मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

Sulemani Shaam kaur Shedo Sadhana

(Parts of this mantra are kept secret)

om namo aadesh guru ko.
tel too taan maha tel. 
shyaam kaur shedho mohini. 
dikhaade aapane ilm ka khel, 
raaja mohi paraja mohi sakal ........ dee 
baees sau khvaaze mo .................... moheen. Thokar maare munh jale. 
baithee hai baithee kee liyaee. 
khadee hai bua ko bulai. 
paireen pa de bedee. 
hattheenko janjeer ....... 
hazir kar maan shedho shyaam kaur dikhaade aapake ilm ka khel. 
duhaee baabe sabal singh ki. 
duhaee naage guruon ki. 
duhaee baabe astabalee peer ki. 
duhai peer fareed kee.


 The above mantra is a Gurmukhi mantra and portions of it are preserved.

 All the Gurmukhi mantras of this type are tampered with by their letters and the spells become inferior and never work.

 If a seeker is to be successful in life, then such secret mantras that are given by the Guru should be practiced with patience once in life.

 In this, one gets the vision of Mata Shyam Kaur Sheedho and then the seeker has the power to captivate and break.

 Wherever you are, wherever you are, no matter what the job is of the court, or whatever work you do, it does not stop immediately after perfecting this mantra.

  I have very good experiences of this mantra in my own life too, and after using it many times, there was never any disappointment in life.

 In this sadhana, the seeker has to come out of the secluded room only after 40 days or leave at night and if he does not see the face of any other person, then the seeker gets darshan of the mother Sham Kaur.

 The second way to prove this mantra is to tell different remedies for those who are not able to tolerate such restrictions, seekers, siblings, chant 10 mantras of this Mantra at a lonely place at midnight, after this, on providing home enjoyment etc. for the Goddess.  Devi's blessings are obtained, it has to be done for 41 days respectively.

 Ladoo Barfi Peda jasmine flowers or rose flowers St. Sixteen Singar water coconut cloves betel nut and sweet paan have special significance in Bhog.

 When the seeker starts this cultivation in the beginning, then on the second day itself, its special effects and symptoms start to become evident. Different types of strengths make themselves felt. The seeker starts transmitting different powers and he becomes a  There is a touching moment.

  What I mean to say is that whenever you start this ritual you start here, then there are many experiences in it, in dreams and in reality there are different types of experiences during the Jap period.

 The seeker has to renounce his sense of pleasure, only the seeker and the restrained seeker can get the blessings of this goddess, if a man of luxuriant instinct does not do it then it is a good thing because his fall is decided by this practice.

 The name of this goddess is very much, it is served for 41 days and that too in a closed room.

 Taking a large pot, he has five leaves of seven kinds of fruits, seven kinds of flowers, as well as bathing in seven nalas / rivers with water and water containing all medicines, and is chanted at midnight.

 At the place of chanting, where you will perform the ritual, a red woolen or red blanket posture should be applied.

 A lamp of unbroken spleen oil should be kept burning in front of you and at the same time a lamp given to mustard oil should also go on during chanting.

 Keep the environment fragrant, incense sticks, etc. should be kept running, and give up cigarette bidi etc. completely.

 Use fragrant flowers in worship and abandon violence, anger, greed etc.

 Do the experiment as secretly as possible and do not lecture it to anyone, do not share any experience with anyone.  Whether that experience is a good experience or a terrible experience.

 If you have a terrible experience, take a little mustard oil and a little black spleen off the top of your head 7 times and surrender it to Lord Shankar's Pindi.

 Fearful experience or showing terrible images is a sign that your experiment is being successful, so do not be afraid to complete this experiment.

 The day you start this experiment, on the same day you should understand that you are the elixir for 40 days, that is, you cannot go anywhere in happiness.

 In this, it is not right to read people with weak heart who have complained of heart attack.

 Those who have less body hair, less power of mind or suffer from any disease, or a person who is scared soon, should never perform this ritual.

 In this, fasts are kept in the name of Mata Shyam Kaur Shedo.

 The items which are used in the cultivation period, where after completion, those items are taken off and hung in a nail and then the other clothes are worn.

 This experiment is not being completed.

 To take complete experiment, contact me on my email drvijaykumarshastri@gmail.com.

सुलेमानी शेढो श्याम कौर मोहिनी।



सुलेमानी श्याम कौर मोहिनी।

ॐ नमो आदेश गुरु को।
तेल तू तां महा तेल।
श्याम कौर शेढो मोहिनी।
दिखादे आपने इल्म का खेल, 
राजा मोहीं परजा मोहीं 
सकल........ दी बाईस सौ ख़्वाज़े मोहीं
....................मोहीं।
ठोकर मारे मुँह जले।
बैठी है बैठी की लियाई।
खड़ी है खड़ी को बुलाई।
पैरीं पा दे बेड़ी।
हत्थीं घात जंजीर .......
हाज़िर कर मां शेढो श्याम कौर 
दिखादे आपके इल्म का खेल।
दुहाई बाबे सबल सिंह की।
दुहाई नागे गुरुओं की।
दुहाई बाबे अस्तबली पीर की।
दुहाई पीर फ़रीद की।

(इस मंत्र के कुछ अंश गुप्त रखे गए है )

उपरोक्त मंत्र एक गुरमुखी मंत्र है और इसके अंश सुरक्षित रखे गए हैं।

इस प्रकार के जितने भी गुरमुखी मंत्र होते हैं उनके अक्षरों के साथ छेड़छाड़ करने से मंत्र शक्ति हीन हो जाते हैं और कभी काम नहीं करते।

साधक को जीवन में सफल होना हो तो ऐसे गुप्त मंत्रों की जोकि गुरु प्रदत्त हो जीवन में एक बार धैर्य के साथ साधना कर लेनी चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेढो के दर्शन प्राप्त होते हैं और फिर साधक के पास वशीकरण करने और तोड़ने की शक्ति आ जाती है।

आप कहीं भी हो साध्य कहीं भी हो, कैसा भी काम हो कोर्ट कचहरी का, या कैसा भी कोई भी काम हो इस मंत्र को सिद्ध कर लेने के बाद नहीं रुकता और फौरन हो जाता है।

 मेरे अपने जीवन में भी इस मंत्र के बहुत उत्तम अनुभव हैं और कई बार प्रयोग करने के बाद जीवन में कभी भी निराशा हाथ नहीं लगी।

इस साधना में साधक को एकांत कमरे से 40 दिन के बाद ही बाहर आना है या रात्रि में ही निकलना है और किसी दूसरे व्यक्ति का मुंह नहीं देखना तो साधक को मां शाम कौर के दर्शन प्राप्त होते हैं।

