़े तीन  हाथ का फासला छोड़ कर किसी लोहे के चाकू से से सात बारआयतलकुर्सी पढ़कर हिसार लगायें 

साधक खुद इस हिसार से कुछ दूरी पर बाहर गड्ढे की तरफ मुंह करके नीचे दिए गए मंत्र को आधी रात के समय सात सौ(700) बार पढ़ा करें।

इसको सात से ग्यारह रोज़ तक बिना नागा ऐसा ही करें। 

पांचवें रोज़ उस गढ़े से धूल उठना शुरू होगी और बड़ी गंदी बदबू आना शुरू होगी 

अजीबो गरीब किस्म की आवाज़ें भी आना शुरू होंगी। 

कभी गधे, खच्चर और दीगर गंदे जानवरों की आवाजें आयेगी। 

बदबू भी तरह तरह की आएगी। 

सातवें रोज़ से ही ऊपर से इंसानी सिर और गधे पैरों वाला धूदहा सिफूली नज़र आना शुरू होगा कभी कभी किसी साधक को अलग अलग रूप में भी जैसे सिर धड़ इंसानी और पावं खच्चर जैसे होते है।

वो साधक को अपनी शक्लो सूरत ख़ौफ़नाक डरावनी दिखाकर डराया  करेगा। 

गढ़े में बार बार खूब दूलत्ते मारेगा और खूब मिट्टी उड़ेगी। किसी किस्म का ख़ौफ़ ना करें। 

इस अमल में ये सातवे रोज हाज़िर हो जाता है लेकिन इस साधना को लगातार ग्यारह दिन करें और ग्यारहवें रोज़ वादा लेकर दोबारा हाज़िरी का तरीका पूछ लें।

जब आपको इसकी जरूरत होगी ये फौरन हाज़िर होकर आपके बताये गए कामों में मददगार रहेगा। 

ये किसी भी अच्छे और नेक काम से फौरन इंकार कर देगा और उसमें आपकी कोई मदद नही करेगा।

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सोमवार, 13 दिसंबर 2021

झली ख़बीसा की साधना

झली ख़बीसा की साधना


"झली ख़बीसा"मुस्लिम काले जादू में बहुत जबरदस्त ताकतों की मालिक एक ख़बीसा है और औरत के रूप में हाज़िर होती है जो हमज़ाद की तरह काम करती है। 

इससे बड़े से बड़े काम लिए जा सकते हैं क्योंकि ये हमजाद की तरह काम करती है इससे अच्छे और बुरे दोनो तरह के काम लिए जा सकते हैं 

किसी का भी  वशीकरण करना हो या किसी की मोहब्बत तुड़वानी हो किसी के ऊपर इसको लगा देना और अपना मन माना काम करवाना इन कामों को ये आसानी से कर देती है 

इसका अमल/साधना नीचे दिया जा रहा है अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कार्य इसकी साधना द्वारा किए जा सकते हैं। 

अपने साधक के हर काम को आसानी से कर देती है उसे देश विदेश की खबरें लाकर देती है। वह सभी कार्य जो एक हमजाद से लिए जाते हैं वह सभी कार्य करती है


इस अमल/साधना कुछ इस तरह है। 

इसकी साधना या अमल को एक एकांत स्थान पर जहां पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि इत्यादि ना आती हो एक कोठरी या कमरे में जो कि पहले से साफ सफाई करके साफ कर दिया गया हो और कमरे के समान को निकाल दिया गया हो।

उस कमरे में साधना के दौरान कोई दूसरा व्यक्ति दाखिल ना हो।

किसी भी महीने की इक्कीस (21) से  लेकर दूसरे महीने की दस ग्यारह (10,11) तक यानी इक्कीस (21) दिन पूरे करने हैं। 

इस अमल में खास बात यह है कि इस अमल में किसी भी प्रकार का सुरक्षा घेरा या हिसार नहीं किया जाता। 

इस अमल को बिलकुल निर्वस्त्र होकर करना है। 

रोज़ाना निश्चित समय पर पढ़ते समय दो दाने बूंदी मिठाई के बायें हाथ में रखें। 

मन्त्र को एक सौ इक्कीस(121) मर्तबा पढ़कर इन दानों पर दम कर दिया करें। एक दाना खुद खा लिया करें दूसरा वहीं साधना स्थल पर रख दिया करें। 

हफ्ते में आपको इसके असर दिखने चालू हो जाएंगे और इक्कीसवें दिन झली हाज़िर हो जाएगी। 

अपनी शर्तें तय करने के बाद जो कुछ कहेंगे, वो उस काम को फौरन पूरा कर देगी।

ईश्वर से जुड़े हुए लोग और सात्विक शक्तियों के साधक इस साधना को न करें क्योंकि इस साधना के दौरान ना तो आपने स्नान करना है ना अपना मुंह धो सकते हैं नाही ब्रश कर सकते हैं 

इस साधना को पूरी तरह से नापाकी में रहकर किया जाता है अगर किसी कारण से किसी भी तरह से कभी स्वप्नदोष इत्यादि होता है तो भी आप स्नान नहीं कर सकते इस साधना के दौरान उनके ब्रम्हचर्य का पालन करें और अपने धैर्य का प्रदर्शन करें ।

नापाकी,नापाकी और नापाकी ही इस साधना की पहली शर्त है

झली एक जबरदस्त नापाक खबीस रूह है एक इंतिहाई नापाक रूह है। 

इस वजह से नापाकी को पसंद करती है। और किससे सबसे ज्यादा वशीकरण में प्रयोग किया जाता है इसलिए जो परहेज नहीं कर सकते और नापाक साधना करना चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति इसको करें 

जब झली सिद्ध हो जाए तब उसको सवा सेर सरसों के तेल से बना हुआ हलवा चढ़ा दें। 

जब आप को ज़रूरत होगी तो याद करते ही फौरन हाज़िर होगी। 

हमज़ाद की तरह हर काम पलक झपकने से पहले करती है। किसी पर लगायी भी की जा सकती है। अपने साधक को हर तरह की  ख़बरें भी लाकर देती है।
मन्त्र निम्नलिखित है

"झली झली महा झली। दिनों नाचे। रातों बाल बिखरावंती ते तूँ नंगी। चित जा पट ला। मंगला मंगला मंगला ।”

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कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...