दूसरा तरीका इस मंत्र को सिद्ध करने का यह है जो साधक भाई बहन इतनी बंदिश बर्दाश्त नहीं कर सकते उनके लिए अलग उपाय बताता हूं इस मंत्र को मध्यरात्रि में एकांत स्थान पर 10 माला जाप करें उसके बाद देवी के निमित्त होम भोग इत्यादि प्रदान करने पर इस देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है इसे क्रमशः 41 दिन तक करना होता है।

भोग में लड्डू बर्फी पेड़ा चमेली के फूल या गुलाब के फूल सेंट सोलह सिंगार पानी वाला नारियल लौंग सुपारी कलावा और मीठे पान का विशेष महत्व है।

जब साधक शुरू में इस साधना को प्रारंभ करता है तो उसको दूसरे तीसरे दिन ही इसके विशेष प्रभाव और लक्षण स्पष्ट होने लग जाते हैं भिन्न भिन्न प्रकार की ताकतें अपने आपको महसूस करवाती हैं साधक के ओतप्रोत विभिन्न शक्तियों का संचरण होने लग जाता है और वह एक मार्मिक पल होता है।

 मेरे कहने का तात्पर्य यह है जब भी आप इस अनुष्ठान को स्टार्ट करते हैं यहां आरंभ करते हैं तो इसमें अनुभव बहुत होते हैं सपने मैं और वास्तविकता में जाप काल के दौरान भिन्न भिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं।

साधक को अपने इंद्रिय सुख का त्याग करना पड़ता है त्यागी और संयमी साधक ही इस देवी का आशीर्वाद पा सकता है भोगी विलासी प्रवृत्ति का आदमी इसे ना करें तो अच्छी बात है क्योंकि उसका पतन होना इस साधना से तय होता है।

इस देवी का नाम ही बहुत है इसकी सेवा 41 दिन की होती है और वह भी एक बंद कमरे में।

एक बड़ा सा मटका लेकर उसने सात प्रकार के फलों के पांच पांच पत्ते, सात प्रकार के फूल, और साथ ही सात नलों/नदियों का पानी और सर्व औषधि युक्त जल से स्नान करके अर्ध रात्रि में ही जाप किया जाता है।

जाप के स्थान पर जहां आप अनुष्ठान करेंगे पूर्वाभिमुख लाल ऊनी या लाल कंबल का आसन लगाना चाहिए।

आपके सामने अखंड तिल्ली के तेल का दीपक जलता रहना चाहिए और साथ ही सरसों के तेल का दिया वह भी जाप के दौरान चलता रहना चाहिए।

पर्यावरण को सुगंधित रखें धूप अगरबत्ती इत्यादि  चलते रहने चाहिए  सिगरेट बीड़ी इत्यादि के नशे को पूर्णतया त्याग दें।

सुगंधित फूलों का पूजा में प्रयोग करें हिंसा क्रोध लोभ इत्यादि का परित्याग करें।

यथासंभव प्रयोग को गुप्त रूप में करें और किसी से भी इसका व्याख्यान ना करें, कोई भी अनुभव किसी से साझा ना करें। चाहे वह अनुभव कोई अच्छा अनुभव हो या भयंकर अनुभव हो।

अगर आपको भयंकर अनुभव आए तो थोड़ा सरसों का तेल और थोड़ी काली तिल्ली लेकर अपने सिर के ऊपर से 7 बार उल्टा उतार कर भगवान शंकर की पिंडी  पर समर्पित कर दें।

भयंकर अनुभव या भयंकर छवियां दिखना इस बात की ओर इशारा है कि आप का प्रयोग सफल हो रहा है अतः डरे ना इस प्रयोग को पूरा करें।

जिस दिन यह प्रयोग आप शुरू करें उसी दिन आप समझ ले कि आप 40 दिन के लिए अमृत हो यानी कि कहीं भी खुशी गमीं में आप जा नहीं सकते।

इसमें कमजोर हृदय वाले मनुष्य जिनको हृदयाघात की शिकायत हो उनका पाठ करना सही नहीं रहता।

जिनके शरीर का बाल कम हो जिसके मन का बल कम हो या किसी भी बीमारी से ग्रसित हो या जल्दी ही डर जाने वाले मनुष्य को कभी भी यह अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेडो के नाम से लगातार व्रत रखे जाते हैं।

जिन वस्तुओं का उपयोग साधना काल में होता है उन वस्तुओं को जहां पूरा होने के बाद उतार कर एक कीली में टांग दिया जाता है और फिर दूसरे वस्त्र पहन लिए जाते हैं।

इस प्रयोग को पूरा नहीं दिया जा रहा।

पूरा प्रयोग लेने के लिए मेरे ईमेल drvijaykumarshastri@gmail.com पर संपर्क करें।





रविवार, 19 अप्रैल 2020

Speed ​​up all stalled means.


            
          
          Speed ​​up all stalled means.

○ This problem comes many times in the life of the seekers, even after relentless efforts on the spiritual path, many times frustration is felt and they fail in cultivation, especially for them, this aspect of the Goddess has been highlighted in the form of spiritual practice.  is.

○Occupational obstacles or domestic hurdles of a person come to a halt due to occupation and in the end everything is a panacea for destroying those obstacles. This is the form of the Goddess, after its practice, there is no obstacle in the path of a seeker.

○ Due to being in the Tantra field for many years, many times someone says that Gurudev our work was complete, our work was going to be done.  Eventually, that work failed.

○  So many times I have heard such things, due to some, the factory is closed or some other business, such problems come to life.

○  Somebody's business gets stalled due to running, after study it is found that there is no system constraint on them.  But if the planet is born or there is a defect of the place, then to solve them all, first of all it is necessary to classify it. First of all, you should see where the problem is and when you will know the problem, then there is no delay in getting treatment.  Looks and seems to be done, classify in this way.  So in

○ There are personal, local, planetary and many other types of bonds that make a person suffer.  And even after performing many types of worship laws, he does not get liberation.

○ Sometimes this pain is planetary, sometimes it is localized.  It needs to be analyzed.  In the end, even when you conclude, it still needs to be diagnosed.

○ Such a diagnosis is made by different types of experiments.  These methods can be of different types and also take time.

○ Today I am going to tell you about the practice of a form of Bhagwati Parambashakti, which is also mentioned in the Puranas, but in today's time we are becoming alienated from our scriptures, so we do not have that much knowledge only in Indrajal or Tantra.  The scriptures and the details of these mantras are not only in the scriptures, but the Vedas and Puranas also have a complete description of this.

○ When the work goes wrong again and again, even after a lot of effort, your work is not made or in the last minute, the work is disturbed, then it needs to be studied deeply and analyzed so that you can diagnose it.

○ Once in life, if this form of Goddess is worshiped and purification is completed, then your stalled work starts to be made immediately.  And you get rid of problems completely.
 

○Even if you worship any other form of the Goddess, even if once you complete the ritual of Tavrita Bhagwati once in life, then the other forms in which you are worshiping the Goddess.  They also show favor on you

○ There are also two distinctions of their forms: Tverita and Upper tverita. I tell you here today about the cultivation of the Goddess Tevarita and her mantra and the method of that mantra.

○frist mantra: -Om hreen hun khechachhe ksh: streen kshe hreen phat.

○second manyata:-Om hreen kleen hreen shreen tvarita devyai hoon shreen hreen kleen kl om choo.

○The number of priests of both the above mentioned mantras is 1.25 lakh mantras and the tenth part of the fire has to be done.

○ If you find this chant a little difficult, then you can get this purification done by a learned Brahmin as well.

○ You can start this practice with any new moon.

○  Sadhak should take bath after 8:30 pm and wear red clothes.

○  This practice has to be done with utmost orientation.

○ Place a red cloth in front of the bazot.

○ Install a copper vessel on it.  In that vessel, install the goddess's device. Now first offer 5 red flowers on the machine, after offering the flowers, light a lamp of sesame oil, and offer jaggery in front of the armor.

○ Now remembering my mother's speed and taking a pledge that to speed up my life and to complete every stalled work, I am doing this work, mother's skin, please grace me and give my life the right direction quickly.

○ After this, the seeker should chant  11 mala of the following mantra with Rudraksha Mala.

○Keep something intact with you in this practice.  After each garland, rotate it slightly in a bowl and put it in a bowl, keep this bowl on the bajot itself, thus after each garland, you have to rotate it freely and offer it.  When 11 garlands are completed, then pray to mother again.

○You have to do this sadhana for eight days, and you have to collect the daily which is intact.  And after finishing the practice, donate it to someone.  The jaggery that is offered in bhoga is to be fed to the cow every day.

○ This is how the seeker should do this sadhana.  Later, keep the device safe again and it will work in other practices.

○ Due to the effect of this Sadhana, your work and practices will get faster pace and the work which gets stuck again and again will be completed and at the same time, the seeker will get the blessings of the mother.


○ This problem comes many times in the life of the seekers, even after relentless efforts on the spiritual path, many times frustration is felt and they fail in cultivation, especially for them, this aspect of the Goddess has been highlighted in the form of spiritual practice.  is.

○Occupational obstacles or domestic hurdles of a person come to a halt due to occupation and in the end everything is a panacea for destroying those obstacles. This is the form of the Goddess, after its practice, there is no obstacle in the path of a seeker.

○ Due to being in the Tantra field for many years, many times someone says that Gurudev our work was complete, our work was going to be done.  Eventually, that work failed.

○  So many times I have heard such things, due to some, the factory is closed or some other business, such problems come to life.

○  Somebody's business gets stalled due to running, after study it is found that there is no system constraint on them.  But if the planet is born or there is a defect of the place, then to solve them all, first of all it is necessary to classify it. First of all, you should see where the problem is and when you will know the problem, then there is no delay in getting treatment.  Looks and seems to be done, classify in this way.  So in

○ There are personal, local, planetary and many other types of bonds that make a person suffer.  And even after performing many types of worship laws, he does not get liberation.

○ Sometimes this pain is planetary, sometimes it is localized.  It needs to be analyzed.  In the end, even when you conclude, it still needs to be diagnosed.

○ Such a diagnosis is made by different types of experiments.  These methods can be of different types and also take time.

○ Today I am going to tell you about the practice of a form of Bhagwati Parambashakti, which is also mentioned in the Puranas, but in today's time we are becoming alienated from our scriptures, so we do not have that much knowledge only in Indrajal or Tantra.  The scriptures and the details of these mantras are not only in the scriptures, but the Vedas and Puranas also have a complete description of this.

○ When the work goes wrong again and again, even after a lot of effort, your work is not made or in the last minute, the work is disturbed, then it needs to be studied deeply and analyzed so that you can diagnose it.

○ Once in life, if this form of Goddess is worshiped and purification is completed, then your stalled work starts to be made immediately.  And you get rid of problems completely.
 

○Even if you worship any other form of the Goddess, even if once you complete the ritual of Tavrita Bhagwati once in life, then the other forms in which you are worshiping the Goddess.  They also show favor on you

○ There are also two distinctions of their forms: Tverita and Upper tverita. I tell you here today about the cultivation of the Goddess Tevarita and her mantra and the method of that mantra.

○frist mantra: -Om hreen hun khechachhe ksh: streen kshe hreen phat.

○second manyata:-Om hreen kleen hreen shreen tvarita devyai hoon shreen hreen kleen kl om choo.

○The number of priests of both the above mentioned mantras is 1.25 lakh mantras and the tenth part of the fire has to be done.

○ If you find this chant a little difficult, then you can get this purification done by a learned Brahmin as well.

○ You can start this practice with any new moon.

○  Sadhak should take bath after 8:30 pm and wear red clothes.

○  This practice has to be done with utmost orientation.

○ Place a red cloth in front of the bazot.

○ Install a copper vessel on it.  In that vessel, install the goddess's device. Now first offer 5 red flowers on the machine, after offering the flowers, light a lamp of sesame oil, and offer jaggery in front of the armor.

○ Now remembering my mother's speed and taking a pledge that to speed up my life and to complete every stalled work, I am doing this work, mother's skin, please grace me and give my life the right direction quickly.

○ After this, the seeker should chant  11 mala of the following mantra with Rudraksha Mala.

○Keep something intact with you in this practice.  After each garland, rotate it slightly in a bowl and put it in a bowl, keep this bowl on the bajot itself, thus after each garland, you have to rotate it freely and offer it.  When 11 garlands are completed, then pray to mother again.

○You have to do this sadhana for eight days, and you have to collect the daily which is intact.  And after finishing the practice, donate it to someone.  The jaggery that is offered in bhoga is to be fed to the cow every day.

○ This is how the seeker should do this sadhana.  Later, keep the device safe again and it will work in other practices.

○ Due to the effect of this Sadhana, your work and practices will get faster pace and the work which gets stuck again and again will be completed and at the same time, the seeker will get the blessings of the mother.

त्वारिता देवी साधना।

                        
                     त्वरिता देवी साधना 

           ।।सभी रुकी हुई साधनओं को गति देना।।

○ साधकों के जीवन में यह समस्या कई बार आती है साधना पथ पर अथक प्रयास करते हुए भी बहुत बार निराशा हाथ लगती है और साधना में फेल हो जाते हैं उनके लिए विशेष तौर पर देवी के इस स्वरुप के साधना करने के विषय में प्रकाश डाला गया है।

○किसी जातक के व्यवसाय गत बाधाएं आ जाना या घरेलू बाधाएं आ जाना व्यवसाय चलते चलते  अंत में सब कुछ बंद हो जाना उन विघ्नों के नाश के लिए रामबाण है यह देवी का स्वरूप इसकी साधना के उपरांत कभी भी साधक के मार्ग में विघ्न नहीं आते।

○तंत्र क्षेत्र में बहुत सालों से होने के कारण कई बार कोई  कहता है कि गुरुदेव हमारा काम पूरा हो चुका था हमारा  काम होने ही वाला था । आखिर में जाकर वह काम फेल हो गया। 

○तो बहुत बार ऐसी बातें सुन चुका हूं किसी की चलते-चलते फैक्ट्री बंद हो जाती है या किसी का काम धंधा बहुत सी ऐसी समस्याएं जीवन में आती हैं।

○किसी का व्यापार चलते चलते  ठप हो जाता है  अध्ययन के बाद पता चलता है कि उनके ऊपर तंत्र की कोई बाधा नहीं है। लेकिन ग्रह जनित है या या स्थान का दोष है तो उन सब का निराकरण करने के लिए सबसे पहले उसका वर्गीकरण करना जरूरी है सबसे पहले आप यह देख ले कि समस्या है कहां पर और जब आपको समस्या का पता चल जाएगा तो इलाज होने में देर नहीं लगता और होता भी है देखिए इस तरह वर्गीकरण किया जाए। तो इसमें 

○व्यक्तिगत ,स्थानगत ,ग्रहगत और कई तरह के ऐसे बंधन होते हैं  जिससे कि  आदमी त्रस्त रहता है। और कई तरह के पूजा विधान करने पर भी उसको कोई मुक्ति नहीं मिलती।
○ कई बार यह पीड़ा ग्रहजनित होती है  कई बार वह स्थानजनित होती है। इस पर विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है। अंत में जब आप निष्कर्ष निकाल भी लेते हो  तो भी उसके निदान की आवश्यकता होती है।
○ऐसे में विभिन्न प्रकार के प्रयोगों से  निदान होता है। यह तरीके विभिन्न प्रकार के विभिन्न पद्धतियों के हो सकते हैं और इनमें समय भी लगता है।
○आज मैं आपको भगवती पारंबाशक्ति के एक ऐसे रूप की साधना के विषय में बताने जा रहा हूं जिसका विवरण पुराणों में भी है लेकिन आज के समय में हम अपने शास्त्रों से विमुख होते जा रहे हैं इसलिए हमें इतना ज्ञान नहीं है केवल इंद्रजाल में या तंत्र शास्त्रों में ही इन मंत्त्रों के विधान और उनका विवरण नहीं है अपितु वेदों और पुराणों में भी इसका पूर्ण विवरण है।

○जब बार-बार काम बिगड़ जाए और बहुत प्रयास करने के बाद भी आपका काम ना बने या अंतिम समय में आकर काम बिगड़ जाए तो उसके ऊपर गहन अध्ययन करने की और विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है जिससे कि आप उसका निदान कर सको।

○जीवन में एक बार यदि देवी के इस रूप की पूजा की जाए और पुरुश्चरण पूरा कर लिया जाए तो आपके रुके हुए काम तुरंत बनने चालू हो जाते हैं। और आपको समस्याओं से  पूर्णरूपेण  छुटकारा मिल जाता है ।
 
○अगर आप देवी के किसी अन्य रूप को भी पूजते हैं तो भी अगर एक बार त्वरिता भगवती के अनुष्ठान को जीवन में एक बार  सम्पन्न कर ले तो जिन दूसरे रूपों में जिसको आप देवी को पूज रहे हैं । वह भी आप पर कृपा बरसाने लग जाते हैं 

○इनके रूपों के भी दो भेद हैं त्वरिता और अपर त्वरिता आज आपके लिए यहां त्वरिता देवी की साधना के विषय में और उनका मंत्र और उस मंत्र की विधि उसके फल को मैं आपसे कहता हूं।

○पहला मन्त्र:-ॐ ह्रीं हुं खेचछे क्षः स्त्रीं हूं क्षे ह्रीं फट्।

○दूसरा मन्त्र:-ॐ ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं त्वरिता देव्यै हूं हूं हूं श्रीं ह्रीं क्लीं ॐ छू 

○ उपरोक्त के  दोनों मंत्रो की पुरश्चरण की संख्या सवा लाख मंत्र है और दसवां हिसा हवन करना होगा।

○ यह जाप अगर आपको थोड़ा मुश्किल लगे तो आप किसी विद्वान ब्राह्मण से भी इस प्पुरश्चरण को करवा सकते हैं

○आप यह साधना किसी भी अमावस्या से आरम्भ कर सकते हैं।

○साधक रात्रि 8:30 के पश्चात स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे। 

○उत्तराभिमुख होकर करनी होती है ये साधना।

○ सामने बाजोट रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा दे।

○उस पर किसी ताम्र पात्र को स्थापित करे। उस पात्र में देवी के यन्त्र को स्थापित करे.अब सर्वप्रथम यन्त्र पर ५ लाल पुष्प अर्पित करे ,पुष्प अर्पित  करने के पश्चात,तिल के तेल  का दीपक प्रज्वलित करे,तथा कवच के समक्ष गुड़ का नैवेद्य अर्पित करे ।

○अब माँ त्वरिता  का स्मरण कर संकल्प ले की अपने जीवन को गति देने हेतु तथा हर रुके कार्य को पूर्ण करने हेतु मैं यह साधना कर रहा हूँ माँ त्वरिता मुझ पर कृपा करे तथा मेरे जीवन को त्वरित रूप से सही दिशा प्रदान करे।

○इसके पश्चात साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की ११ माला जाप करे।

○इस साधना में अपने पास कुछ अक्षत रखे। प्रत्येक माला के पश्चात सर पर से थोड़े अक्षत घुमाकर एक कटोरी में डाल दे,यह कटोरी भी बाजोट पर ही रखनी है।इस प्रकार प्रत्येक माला के पश्चात अक्षत घुमाकर अर्पित करने है। जब ११ माला संपन्न हो जाये तो माँ से पुनः प्रार्थना करे। 

○ये साधना आपको आठ दिनों तक करनी है.साथ ही नित्य जो अक्षत है एकत्रित करते जाना है। और साधना समाप्ति के पश्चात किसी को दान कर देना है । भोग में जो गुड़ अर्पित किया गया है.वो नित्य गाय को खिला देना है ।

○इस प्रकार साधक यह साधना करे। बाद में यन्त्र को पुनः सुरक्षित रख ले यह अन्य साधनाओं में काम आएगा। 

○इस साधना के प्रभाव से आपके कार्य और साधनाओं को तीव्र गति मिल जाएगी तथा जो काम बार बार अटक जाते है वे पूर्ण होंगे साथ ही, साधक को माँ की कृपा प्राप्त होगी।

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

अघोरास्त्र मन्त्र साधना से असंभव काम भी संभव।

   
।।अघोरास्त्र मंत्र साधना से असंभव भी संभव।।
○जिसके स्मरण मात्र से मनुष्यों के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं। अघोरास्त्र मंत्र का जप महामारी, राजकीय उपद्रव, प्रेत बाधा, शत्रु बाधा, ग्रह दोष, असामयिक गर्भपात शान्ति हेतु किया जाता है। अघोर मंत्र से क्षुद्र व्याधि जैसे कुष्ठरोग, तपेदिक, कैंसर,पक्षाघात आदि से मार्ग निवृत्ति होती है। जीवन में अकस्मात् उत्पन्न होने वाले अवरोध स्वतः ही विलुप्त हो जाते हैं तथा सर्वाभीष्ट सिद्धि से निवृत्ति होती है। ग्रहपीड़ा का शमन होता है। प्रेतपीड़ा बिल्कुल लुप्त हो जाती है तथा सर्वाभीष्ठ सिद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।ऐसा तन्त्र शास्त्रों में वर्णित है।

○यह शान्ति गृह रोग आदि को शान्त करने वाली तथा महामारी एवं शत्रु का मर्दन करने वाली है। 

○विघ्न कारक गणों के द्वारा उत्पादित उत्पाद को भी शान्त करती है मनुष्य अघोरास्त्र का जप करे। 

○एक लाख जप करने से ग्रह बाधा आदि का निवारण होता है और तिल से दशांश होम कर दिया जाये तो उत्पातों का नाश होता है। 

○एक लाख जप-होम से दिव्य उत्पात का तथा आधे लक्ष जप-होम से आकाश उत्पाद का नाश होता है 

○घी की एक लाख आहुति देने से भूमि उत्पात के निवारण में सफलता प्राप्त होती है। 

○घृत मिश्रित गुग्गुल के होम से सम्पूर्ण उत्पात आदि का शमन होता है। 

○दूर्वा, अक्षत तथा घी की आहुति देने से सारे रोग दूर होते हैं। 

○केवल घी की एक सहस्र आहुति से बुरे स्वप्न नष्ट हो जाते हैं, इसमें संशय नही है।

○वही आहुति यदि दस हजार की संख्या में दी जाय तो ग्रहदोष का शमन होता है। 

○घृत मिश्रित जौं की दस हजार आहुतियों से विनायक जनित पीड़ा का निवारण होता है। 

○दस हजार घी आहुतियों से तथा गुग्गुल की भी दस हजार आहुतियों से भूत-वेताल आदि की शान्ति होती है। 

○जब वृक्ष आंधी आदि से स्वतः उखड़कर गिर जाय, घर में सर्प का कंकाल हो तथा वन में प्रवेश करना पड़े तो दूर्वा, घी और अक्षत के होम से विघ्न की शान्ति होती है 

○उल्कापात या भूकम्प हो तो तिल और घी से होम करने से कल्याण होता है वृक्षों से रक्त बहे, असमय में फल-फूल लगें, राष्ट्र भंग हो, मारणकर्म हो, जब मनुष्य-पशु आदि के लिए महामारी आ जाय तो तिल मिश्रित घी से अर्थ लक्ष आहुति देनी चाहिए ।

○असमय में गर्भपात हो या जहाँ बालक जन्म लेते ही मर जाता हो तथा जिस घर में विकृत अंग वाले शिशु उत्पन्न होते हों तथा जहाँ समय पूर्ण हाने से पूर्व ही बालक का जन्म होता हो, वहाँ इन सब दोषों केशमन के लिए दस हजार आहुतियां देनी चाहिये। 

○सिद्धि साथन में तिल मिश्रित घी से एक लाख हवन किया जाय तो वह उत्तम है, मध्यम सिद्धि के साधन में अर्थलक्ष और अधम सिद्धि के लिए पचीस हजार आहुति देनी चाहिये। जैसा जप हो , उसके अनुसार ही होम होना चाहिये। इससे संग्राम में विजय प्राप्त होती है 

○न्यासपूर्वक तेजस्वी पंचमुखी शिव का ध्यान करके 'अघोरास्त्र' का जप करना चाहिये।

  

इस मन्त्र अनुष्ठान के पूजन में यह शिव यन्त्र प्रयोग होता है।


○विधि - सर्वप्रथम अपने गुरुदेव से इस मंत्र की दीक्षा लें। जो व्यक्ति बिना गुरूमुख से मंत्र लिए केवल पुस्तकों से पढकर मंत्र जप करता है वह घोर नरक का अधिकारी होता है एवं करोड़ो जप करने पश्चात भी उसे सिद्धि नही मिलती। 

○मन्त्र:- 'ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोरघोरतर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बन्ध बन्ध घातय घातय हुं फट्'

○यह विद्या बहुत ही उग्र है इसलिए योग्य गुरू के सान्निध्य में ही प्रारम्भ करें

○प्रारम्भिक पूजा करने के पश्चात भगवान शिव के पंचमुखी का निम्नलिखित मंत्रों से पूजन एवं ध्यान करना चाहिये।

○ईशान (ईशान मुख ) यह क्रीड़ा का मुख है। जितने भी मनोरंजन, खेल, विज्ञान आदि हैं, ये सभी शिव के इसी मुख द्वारा संचालित होते हैं। 
○पूजन मंत्र : ॐ ईशानाय नमः । ॐ ईशानः सर्व विद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां बृह्माधिपतिर्ब्रह्मणो अधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम्।

○तत्पुरुष (पूर्व दिशा)यह मुख पूर्व दिशा की ओर है यह तपस्या का मुख है। साधना, पढ़ाई-लिखाई, इच्छा व लक्ष्य प्राप्ति के लिए किया जाने वाला प्रत्येक कार्य इसी मुख से संचालित होता है।
○पूजन मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय नमः । ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय महि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।

○अघोर (दक्षिण दिशा) यह शिव का रौद्रमुख है संसार में जो युद्ध, आपदाएं, मृत्यु आती हैं, वो सभी शिव के इसी मुख से संचालित होता है। यह न्याय भी करता है और पाप का दंड भी देता है। आपदाशांति के लिए अघोर-उपासना इसीलिए की जाती है। यह शिव का मध्यमुख है।
○पूजन मंत्र : ॐ अघोराय नमः। ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्वसर्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रूद्ररूपेभ्यः ।

○वामदेव (पश्चिम मुख ) यह अंहकार का रूप है। हमारे अहंकार, गर्व, प्रेम, मोह, आसक्ति आदि इसी मुख के कारण इस संसार में दिखते हैं।
○पूजन मंत्र : ॐ वामदेवाय नमः। ॐ वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कालाय नमः कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमो बालाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय  नमः ।

○सद्योजात (उत्तर मुख ) यह ज्ञान का मुख है। यह शिव का अतिशालीन रूप है। शिव के इसी रूप की सबसे ज्यादा आराधना होती है।
○सद्योजात (उत्तर मुख ) यह ज्ञान का मुख है। यह शिव का अतिशालीन रूप है। शिव के इसी रूप की सबसे ज्यादा आराधना होती है। पूजन मंत्र : ॐ सद्योजाताय नमः। ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमो भवे भवे नातिभवे भवस्य मां भवोद्भवाय ।


○स्नान इत्यादि से निवर्त होकर आचमन करें फिर सीधे हाथ में जल लेकर विनयोग करें -                   विनियोग : ॐ अस्य श्री अघोरास्त्र मंत्रस्य, अघोर ऋषिः, त्रिष्टुप छंदः अघोर रुद्रदेवता, ह ल बीज, स्वराः शक्तिं। सर्वोपद्रव शमनार्थे जपे विनियोगः।

○करन्यासः ह्रीं स्फुर स्फुर अंगुष्ठाभ्याम् नमः             प्रस्फुर प्रस्फुर तर्जनीभ्याम् नमः                             घोर घोर-तर तनुरूप मध्यमाभ्याम् नमः                   चट चट प्रचट प्रचट अनामिकाभ्याम् नमः।                कह कह वम वम कनिष्ठिकाभ्याम् नमः                     बंध बंध घातय घातय हुँ फट् करतलकरपृष्ठाभ्यां

○षडङ्गन्यासः ह्रीं स्फुर स्फुर हृदयाय नमः।              प्रस्फुर प्रस्फुर शिरसे स्वाहा                                   घोर घोर-तर तनुरूप शिखायै वषट्                         चट चट प्रचट प्रचट कवचाय हुम्।                          कह कह वम वम नेत्रत्रयाय वौषट                           बंध बंध घातय घातय हुँ फट् नमःअस्त्राय फट
 
न्यास करने के पश्चात भगवान शिव का ध्यान करें -

○ध्यानम् सजल घनसमाभं भीम दंष्टं त्रिनेतं भुजगधरमघोरं हारक्त वस्त्रान रागाम्। परशु डमरू खडगान् खेटकं वाण चापौ त्रिशिखि नर कपाले विभ्रतं भावयामि ।। अभिचारे ग्रहध्वंसे कृष्णवर्णो भवेद्विभुः वश्ये कुसुम्भसङ्काशो मुक्तौ चन्द्रसमप्रभः

○जल युक्त बादल के समान जिनके शरीर की कान्ति हैं, जिनकी दंष्ट्रा अत्यन्त भयानक है जो तीन नेत्रों से युक्त तथा साँपों को धारण करने वाले हैं - ऐसे रक्त वस्त्र एवं रक्त अङ्गराग से भूषित परशु, डमरू, खङ्ग, खेटक, बाण, चाप, त्रिशुल तथा नर कपाल को धारण करने वाले अघोर का मैं ध्यान करता हूँ ये अघोर प्रभु , मारण तथा ग्रहों के विनाश काल में कृष्ण वर्ण और वश्यकार्य में कुसुम्भ के सदृश तथा मुक्ति कार्य में चन्द्रमा के समान रूप धारण करते हैं।

○अग्नि पूराण के अनुसार अघोर मंत्र का एक लक्ष जप करके दशांश होम करें। साधक रात्रि में, अपामार्ग समिध तिल सरसों एवं पायस से अयुत होम या सहस्त्राहुति देवे तो कृत्या व भूतों का नाश होता

○अघोरास्त्र मंत्र के साथ में नियमित रूप से शिव गायत्री एवं शक्ति मंत्र का जप करना चाहिये । उत्तम फल प्राप्ति के लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढाना चाहिये एवं नीलकंठ अघोरास्त्र स्तोत्र का पाठ करना चाहिये।

○। श्रीनीलकण्ठ अघोरास्त्र स्तोत्रं।। 
○विनियोग:-ॐ अस्य श्री भगवान नीलकण्ठ सदा-शिव-स्तोत्र मंत्रस्य श्री ब्रह्माऋषिः, अनुष्ठप् छन्दः,श्रीनील-कण्ठ सदाशिवो देवता ब्रह्म बीजं, पार्वती शक्तिः , मम समस्त-पाप-क्षयार्थं क्षेम-स्थैर्यायुरारोग्याभि-वृद्धयर्थ मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनाथं च श्रीनील-कण्ठ-सदा-शिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

○ऋष्यादिन्यासः श्री ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि।         अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे।                          श्रीनीलकण्ठ सदाशिव देवतायै नमः हृदि।      ब्रह्म-बीजाय नमः लिङ्गे।                          पार्वती-शक्त्यै नमः नाभौ।

○मम समस्त पापक्षयार्थ क्षेमस्थायरारोग्याभि-वृद्धयर्थ मोक्षादि चतुर्वगं साधनार्थं च श्रीनीलकण्ठ सदाशिव प्रसाद सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे।

                              ।। स्तोत्रम् ।।

○ॐ नमो नीलकण्ठाय, श्वेतशरीराय, सालंकारभूषिताय, भुजङ्गपरिकराय, नागयज्ञोपवीताय, अनेकमृत्यु विनाशाय नमः। युग युगान्त कालप्रलय प्रचण्डाय, प्रज्वाल-मुखाय नमः। दंष्ट्राकराल घोररूपाय हूं हूं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय मंत्र करालाय, प्रचण्डार्क सहस्त्रांशु-चण्डाय नमः। कर्पूर मोद-परिमलाङ्गाय नमः। ऊँ ई ई नील महानील वज्र वैलक्ष्य मणि-माणिक्य मुकुट भूषणाय, हन-हन-हन-दहन-दहनाय श्रीअघोरास्त्र मूल मंत्र-ऊँ हां ॐ ह्रीं ॐ हूं स्फुर अघोर-रूपाय रथ रथ तंत्र-तंत्र-चट्-चट्-कह-कह-मद मद-दहन-दाहनाय श्री अघोरास्त्र-मूल-मंत्र-जरा-मरण-भय-हूं-हूं फट्स्वाहा।अनन्ताघोर-ज्वर-मरण-भव-क्षय-कुष्ठ-व्याधि-विनाशाय, शाकिनी-डाकिनी ब्रह्मराक्षस-दैत्य-दानव-बन्धनाय, अपस्मार-भूत-बैताल-डाकिनी-शाकिनीसर्व-ग्रह-विनाशाय, मंत्र-कोटि-प्रकटाय, पर-विद्योच्छेदनाय, हूं हूं फट् स्वाहा। आत्म-मंत्र संरक्षणाय नमः। ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं नमो भूत-डामरी-ज्वाल-वश-भूतानां-द्वादश-भूतानां त्रयोदश षोडश-प्रेतानां पञ्च-दश-डाकिनी-शाकिनीनां हन हन। दहन-दार-नाथ एकाहिक-द्वयाहिक-त्र्याहिक-चातुर्थिक- पञ्चाहिक-व्याघ्र-पादान्त-वातादिवात-सरिक-कफ- पित्तक-काश-श्र्वास-थ्रलेष्मादिकंदह-दह,छिन्धि-छिन्धि, श्रीमहादेव-निर्मित-स्तंभन-मोहन-वश्याकर्षणोच्चाटन-कीलनोद्वेषण-इति षट् कर्माणि वृत्य हूं हूं फट् स्वाहा। वात ज्वर, मरण-भय, छिन्न-छिन्न नेह नेह भूतज्वर, प्रेतज्वर, पिशाचज्वर, रात्रिज्वर, शीतज्वर, तापज्वर, बालज्वर, कुमारज्वर, अमितज्वर, दहनज्वर, ब्रह्मज्वर, विष्णुज्वर, रुद्रज्वर, मारीज्वर, प्रवेशज्वर, कामादि-विषम ज्वर, मारी-ज्वर, प्रचण्ड-घराय, प्रमथेश्ववर! शीघ्रं हूं हूं फट् स्वाहा। ॐ नमो नीलकण्ठाय, दक्षज्वर-ध्वंसनाय, श्रीनीलकण्ठाय नमः।

○फलश्रुति सप्तवारं पठेत् स्तोत्रं, मनसा चिन्तितं जपेत् । तत्सर्वं कार्यसुफलं प्राप्तं, शिवलोकं स गच्छति।।

रविवार, 12 अप्रैल 2020

Ritual To run closed business.

(((Important information & warnings, this mantra is not on the internet before it. It is being put on the internet for the first time, very few people know that I am giving it for personal use to my readers. Don't make copy paste contents Otherwise, you will have to face legal trouble.)))
         


        Ritual To run closed business.

 If any siblings' business or business stopped running while running the factory or shop, and millions of people could not even open their work and could not understand the personal friend, then you should take this remedy.

 This remedy was given to many people and everyone got its good results soon. This remedy never failed for Hanuman's priests or for those whose favored Hanuman ji shows very early effects. This rithual and panacea is it rithual.

 ○ Many a times, we become the victim of the upper hurdle or sometimes the jealousy of our strangers, sometimes it comes as a surprise to someone who often sees good business as we go and it runs in every province.  The region has no contribution in this.

 ○ If we say that the people of one region are good and the other are bad, in every society there are some people who work only and only to harm the society.

Frustrated intellect, distorted mentality and the feeling some of becoming highly ambitious, such people often damage acquaintances by some sorcery because they do not know the unknown person.

 ○ These things do not happen suddenly before they happen, if such symptoms appear, then if you pay attention to them, then you will already know that something is going to be wrong, it all depends on your agility.


 ○ Many times, friends are close to the place, sometimes friends are personal, in both the situations, the business often comes to a halt and the lock is coming, it is easy to treat them if the businessman works with his knowledge.  And never leave the religion, Dharmaveer will only give you religion even if you follow the religion.

 ○ Many times when such situations happen, the victims try here and there for ten consecutive years for their treatment, some thoughts are there, some sit exhausted in four years, many do not get the remedy, many get half-finished remedy.  

 I am giving you a solution here, whenever you feel that your work is going haywire, your business will stop before you start doing this work.

 You have to do this ritual  for 7  consecutive Tuesdays.

 ○ Complete celibacy is to be followed.

 ○ Every Tuesday, you have to get up at early and have to free from bathing etc. Then go to an old peepal tree and worship it and worship it in 11 times and you have to gut 11 leaves from that peepal tree.

 ○ Then he has to bring the leaves and put them on a track and wash them thoroughly with holy Ganga's river water.

 ○ Then you have to make ink by mixing   yellow vermilion and jasmine oil or grind the red sandal and prepare ink by writing Jai Sri Sita Ram on your leaf 7 times with your ring finger.  And to take two Garland of (habiscus) flower .

 A long red raksha sutra or (kalava) which is also called mouli in the local language  is called Raksha, it is to be tied in such a way that it becomes like a necklace.

 ○ After this you have to go to Hanuman ji's temple where you have to worship Hanuman ji and offer the prasad, then you should chant the following mantra with the rosary of Rudraksh and offer that necklace to Hanuman ji and the water of Coconut  Burst the one you had kept at your bedside and offer it to Hanuman.  For the success of mind work, pray to Hanuman ji.

 ○ Finally, one of the two garlands of flower you brought with you is to be offered to Hanuman ji, the second one is to touch the feet of Hanuman ji and take a garland back with you and at the entrance of your work place. To hang there. Then the next Tuesday, which you hanged the garland at your workplace, you have to remove it on Monday night and on the second day, wake up early on Tuesday and then prepare two garlands of adhul with a  garland leaf of peepal leaves and repeat the experiment again.

 day before starting the experiment i.e. on Monday morning, you have to take a coconut with water and wrap it over it with raksha sutra, do not wrap it on it, do not lump it and leave it in any place after touching the four corners of the working area.  And on Monday night, you have to keep your bedside at bedtime and then take it on the second day in the morning when you go to Hanuman temple for use, then take it with you.  After receipt of the anointed to break the coconut Hanuman to his water.

 While returning home from the temple, do not have to talk to anyone and do all this work quietly.

 ○ Then you have to go back to your behavior while doing your daily tasks, from the day you have worshiped Hanuman ji, till the last Tuesday has passed, there should be no use of any kind of meat in the house.

Do this remedy continuously for seven Tuesdays, if possible, keep it a secret.  The secret of success is to keep the experiment secret.

Mantra :-Om Namo Aadesh guru ko. 
gadh lanka sa kot, samudr see khaee, 
tod de saare bandhan, tujhe raam lakhan ki duhaee.     
shabd shacha pind kaancha 
dekhan mahaabeer, 
teree mantr ka tamaasha.


बन्द व्यापार चलेगा कोई नही रोक पायेगा

   
 (((जरूरी सूचना और चेतावनी, ये मन्त्र इंटरनेट पर नही है ये पहली बार इंटरनेट पर डाल रहा हूँ,बहुत ही कम लोगों पता है इसे मैं अपने पाठकों के लिए व्यक्तिगत रूप से उपयोग के लिए दे रहा हूँ कॉपी पेस्ट करने वाले नक्काल सावधान रहें वरना कानूनी आफत झेलनी पड़ेगी।।)))
         


                 बंद व्यापार को चलाने का उपाय।

○जिस किसी भाई बहन का कारोबार या व्यापार फैक्ट्री या दुकान चलते-चलते अचानक बंद हो गये और लाखों उपाए से भी नहीं खुल रहा और व्यक्तिगत दोष की समझ ना आए तो आप करें यह उपाय।

○यह उपाय कई लोगों को कराया गया और सबको ही इसके अच्छे परिणाम जल्दी ही मिल गए। यह उपाय कभी फेल नहीं हुआ हनुमान जी के पुजारियों के लिए वह लोग जिनके इष्ट हनुमान जी हैं उनके लिए बहुत जल्दी प्रभाव दिखाता है यह प्रयोग और रामबाण है यह प्रयोग।

○कई बार ऊपरी बाधा या कई बार किसी अपने पराए की ईर्ष्या का शिकार हो जाते हैं । या कई बार किसी अपने ऐसे व्यक्ति की हाय लग जाती है अक्सर जो हमारे चलते हुए अच्छे कारोबार को देख लेते हैं और यह तो हर एक प्रांत में चलता है क्षेत्र का इसमें कोई योगदान नहीं है हर जगह का यही हाल है।

○अगर हम कहे कि एक क्षेत्र के लोग अच्छे होते हैं और दूसरे के बुरे होते हैं नहीं हर समाज में कहीं ना कहीं कोई ऐसे लोग भी होते हैं जो कि समाज को सिर्फ और सिर्फ हानि पहुंचाने का काम करते हैं ।

○कुंठित बुद्धि विकृत मानसिकता और एशिया का भाव अत्यधिक महत्वाकांक्षी हो जाना ऐसे लोग अक्सर किसी न किसी टोने टोटके द्वारा परिचितों को ही नुकसान देते हैं क्योंकि अनजान व्यक्ति को तो वह जानते ही नहीं।

○यह चीजें एकाएक नहीं होती उनके होने से पहले कुछ ऐसे लक्षण प्रकट होते हैं अगर उसके ऊपर ध्यान दिया जाए तो आपको पहले से ही पता चल जाएगा कि कुछ गड़बड़ होने वाली है यह सब निर्भर करता है आपकी चुस्ती पर।

○कई बार दोष स्थानगत होते हैं कई बार दोष व्यक्तिगत होते हैं दोनों ही हालातों में कारोबार अक्सर ठप हो जाते हैं और ताला लगने का नौबत आ जाता है आ जाती है अगर व्यापारी अपनी सूझबूझ से काम ले तो इनका इलाज करना आसान होता है दान और धर्म कभी ना छोड़े धर्म भी तभी आपको पुष्ट करेगा जब आप धर्म का अनुपालन करेंगे।

○कई बार जब ऐसे हालात हो जाते हैं तो पीड़ित दस दस साल लगातार अपने इलाज के लिए इधर-उधर प्रयत्न करते हैं कुछ तो विचार हैं दो चार साल में ही थककर बैठ जाते हैं कईयों को उपाय नहीं मिलता कइयों को आधा अधूरा उपाय मिल जाता है

○आपको यहां पर एक उपाय दे रहा हूं जब भी लगे कि आपका काम डावांडोल हो रहा है कारोबार रुक रहा है उससे पहले ही यह काम कर लेना आप का काम चलना शुरू हो जाएगा।

○लगातार 7 मंगलवार यह प्रयोग आपको करना है।

○ पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना है।

○ मंगलवार को आपने प्रात: काल भोर में उठना है एवम स्नान इत्यादि से निवृत हो जाना है फिर किसी पुराने पीपल वृक्ष के पास जाना है उसे प्रणाम करके उसकी परिदक्षिणा करनी है 11 बार और उस पीपल के वृक्ष से आपको 11 पत्ते तोड़ लेने हैं।

○ फिर वह पत्तेघर लेकर आने हैं और उन्हें किसी पटरी     पर रखकर गंगाजल से अच्छी तरह धो लेना है।

○ फिर आपको केसर + पीले सिंदूर और चमेली के तेल से स्याही बनानी है या लाल चंदन को घिसकर स्याही त्यार करके प्रत्येक पत्ते पर अपनी तर्जनी उंगली से 7 बार जय श्री सीता राम लिखना है।  और दो अड़हुल के फूल की माला भी साथ ले जानी है।

○ एक लंबा लाल सूत्र या कलावा जिसे स्थानीय भाषा में नाड़ा भी बोला जाता है क्या रक्षा भी कहा जाता है उसमें इस तरीके से पीपल पत्तियों को बांधना है कि यह एक हार की तरह बन जाए।

○इसके बाद हनुमान जी के मंदिर में जाना है वहां आपने हनुमान जी की पूजा करनी है  और प्रसाद बांटना है  फिर  रुद्राक्ष की माला से  1 माला निम्नलिखित मंत्र का जाप करना है  और वो हार को  हनुमानजी को अर्पित कर देना है और जो पानी वाला नारीयल जो आप अपने सिरहाने रखा था उसे फोड़कर उसको हनुमान जी को अर्पित करें। मन ही मन कार्य की सफलता की हेतु  हनुमान जी से प्रार्थना करनी है। 
अंत में दो अड़हुल के फूल की माला जो आप अपने साथ लाए थे उनमें से एक माला हनुमान जी को चढ़ा देनी है दूसरी माला हनुमान जी के चरणों को स्पर्श कराकर एक माला अपने साथ वापस ले जानी है और अपने कार्य स्थली के प्रवेश द्वार पर टांग देना है। फिर अगले मंगलवार जो आपने अपने कार्यस्थल पर माला टांगी थी उसे सोमवार रात्रि को उतार देना है और दूसरे दिन मंगलवार जल्दी उठकर फिर दो माला अड़हुल की एक माला पीपल के पत्तों का पत्तों की तैयार करनी है और प्रयोग को वापिस दोहराना है।

○प्रयोग शुरू करने से 1 दिन पहले यानी सोमवार सुबह आपने एक पानी वाला नारियल लेना है और उसके ऊपर कलावा लपेटना है उस पर गांठ नहीं मारनी खाली लपेट देना है और उसे कार्यस्थली के चारों कोने स्पर्श कराकर किसी भी स्थान पर रख देना है और सोमवार रात्रि को लाकर सोते समय अपने सिरहाने रख देना है लेना है फिर दूसरे दिन प्रातः काल जब आप प्रयोग के लिए हनुमान मंदिर में जाएं तो उसे अपने साथ ले पूजा संपन्न होने के बाद उस नारियल को फोड़ कर हनुमान जी को अभिषेक उसके जल से करना है।

○ मंदिर से घर लौटते समय किसी से कोई बातचीत नहीं     करनी है और चुपचाप ही इस सारे कार्य को करना है।

○फिर अपने दैनिक कार्यों को करते हुए वापस अपने         व्यवहार पर चले जाना है जिस दिन आपने हनुमानजी     की पूजा की हो तब से लेकर अंतिम मंगलवार बीत         जाने तक घर में किसी प्रकार का मांस मदिरा का           प्रयोग नहीं होना चाहिए।

○इस उपाय को सात मंगलवार लगातार करें अगर हो        सके तो इसे गुप्त रखें। सफलता का रहस्य प्रयोग को      गुप्त रखना ही होता है।

ॐ नमो आदेश गुरु को। गढ़ लंका सा कोट,समुद्र सी खाई, तोड़ दे सारे बन्धन,तुझे राम लखन की दुहाई, शब्द साँचा पिंड कांचा देखां महाबीर, तेरे मन्त्र का  तमाशा।















कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...